शुक्रवार, 27 मार्च 2020

विश्व के सबसे ऐतिहासिक ग्लोब का उद्घाटन

On 30th May 2008, a museum displaying the huge collection of wares, means, maps used during hundreds of years of trade between today's Bavaria and India was opened to public in a small town called Königsbrunn near Augsburg. This museum is named Mercateum. Interestingly this museum is housed in a 12 meter diameter spherical structure depicting a map used in 1505 by Diego Ribero as a globe.

The inauguration was done by Ludwig Fröhlich (first Mayor of Königsbrunn), Dr. Markus Söder (Bavarian Minister for Federal and European Affairs), Mr. J. S. Mukul (General Consul, Indian Consulate, Munich) and Dr. Dr. Wolfgang Knabe (the researcher, the mastermind behind thhis whole project). The second Mayor of königsbrunn Mr. Norbert Schwalber, Consul of Indian Consulate Munich Mr. Anantha Krishna were also among many guests.

30 मई को Königsbrunn शहर में बवेरिया और भारत के सदियों पुराने व्यवसायिक सम्बन्धों की यादगार में बनाये गये Mercateum नामक एक संग्रहालय का उद्घाटन हुआ। यह संग्रहालय 12 मीटर व्यास के विशाल ग्लोबनुमा लकड़ी की इमारत में बनाया गया है जिसपर सोहलवीं सदी में Diego Ribero नामक एक व्यापारी द्वारा तैयार किया गया विश्व मानचित्र छपा हुआ है। यह ग्लोब शहर के Gymnasium और स्विमिंग पूल (Königstherme) के बीच स्थित एक बाग में बनाया गया है जिसका नाम भी राजा अशोक के नाम पर Ashoka Garten रखा गया है। ग्लोब के बगल में युरोपीय संघ, जर्मनी, बवेरिया, भारत और Königsbrunn शहर के झण्डे फहरा रहे हैं।

संग्रहालय का उद्घाटन Königsbrunn शहर के Oberbürgermeister Ludwig Fröhlich, बवेरिया के संघीय और युरोपीय मामलों के मन्त्री Dr. Markus Söder, म्युनिक के भारतीय दूतावास के महाराजदूत श्री जे॰ एस॰ मुकुल, और इस संग्रहालय के कर्ता धर्ता Dr. Dr. Wolfgang Knabe ने किया। उद्घाटन समारोह पर भारतीय राजदूत श्री आनन्त कृष्ण और अनेक अतिथि भी उपस्थित थे। समारोह की शुरूआत Königsbrunn Gymnasium के बैण्ड के संगीत से हुयी। फिर श्री जे॰ एस॰ मुकुल और Königsbrunn के Bürgermeister Norbert Schwalber ने बवेरिया और भारत के पांच सौ वर्ष के व्यवसायिक सम्बन्धों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि ये संग्रहालय एक युरोपीय क्षेत्र और एक बाहरी क्षेत्र के बीच व्यवसायिक सम्बन्धों की एक यादगार है और साथ ही ये चार सौ वर्ष पहले के जर्मन व्यवसायिक घरानों की व्यवसायिक दूरदर्शिता का स्मारक है जिन्होंने अन्ध महासागर, हिन्द महासागर, और नये खोजे गये प्रशान्त महासागर के दोनों ओर के समुद्री तटों पर शान्तिप्रिय व्यापार किया।

लेकिन ओला-वृष्टि के कारण ये आयोजन इतना आसान नहीं था। जब Dr. Markus Söder के बोलने का समय आया तो काला आसमान छा गया, ओले पड़ने शुरू हो गये। इसलिये लोगों को पास में स्थित Königstherme में जाकर आयोजन को आगे बढ़ाना पड़ा। वहां रंगारंग कार्यक्रम भी हुआ जिसमें Königsbrunn शहर के Rathaus में कार्यरत मूलतः जयपुर निवासी श्रीमती धावला गोशल ने देवदास फ़िल्म के गाने 'मार डाला' पर शास्त्रीय और आधुनिक नृत्य के मिश्रण को पेश किया। उसके बाद महाराजदूत श्री  जे॰ एस॰ मुकुल की सुपुत्री अदिति मुकुल ने फ़िल्म 'नच ले' के टाइटल गाने पर बॉलिवुड डांस पेश किया। फिर Dr. Dr. Wolfgang Knabe, जो 40 वर्ष से इस संग्रहालय पर काम कर रहे हैं, ने इस संग्रहालय के बारे में विस्तार से बताया। ओला-वृष्टि के बाद आसमान दोबारा साफ़ हुआ और उद्घाटन का काम सम्पन्न हुआ।

Dr. Dr. Wolfgang Knabe ने 1990 से लेकर एक Mercator नामक समुद्री जहाज़ पर भारत में अनेक यात्रियें कीं जिनमें उन्होंने सोहलवीं से अट्ठाहरवीं सदी तक जाने गये जर्मन व्यपारियों के रास्तों, शहरों, कहानियों के दस्तावेज़ एकत्रित करने की कोशिश की। संग्रहालय में उस समय व्यापार की जा रही चीज़ें, मसाले, नापतोल और धन के लिये उपयोग किये जा रहे मापदण्ड बड़ी मेहनत से एकत्रित किये गये हैं। यहां तक कि उस समय के समुद्री जहाज़ों के अन्दर का वातावरण भी दिखाया गया है। इस तरह की यात्राओं के लिये अच्छे मानचित्र चाहिये होते थे। कोई भी मानचित्र Diego Ribero द्वारा तैयार किये गये विश्व मानचित्र से अधिक उपयुक्त नहीं था। Dr. Dr. Wolfgang Knabe ये मानचित्र वेटिकन के पुस्तकालय से लाये और इसे एक ग्लोब का रूप दिया। ये ग्लोब 2005 में म्युनिक में बवेरिया और भारत के बीच व्यवसाय की पांच सौवीं जयन्ती के अवसर पर पेश किया गया था। Königsbrunn Augsburg से कोई दस किलोमीटर दूर है। बवेरिया में रह रहे भारतीयों को यह संग्रहालय अवश्य देखना चाहिये।