शनिवार, 27 अप्रैल 2013

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  • बसेरा एक घरेलू पत्रिका है। इसमें इस तरह के लेख न डालें जैसे 'एक रात का साथी कैसे ढूंढें?'। सरबजीत सिंह सिद्धु, फ्रैंकफर्ट
  • यह वाला अंक (17) पहले वालें अंकों की अपेक्षा बहुत सुन्दर बना है। पृष्ठों के ऊपर शीर्षक काफी सुविधाजनक है। छोटी छोटी खबरें रोचक और पठनीय हैं। कवर सुन्दर बना है। अंक में पहले की तरह छोटी छोटी गल्तियां हैं, जैसे अंक का नंबर फिर से 16 लिखा हुआ है, अगले अंक की तिथि फिर से जुलाई 2010 लिखी हुई। एक पाठक, म्युनिक
  • पिछली पत्रिकाओं को भी पढ़ने लायक format में online रखें। भले ही login के साथ सही। प्रदीप सोनी, फ्रैंकफर्ट
  • नये आने वाले लोगों के लिए कुछ ऐसी महत्वपूर्ण सूचनायें होनी चाहिये जिससे लोग पैसा भी बचा सकें। जैसे मुझे पांच साल बाद पता चला कि कुवांरे लोगों को निजी मेडिकल बीमा सस्ता पड़ता है जिससे लगभग दो सौ यूरो हर महीने बचाये जा सकते हैं। एक पाठक, म्युनिक
  • थोड़ा धार्मिक matter भी डालें, लोग पसन्द करेंगे। यहां उन्हें इस चीज़ की ज़रूरत होती है। अविनाश लुगानी, बर्लिन
  • कुछ धार्मिक सामग्री और महान व्यक्तियों की वाणियां भी डाला करें। पुस्तक 'Vision of India' ('India council for cultural relations) में से कुछ सन्दर्भ लिए जा सकते हैं। जैसे गांधी जी ने कहा था कि मेरे लिए आज़ादी वो है जहां लड़कियां रात को भी बिना डर के बाहर गलियों में निकल सकें। नेहरू को आधा मुस्लमान माना जाता है लेकिन उन्होंने हिन्दू धर्म के लिए बहुत कुछ किया। उन्होंने कहा था कि भारत तब तक जीवित रहेगा जब तक महाभारत, रामायण जैसी कहानियां जीवित हैं। एक और पुस्तक उल्लेखनीय है 'The seven spiritual laws of success', दीपक चोपड़ा द्वारा। विजय शंकर लुगानी, म्युनिक
  • आयुर्वेद आदि पर लेख देने का कोई खास फायदा नहीं, क्योंकि भारतीय लोग तो इसे जानते ही हैं। पाक विधियों में कुछ जर्मन पाक विधियां भी होनी चाहिए। Christine Liedl, Munich
  • पत्रिका लगातार बेहतर हो रही है, लोग पढ़ने के लिए मांग कर भी ले जाते हैं। पत्रिका दिखने में भी बहुत अच्छी है और दाम भी उचित है। इस बार का कवर पेज बहुत अच्छा था। नॉन वेज जोक्स बच्चों के लिए अच्छे नहीं। कई लोगों का कहना है कि वे अन्तिम पृष्ठ फाड़ कर ही बच्चों को देंगे। इस बार का पाक विधि वाला पृष्ठ बहुत आकर्षक था। अपाहिज व्यक्तियों के लिए कानून वाला लेख पसन्द आया। लिज़्ज़त पापड़ वाला लेख भी बहुत अच्छा लगा। हमें तो पता ही नहीं था कि इन औरतों ने इतने छोटे से शुरूआत की थी। स्कूल के बारे में निर्णय वाला लेख बहुत उपयोगी था, हमारा बेटा भी अब स्कूल जायेगा।  उपयोगी सूचना वाले लेख तो हमेशा अच्छे ही लगते हैं। जर्मन और हिन्दी शब्दावली वाले पृष्ठ भी अच्छे हुआ करते थे। शर्मीला, म्युनिक
  • इस बार की तो सारी पत्रिका ही अच्छी थी। चुटकुले अच्छे नहीं लगे, low standard के लगे। एक दो जोक्स तो नहीं होने चाहिये थे। बाकी पत्रिका बहुत उपयोगी थी। मसालों की अजब कहानी, नेत्रहीन क्रिकेट, टैक्स बचाने की टिप्स बहुत अच्छी लगीं। स्कूल वाला लेख तो सबसे अच्छा था, मां बाप को इस बातों के बारे में बिल्कुल नहीं पता होता। कवर पेज अच्छा था। सत्य अपराध कथा अच्छी लगी। इस तरह की कहानियां और डाली जा सकती हैं। पहले जर्मन और हिन्दी अनुवाद डाला करते थे, वह उपयोगी था। सरबजीत कौर, म्युनिक
  • पिछले अंक (16) का हल्के रंगों वाला कवर अच्छा था। matter की quality अच्छी हो रही है, overall improvement है। कुछ और उपयोगी लेख डालें, जैसे अगर पत्नी जर्मनी आये तो उसके लिये नौकरी कैसे ढूंढें, driving license के लिये क्या करना पड़ता है, आदि। नए कानूनों के बारे में जानकारी अधिक होनी चाहिए। शेख इस्माइल, म्युनिक
  • सभी लेखों की अंग्रेज़ी में भूमिका बहुत उपयोगी है, interesting लगे तो पढ़ लो, नहीं तो छोड़ दो। इस बार का कवर पेज बहुत अच्छा लगा, बिल्कुल Indian, देखते ही Indian culture का पता चलता है। पाक विधियां अच्छी थीं। रेहाना, म्युनिक
  • 'एक रात का साथी' वाला लेख भारतीय संस्कृति के अनुकूल नहीं। पर मैं मानता हूं कि अपनी संस्कृति अब कई संस्कृतियों का घालमेल हो गई है। पुराने ज़माने में लड़के लड़कियों को बहुत छूट हुआ करती थी। अजन्ता एलोरा की गुफायें इसका प्रमाण हैं। पर हिन्दी के बीच बीच में अंग्रेज़ी शब्दों का उपयोग मुझे अच्छा नहीं लगता। कई जर्मन इसपर हैरान होते हैं कि हमारी भाषा मं इसके लिए शब्द नहीं हैं। अनिल कुमार, फ्रैंकफर्ट।
  • बसेरा का concept अच्छा है। हमें सारा कुछ केवल अंग्रेज़ी में ही नहीं करना चाहिये, हिन्दी और अधिक काम होना चाहिये। अजीत कुमार, महाकोंसल, भारतीय कोंसलावास, फ्रैंकफर्ट
  • पत्रिका बहुत impressive है, बहुत अच्छा idea है। 45 साल पहले सिर्फ महाराजा, शेर या जानवरों की बातें होतीं थीं। अभी हिन्दुस्तानी का पता चलता है। मैं wish करता हूं कि यह चलता रहे, ऐसी चीज़ों की ज़रूरत है यहां पर। सत्यपाल चौधरी, Erlangen
  • अपाहिज लोगों के लिये कानून वाला लेख बहुत अच्छा लगा। इतनी विस्तृत जानकारी और कहां मिलती है? आम लोगों को तो इसके बारे में पता ही नहीं होता। ऐसी उपयोगी सूचनायें और होनी चाहिये। कुसुम चौधरी, Erlangen
  • बहुत अच्छी पत्रिका है। जर्मनी में बैठे बैठे यहां की और भारत की महत्वपूर्ण सूचनायें मिल जाती हैं, वे भी हिन्दी में, तो और क्या चाहिये? हम सचमुच प्रशंसा करते हैं। सतीश सेठी, म्युनिक
  • पत्रिका अच्छी है, पता चलता रहता है कि जर्मनी में क्या हो रहा है। रितेश अग्रवाल, Idar-Oberstein
  • सारे magazine में करीना कपूर की फोटो सबसे best है, वो भी कमर से नीचे नीचे। बाकी तो आप काट ही दो। अली, म्युनिक
  • आप बहुत अच्छी quality maintain कर रहे हैं। अब तो यह ऐसे ही लगती है जैसे भारत में India Today आदि पत्रिकाएं होती हैं। सुहास पटेल, फ्रैंकफर्ट
  • हमें तो अब पता चला है पत्रिका के बारे में। तीन साल से किसी ने बताया कि यह पत्रिका निकल रही है। पत्रिका की quality, छपाई आदि बहुत अच्छी है। हमने कई लेख पढ़े। राजेश वर्मा, Stuttgart
  • हमें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि जर्मनी में हिन्दी पत्रिका बसेरा प्रकाशित की जा रही है। यहां रहने वाले भारतीय नागरिकों को यह अपनी संस्कृति और सुन्दर देवनागरी से संपर्क कराती रहेगी और इसके अलावा जो जर्मन नागरिक जो इण्डोलोजी पढ़ रहे हैं, उनके लिए भी उपयोगी हो सकती है। मोहिनी Heitel, फ्रैंकफर्ट
  • पत्रिका में भक्त सिंह जैसे लोकप्रिय देश भक्तों और गणतन्त्र दिवस जैसे महत्वपूर्ण दिनों के बारे में भी लिखा जाना चाहिए। यहां रहने वाले बहुत से भारतीयों को इन चीज़ों का पता ही नहीं। उन्हें यह भी नहीं पता होता कि भारत के पहले राषट्रपति कौन थे। प्रकाश झा, सूर्य रेस्त्रां, म्युनिक।
  • 'बसेरा' हिंदी भाषा में छपने वाली जर्मनी की शायद पहली पत्रिका है। इस महान प्रयास की जितनी भी प्रशंसा की जाए कम है। इसकी छपाई और तस्वीरों का चुनाव उच्च श्रेणी का है। हिंदी भाषा की महारत भी स्पष्ट रूप से परिलक्षित होती है। मुझे अब तक इसकी तीन प्रतियां उपलब्ध हुई हैं। भाषा और लेखों के स्तर में सुधार साफ़ दृष्टिगत होता है। जर्मन निवासी हिंदी भाषी होने के नाते इसकी दीर्घायु की मंगल कामना। Sushila Sharma-Haque, sushila1940@yahoo.de
  • 03.08.08, ॐ, मान्यवर श्री रजनीश जी, नमस्कार, आप की भेजी हुयी बसेरा की दोनों प्रतियां मिली, धन्यावद। जर्मनी की पहली हिन्दी पत्रिका के प्रकाशन पर मेरी शुभकामनाऐं। हिन्दी भाषा की सेवा के लिए आप बधाई के पात्र हैं। पत्रिका सुंदर बन पड़ी है। साज सज्जा तथा मुद्रण उत्तम है। भाषा मंझी हुई तथा सरल है। लेख विविधतापूर्ण, रोचक तथा मनोरंजक हैं। जर्मनी में रहने वालों के लिये यहां के नियमों की जानकारी जो अतिआवश्यक है, इसमें सुलभ है। प्रभु आपको सफ़लता दे, इसी प्रार्थना के साथ आपका शुभचिंतक, डा॰ अवनीश कुमार लुगानी, President, श्री गणेष हिन्दू मंदिर, बर्लिन, Heerstraße 7, 14052। Berlin, Tel: 030-3017353
  • 100608, प्रिय मंगला जी, मुझे बसेरा साईट देखने का मौका मिला, बड़ा अच्छा काम कर रहे हैं आप| मेरे बारे में आप इस लिंक पर काफी जानकारी प् सकते हैं. फ़िर भी कोई जानकारी आप चाहें तो मुझे मेल कर सकते हैं. आप ने जो वसूली पत्र का नमूना दिया है क्या ऐसे पत्र Germany के bankो द्वारा जरी किए जाते हैं? या आप ने इन्हें भारत में उपयोग की दृष्टि से दिया है? मैंने भी bank पत्राचार पर लिखा है. मैं एक जर्नlist हूं. आय की दृष्टि से क्या मेरे लिए लिखने का कोई काम है, आप की संस्था के पास. यदि हो तो मुझे सम्पर्क करें. उत्तर की आशा में. हरीश चन्द्र सन्सी, +919250309642, vividha.vidha@yahoo.com