रविवार, 21 अप्रैल 2013

म्युनिक में भारतीय शास्त्रीय गायन कार्यक्रम

6 अप्रैल 2008 को म्युनिक में भारत के जाने माने शास्त्रीय गायन कलाकार 'शुभांकर चैटर्जी' ने अपनी मधुर आवाज़ का जादू म्युनिक के दर्शकों पर बिखेरा।करीब एक सौ भारतीय, अफ़्गानी और जर्मन दर्शकों से हॉल खचाखच भरा था। ठीक साढ़े पांच बजे कार्यक्रम की शुरूआत हुयी शुभांकर चैटर्जी जी के म्युनिक निवासी शिष्य 'सोम प्रकाश' के सितार वादन से। तबले पर उनका साथ दिया प्रबीर मित्र के म्युनिक निवासी शागिर्द 'परवेज़' ने। सोमप्रकाश ने सितार पर यमन राग बजाकर दर्शकों को आनन्दित कर दिया। इस तरह शिष्यों को गुरुओं से पहले कला पर्दर्शन का अवसर दिया गया। उसके बाद करीब सवा छह बजे इंटरवल हुआ। दूसरे भाग में शुभांकर चैटर्जी ने अपनी मधुर आवाज़ में शास्त्रीय गायन गाकर सबका मन मोह लिया। तबले पर उनका साथ दिया प्रबीर मित्र ने। शुभांकर चैटर्जी जी ने यमन राग में तराना गाया, उसके बाद कौशी ध्वनी और बनारस की लोकप्रिय विधा में कजरी, होली और गज़ल गायी। करीब साढ़े आठ बजे कार्यक्रम का समापन हुआ।

शुभांकर चैटर्जी जी बनारस घराने के हैं और उन्होंने भीमसेन जोशी, कुमार मुखर्जी और गिरिजा देवी से शिक्षा पायी है। शुभांकर चैटर्जी और प्रबीर मित्र दोनों इस समय युरोप के टूर पर हैं और अक्सर युरोप आते रहते हैं। शुभांकर चैटर्जी तो वीन में स्थित एफ़्रो एशियन संस्थान (http://aai-wien.at/) में भी संगीत सिखाते हैं। वे अपने शिष्य सोमप्रकाश के कला पर्दर्शन से सन्तुष्ट दिखे। हालांकि बसेरा के साथ बातचीत में उन्होंने कहा कि भारत में कार्यक्रम करने का अधिक मज़ा आता है। युरोप का ये टूर उनके लिये काफ़ी तनाव भरा रहा। इस कार्यक्रम से ठीक पहले उन्होंने म्युनिक के हरि ओम मन्दिर में कई सारे भजन गाकर श्रद्धालुओं को आनन्दित किया था और उसी दिन सुबह वे स्पेन में कार्यक्रम करने के पश्चात वापस पधारे थे।