शुक्रवार, 27 मार्च 2020

छठे भारतीय फ़िल्म महोत्सव का सफल समापन

Europe के एकमात्र केवल भारतीय films पर आधारित film महोत्सव 'bollywood and beyond' का 19 July 2009 को स्टुटगार्ट में समापन हुआ.

छठी बार आयोजित हुए और पाञ्च दिन तक चले इस महोत्सव में film, लघु film और वृत्तचित्र feature नामक तीन श्रेणियों में 44 films दिखाई गईं. इस के अलावा भारत पर कई सेमिनार, भारतीय film उद्योग से आए कई लोगों के साथ वार्ताएं, नृत्य और Bollywood parties भी आयोजित की गईं.

महोत्सव के अन्तिम दिन में films को पुरस्कार के साथ सम्मानित किया गया. सब से बड़ा पुरस्कार 'german star of india' निर्देशक सन्तोष सिवान की film 'तहान' को दिया गया. मुख्य प्रायोजक और भारत के मानद कौंसल andreas lapp ने 4000 Euro की राशि के साथ इस film को सम्मानित किया. निर्णायक मण्डल के सदस्य थे कुणाल कोहली, gabriele röthemeyer, isabelle danel, herbert spaich और jochen laube.
निर्णायक मण्डल द्वारा लेखक व निर्देशक सतीश मनवर की मराठी film 'गाभ्रीचा पाउस' का विशेष उल्लेख किया गया. निर्देशक दीप्ति गोगना की लघु film 'नार्मीन' को एक हज़ार Euro के पुरस्कार के साथ सम्मानित किया गया. इस श्रेणी के निर्णायक मण्डल के सदस्य थे marianne gassner, ulrich wegenast और benjamin seide. वृत्तचित्र film की श्रेणी में फैजा अहमद खान " की film 'supermen of malegaon’ को भी एक हज़ार Euro की राशि के साथ सम्मानित किया गया. इस श्रेणी के निर्णायक मण्डल में थे natasa von kopp, sonia otto और डॉ॰ kay hoffmann. उमाकांत थुमरुगोती की film 'seven days in slow motion' को एक हज़ार Euro की राशि के साथ दर्शक-गण पुरस्कार दिया गया. इस बार पहली बार 'director’s vision award' नामक पुरस्कार भी दिया गया. यह पुरस्कार अनन्त नटराजन महादेवन की film 'red alert’ को मिला.

इस महोत्सव का आशय केवल Bollywood films से नहीं था. बल्कि इस में भारत की अन्य क्षेत्रीय films को भी स्थान दिया गया था. इस के अलावा अनेक व्याख्यानों, seminars और वार्ताओं के द्वारा भारत के विभिन्न आर्थिक, धार्मिक और राजनैतिक पहलुओं पर भी नज़र डाली गई थी. इसी लिए इसका नाम 'bollywood and beyond' रखा गया था.
स्टुटगार्ट निवासी 'सूरज' (ऊपर चित्र में अपने परिवार के साथ) ने अपने देश और संस्कृति की सेवा के लिए महोत्सव के पाञ्चों दिन काम से छुट्टी ली और अपनी कार में भारत से आए film उद्योग से जुड़े कुणाल कोहली और अन्य दिग्गजों, अतिथियों को लाने, ले जाने और शहर घुमाने का काम सम्भाला. इन पांच दिनों में उन्होंने लगभग दो हज़ार kilometer गाड़ी चलाई.

मन्दी का कुछ असर महोत्सव पर भी पड़ा. इस बार महोत्सव का स्थान बदल दिया गया था. पहले यह शहर के बीचों-बीच आयोजित होता था, लेकिन इस बार यह शहर के थोड़ा बाहर 'si-centrum' नामक एक परिसर के shopping केन्द्र में आयोजित हुआ. shopping केन्द्र के अन्दर ही स्थित cinemaxx नामक multiplex cinema में films दिखाई गईं. इस बार प्रायोजकों की मात्रा भी थोड़ी घटी पर फिर भी films के प्रदर्शन में, खास कर बिल्लू बार्बर, rock on आदि films में hall full थे. आंगतुकों में भारतीयों की अपेक्षा स्थानीय लोग बहुत अधिक थे. दूसरे शहरों से भी काफी लोग आए हुए थे.

एक दर्शिका 'wiltrud erpelt' (ऊपर चित्र में सब से दाईं ओर) भारतीय films के बारे में टिप्पणी करते हुए कहती हैं- 'भारत ने पश्चिम से बहुत कुछ सीखा है. पर कहीं ऐसा न हो कि इस प्रक्रिया में भारत अपनी मूल संस्कृति खो बैठे जिस से हम जुड़ना चाहते हैं क्योंकि हम पश्चिमी लोग अब धीरे धीरे अपनी संस्कृति से ऊब रहे हैं.'

http://www.bollywood-festival.de/