रविवार, 21 अप्रैल 2013

भारतीय दूतावास - मासिक रिपोर्ट - नवंबर 2009

Monthly report of cultural department of Indian Embassy, Berlin, for the month of November 2009, including highlight of the month.

माह का विशिष्ट कार्यक्रम - 13 नवंबर 2009 - बाल दिवस समारोह
भारतीय दूतावास बर्लिन के सांस्कृतिक विभाग यानि टैगोर केन्द्र ने बाल दिवस मनाने के लिये चौदह वर्ष तक की आयु के बच्चों को आमन्त्रित किया। यह दिन भारत के पहले प्रधान मन्त्री पण्डित जवाहर लाल नेहरू का जन्मदिन है। सबसे पहले सलाहकार श्री राकेश रंजन ने विशेष अतिथि श्रीमती वसुंधरा व्यास और अन्य अतिथियों का स्वागत किया और बाल दिवस के महत्व के बारे में बताया। सबसे पहले श्रीमती राजदूत वसुंधरा व्यास ने बच्चों को एक भारतीय परी कथा पढ़कर सुनायी जिसे श्री गुन्तर बेंन्नुंग ने जर्मन में अनूदित किया। फिर श्री गुन्तर बेंन्नुंग ने बच्चों को उनकी अप्रकाशित पुस्तक 'Die Geschichte von den Heilgeheuern’ (पवित्र जीवों की कहानी) में से कुछ अंश पढ़ कर सुनाये। यह पुस्तक बच्चों और बड़ों के लिये लिखी गई है जिसमें सभी बीमारियों के मूल के बारे में बताया गया है। रोचक स्लाइड्स और वार्तालाप के द्वारा श्री बेंन्नुंग ने बीमारियों और विभिन्न जीवों के बीच सम्बंधों के बरे में बताया। जब हम अस्वच्छ रहन सहन के कारण इन जीवों से बीमारियां उधार ले लेते हैं तो हम बीमार हो जाते हैं। लेकिन इन जीवों को ये बीमारियां वापस चाहिये होती हैं। इस लिये हमें चाहिये कि हम स्वच्छता से जियें और स्वस्थ दिनचर्या अपनायें। स्वस्थ रहनसहन के सन्देश के साथ साथ बच्चों को यह कहानी बहुत रोचक भी लगी। पारंपरिक तौर पर टैगोर केन्द्र इस अवसर पर चित्र प्रतियोगिता भी आयोजित करता है। पिछले दो वर्षों में विषय थे हाथी और ताज महल। इस वर्ष विषय था 'चीता'। आयोजन का एक अन्य आकर्षण था विश्व-प्रसिद्ध जोकर 'शिवन' का शो (श्री गुन्तर बेंन्नुंग का दूसरा नाम)। जोकर शिवन ने सारे शो के दौरान अतिथियों को हंसाये रखा और एक खुश-नुमा माहौल बनाये रखा। चित्र प्रतियोगिता में भाग लेने वाले बच्चों को पुरस्कार देने के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। श्रीमती राजदूत व्यास ने 2008 में शंकर के अन्तरराष्ट्रीय बाल प्रतियोगिता में भाग लेने वाले छात्रों को दो रजत पदक और एक मान्यता पदक भी प्रदान किया। कार्यक्रम में लगभग 200 बच्चे और अतिथि शामिल हुये जिन्होंने टैगोर केन्द्र में तीन यादगार घंटे गुज़ारे और भारत और पण्डित जवाहरलाल नेहरू के बारे में जाना।

माह नवंबर के दौरान टैगोर केन्द्र में आयोजित हुये अन्य कार्यक्रम

4 नवंबर तक चार सप्ताह के लिये केरल के श्री शिहाब वैप्पिपादाथ द्वारा 'Stains and Shadows of the Strokes' नामक चित्र प्रदर्शनी का आयोजन हुआ जिसे अनेक लोग देखने आये।

4 नवंबर। माधुरी चट्टोपाध्याय (वायलिन), रवि श्रीनिवासन (तबला और गायन), हनन एक शिमाओटी (कानुन और प्रकशन), आइओन्ना श्रीनिवासन (भारतीय नृत्य) और मलिका (ओरिएंटल नृत्य) के साथ 'राग मकौम तलम' नामक समूह द्वारा फ़्यूज़न संगीत और नृत्य आयोजन। इन पांच कलाकारों ने भारतीय और अरबी संगीत परंपराओं को पेश किया। गायन के साथ साथ भारतीय और अरबी संगीत वाद्यों पर संगीत बजाया गया, जैसे तबला, वायलिन, कानुन (पारसी सन्तूर), डाराबुका (अरबी ड्रम)। उत्तर भारत के कथक से लेकर Bollywood dance, बंगाल के लोक नृत्य से लेकर अरब के रंगीन ओरिएंटल डांस तक प्रस्तुत किये गये। लगभग 15 अतिथियों ने शो को देखा। जानदार और रंगदार शो के बाद अतिथियों ने खड़े होकर तालियां बजाते हुये कलाकारों को सराहा।

11 नवंबर। कैरोलीन गोडेके द्वारा अर्ध शास्त्रीय भरतनाट्यम नृत्य, फोटो और चित्र। भारतीय नृत्य और ललित कलाओं पर आधारित कैलीडोस्कोप इस कार्यक्रम में जर्मन और भारतीय संस्कृति का अनोखा मिलन दिखाई दिया। गुरू पद्मिनी राव द्वारा नृत्य निर्देशित शास्त्रीय भरतनाट्यम से शुरू होकर कैरोलीन द्वारा निर्देशित अर्ध शास्त्रीय फ़्यूजन नृत्य प्रस्तुत किये गये। कैरोलीन ने नृत्य, इशारों और मुद्राओं द्वारा विभिन्न हिन्दू देवों और देवियों की कहानियां सुनाईं। कर्नाटक संगीत से लेकर जैज़ फ़्यूज़न और भारतीय फ़िल्मी गीत तक भी कार्यक्रम में प्रस्तुत किये गये। कैरोलीन गोडेके ने म्युनिक की ललित कला अकादमी से डिप्लोमा किया है और वे एक नर्तकी और पेंटर हैं। उन्होंने बर्लिन में राज्य-श्री और चेन्नई में सावित्रि जगन्नाथ राव से भरतनाट्यम सीखा। 2004‐05 में उन्हें भारतीय सांस्कृतिक सम्बंध परिषद की ओर से बंगलोर में गुरू पद्मिनी राव से भरतनाट्यम सीखने के लिये छात्रवृत्ति भी मिली। कैरोलीन के उत्कृष्ट नृत्य प्रदर्शन के बाद दर्शकों को कलाकार और पेंटर सुश्री इवा माक्कोस के साथ परिचित करवाया गया। वे एक पहुंची हुयी तेल चित्र कलाकार और एक प्रमाणित कला चिकित्सिक हैं। उन्होंने भारत के साथ अपने सम्बंधों के बारे में बताया। उसके बाद उनकी चित्र प्रदर्शनी 'Destination of Creation' का उदघाटन हुआ। इस समारोह में लगभग 130 अतिथियों ने भाग लिया।

16 नवंबर. विश्व संगीत कॉन्सर्ट - अनुराग. अनुराग नामक यह कॉन्सर्ट दो ऐसे संगीतकारों के मध्य प्रेम और आदर का प्रतीक था जो बिल्कुल अलग सांस्कृतिक और भूगोलीय पृष्ठभूमि से हैं। मिगुएल गुल्डीमान (आठ तारों वाली गिटार) और रणजीत सेन-गुप्ता (सरोद) 2005 में जर्मनी में उनके प्रदर्शन के दौरान पहली बार मिले और तब से वे भारत और यूरोप में अपनी रचनाओं पर मिलकर काम कर रहे हैं। रणजीत सेन-गुप्ता आकाशवाणी के ए ग्रेड कलाकार रहे हैं और कई पुरस्कार जीत चुके हैं। अब तक वे विश्व-भर में शास्त्रीय संगीत और अपनी रचनाओं सहित 15 सीडी और डीवीडी प्रकाशित कर चुके हैं। 1994 से लेकर वे लगातार विश्व भर में भ्रमण कर रहे हैं और 20 से अधिक देशों में प्रदर्शन कर चुके हैं। पर अब पहली बार उन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत और पश्चिमी संगीत के फ़्यूज़न में भाग लिया। मिगुएल गुल्डीमान ने पैरिस से शास्त्रीय गिटार सीखी और 2003 से वे भारतीय शास्त्रीय कलाकारों के साथ काम कर रहे हैं। शुभाज्योति गुहा, जिन्होंने तबले पर दोनों कलाकारों का साथ दिया, एक निपुण कलाकार हैं। अलाप जैसे धीमे संगीत से शुरू होकर उन्होंने तीव्र गति की युगल-बन्दी पेश की। करीब डेढ सौ उपस्थित अतिथियों ने खूब तालियों के साथ उन्हें सराहा।

20 नवंबर. शोक सभा - डोरा सेमुएल. अभिनेत्री, गायिका और डीआईजी की बर्लिन शाखा की संस्थापक श्रीमती डोरा सेमुएल का 23 अक्तूबर को स्वर्ग-वास हो गया। वे बर्लिन में पहली पीढ़ी के भारतीयों में से एक थीं और डीआईजी या लेडीज़ क्लब जैसे भारतीय क्लबों और संगठनों में बहुत सक्रिय थीं। डीआईजी ने उन्हें श्रधांजली देने के लिये भारतीय दूतावास बर्लिन में एक शोक सभा आयोजित की। इसमें श्री धीरज रॉय ने कुछ श्लोक पढ़े। इसके बाद श्रीमती डोरा सेमुएल पर एक वृत्तचित्र दिखाया गया। फिर उनके निकट रहे कुछ मित्रों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। डीआईजी द्वारा आयोजित नाश्ते के साथ शोक सभा का समापन हुआ।

17 नवंबर. भारत पर एक व्याख्यान. भारतीय दूतावास के कार्य और भारत के बारे में जानने के लिये बर्लिन के एक प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र (Volkshochschule) के 20 सदस्यों के समूह ने भारतीय दूतावास का भ्रमण किया। सूचना विभाग से श्री आशुतोष अग्रवाल ने उनके प्रश्नों के उत्तर दिये। इसके साथ अतुल्य भारत की एक फ़िल्म भी दिखायी गई। ऐसा ही कार्यक्रम 19 नवंबर को भी 15 सदस्यों के एक समूह के साथ दोहराया गया।

18 नवंबर। बर्लिन में राजनयिकों की पत्नियों की अपने देश के बारे में व्याख्यान देने के लिये अन्य राजनयिकों की पत्नियों को आमन्त्रित करने की परंपरा है। इस बार राजदूत श्री सुधीर व्यास की पत्नी श्रीमती वसुंधरा व्यास ने आयोजित किया। इस अवसर पर टैगोर केन्द्र ने बर्लिन निवासी भरतनाट्यम नृत्यांगनायें सुश्री तपती विश्वास और सुश्री विनोधा तनबीपिल्लै द्वारा नृत्य पर व्याख्यान आयोजित किये। व्याख्यान बहुत अच्छे रहे और दोनों कलाकारों को खूब सराहना मिली।

हैम्बर्ग स्थित भारतीय कोंसलावास द्वारा आयोजित कार्यक्रमः
9 से 17 नवंबर तक हैम्बर्ग नगरपालिका के संस्कृति, खेल और मीडिया मन्त्रालय के अध्यक्ष डा निकोलस हिल ने एक प्रतिनिधि मण्डल के साथ सांस्कृतिक और मीडिया सम्बंध प्रगाढ़ करने के लिये दिल्ली, हैदराबाद, कलकत्ता और मुम्बई का दौरा किया। प्रतिनिधि मण्डल ने कलकत्ता के 'रूप कला केन्द्र' के साथ छात्रों, अध्यापकों और फ़िल्मों के आदान प्रदान के लिये एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। 'रूप कला केन्द्र' कलकत्ता के सूचना और सांस्कृतिक मन्त्रालय के अधीन फिल्मों और सामाजिक संचार के लिये एक स्वायत्त पंजीकृत संस्था है। हैम्बर्ग मीडिया स्कूल के अध्यक्ष श्री हुबर्टस मेयर बुर्कहार्ड्ट ने कहा कि पांच छात्रों का पहला समूह फरवरी से जून तक उनके मीडिया स्कूल का मुआयना करने आयेगा। ऐसा ही हैम्बर्ग के स्कूल द्वारा भी जल्द ही किया जायेगा।

7 नवंबर को महाकोंसल डा. विनोद कुमार ने हैम्बर्ग के एक स्कूल में (Hanaa Gymnasium) छात्रों को 'एक राजनयिक का जीवन और कैरियर' पर एक व्याख्यान दिया। यह कार्यक्रम हैम्बर्ग के राजनीति और अर्थव्यवस्था संस्थान द्वारा आयोजित किया गया था। व्याख्यान के बाद प्रश्नोत्तर हुआ।

14 नवंबर को हैम्बर्ग विश्वविद्यालय में सातवां दक्षिण भारतीय दिवस मनाया गया। इसका मुख्य विषय था 'दक्षिण एशिया में मध्य वर्ग की भूमिका'। कोंसल श्री एस आर पटनायक ने इस विषय पर एक व्याख्यान दिया और पोडियम वार्तालाप में भाग लिया। इस समारोह में आयोजित हुये सांस्कृतिक कार्यक्रम को बहुत संख्या में लोग देखने आये।

25 नवंबर को हैम्बर्ग के तकनीकी विश्वविद्यालय के छात्रों ने 'इण्डिया डे' आयोजित किया। इसमें भारत की संस्कृति, अर्थ-व्यवस्था और वैज्ञानिक प्रगति पर ऑडियो विजुअल व्याख्यान दिये गये। छात्रों ने भारतीय नृत्य भी प्रस्तुत किया। एक रंगोली प्रतियोगिता भी आयोजित की गई थी। महाकोंसल डा. विनोद कुमार ने कार्यक्रम में भाग लिया और सभा को संबोधित किया। कार्यक्रम के अन्त में छात्रों द्वारा बनाया गया नाश्ता परोसा गया।

28 नवंबर को डीआईजी विन्सन (Winsen) ने दीपावली मनाई। श्री गुन्थर पॉस्ट ने कथक और फ़्लेमेंको नृत्य का फ़्यूजन प्रस्तुत किया। इसके बाद एक जोड़ी ने Bollywood नृत्य पेश किया। डीआईजी विन्सन के अध्यक्ष श्री मार्टिन शेरियन ने केरल में वंचित लोगों के लिये बनवाये गये घरों पर और बच्चों की स्कूली शिक्षा के लिये डीआईजी विन्सन के सदस्यों द्वारा दिये दान पर एक ऑडियो विजुअल व्याख्यान दिया। महाकोंसल डा. विनोद कुमार ने भी इस अवसर पर एक भाषण दिया।