रविवार, 28 अप्रैल 2013

Interesting Indians in Germany

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फ्रैंकफर्ट के पास Friedberg के निवासी विनोद कुमार पेशे से software engineer रहे हैं। पर सेवा-निवृत्त होने के बाद उन्होंने अपना जीवन हिन्दी को समर्पित कर दिया है। वे Vochshochschule में हिन्दी पढ़ाते हैं, निजी पाठ्यक्रम भी चलाते हैं। इसके अलावा उन्होंने स्व-प्रकाशन द्वारा हिन्दी सीखने के लिए कई अनोखी पुस्तकें भी प्रकाशित की हैं जो उनके वेबसाइट द्वारा मंगाई जा सकती हैं। उनके वेबसाइट से आप जर्मन-हिन्दी शब्दावली, मुहावरे, शरीर के अंगों के नाम, रंगों के नाम, भजन आदि बहुत सी सामग्री डाउनलोड कर सकते हैं।
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बर्लिन निवासी मेकैनिकल इञ्जीनियर नबीनानन्दा घोष 1962 से जर्मनी में हैं। काम के साथ साथ अपनी भाषा बंगाली की सेवा भी खूब कर रहे हैं। उन्होंने भी स्व-प्रकाशन द्वारा लगभग चालीस हज़ार शब्दों वाले जर्मन-बंगाली और बंगाली-जर्मन शब्दकोष प्रकाशित किए हैं। इनके अलावा उन्होंने एक जर्मन-बंगाली-जर्मन भाषा गाइड प्रकाशित किया है जिनमें दोनों भाषाओं के आम जीवन में काम आने वाले वाक्य दोनों लिपियों में उच्चारण के साथ दिए हुए हैं। ये पश्चिम बंगाल या बंग्लादेश का भ्रमण करने वाले जर्मन लोगों के लिए भी उपयोगी है और जर्मनी का भ्रमण करने वाले बंगाली लोगों के लिए भी। इसके अलावा उन्होंने लोकप्रिय जर्मन परी कथा लेखक Brüder Grimm की लगभग पन्द्रह परी कथाओं को बंगाली भाषा में अनुवाद करके भी एक पुस्तक के रूप में प्रकाशित किया है।
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परिवार से खाली समय पाकर फ्रैंकफर्ट निवासी दीप्ति अग्रवाल गैर भारतीयों को भारतीय संस्कृति से अवगत करवाने के लिए महीने में दो बार 'Indian culture eveníng' का आयोजन करती हैं। इसमें वे लोगों के छोटे से समूह को भारतीय आभूषणों, भोजन, मसाले और वीडियो द्वारा पर्यटन स्थलों के बारे में बताती हैं। software engineer जतिन अग्रवाल के साथ विवाहित केवल तीन साल से जर्मनी में रह रही दीप्ति अग्रवाल ने जब देखा कि यहां लोगों को भारतीय भोजन और संस्कृति के बारे में जानने का बहुत शौक है पर भारतीय रेस्त्रां में भोजन इतालियन या मैक्सिकन भोजन की अपेक्षा बहुत मंहगा है तो उन्हें ऐसा कुछ आज़माने का विचार आया। सौभाग्य से उन्हें विभिन्न इण्टरनेट समूहों के द्वारा अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है।
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