एक अनुमान के अनुसार जर्मनी में हर पांचवी बच्ची और हर दसवां बच्चा यौन शोषण का शिकार है। आप अपने बच्चे को अपराधी से छुपा कर तो नहीं रख सकते, क्योंकि नब्बे प्रतिशत अपराधी स्कूल, परिवार या पड़ोस से ही होते हैं। केवल ज्ञान और अन्दरूनी शक्ति ही बच्चे को बचा सकती है।
अपने बच्चे को क्या सिखाएं?
अपने बच्चे को क्या सिखाएं?
- दो से तीन साल की आयु में ही बच्चे पुरुष और महिला में अन्तर के बारे में पूछने लगते हैं। उन्हें चित्रों की सहायता से यह बताएं।
- तीन साल के बच्चे को शरीर के अंगों के बारे में पता होना चाहिए, अपने गुप्तांगों के बारे में भी।
- स्कूल जाने तक सभी गुप्तांगों के नाम ठीक से पता होना चाहिए और उन्हें बोलने में कोई शर्म नहीं होनी चाहिए।
- आठ साल की आयु तक बच्चे को जन्म प्रक्रिया के बारे में पता होना चाहिए। अगर वह नहीं पूछता तो उसे बताएं।
- बच्चे को अकेले निर्णय करने दें कि वह अकेला नहाना चाहता है या माता पिता के साथ।
- उसे बताएं कि वह अजनबियों या रिश्तेदारों को अनचाहे चुम्बन या छेड़छाड़ से हमेशा मना कर सकता है।
- गुदा या योनि क्षेत्र में घाव या खून का बहना
- बिना बीमारी के पेट दर्द, मौखिक शोषण की स्थिति में सांस लेने में तकलीफ़
- सोने की तरतीब का बिगड़ना, या तो सोना ही नहीं या सोते ही रहना
- स्कूल में ध्यान न दे पाना, कक्षा में सो जाना
- छोटे बच्चों की तरह बर्ताव करना, जैसे बिस्तर गीला करना, अंगूठा चूसना, शिशुओं की तरह बोलना, बड़ों पर ज़रूरत से अधिक निर्भर रहना।
- आचरण में बहुत फर्क पड़ना, चंचल बच्चे का अचानक शान्त हो जाना, शान्त बच्चे का अचानक आक्रमक हो जाना।
- यौन भाषा का प्रयोग, बेशर्मी (जैसे सामने हस्त-मैथुन करना), सम्भोग की नकल करना
- खाने पीने में बदलाव, या तो अपराधी के लिए बदसूरत बनने के लिए वजन में बहुत वृद्धि कर लेना, या भूखे रहकर बहुत पतले हो जाना।
- खुद को चोट पहुंचाना, जैसे अपनी त्वचा को काटना, बाल उखाड़ना, आग से खुद को झुलसाना