रविवार, 21 अप्रैल 2013

छह वर्षीय बच्ची की हत्या की कोशिश

Mr. Richard Thiess from criminal police tells about and incident when a 19 years old guy assaulted a six years school going girl sexually, and how did they catch him after months of hard work.

हत्या आयोग में आयुक्त होने के कुछ समय बाद ही मुझे आभास हो गया कि मुझे भविष्य में किस तरह की अमानवीय क्रूरताओं का सामना करना पड़ेगा.

एक सुबह Munich शहर के एक प्राथमिक स्कूल में एक कक्षा आरम्भ होने पर अध्यापिका ने देखा कि एक 'Anna' (नाम बदला हुआ) नाम की बच्ची कक्षा से गायब है. एक अन्य बच्ची ने बताया कि उसने Anna के पिता को उसे स्कूल छोड़ कर जाते देखा है और उस का बस्ता गलियारे में पड़ा है. अध्यापिका ने बच्ची को ढूंढा तो उसे एक toilet में पाया. हालांकि बच्ची की स्थिति कुछ अजीब लग रही थी और वह कोई उत्तर भी नहीं दे रही थी, पर अध्यापिका ने अधिक ध्यान नहीं दिया. उसने सोचा कि उस के माता पिता पास ही होंगे और उस का ध्यान रख रहे होंगे. वह class में वापस आ गई. पर थोड़ी देर बाद भी जब Anna classroom में नहीं आई तो वह फिर उसे toilet में देखने गई. इस बार वह कुछ उत्तर दे रही थी पर उस की हालत ठीक नहीं लग रही थी. अध्यापिका ने Anna के कपड़े ठीक किए, उसे कक्षा में ले आई और उसे कुछ पीने को दिया. उसने देखा कि सच-मुच Anna के माता पिता आस पास नहीं हैं. अध्यापिका को लगा कि Anna बीमार है और उसने सचिवालय को उस के माता पिता को सूचित करने के लिए कहा.

इस घटना को दो घंटे बीत चुके थे. Anna की mummy उसे doctor के पास ले गई. doctor ने जांच कर के बताया कि बच्ची के गले और ऊपरी भाग को बुरी तरह से दबाए जाने के निशान हैं. शरीर के निचले भाग में भी चोटों के निशान हैं. तुरंत आपात कालीन doctor को सूचित किया गया और बच्ची को अस्पताल में दाखिल करवाया गया. अस्पताल के doctors ने बताया कि बच्ची बुरी तरह से यौन उत्पीड़न का शिकार हुई थी. किसी अजनबी अपराधी ने लगभग मारने के इरादे से उस का गला दबा दिया था और उस पर यौन आक्रमण किया. doctors को हैरानी थी कि इतने जानलेवा हमले के बाद भी बच्ची जीवित है. अब तक इस घटना को हुए चार घंटे बीत चुके थे. अब police को बुलाया गया और यह मामला हत्या आयोग के हवाले किया गया. हमारे सभी सह-कर्मियों को बैठक के लिए बुलाया गया. स्कूल परिसर के चारों ओर police की गाड़ियां और शिकारी कुत्तों के साथ विशेषज्ञ जमा हो गए. हमें लगा कि अपराधी शायद अभी भी स्कूल के अन्दर है. toilet और उस के आस पास का सारा क्षेत्र घेर लिया गया. सफ़ेद कपड़े पहने हमारे विशेषज्ञ हर सम्भव उंगलियों के निशान तथा DNA निशान ढूंढने लगे. उन्होंने अन्दाज़ा लगाया कि अपराधी कक्षा शुरू होने से पहले ही toilet के एक केबिन में घुस कर अपने शिकार की प्रतीक्षा कर रहा होगा. पहले पहल तो यह लगा कि उसने पीछे कोई सुराग नहीं छोड़ा है. पर अभी अच्छी तरह जांच करना बाकी था. थोड़ी सी असावधानी से भी बहुत छोटे छोटे सुराग हमेशा के लिए समाप्त हो सकते थे. अस्पताल में बच्ची के कपड़ों और शरीर पर भी हर सम्भव सुराग जुटाए गए. वहीं से हमें अपराधी का DNA नमूना मिला. मैं ने अध्यापकों, छात्रों, माता-पिता आदि से पूछताछ शुरू की. स्कूल और उस के आस पास की सारी इमारतों का कोना कोना छान मारा गया. धीरे धीरे पता चला कि Anna (उस समय बच्ची का यही बदला हुआ नाम समाचार पत्रों में छपा था) के पिता उसे class तक छोड़ने आए थे. स्कूल परिसर में उन्हें एक चौकी से गुज़रना पड़ा जहां सामान्यत एक अध्यापिका रहती है जो यह ध्यान रखती है कि कोई अनापेक्षित व्यक्ति स्कूल में न घुस पाए. पिता Anna को कक्षा तक छोड़ कर चले गए. वह कक्षा के बाहर बस्ता छोड़ कर toilet में घुसी. उस की एक साथिन ने उसे toilet में घुसते देखा. toilet के अन्दर प्रतीक्षा कर रहे अपराधी ने उस का गला घोंट कर उसे बेहोश कर दिया और फिर उस के साथ यौन दुर्व्यवहार किया. फिर वह उसे उसी जानलेवा हालत में छोड़ कर भाग गया. यह लग रहा था कि अपराधी ने मान लिया था कि वह बच्ची मर जाएगी. इस लिए हम ने उसी दिन एक खास आयोग का गठन किया जिस में अन्य police चौकियों के चालीस अफ्सर संगंठित किए गए. हम ने ऐसे कामों के लिए बने एक खास कमरे को अपना दफ़्तर बनाया. मैं ने सुरागों की छान-बीन का काम सम्भाला और पूछताछ के लिए अपने एक अनुभवी साथी को नियुक्त किया. देखते ही देखते तमाम आधुनिक व्यवस्थाएं वहां कर दी गईं. हर सह-कर्मी के लिए एक computer और telephone लगा दिया गया. अलमारियां, fridge और coffee machines लगा दी गईं. अगली ही सुबह आयोग ने पूरी तरह काम सम्भाल लिया. हमें जल्द से जल्द उस अपराधी को पकड़ना था. उधर छोटी Anna खतरे से बाहर थी और बात-चीत कर सकती थी. उसने एक महिला doctor को बताया कि दो buttons वाली हरी कमीज़ पहने एक व्यक्ति ने toilet केबिन में आ कर उस का मुंह ढक दिया, फिर वह सो गई. वह इससे अधिक कुछ बता नहीं सकी. हम ने उस की हालत को समझते हुए उससे कुछ पूछना ठीक नहीं समझा. स्कूल के आस-पास का क्षेत्र छानते हुए वहां एक बेघर व्यक्ति पर हमारे साथियों को शक हुआ. उस व्यक्ति ने एक खाली पड़ी उजाड़ इमारत के एक flat में अपना घर बनाया हुआ था. उसने भी दो बड़े बड़े buttons वाली हरी कमीज़ पहनी हुई थी. उससे ऐसी दुर्गन्ध आ रही थी जैसे महीनों से उसने पानी को छुआ न हो. एक तार पर एक underwear सूखने के लिए टंगा हुआ था. हम ने उसे पूछताछ के लिए बुलाया. पूछताछ अक्सर दो व्यक्तियों द्वारा की जाती है जिस में एक प्रश्न पूछता है और दूसरा उस की प्रतिक्रियाओं पर नज़र रखता है और पूछताछ में साथी की मदद करता है. Anna द्वारा दिए गए दो buttons वाली हरी कमीज़ के ब्यान को ले कर हम में उत्तेजना बढ़ रही थी. क्या यही वह अपराधी है? हमें उम्मीद थी कि अगले कुछ घंटों में हम यह तय कर पाएंगे. हालांकि मैंने police में रहते हज़ारों बार पूछताछ की है पर पहली बार मुझे एक सामान्य पूछताछ और हत्या सम्बन्धी पूछताछ में अन्तर नज़र आया. शांति, सावधानी और सहानुभूति के साथ बात-चीत करते हुए मेरे साथी ने उस के जीवन की कई बातों का पता लगाया. सदिग्ध ने बताया कि वह उस स्कूल को बहुत समय से जानता है. वह अक्सर वहां का शौचालय उपयोग करता रहा है. हम दोनों सकते में आ रहे थे, फिर भी मेरे साथी ने सावधानी से पूछताछ जारी रखी. धीरे धीरे वह अपने बारे में ऐसी बताने लगा जो व्यक्ति को आपराधिक जीवन में धकेल सकती हैं. उस की माता उसे बहुत मारा करती थी. जब वह बड़ा हुआ तो औरतें उस के नपुंसक होने पर हंसा करती थीं. उसने कई बार सेक्स करने की कोशिश की पर जब उस की साथिन को पता चलता कि वह नपुंसक है तो उस के सम्बन्ध टूट जाते.

सुबह के चार बज चुके थे. बाहर बिलकुल शांति थी. तनाव बढ़ता जा रहा था. हम उम्मीद कर रहे थे कि यह शराबी और मानसिक रूप से बीमार व्यक्ति आखिर अपना धैर्य तोड़ देगा और अपना अपराध स्वीकार कर लेगा. पर तभी अचानक कहानी बदल गई. सूचना आई कि अपराधी का DNA, इस सन्दिग्ध के DNA से नहीं मिलता. मुझे यह सोच कर बहुत असुविधा हुई कि अगर अपराधी का DNA हमारे पास नहीं होता तो हमें पक्का यकीन था कि यही व्यक्ति अपराधी है.

फिर सूचना आई कि अपारधी का DNA करीब दो महीने पहले अन्य घटना में लिए गए DNA से मिलता है. तब एक clinic में सुबह सुबह अपराधी ने एक महिला कर्मचारी पर हमला किया था और उस का गला घोंट कर बेहोश कर दिया था. क्या यह एक serial अपराधी था जो बच्चों और महिलाओं को अपना शिकार बनाता है? इसी बीच Anna के माता पिता ने बताया कि उस की पानी पीने वाली बोतल गायब है. बोतल के चित्र बना कर media में दिए गए पर लोगों की प्रतिक्रियाओं से कोई विशेष परिणाम सामने नहीं आया. स्कूल से सम्बन्ध रखने वाले हर पुरुष की जांच की गई, अध्यापक, पिता, मिस्त्री, supplier आदि, पर कोई परिणाम नहीं निकला. एक बार स्कूल के आस पास ही दोबारा जांच करने पर बोतल ढूंढ ली गई. उस पर बच्ची और अपराधी दोनों के DNA निशान मिले. उसमें सन्तरे के जूस में ethyl acetate मिलाया गया था. हम ने यह पता लगाने की कोशिश की क्या यह पदार्थ  बेहोश करने के उपयोग किया गया था या यौन उत्तेजना पैदा करने के लिए. यह कहां से मिलता है, कौन लोग इसका उपयोग करते हैं. पर कुछ खास पता नहीं चल सका.

उस घटना के करीब दस सप्ताह बाद, नए वर्ष के मौके पर Starnberg के रेस्त्रां में एक घटना हुई. सब अतिथियों के जाने के बाद एक अजनबी ने रेस्त्रां की मालकिन पर पर जानलेवा हमला कर दिया, उस का गला घोंट दिया और सारे पैसा उड़ा कर भाग गया. वहां भी अपराधी ने मान लिया था कि वह मर जाएगी. बडी मुश्किल से वह बच पाई. वहां की आपराधिक police ने उस अपराधी का पता लगा लिया. वह एक 19 वर्षीय लड़का था और पास ही के किसी farm में रहता था. उस के DNA की जांच की गई तो परिणाम हमारे होश उड़ा दिए. उस का DNA Anna के अपराधी के साथ मिलता था. हमारी महीनों की थकान minutes में दूर हो गई. अब हमें केवल उस को पकड़ना था. तभी एक phone आया कि Munich के hotel से एक अतिथि रात गुज़ारने के बाद वापस जाने का नाम नहीं ले रहा. उसने जब अतिथि का नाम बताया तो यह वही लड़का था जिस की हमें तलाश थी. उसे वहां जा कर पकड़ लिया गया. बोतल के बारे में उसने बताया कि उसने तो उत्तेजना बढ़ाने के लिए एक दवा ख़रीदी थी पर शायद दुकानदार ने उसे बेवकूफ बना कर कुछ और दे दिया जिस का कोई असर नहीं होता. उसे कई वर्षों की सजा हुई. पर उसने सजा पूरी होने से पहले आत्महत्या कर ली.

-Richard Thiess, उप निदेशक, हत्या आयोग, Munich police