शुक्रवार, 27 मार्च 2020

तितलियों की अद्भुत प्रदर्शनी

Over 400 spieces of butterflies were presented in a greenhouse exhibition in botanical gardens of Munich. People were able to enjoy lively and colourful butterflies flying around them.

ਮਉੰਸ਼ਨ ਵਿਖੇ ਇੱਕ ਖਾਸ ਪ੍ਰਦਰਸ਼ਨੀ ਵਿੱਚ ਵਿਸ਼ਵ ਭਰ ਦੀਆਂ ਰੰਗ ਬਿਰੰਗਿਆਂ ਅਤੇ ਵੱਡਿਆਂ ਛੋਟਿਆਂ ਤਿਤਲਿਆਂ ਵੇੱਖਣ ਦਾ ਬਹੁਤ ਚੰਗਾ ਮੌਕਾ ਸੀ. ਊਹਨਾਂ ਲਈ ਵਿਸ਼ੇਸ਼ ਗਰਮ ਵਾਤਾਵਰਣ ਪੈਦਾ ਕੀਤਾ ਗਿਆ ਸੀ.

अगर आप विश्व के विभिन्न कोनों में पाए जाने वाली रंग बिरंगी तितलियां अपने आस पास उड़ते हुए, फूलों फलों से जूस पीते हुए देखना चाहते हैं तो म्युनिक के वनस्पति उद्यान (botanical garden) में लगी विशेष प्रदर्शनी को देखना न भूलें। यहां एक greenhouse में दक्षिण अमरीका, पूर्वी एशिया से लाई गईं तितलियों की 400 से भी अधिक प्रजातियां 20-22°C तापमान में अपने प्रकृतिक नम वातावरण में घूमती हुई दिखाई देती हैं। उन्हें हाथ लगाना और flash के साथ फोटो खींचना सख्त मना किया गया है। पर हो सकता है कि वे खुद आकर आपके हाथ पर बैठ जाएं। डेढ सेण्टीमीटर से लेकर चालीस सेण्टीमीटर तक के पंखों वाली अनोखी तितलियों के लिए प्रजनन और खाद्य पूर्ती के लिए खास प्रबन्ध किए गए हैं। यहां आप लार्वे से तितली बनती आप खुद देख सकते हैं। दूर दराज देशों से तितलियां नहीं बल्कि उनके लार्वे लाए गए हैं क्योंकि अधिकतर तितलियां प्रथम बार उड़ने के कुछ सप्ताहों बाद ही मर जाती हैं। बच्चों के लिए तो यह प्रदर्शनी बहुत ही मज़ेदार है। इतनी कि आपको अन्दर आने के लिए आधा घण्टा प्रतीक्षा करनी पड़ सकती है। नीचे दिखाई गई Blue Morpho नामक तितली बहुत ही अद्भुत है। इसके चमकीले नीले पंखों को गहनों और सजावट में उपयोग करने के लिए इन्हें बहुत बड़े स्तर पर मार दिया गया। लेकिन इसके पंख दूसरी ओर से बिल्कुल भिन्न दिखाई देते हैं। दुश्मनों से बचने के लिये यह पंख मोड़कर बैठ जाती है। मुड़े हुए भूरे रंग के पंखों पर बने आंखों जैसे चित्र किसी डरावने जानवर का भान देते हैं (नीचे वाले दोनों चित्र देखें)।

पृथवी पर तितलियों अस्तित्व कोई पन्द्रह करोड़ वर्ष पुराना है और इसकी कुल लगभग डेढ लाख प्रजातियां हैं। लार्वे की अवस्था में ये पत्तों को कुतर के जंगलों का बहुत नुक्सान करती हैं। कुछ तितलियां दिन के समय सक्रिय रहती हैं और अधिक रंग बिरंगी होती हैं, और कुछ तितलियां रात में खाना ढूंढती हैं। वे तुल्ना में कम आकर्षक होती हैं। कुछ तितलियां तो ज़हरिली भी होती हैं। तितलियां अपनी प्रजाति के अनुसार खास तरह के पेड़ों के पत्तों पर अण्डे देती हैं जो नंगी आंखों से देखने मुश्किल होते हैं। कुछ दिन बाद इन अण्डों में से लार्वा निकलता है जो पत्तों, फलों, सब्ज़ियों को खाकर दो तीन सप्ताह में बहुत मोटा हो जाता है। इस दौरान उसकी खाल चार पांच बार बदलती है। रेशम वाला लार्वा और कई अन्य लार्वे तो अपने चारों ओर एक जाल सा बना लेते हैं और कुछ दिनों के लिए शान्त हो जाते हैं। फिर इसमें से अचानक एक रंगबिरंगी तितली निकलती है। कुछ देर में उसके पंखों में रक्त का संचारण होने पर वे सख्त हो जाते हैं और तितली उड़ने लायक हो जाती है। इसकी सूण्ड सामान्यत एक स्प्रिंग की तरह मुड़ी रहती है जिसे सीधा करके यह फूलों फलों का रस पीती है। दो अन्य एण्टीने सूंघने के काम आते हैं। इसकी आंखें भी दरअसल हज़ारों छोटी छोटी आंखों की बनी होती हैं (नीचे चित्र देखें)।
http://www.botmuc.de/en/events/2010/12-18_tropical_butterflies.html