शनिवार, 20 अप्रैल 2013

दास्ताने ज़िन्दगी- श्रीमती लुगानी

Mrs. Lugani, a firm believer in god tells some unforgettable incidents in her life, which made her so.

म्युनिक निवासी तीन व्यसक बच्चों की मां श्रीमती अमृता वर्षा लुगानी ईश्वर में पूर्ण विश्वास रखने वालीं और किसी से बैर न रखने वाली महिला हैं। वे अपने जीवन में घटी कुछ ऐसी घटनाओं का उल्लेख करती हैं जिन्होंने ईश्वर के प्रति उनके विश्वास को और गहरा किया।

1983 में मैं एक दुकान में काम किया करती थी। सभी बच्चे घर पर थे। वे पड़ोसियों के बच्चों के साथ खेल रहे थे। किसी बात पर बच्चों की आपस में लड़ाई हो गई। तो पड़ोसी बच्चों की मां ने पन्द्रह वर्ष के मेरे सबसे बड़े बेटे की आंखों में तेज़ाब फेंक दिया। अन्य पड़ोसियों ने यह देखा और पुलिस और एंबुलेंस को बुला लिया। घर आकर हमने पुलिस और एंबुलेंस को देखा। लोग फुसफुसा रहे थे कि देखो मां अब आ रही है। मेरे बेटे को अस्पताल ले जाया जा चुका था। उसकी आंखों पर पट्टियां बंधीं हुयी थीं। तब मैंने सोच लिया कि अब मैं उसे कभी भी अकेला नहीं छोड़ूंगी। उसकी आंखों पर दो हफ्तों तक पट्टी बंधी रही। पर जब दो हफ़्तों बाद पट्टी हटायी गई तो चमत्कार हो गया। उसकी आंखें बिल्कुल ठीक थीं। तब मेरा ईश्वर में विश्वास और भी गहरा हो गया।

एक और घटना में मेरे बेटे की स्कूटर चलाते समय एक कार के साथ दुर्घटना हो गई। मेरा बेटा स्कूटर से गिर के कार के बोनट के ऊपर लुढ़क गया। स्कूटर बुरी तरह से टूट गया था पर भगवान की दया से मेरे बेटे को खरोंच तक नहीं आयी। कार वाले ने बाद में स्कूटर के पैसे दे दिये। इससे भी भगवान में मेरा विश्वास और गहरा हुआ।

1970 में मुझे अपने बड़े बेटे के साथ पहली बार पटना से जर्मनी आना था। मेरे पिता ने दिल्ली रहे रहे मेरे भाई और उनके परिवार को चिट्ठी लिखकर मेरे आने के बारे में सूचित किया। मैं कभी अकेली घर से बाहर नहीं गई थी, और तब यह लंबी यात्रा मुझे अकेले करनी थी। मैं बहुत डरी हुयी थी। दिल्ली रेलवे स्टेशन पर कोई मुझे लेने नहीं आया। बहुत प्रतीक्षा करने के बाद मैंने करोल बाग जाने के लिये ऑटोरिक्शा लिया। वहां पहुंच कर पता चला कि उन्होंने घर बदल लिया था। फिर मैंने स्कूटर वाले को अमर कोलोनी में मेरी ननद के यहां जाने के लिये कहा। मेरी ननद ने भी घर बदल लिया था। कई लोगों से पूछताछ की पर कोई कुछ बता नहीं पा रहा था। किसी तरह मुझे वहां मेरी सास दिखी जो मुझे अपनी दूसरी बेटी के घर लेकर गई। मेरे भाई के घर बेटा हुआ था। उन दिनों में मेरे जैसी लड़की जो कभी घर से बाहर न निकली हो, के लिये यह सब बहुत मुश्किल था। तब भी मैंने भगवान का धन्यवाद किया।

एक हाल ही की घटना में मेरी बेटी अपने भतीजे के घर पर थी। उसने भतीजे के लिये कुछ पकाना चाहा। उसने हॉट प्लेट का स्विच ऑन किया और नूडल बनने के लिये रख दिये। कुछ समय बाद उसने देखा कि नूडल तो गर्म नहीं हो रहे हैं। बच्चे भी पास में खेल रहे थे। उसे पता ही नहीं चला कि हॉट प्लेट को शीशे के कवर के साथ ढंका हुआ था। अचानक कड़क आवाज़ के साथ शीशा टूट कर सारी रसोई में फैल गया। बच्चों को चोट नहीं आयी, पर रसोई में बुरी तरह से घमसान मच गया। इस घटना के बाद भी मेरा ईश्वर में विश्वास और गहरा हो गया।