रविवार, 21 अप्रैल 2013

भारतीय कंपनियों को आकर्षित कर रहा जर्मनी

जर्मनी में भारतीय उद्धमियों को निवेश के लिए आकर्षित करने की होड़ लगी है। ये देखने को मिला Hannover में कंप्यूटर प्रौद्योगिकी पर आधारित विश्व के सबसे बड़े वार्षिक व्यापार मेले CeBit में।3 से 8 मार्च तक चले इस मेले में हैस्सन (Hessen) राज्य की ओर से भारतीय सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी कंपनियों के लिए एक सेमिनार का आयोजन हुआ 'Business Opportunities for Indian IT companies in Europe'. इसमें भारतीय कंपनियों के लिए इस राज्य और फ़्रैंकफ़र्ट शहर में निवेश करने के फायदे गिनाए गए। इस सेमिनार में राज्य सरकार के कुछ प्रतिनिधि और कुछ भारतीय सॉफ़्टवेयर कंपनियों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

सेमिनार में Ms. Nicol Wolf (Project Manager India, Economic Development, Hessen) ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुए बताया कि यूरोप के 'सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी उद्योग' (ICT, Information and Telecommunication) में जर्मनी 20.8% अंश के साथ सबसे आगे है। यूरोप में निवेश के लिए सबसे अच्छा देश इंगलैण्ड के बाद जर्मनी को माना जा रहा है। हैस्सन राज्य में स्थित भारतीय कंपनियों में 6000 लोग कार्यरत हैं। 2007 में भारतीय कंपनियों ने 344 करोड़ यूरो की बिक्री की। ये आंकड़े जर्मनी के बाकी सभी राज्यों से कहीं अधिक हैं।

उसके बाद Mr. Olaf Jüptner (Hessen IT) ने प्रस्तुति-करण देते हुए कहा कि हैस्सन राज्य यूरोपीय महाद्वीप के बीचोंबीच स्थित है। फ़्रैंकफ़र्ट शहर से 150 मील के अर्द्ध व्यास के अन्दर आप साढे चार करोड़ उपभोक्ताओं तक पहुंच सकते हैं। ये रेल, हवाई, पानी और सड़क के रास्तों से पूरे विश्व के साथ अच्छी तरह जुड़ा है। फ़्रैंकफ़र्ट का हवाई अड्डा माल के लिए यूरोप में प्रथम स्थान पर और यात्रियों के लिए तीसरे स्थान पर है। और ये यूरोप की तीसरी सबसे बड़ी इंटरनेट हब है। ICT सेक्टर में हैस्सन की दस हज़ार से अधिक कंपनियों में लगभग 95 हज़ार लोग कार्यरत हैं और 31 खरब यूरो की टर्नओवर उत्पन्न कर रहे हैं। शोध और पेटेंट के मामले में भी हैस्सन पूरो यूरोप में अग्रणी है। e-governance में भी हैस्सन राज्य का कामधाम पांच हज़ार से अधिक नेटवर्क द्वारा जुड़े कंप्यूटरों से होता है। इनमें से 150 कंप्यूटर खास इस व्यापार मेले के लिए तैयार किए गए हैं जो सीधे नेटवर्क से जुड़े हुए हैं और जिनसे आंगतुकों को हैस्सन राज्य की e-governance के बारे में प्रदर्शन दिया जा सकता है।

चण्डीगढ़ की कंपनी Drish Infotech Limited के प्रबंध निर्देशक 'हर्ष-वीर सिंह जसपाल' जो इसे सेमिनार में भाग ले रहे थे, खास कंप्यूटर गेम्स के विकास में रुचि ले रहे थे। उनकी कंपनी वेब उपकरण, डिवाइस ड्राइवर बनाने और टैलिकॉम सेवाएं प्रदान करने में अग्रणी है। वे भी यूरोप में व्यवसाय फ़ैलाना चाहते हैं।
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from left Marion Link (Project Manager ICT, Economic Development Frankfurt), Harshvir Singh Jaspal (Drish Infotech Limited), in the last Marita Mecke (Frankfurt Rhein Main GmbH)
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उसके बाद Ms. Marion Link (Project Manager ICT, Economic Development Frankfurt) ने फ़्रैंकफ़र्ट शहर में निवेश के फ़ायदों को गिनाते हुए कहा कि फ़्रैंकफ़र्ट एक अन्तरराष्ट्रीय शहर है जिसकी एक चौथाई जनसंख्या विदेशी है। यहां 180 देशों के लोग रहते हैं। 2600 की जनसंख्या के साथ यहां भारतीय समुदाय भी काफ़ी बड़ा है, जिसमें भारतीय डॉक्टर, वकील, लेखा-कार, टैक्स सलाहकार आदि भी हैं। फ़्रैंकफ़र्ट में भारतीय उप-दूतावास, पर्यटन कार्यालय, इण्डियन ट्रेड प्रोमोशन ऑर्गेनाइजेशन (ITPO) भी स्थित हैं। फ़्रैंकफ़र्ट से भारत को प्रति सप्ताह 50 उड़ानें जाती हैं। इसके अलावा यहां अनेक भारतीय क्लब, संगठन, मन्दिर, रेस्त्रां आदि हैं। यहां अनेक अंग्रेज़ी माध्यम के स्कूल भी हैं जिसमें पढ़ने के बाद आपके बच्चों को भारत वापस जाने के बाद भाषा की समस्या नहीं आती।

उसके बाद दो भारतीय कंपनियों ने जर्मनी में अपनी सफलता के बारे में प्रस्तुति-करण दिया। पहली कंपनी थी B2B Sofware जो 2001 में भारत से ग्रीन कार्ड पर आए Toney Jones और एक जर्मन ग्रैजुएट लड़की द्वारा संस्थापित की गई थी। उन्होंने कहा कि जर्मनी में बाज़ार है लेकिन ये आसानी से प्राप्त नहीं होता। सही संपर्क होने से ही बाज़ार में प्रवेश कर पाना सम्भव होता है। इसके लिए बहुत धैर्य और पैसे की आवश्यकता होती है। लेकिन जर्मनी की ग्राहक कंपनियां अमरीका की कंपनियों की अपेक्षा अधिक सुसंगत होती हैं। एक बार सम्बंध बन जाने पर वे आपको आसानी से नहीं छोड़तीं। लेकिन आपको अपने उत्पादों और सेवाओं में लगातार बदलाव करने के लिए तैयार रहना चाहिए। अब हम यहां पर उत्पाद बनाकर 'Made in Germany' ब्राण्ड को आगे अरब देशों में भी ले जा रहे हैं।

इसके बाद भारतीय कंपनी Polaris Software, जो 2001 से फ़्रैंकफ़र्ट में उपस्थित है, से Mr. Marcel Nebel ने बताया कि फ़्रैंकफ़र्ट दूतावास ने हाल ही में भारत से उच्च शिक्षित कर्मियों को शीघ्र वीज़ा देने की नीतियों में बदलाव किए हैं। जहां अन्य राज्यों में वीज़ा मिलने में छह सात सप्ताह लग जाते हैं, वहीं फ़्रैंकफ़र्ट से दो तीन सप्ताह में वीज़ा मिल जाता है। गोपनीयता के कारण जर्मनी की कंपनियां चीन की बजाय भारतीय कंपनियों को काम देने में अधिक सुरक्षित महसूस करती हैं। लेकिन अगर आप कोई काम नहीं कर सकते तो आप में न कहने की हिम्मत होनी चाहिए। हां भाषा और ठण्डा मौसम की समस्या यहां अधिक है। हालांकि जर्मन भाषा एक इण्डो-जर्मन भाषा है, फिर भी यह भारतीय भाषाओं से काफ़ी अलग है और मुश्किल भी। लेकिन सरकार न्यूनतम शुल्क पर भाषा सीखने में मदद करती है। इस उद्योग में भारतीय होने का एक फ़ायदा ये भी है कि वे कभी किसी तकनीक को न नहीं कहते। वे शीघ्र ही नई तकनीक सीख लेते हैं और उसमें काम करना आरम्भ कर देते हैं। Drish Infotech Limited से हर्ष-वीर सिंह जसपाल के पूछने पर, कि क्या सत्यम घोटाले का जर्मनी में भारतीय कंपनियों की छवि पर कोई अन्तर आया है, उन्होंने कहा कि नहीं। इंगलैण्ड की अपेक्षा जर्मन कंपनियों को इससे बहुत कम फ़र्क पड़ता है कि किसी अन्य कंपनी में क्या हुआ।

उसके बाद भारतीय उद्धिमियों को हैस्सन सरकार के बड़े से पवेलियन की सैर कराई गई और प्रबंधन में उपयोग की जा रही प्रौद्योगिकी के बारे में अवगत करवाया गया।