शुक्रवार, 27 मार्च 2020

शाहरुख की जर्मन आवाज़ - एक साक्षात्कार

जर्मन अभिनेता, लेखक और निर्देशक Pascal Breuer कई सालों से शाहरुख खान के लिए जर्मन भाषा में डबिंग कर रहे हैं। पेश है उनके साथ बसेरा का एक छोटा सा हस्ताक्षर।
बसेराः आप टीवी, फ़िल्म और रंगमंच कलाकार हैं, डबिंग का ख्याल आपको कैसे आया?
Pascal Breuer: डबिंग तो मैं बचपन से ही कर रहा हूँ। अभिनय प्रशिक्षण के दौरान डबिंग से मेरे जेब-खर्च का प्रबंध होता था। अब तो मैं डबिंग लेखक भी हूँ और जर्मन भाषा में वार्ता-पुस्तकें लिखता हूँ, और साथ फ़िल्म निर्देशन भी करता हूँ। इन सबसे मुझे बहुत मज़ा आता है। किसी को अपनी आवाज़ उधार देकर उसके चरित्र को नया रूप देना असीम आनंद देता है।
बसेराः आजकल रंगमंच का हाल कैसा है? क्या आज टीवी, सिनेमा के दौर में भी लोग रंगमंच को पसंद करते हैं?
Pascal Breuer: मानव जाति के उदय से ही विश्व की सारी सांस्कृतियों में रंगमंच कलात्मक अभिव्यक्ति का सबसे महत्वपूर्ण ज़रिया रहा है। और मेरा मानना है कि सदा ऐसा रहेगा। शाहरुख भी रंगमंच पृष्ठभूमि से हैं और भारतीय फ़िल्मों का उदय भी रंगमंच से हुआ है। रंगमंच सभी प्रकार के अभिनय प्रतिनिधित्व की बुनियाद है। मैं खुद रंगमंच पर बहुत काम करता हूँ, अधिकतर हास्य अभिनय। और सौभाग्य से हॉल अधिकतर पूरी तरह भरा होता है।
बसेराः आपका भारतीय फ़िल्मों से संपर्क कैसे हुआ?
Pascal Breuer: कुछ वर्ष पहले टीवी चैनल RTL2 ने नियमित तौर पर बॉलीवुड फ़िल्में दिखानी आरंभ की थीं। उस समय शाहरुख की जर्मन आवाज़ के लिए काफ़ी बड़ी कास्टिंग चल रही थी। मैं भी वहां आमंत्रित था। पर मुझे ये देख कर बड़ी हैरानी हुई कि वहां बोलने के लिए संवाद कम थे और शाहरुख के बोलने और हकलाने के विशिष्ट ढंग पर अधिक बल दिया जा रहा था। उस समय मुझे नहीं पता था कि ये छोटी छोटी बातें शाहरुख के चरित्र को कितना परिभाषित करती हैं।
बसेराः क्या आपको हिंदी आती है? भाषा के ज्ञान के बिना आप भावनाओं को कैसे व्यक्त करते हैं?
Pascal Breuer: नहीं, मुझे हिंदी नहीं आती। पर कुछ फ़िल्मों मे मुझे कुछ हिंदी वाक्य बोलने पड़े। तब मेरे साथ हमेशा एक हिंदी कोच होता था। ज़ाहिर है कि हम अनुवादित और संपादित संवाद-पुस्तिकाओं के साथ ही स्टूडियो में काम करते हैं। भावनाएं चरित्र और कहानी से आती हैं। भावनाएं पूरे विश्व में एक सी हैं और शब्दों में बसती हैं। आखिर मैं अभिनेता किस लिए हूँ?
बसेराः क्या आप केवल शाहरुख के लिए डबिंग करते हैं?
Pascal Breuer: नहीं, मैं बहुत विभिन्न प्रकार की फ़िल्मों में काम करता हूँ। मेरे वेबसाइट www.pascalbreuer.de में आप मेरे काम की झलकियाँ पाएंगे। लेकिन शाहरुख से मुझे सबसे अधिक मज़ा आता है। 28 फ़िल्मों में उसे आवाज़ देने के बाद तो मुझे वह गहरा दोस्त लगने लगा है।
बसेराः शाहरुख के बोलने के अंदाज़ के बारे में आपका क्या ख्याल है?
Pascal Breuer: जैसा मैंने पहले कहा, उसका अलग अंदाज़ है जो उसको अलग करता है।
बसेराः शाहरुख की कौन सी फ़िल्म आपको सबसे अच्छी लगी?
Pascal Breuer: यह बड़ा कठिन प्रश्न है, क्योंकि उनकी फ़िल्में बड़ी अलग अलग प्रकार की हैं। पर यह देख कर अच्छा लगता है कि साल दर साल शाहरुख अपने अभिनय में अधिक सटीक और जटिल होते जा रहे हैं। निस्संदेह वे एक महान कलाकार हैं। फिर भी मुझे उनकी वह फ़िल्म सबसे अच्छी लगती है जिसपर मैंने अभी काम कर रहा हूँ, उनकी अब तक की अंतिम फ़िल्म 'बिल्लू बार्बर'। अब तो मैं, मेरी पत्नी और मेरी 6 वर्षीय बेटी बॉलीवुड के बड़े प्रशंसक बन गए हैं। मेरी बेटी ने तो कमरे में शाहरुख के पोस्टर तक लगा रखे हैं।
बसेराः डबिंग के दौरान कोई यादगार घटना?
Pascal Breuer: जब जब मुझे हिंदी बोलनी पड़ती है तो स्थिति हास्यास्पद हो जाती है। हालांकि ऐसा कम ही होता है, पर मेरी हिंदी तो भारतीयों को किसी अफ़्रीकी भाषा की तरह लगेगी।
बसेराः क्या आप शाहरुख को व्यक्तिगत रूप से जानते हैं? क्या आप उनसे मिले हैं?
Pascal Breuer: हम अभी तक मिल नहीं पाए हैं। पर उन्होंने एक साक्षात्कार के दौरान मुझे कृतज्ञता व्यक्त की थी। मेरे लिए ये बड़ी तारीफ़ थी।