शुक्रवार, 27 मार्च 2020

पाठकों की प्रतिक्रिया-दिसंबर 2007 अँक

भारतीय मूल के लंबे समय से म्युनिक में रहने वाले एक बिजनेसमेन की रायः
इस पत्रिका का डिज़ाईन बहुत अच्छा है। लेकिन यहाँ रहने वाले पुराने लोगों को तो वैसे ही हिन्दी पढ़नी भूल गई है, और नई पैदावार को हिन्दी पढ़नी नहीं आती या पढ़ना नहीं चाहती। अच्छा हो कि आप जर्मन भाषा या अंग्रेज़ी में पत्रिका बनायें। जर्मनी में रहकर आपका मुख्य उद्देश्य पैदा कमाना होना चाहिये। समाजसेवा से कुछ नहीं निकलने वाला। आप बूढ़ों की जगह युवा वर्ग को निशाना बनायें (15-35 वर्ष) और उनके लिये मसाला परोसें। उन्हें राजनीती से कुछ खास लेना देना नहीं रहेगा, उनके लिये बॉलीवुड, नग्नता आदि ठीक हैं। आपके लिये बहुत अच्छा होगा अगर आप जर्मन भाषा में बॉलीवुड पर पत्रिका निकालें। कुछ भविष्यवाणी आदि भी डाल सकते हैं। सभी जर्मन अखबार भी यह करने लगे हैं।

अधिकतर भारतीय या तो अंग्रेज़ी समाचार पत्र पढ़ते हैं, भारतीय टीवी चैनल आदि देखते हैं। उन्हें यहाँ के बारे में बहुत सी छोटी छोटी लेकिन महत्वपूर्ण सूचनाओं का पता नहीं चलता जो केवल या मुख्यतौर पर जर्मन भाषा में प्रकाशित होती हैं। उदाहरण के लिये बहुत से नये कानून 1 जनवरी 2008 से लागू हो रहे हैं। यदि पत्रिका में एक पृष्ठ या कॉलम ऐसा हो जिसमें ऐसी छोटी और महत्वपूर्ण सूचनाओं का निचोड़ हो तो बहुत अच्छा हो। इसके अतिरिक्त प्रत्येक अँक में यहाँ के कुछ महत्वपूर्ण पते और फ़ोन नंबर दिये जा सकते हैं जैसे मंदिर, भारतीय दूतावास आदि। आने वाले भारतीय उत्सवों की जानकारी भी बहुत उपयोगी रहेगी। कपिल गुप्ता, म्युनिक


हिन्दी में पत्रिका देख कर बहुत खुशी हुई। मैं तो इसे ज़रूर पढ़ना चाहूँगा, क्योंकि हिन्दी मुझे पढ़ने में अंग्रेज़ी और जर्मन से अधिक आसान लगती है। लेकिन ये बेचने की बजाय अगर ये मुफ़्त में मिले तो ज़्यादा अच्छा होगा। इसका खर्च आप विज्ञापनों से पूरा कर सकते हैं। मुझे जर्मनी के समाचारों से इतना लेना देना नहीं जितना मेरे सीधे काम की सूचना से है, जैसे भारत के लिये सस्ती हवाई टिकेट कहाँ से मिल सकती है, राशन कहाँ से सस्ता मिल सकता है, कुछ आसपास घूमने की टिप्स आदि। ये मुफ़्त बँटने के लिए सभी भारतीय रेस्तराँ में भी रखी जा सकती है। भारतीय लोग वहाँ खाना खाने तो जाते ही हैं। वे इसे देखेंगे तो ज़रूर उठाएंगे। गौरव, म्युनिक, microsoft में कार्यरत

मैं अपनी भाषा को बहुत miss करती हूँ। यहाँ हिन्दी पढ़ने को नहीं मिलती। इसलिए मेरे लिए ये बहुत खुशी की बात है कि यहाँ एक हिन्दी की पत्रिका शुरू हुई है। मैं भी अपना हर संभव योगदान दूँगी। इसमें पाठकों की प्रतिक्रिया का भी एक सेक्शन होना चाहिये। लघु विज्ञापन भी होने चाहिएं जिसमें लोग अपनी छोटी छोटी ज़रूरतों के बारे में लिख सकें जैसे अपार्टमेंट की ज़रूरत, कुछ खरीदने बेचने अथवा किसी मदद की ज़रूरत आदि। इसके लिए आपको विज्ञापन इकट्ठे करने चाहिएं।- पूर्णिमा, म्युनिक