शुक्रवार, 27 मार्च 2020

साबुन के बुलबुले


साबुन का इतिहास कोई पांच हज़ार साल पुराना है। और इतना ही पुराना इतिहास साबुन के बुलबुलों का है। सदियों पुराने चित्रों में कपड़े धोती मां के पास घासफूस की पाईपों से बुलुबले उड़ाता बच्चा भी देखा जा सकता है। आज भी बाज़ार में तरह तरह के साबुन के बुलबुले बनाने के लिए बच्चों के लिए अनेक खिलौने मिलते हैं। क्या किसी ने सोचा था कि ये साबुन के बुलबुले, जो सदियों से हमारे साथ हैं, विज्ञान सम्बंधी अनेक जिज्ञासाओं और अविष्कारों के कारण बनेंगे? कम से कम क्षेत्रफल में अधिक से अधिक आयतन जमा करने का सिद्धान्त मनुष्य ने साबुन के बुलुबलों से ही सीखा है, जिसके कारण वह वास्तुकला के अद्भुत नमूने बनाने के योग्य बना, जैसे कि म्युनिक के ओलंपिया पार्क की अद्भुत छतें।

साबुन के घोल के साथ क्या क्या किया जा सकता है और क्या क्या सीखा जा सकता है, आप खुद म्युनिक मुख्य रेलवे स्टेशन के पास बने बच्चों के संग्रहलय (Kindermuseum) में जाकर देख सकते हैं। वहां लगी एक खास प्रदर्शनी में बच्चे और बड़े साबुन के घोलों के साथ खेल सकते हैं और अनेक तरह के प्रयोग कर सकते हैं। एक गोलाकार स्टेशन के बीच में खड़े होकर रस्सी खींचने पर नीचे घोल में पड़ा रिंग ऊपर उठता है और आपके चारों ओर साबुन की पतली झिल्ली बना देता है। बड़े बड़े रिंगों को साबुन के घोल में डाल कर बाहर निकालने और हिलाने पर साबुन की बड़ी बड़ी सुरंगें बनती हैं। दो समानन्तर रिंगों को घोल में डालकर बाहर निकालने पर उनके बीच साबुन के दो चौरस पिरामिड बन जाते हैं और उनके बीच एक और चौरस बुलबुला बन जाता है। यही नहीं, वहां मुफ़्त उपलब्ध प्लास्टिक की पाईपों के साथ आप और भी कई प्रयोग कर सकते हैं। जैसे कई बुलबुलों को आपस में जोड़ना, फिर देखना कि कैसे गोल से चौरस, चौरस से पंचभुजीय, पंचभुजीय से षटभुजीय, और षटभुजीय से सप्तभुजीय बुलबुले बनते हैं। आप एक आदर्श षटभुजीय बुलबुला बनाने की कोशिश कर सकते हैं जिसकी सारी भुजाएं बराबर हों। या आप बुलबुलों का सर्प बना सकते हैं, एक बड़ा बुलबुला बनाकर उसके अन्दर कई अन्य बुलबुले बना सकते हैं। यह कला इतनी प्रगति कर चुकी है कि कई कलाकार इसके खास शो आयोजित करते रहते हैं। ये कलाकारों साबुन के घोल बनाने के लिए खास विधियों का उपयोग करते हैं जो वे किसी को बताते नहीं हैं। वे इनसे इतने बड़े बड़े और अजीबो गरीब बुलबुले बना सकते हैं कि आम व्यक्ति दंग रह जाए।

प्रदर्शनी के अलावा बच्चों के लिए बुबलुलों के साथ समय समय पर कई कार्यशालाएं भी आयोजित की जा रही हैं। प्रदर्शनी में साबुन के घोल और उनसे सम्बंधित कई खेल बिक्री के लिए भी उपलब्ध हैं। यह प्रदर्शनी लोगों को इतनी पसन्द आई कि तीन महीनों में पच्चीस हज़ार आंगतुक इसे देखने आ चुके थे। इसलिए इसकी मियाद अब बढ़ाकर 12 सितम्बर कर दी गई है। संग्रहालय में विभिन्न विषयों पर एक के बाद एक प्रदर्शनियां चलती रहती हैं जो बच्चों के लिए न केवल बहुत मज़ेदार होती हैं, बल्कि शिक्षाप्रद भी। यह संग्रहालय मुख्य रेलवे स्टेशन में ही एक किराए की इमारत में स्थित है। पर रेलवे स्टेशन की मांग पर इसे यह इमारत जल्द छोड़नी पड़ेगी। इसलिए बच्चों के प्यारे इस संग्रहालय को वित्तीय योगदान की आवश्यक्ता है ताकि यह कोई और स्थायी घर ढूंढ सके।
http://kindermuseum-muenchen.de/