शनिवार, 27 अप्रैल 2013

गरीबों के लिए कुन्दन - नारायण सेवा संस्थान (ट्रस्ट)



भारत में गरीबी अभी भी व्याप्त है। गम्भीर बीमारियों का इलाज करवा पाना गरीब लोगों के लिए अक्सर सम्भव नहीं हो पाता। यहां तक कि कई बार तो रोगों को असाध्य और प्रमात्मा का प्रकोप मान लिया जाता है। ऐसे में उदयपुर का नारायण सेवा संस्थान गरीब लोगों के लिए कुन्दन साबित हो रहा है जो हर वर्ष पोलियो और cerebral palsy जैसे गम्भीर रोगों से ग्रस्त हज़ारों गरीब लोगों का केवल मुफ्त इलाज ही नहीं करवाता बल्कि उन्हें रोजगार सिखा कर, कई बार तो शादी तक करवाकर पूर्ण रूप से उनका पुनर्वास सुनिश्चित करवाता है। नारायण सेवा संस्थान के संस्थापक महामण्डलेश्वर डाक्टर कैलाश मानव को भारत की राष्ट्रपति प्रतिभा देवीसिंह पाटिल द्वारा पदमश्री सम्मान भी मिला।नारायण सेवा संस्थान से प्रेम प्रकाश माथुर का कहना है कि पोलियो का रोग आज तक पूरी तरह खत्म नहीं हो पाया है। भारत में अभी भी कोई दो करोड़ लोग पोलियो के ग्रस्त हैं। किसी समय तक यह रोग असाध्य माना जाता था। जन्म के दौरान ऑक्सीजन की कमी के कारण शिशु का कोई अंग काम करना बन्द कर देता है और वह पोलियो ग्रस्त हो जाता है। 1985 से चल रहे इस संस्थान के polio surgical hospital में भारत, पाकिस्तान, दक्षिण अफ्रीका से आने वाले लगभग 100000 गरीब बच्चों का शल्यक्रिया द्वारा पोलियो का इलाज किया जा चुका है। यहां प्रतिदिन 60-70 operations होते हैं। मरीज़ों की तादाद इतनी है कि 2013 तक waiting list चल रही है। पोलियो के अलावा यहां cerebral palsy (मस्तिष्क पक्षाघात) का भी इलाज होता है। इस रोग में बच्चे का दिमाग ठीक से काम नहीं करता, लार गिरती रहती है। अस्पताल में मरीज़ों का इलाज, रहना, खाना पीना, सब मुफ्त है। सम्पूर्ण भारत में इस संस्था की लगभग चार सौ शाखाएं हैं जहां समय समय पर पोलियो शिविर लगते हैं। शिविर के दौरान वहां डाक्टरों और attendents की टीम जाती है। जिन लोगों का इलाज शल्यक्रिया के द्वारा होना होता है उन्हें उदयपुर भेज कर इलाज किया जाता है। अन्य को वैसाखियां, त्रैपहिया आदि मुफ्त दी जाती हैं।

अस्पताल के अलावा यह संस्थान आवासीय विद्यालय और बाल गृह नामक दो अन्य योजनाएं भी चलाती है। निराश्रित बाल गृह में लगभग सौ अनाथ बच्चों के आवास और स्कूली पढाई का पूर्ण रूप से मुफ्त प्रबन्ध है। पुस्तकें, स्कूल का शुल्क, वर्दी आदि सब कुछ मुफ्त है। ये बच्चे अट्ठारह वर्ष की आयु तक यहां रहते हैं।  आवासीय विद्यालय में भी लगभग एक सौ गूंगे, बहरे और अन्धे बच्चों का रहने, खाने पीने और प्रशिक्षण का मुफ्त प्रबन्ध है।

नारायण सेवा संस्थान गरीब लड़के लड़कियों की शादी यानि wedlock भी करवाता हैं। अब तक 264 शादियां की जा चुकी हैं। एक परिचय सम्मेलन के द्वारा लड़के और लड़की को एक दूसरे से मिलने और पसन्द करने का मौका दिया जाता है।

इसके अलावा नारायण सेवा संस्थान का मुफ्त TV / VCR education center भी है जहां बच्चों को तकनीकी प्रशिक्षण दिया जाता है। इसके अलावा बढ़ईगीरी आदि कई काम सिखा कर पोलियो ग्रस्त युवाओं को रोजगार के लायक बनाया जाता है। जहां तक हो सके, बाद में उन्हें वहीं काम पर रख लिया जाता है। इसके अलावा गरीब लोगों में मुफ्त अनाज, ऊनी कपड़े और कम्बल आदि बाण्टे जाते हैं।

यानि यह संस्थान लोगों की भौतिक, सामाजिक और आर्थिक पुनर्वास के लिए समर्पित है। और यह सम्भव है देश विदेश से लोगों के दान के कारण। एक मरीज़ की शल्यक्रिया और पुनर्वास पर लगभग पांच हज़ार रुपए का खर्च आता है। आप भी दान देकर इस पुण्य कार्य में भाग ले सकते हैं। एक बच्चे के इलाज और पुनर्वास के लिए पांच हज़ार रुपयों से लेकर एक हज़ार एक बच्चों के लिए इकत्तीस लाख रुपए तक दान दे सकते हैं। अगर यह दान भारत के भीतर से किया गया है तो यह राशि कर-मुक्त है। नारायण सेवा संस्थान सरकारी तौर पर पञ्जीकृत है और इसे FCRA प्रमाण पत्र के साथ विदेशों से दान स्वीकार करने की अनुमति प्राप्त है। संस्थान के बारे में तमाम जानकारी आप इस वेबसाइट पर पढ़ सकते हैं- http://narayanseva.org/. आप दान इन बैंक खातों में दे सकते हैं- ICICI 00450100829, SBBJ 51004703443, PNB 2973000100029801, Union Bank 310102050000148.

फ्रैंकफर्ट निवासी श्री बृज मोहन अरोड़ा को उदयपुर के नारायण सेवा संस्थान की ओर से जर्मनी शाखाध्यक्ष के पद पर मनोनीत किया गया है। उन्होंने सितम्बर 2010 में संस्थान का दौरा किया। अगर आप नारायण सेवा संस्थान को दान भेजना चाहते हैं विस्तृत जानकारी श्री बृज मोहन अरोड़ा जी से भी ले सकते हैं। उनका सम्पर्क पताः

Brij Mohan Aurora
Sossenheimerweg 51
65843 Sulzbach (Taunus)
Germany
Email: bm.vhp81@gmail.com
Phone: +4969252691
Fax: +4969239547

चित्रों में फ्रैंकफर्ट निवासी श्री बृज मोहन अरोड़ा उदयपुर में नारायण सेवा संस्थान के पोलियो अस्पताल में पोलियोग्रस्त बच्चों को मिलते हुए।