Munich आपराधिक police के हत्या आयोग के उप निदेशक, श्री Richard Thiess फिर से बसेरा के लिए एक सच्ची कहानी ले कर आए हैं.
एक सुबह साढे तीन बजे मेरा कार्यालय वाला mobile बज उठा और एक कर्मचारी ने बताया कि दक्षिण Munich के किनारे एक रिहायशी इमारत के आगे एक तुर्की व्यक्ति को गोलियां मार कर बुरी तरह ज़ख्मी कर दिया गया है. उस की जान खतरे में है और उसे एक अस्पताल में आपात-कालीन शल्य चिकित्सा के लिए दाखिल किया गया है. अपराधी लापता है (या हैं). अपराध स्थल की घेरा-बन्दी कर दी गई है और अपराधी की खोज जारी है. अभी इस अपराध का कोई गवाह नहीं है. मेरे वहां पहुंचने पर वहां पहले से ही कई police गाड़ियां खड़ी थीं. एक police अधिकारी ने मुझे स्थिति से अवगत कराया. अब तक की जानकारी के अनुसार घायल व्यक्ति अपनी पत्नी और बच्चे के साथ उस इमारत में रहता था. यह इमारत एक बड़े से वृद्ध आश्रम का हिस्सा थी जिस में अधिकतर वृद्ध आश्रम के कर्मचारी ही रहते थे. प्रवेश द्वार के सामने ही एक छोटा सा जंगल था जहां से गोलियां दागी गई थीं. घायल व्यक्ति सुबह सब्ज़ीमण्डी में काम पर जाने के लिए निकला था. उस की पत्नी ने अपने flat से गोलियों की आवाज़ें सुनी और अपने पति को दरवाज़े पर घायल पड़े हुए पाया. होश खोने से पहले उसने पत्नी को बताया था कि उसने किसी को नहीं देखा.
उस खुले से और बड़े से क्षेत्र की ठीक तरह से छान-बीन करने, और कोई हथियार या सुराग ढूंढने के लिए मैंने करीब साठ सत्तर police-कर्मियों के दस्ते को बुलाया. कुछ कर्मचारी इमारत में रह रहे लोगों से और वृद्ध आश्रम के लोगों से पूछ-ताछ कर रहे थे. कुछ गवाहों ने गोलियां चलने की आवाज़ के बाद वहां पास ही एक बजरी वाली सड़क पर किसी के चलने की आवाज़ भी सुनी थी. एक गवाह ने तो इस के बाद दूर किसी गाड़ी के चालू होने और तेज़ी से tyres के घूमने और घिसटने की आवाज़ें भी सुनी थीं. वृद्ध आश्रम के अधिकारियों ने हमारा पूरा साथ दिया, बल्कि कड़कती ठण्ड वाली सुबह में हम करीब सत्तर लोगों को नाश्ते के लिए coffee और bread भी दी. अपराध स्थल पर हमें कुछ कारतूसों के cover मिले. आपराधिक विभाग के खास अधिकारियों ने अनुमान लगाया कि अपराधी ने अपने शिकार से कुछ कदमों की दूरी पर खड़े हो कर ही गोलियां चलाई होंगी. इतने में अस्पताल से सूचना आई कि सभी गोलियां शरीर के निचले हिस्से में लगी हैं. शिकार हुए व्यक्ति की हालत गम्भीर थी पर doctors को उम्मीद थी कि वह बच जाएगा. इस से हमें लगा कि अपराधी का उद्देश्य शिकार की मर्दानगी को छीनना रहा होगा. इस से हमें छान-बीन के लिए दिशा मिली कि हमें उस के जानकारों में ही पता लगाना होगा. हो सकता है किसी औरत का उस के साथ सम्बन्ध हो या फिर कोई औरत किसी बात का बदला लेना चाहती हो. अगले दिनों की छान-बीन से यह विश्वास होने लगा कि यह मामला बदला लेने का ही है, हालांकि शिकार व्यक्ति का परिवार इस सम्बन्धी प्रश्नों के उत्तर देने में बहुत हिचकिचा रहा था.
पर एक बार शाम को छुट्टी के बाद हम चार लोग कार्यालय में केस पर चर्चा कर रहे थे कि telephone की घण्टी बज उठी. दूसरी ओर से एक व्यक्ति ऐसे बोल रहा था जैसे वह कोई महत्व-पूर्ण सूचना देने जा रहा हो. उसने बताया कि वह उस सुबह गाड़ी में बैठ कर शहर की ओर जा रहा था. करीब सुबह तीन बजे वह वृद्ध आश्रम के आगे से गुज़रा. कि अचानक दीवार के पीछे से कोई निकला और गाड़ी के तेज़ प्रकाश के आगे से हो कर तेज़ी से सड़क पार कर गया. उसने आती हुई गाड़ी की ओर ध्यान भी नहीं दिया, ना ही उसने टकराने की कोई परवाह की. बड़ी मुश्किल से उसने गाड़ी को घुमा कर टक्कर होने से बचाया. वह कोई अट्ठारह बीस साल का और कोई पौने दो meter लम्बा, काले बालों वाला लड़का था. बिना गाड़ी की ओर ध्यान दिए वह लड़का वहां पड़े कचरे के डिब्बों की ओर भाग गया. गवाह इस से बहुत चौंका, इस लिए उसने शीशे में से पीछे देखने के लिए गाड़ी धीमी कर दी. तभी उसने देखा कि पीछे से तेज़ प्रकाश के साथ एक गाड़ी चालू हुई और तेज़ी से उसे पीछे छोड़ती हुई शहर की ओर चली गई. हालांकि अन्धेरे के चलते वह देख नहीं सका कि गाड़ी में कितने लोग थे, पर गाड़ी का model और number वह note कर पाया. यह एक पुरानी नीली मर्सिडीस थी. उस का बयान हमारी अब तक की जानकारी के साथ पूरी तरह मिल रहा था. इस जानकारी से हमारा काम बहुत आसान हो गया. हम ने गवाह को कार्यालय में बुला कर उस का बयान note कर लिया.
हम ने पता लगाया कि यह गाड़ी शिकार हुए व्यक्ति के uncle 'ओरहान' की है जिस के दो पुत्र थे. दोनों युवा थे. एक पढ़ाई खत्म करने वाला था. उस का हूलिया हमारे बयानों में बताए गए व्यक्ति से एक-दम मिल रहा था. अब क्योंकि उस गाड़ी के गुम होने की report नहीं लिखवाई गई थी, इस लिए हम ने ओरहान के विरुद्ध हत्या में साथ देने के सन्देह का warrent जारी करवा कर उसे उस के घर जा कर गिरफ़्तार कर लिया. उसने बताया कि उस के दोनों बेटे घर पर नहीं हैं. वे अपने मर्ज़ी से घर आते जाते हैं, कई बार तो किन्हीं लड़कियों के पास ही अपने दिन गुज़ारते हैं. उस के घर की तलाशी से भी कुछ खास हाथ नहीं लगा. ओरहान पूछ-ताछ में काफ़ी आनाकानी कर रहा था. पर उसे उस रात jail में ही रहना पड़ा. अगली सुबह ही उस के बड़े बेटे 'ओरकान' ने phone कर के अपने चचेरे भाई पर हमला करने का अपराध स्वीकार कर लिया और कहने लगा कि उस के पिता को छोड़ दिया जाए. उनका इस अपराध से कोई लेना देना नहीं हैं. उनकी गाड़ी भी उसने बिना बताए उपयोग की और अपराध के बाद वापस रख दी. उस के बाद वह अपनी girlfriend के घर जा कर छुप गया और तुर्की चला गया. पर Austria में से गुज़रते हुए उसे अपने पिता की गिरफ़्तारी का पता चला, और अब वह वापस Munich आ रहा है और वापस आते ही खुद को police के हवाले कर देगा. बिना किसी प्रश्न की प्रतीक्षा किए उसने phone रख दिया. हमें आश्चर्य हुआ कि क्या वह सच-मुच अकेला था या अपने पिता का अपराध छुपाने के लिए सारा दोष अपने सर पर ले रहा है?
हमें ज़्यादा इन्तज़ार नहीं करना पड़ा. अगली सुबह वह हमारे सामने था. उसने बताया कि शिकार हुआ उस का चचेरा भाई उनकी रिश्ते-दारी में एक लड़की के साथ अवैध सम्बन्ध बढ़ा रहा था. वह लड़की मानसिक रूप से थोड़ी कमज़ोर थी और थोड़ी देर बाद उस की शादी तुर्की में उस के एक दूर के चचेरे भाई के साथ कर दी गई थी. इस के साथ मामला खत्म हो गया था. पर एक दिन लड़की के पति को उस के अतीत के बारे में पता चला और इस के बारे में पूछना शुरू कर दिया. लड़की ने स्वीकार कर लिया कि उस के एक चचेरे भाई के साथ सम्बन्ध थे. लड़की के पति को लगा कि उस के साथ धोखा हुआ है. उसने लड़की के माता पिता को इस के बारे में बताया. परिवार वालों ने लड़की के बयान की सच्चाई जानने का फ़ैसला किया. लड़की के माता पिता की अनुमति के बाद लड़की के भाई और एक uncle एक बहाना बना कर उसे Munich शहर के बाहर एक जंगल में ले गए और उससे पूछ-ताछ शुरू कर दी. उsupper कई घण्टे तक अत्याचार किए गए और दुर्व्यवहार किया गया. उससे सच उगलवाने के लिए उसे मारने की धमकी भी दी गई. लहूलुहान कर के उस लड़की को वापस उस के माता पिता के हवाले किया गया, जिन्होंने उसे अस्पताल में दाखिल करवाया. लड़की के पिता तो लड़की का सम्मान वापस दिलाने में मदद करने के लिए उनके आभारी थे. कई दिनों तक लड़की का उपचार जारी रहा.
पर अत्याचार के बावजूद लड़की अपने शब्दों पर दृढ़ रही. इस लिए परिवार वालों ने उस के आशिक की मर्दानगी छीनकर परिवार का सम्मान वापस लेने का निर्णय लिया. उस की सम्भवत मृत्यु की किसी को परवाह नहीं थी. इस काम के लिए परिवार के बड़े बेटे को चुना गया, जो हालांकि यहां Germany में पला बड़ा हुआ पर इस काम को मना करने की हिम्मत नहीं कर सका. उस के दादा ने तुर्की ने pistol मंगवाई. यह तो पता चल गया था कि अपराध के समय 'ओरकान' अकेला था, पर अपराध के लिए उस के पिता, दादा और अन्य परिवार वालों को उसे उकसाने और मदद करने के लिए किस हद तक दोषी ठहराया जा सकता था, काफ़ी छान-बीन से भी इसका निर्णय नहीं हो सका. अपराध के बाद उसने pistol वापस दादा को दे दी थी. वह pistol भी आखिर हमें उनके घर के पास की इमारत के कचरे में मिल गई. ओरकान को हत्या के प्रयास के मामले में आठ साल की सजा हुई. उस के पिता ने अपने बेटे को 'एक अच्छा बेटा' कहते हुए बड़े गर्व के साथ उस की सजा को स्वीकार किया. उनके लिए परिवार का सम्मान लड़के की पढ़ाई और उस के भविष्य से अधिक महत्व-पूर्ण था. यह एक ऐसी घटना थी जिस में एक Germany में पला बड़ा, बुद्धिमान, पढ़ाई में अग्रणी और सबका प्यारा लड़का अपने परिवार के मध्य-युगीन सिद्धांतों से बाहर नहीं निकल सका.