शनिवार, 27 अप्रैल 2013

भारतीय महाराजे हुए म्युनिक में जीवन्त

भारत के राजे महाराजे क्या थे, क्या पहनते खाते थे, उनका पारिवारिक और सार्वजनिक जीवन कैसा था, उनके दोस्त दुश्मन कौन थे, समय के साथ उनका प्रभाव और प्रभाव क्षेत्र कैसे बदला? पिछली तीन सदियों के महाराजाओं की कहानी उस समय के असली चित्रों और वस्तुओं के साथ म्युनिक के Hypo Kunsthalle में देखने के लिए उपलब्ध है। इसमें लन्दन और भारत के कई संग्रहालयों से भारतीय राजाओं महाराजाओं के अमोल अद्भुत गहने, सिरपेच, वेशभूषाएं, चित्र, हथियार, सिंहासन, मुद्राएं आदि लाकर दिखाए गए हैं। यह प्रदर्शनी देख कर आपको सम्पूर्ण भारत में विभिन्न वंशों और जातियों के वैभव और समय के साथ उनकी  बदलती ताकत का पूर अन्दाज़ा हो जाएगा। पेशवा, अवधिए, मराठा, मुगल, राजपूत, सिख, सभी समुदाओं का धीरे धीरे अंग्रेज़ी राज में मिलन सचित्र दिखाया गया है। किस तरह राजे महाराजे केवल राजनैतिक हितों के लिए अनेक शादियां करते थे, एक ओर पारम्परिक वेषभषाएं पहन कर प्रत्यक्ष रूप से धार्मिक रसमें पूरी करते थे, अपने आप को भगवान का रूप बताते थे, दूसरी ओर वे पश्चिमी वस्तुओं, गहनों, वेशभूषाओं के शौकीन रहते थे। राजाओं रानियों के असली गहने, पदिकाएं, नवरत्न कड़े, हज़ारमुखी शैली में बने आभूषण, सरपटियां, कीमती पत्थरों से जड़े पगड़ी पर लगाने वाले सिरपेच (ऊपर चित्र), सोने के साथ तुलादान की रसमों के कई उदाहरण दिखाए गए हैं। हाथी पर बैठ कर शहर के भ्रमण को उतने ही आकार के धातु के हाथी घोड़ों के साथ, पूरी सजावट के साथ दिखाया गया है। जयपुर का शाही हौदा जिसे हाथी पर बैठने के लिए उपयोग किया जाता था, पीछे तीन चार लोगों द्वारा हिलाए जाने वाली मूर्छलें और चौरियां देखने के लिए उपलब्ध हैं। मेवार के राजा अमर सिंह, संग्राम सिंह, जवान सिंह से लेकर पटियाला के राजा भूपेन्द्र सिंह आदि अनेक राजाओं की शानो शौकत सचित्र दिखाई गई है। उन राजाओं और वंशों की आपस की लड़ाईयां, मुगलों और फिर अंग्रेज़ों का धीरे धीरे बढ़ता प्रभाव आपको पुस्तकें पढ़ने से इतना समझ नहीं आएगा जितना यह प्रदर्शनी देखकर। एक तरह से भारत का पूरा इतिहास आपकी आंखों के सामने जीवन्त हो जाएगा, असली चीज़ों, चित्रों, नक्शों, फिल्मों और व्याख्याओं के साथ। अकेले देखने के लिए भी कम से कम चार घण्टे चाहिए। अर चित्र और वस्तु की अंग्रेज़ी और जर्मन भाषा मे व्याख्या लिखी हुई है। सब कुछ आराम देखने और सारी व्याख्यायें पढ़ने के लिए आपको कम से कम चार घण्टे चाहिए। या फिर प्रतिदिन आयोजित होने वाले टूर में भी हिस्सा ले सकते हैं। पर यदि आप अधिक पढ़ना भी नहीं चाहते और टूर के साथ भी बात नहीं बन रही है तो आप वहां उपलब्ध एक वीडियो उपकरण को किराए पर लेकर भी प्रदर्शनी को अच्छी तरह समझ सकते हैं। इस उपकरण पर लगे हेडफोन को कानों पर लगाकर आप प्रदर्शनी में घूम सकते हैं। इसमें अनेक मुख्य प्रदर्शित वस्तुओं और चित्रों के बारे में जर्मन और अंग्रेज़ी भाषा बोलकर समझाया गया है। इसमें कई अतिरिक्त वीडियो भी हैं। इस उपकरण का किराया है पांच यूरो। में यह प्रदर्शनी मई अन्त तक चलेगी। प्रदर्शनी में कैमरा ले जाना मना है।http://hypo-kunsthalle.de/newweb/maharaja.html