शुक्रवार, 27 मार्च 2020

पर्वतारोहण एक लोकप्रिय खेल


पर्वतारोहण जर्मनी में एक लोकप्रिय खेल है। तीव्र ढलानवाली चट्टानों, पहाड़ियों पर चढ़ना हो या किसी हॉल में बनी कृत्रिम चट्टानों पर। पर आमतौर पर इसे दो लोग मिलकर ही कर सकते हैं। एक रस्सी को शरीर पर बांधे चट्टान पर चढ़ता है और दूसरा नीचे से रस्सी पकड़ कर या खींच कर रखता है जिससे चढ़ने वाले को चढ़ने में आसानी हो। असली चट्टानों में चढ़ने वाला चढ़ते समय चट्टान में जगह जगह हुक लगाकर रस्सी उसमें फंसाता चला जाता है। इससे अगर उसका हाथ छूट भी जाए तो ज़्यादा से ज़्यादा वह एक या दो हुक नीचे ही गिरेगा, बशर्ते कि नीचे वाले साथी ने रस्सी ठीक तरह पकड़ रखी हो। अक्सर रस्सी उसके शरीर पर भी बांधी रहती है और एक खास तरह के पहिए में से होकर निकलती है जो केवल एक ओर घूमता है। इसे सुरक्षा बढ़ जाती है। यह खेल बहुत ज़ोखिम भरा है और हाथों, अंगुलियों में बहुत ताकत चाहिए। नए नए लोगों के लिए पहले top rope कोर्स करवाया जाता है। इसमें रस्सी पहले से ही चट्टान के बिल्कुल ऊपर लगी एक हुक में निकाल कर लटका दी जाती है। एक अन्त तो नीचे वाला व्यक्ति खींच कर रखता है और दूसरा अन्त चढ़ने वाले के शरीर पर बंधा रहता है। इसमें क्योंकि तनाव हमेशा ऊपर की ओर रहता है, इसलिए चढ़ने में आसानी होती है।

पर अब पर्वतारोहण का एक हल्का संस्करण भी लोकप्रिय हो रहा है जिसमें न तो रस्सियों की और न ही किसी साथी की ज़रूरत होती है। कोई साढे चार मीटर तक की ऊंचाई वाली टेढी मेढी या गोल दीवारों पर पत्थरों के सहारे ऊपर तक चढ़ना होता है। ताकत इसमें भी उतनी ही चाहिए। इसे bouldering कहते हैं। अब कई पुराने पर्वतारोहण के केन्द्रों ने इसके लिए क्षेत्र तैयार कर दिए हैं। बल्कि केवल bouldering के लिए नए और आधुनिक केन्द्र भी खुल रहे हैं। बिना किसी तामझाम के अपनी ताकत आज़माने का यह उत्तम तरीका है।