शुक्रवार, 27 मार्च 2020

अवकाश मेला 2011


हर साल की तरह इस वर्ष भी म्युनिक में 23 से 27 फरवरी तक  outdoor sports और भ्रमण आदि पर आधारित व्यापार मेले का आयोजन हुआ। इसमें पर्यटन, कैम्पिंग, साइकल भ्रमण, पर्वतारोहण, फुटबॉल, skateboards, waveboards, beachvolleyball, पानी के खेल जैसे गोताखोरी, नौकायन आदि से सम्बन्धित उत्पाद और सेवाएं प्रस्तुत की गईं। इनके अलावा बड़ों और बच्चों के लिए ढेर सारी गतिविधियां भी आयोजित की गईं।

cycling सम्बन्धी हॉल में दो और तीन पहियों वाले साइकिलों के नवीनतम मॉडल प्रस्तुत किए गए। एक खास तरह से तैयार किए ट्रैक पर विभिन्न साइकल निर्माताओं द्वारा बनाए गए साइकिलों को चला कर देखने की सुविधा थी। इनमें तीन पहियों वाले साइकल खास थे जिन्हें जर्मन भाषा में Liegerad कहा जाता है। इन्हें लगभग लेटकर चलाया जाता है। इसलिए पैडल लगभग शरीर की ऊंचाई पर बना होता है। इससे साइकल चलाने की गति भी बढ़ जाती है और थकान भी कम होती है। तिपहिया साइकल भी कई प्रकार के होते हैं। किसी में एक पहिया आगे और दो पहिए पीछे और किसी में दो पहिए आगे और एक पहिया पीछे होता है। कई मॉडलों में तो पैडल सबसे आगे होता है और आगे वाला पहिया नितम्भों के ठीक नीचे। इस तरह के साइकल पर सन्तुलन बनाना थोड़ा मुश्किल होता है। तिपहिया साइकल सामान्यतः शौकीन लोगों के लिए होते हैं और इनकी कीमत एक हज़ार यूरो से लेकर सवा चार हज़ार यूरो तक होती है। सबसे महंगे साइकिलों में गाड़ी की तरह आगे पीछे स्प्रिंग लगे होते हैं। तिपहिया साइकिलों के लिए एक नई तरह के aerodynamic कवर का विकास भी किया है जो हल्का है। इससे चालक को ठण्ड और हवा कम लगती है और साइकल की गति भी थोड़ी बढ़ जाती है।

सामान्य साइकिलों में भी कई तरह की innovations देखने को मिल रहे हैं। गियर बनाने वाली कम्पनी Shimano ने अब लोहे की बॉडी वाले गियर बनाने शुरू कर दिए हैं जो बहुत कम घिसते हैं। आगे वाली लाइट के लिए पहिए के साथ घिसटने वाले dynamo की बजाय पहिए के धुरे में लगा चुबंकीय dynamo उपयोग किया जाने लगा है। इससे आम dynamo की तरह घिसटने की आवाज़ भी नहीं आती, ज़ोर भी कम लगता है और थोड़ी सी गति पकड़ते ही तुरन्त लाइट चलती है। आगे वाले पहिए में और सीट के नीचे स्प्रिंग का चलन अब बढ़ रहा है। आगे वाले पहिए के फ्रेम के दोनों ओर दो बटन होते हैं। एक बटन से स्प्रिंग को on/off किया जा सकता है और दूसरे से स्प्रिंग की शक्ति कम की या बढ़ाई जा सकती है। हैण्डल को भी घुमा कर ऊपर नीचे, आगे पीछे किया जा सकता है। इसके अलावा बैटरी चलित साइकल भी अब बड़ी तादाद में दिखने लगे हैं। खासकर बूढ़े लोगों के लिए ये उपयोगी हैं।

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एक बिल्कुल नई किस्म के साइकल का विकास किया गया है जिसमें चेन की बजाय साइकल के दोनों ओर दो मोटे धागों द्वारा पैडल को पिछले पहिए के साथ जोड़ा गया है। इससे दोनों ओर समान रूप से ज़ोर पड़ता है। चेन के खराब होने, बार बार तेल देने का झंझट भी नहीं। और इसमें गियर बदलने का system भी अनोखा है। दोनों पैडलों में 19 दांतों वाले दो फ्रेम लगे हैं जो पैडल के साथ घूमते हैं। पैडल का धुरा इन 19 दांतों में से किसी एक में फंसा होता है। हैण्डल के एक ओर एक लीवर में पैडल को एक दांत से दूसरे दांत में धकेला जा सकता है जिससे धुरे से तारों की दूरी कम होती या बढ़ती है। यानि एक ही लीवर से उन्नीस गियर शिफ्ट होते हैं।
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इसी हॉल में एक triathelon प्रतियोगिता भी आयोजित की गई जिसमें बच्चे और बड़े भाग लेकर एक प्रमाण पत्र और छोटा सा पुरस्कार जीत सकते थे। triathelon के भाग थे तीरअन्दाज़ी, mountain biking और kistenklettern. तीरअन्दाज़ी में पहले प्रतिभागियों को कमान पकड़नी सिखाई गई। खास तरह के तीरों के पीछे हुक बने होते हैं जो कमान की तार में फंस जाते हैं। तार में फंसाने के बाद तीर को छूने की मनाही होती है। फिर तीर के दोनों ओर एक एक उंगली रखकर तार को ठोडी तक खींच कर छोड़ना होता है। निशाने से थोड़ा नीचे की ओर बेन्धा जाता है क्योंकि हमारी आंखें भी तीर से ऊपर होती हैं। तीर इतनी शक्ति और गति के साथ छूटता है कि तीखा न होते हुए भी केवल सात आठ मीटर की दूरी से बेन्धने से भी यह गद्देदार प्लेटों में लगभग चौदह पन्द्रह सेण्टीमीटर तक अन्दर घुस जाता है। आप अनुमान लगा सकते हैं कि अगर किसी व्यक्ति पर यह साधा जाए तो क्या हो सकता है। kistenklettern में प्रतिभागी को cold drinks के पन्द्रह डिब्बे एक के ऊपर एक रख के ऊपर तक चढ़ना था और फिर एक के बाद एक को उतार कर वापस भी उतरना था। यह सोचने में जितना आसान है, करना उतना ही मुश्किल। खिलाड़ी को रस्सी के साथ लगातार खींच कर रखा जाता है ताकि सन्तुलन खोने पर सीधे नीचे न गिरे। mountain biking में पहले खिलाड़ी को mountain biking के लिए बनाए गए खास तरह के साइकिलों से परिचित करवाया गया। इस साइकल के ब्रेक बहुत ही ज़्यादा सख्त होते हैं। ज़रा सा भी ब्रेक लगाने पर साइकल इतनी तेज़ रुकता है कि चालक आगे की ओर पलट कर गिर सकता है। इसलिए सलाह दी गई कि ब्रेक लगाते हुए चालक सीट से उठकर पीछे की ओर रहे। फिर चालक खास तरह से बनाए गए ट्रैक पर थोड़ा प्रशिक्षण दिया गया। इस ट्रैक में पहले टेढे मेढे ट्रैक पर सन्तुलन बरकरार रखते हुए साइकल चलाना था, फिर दो लकड़ी के गोल पहाड़ों के ऊपर से गुज़रना था। यह सबसे मुश्किल और खतरनाक था। फिर दो तंग चिन्हों के बीच साइकल को बिना उतरे थोड़ी देर के लिए बिल्कुल रोकना था। फिर कुछ ऊंचाई पर बनाए हुए बहुत तंग रास्ते के ऊपर से गुज़रना था। और अन्त में ऊपर नीचे हिलने वाले ट्रैक से गुज़रना था। ज़रा सा भी पैर ज़मीन पर लगाने या साइकल से उतरने पर अंक वापस ले लिए जाते थे।

मेले में एक 27 वर्षीय Maximilian Semsch नामक लड़के का भी स्टाल था जिसने 2008 में साइकल पर जर्मनी से रूस, चीन आदि से होते हुऐ सिंगापुर तक 13500 किलोमीटर की यात्रा की थी। सात महीने तक उसने दाढ़ी नहीं बनाई थी। यात्रा के अन्त में उसकी खूब लम्बी दाढ़ी हो गई। उसने अपनी इस लम्बी और अकेली यात्रा पर एक फिल्म बना कर DVD के रूप में रिलीज़ की है। इस फिल्म को कई फिल्म महोत्सवों में पुरस्कार मिले हैं। चित्र में वह रूस में दोपहर को आराम करता हुआ। उसका कहना है कि इस यात्रा से उसने बहुत कुछ सीखा है। उसने बहुत सी बातों पर ध्यान देना और उनपर हठ करना छोड़ दिया है। उसे विश्वास हो गया है कि हर समस्या का कोई न कोई हल ज़रूर होता है। और किसी भी देश को ठीक से देखने का सबसे बढ़िया ज़रिया साइकल ही है।
http://www.what-a-trip.de/

इसके अलावा यूरोप के अनेक देशों और उनके विभिन्न राज्यों और क्षेत्रों ने पर्यटन के लिए स्टॉल भी लगाए। कुल करीब एक लाख लोग इस मेले को देखने आए।

http://www.free-muenchen.de/