सोमवार, 23 अक्तूबर 2023

Neuschwanstein महल का UNESCO में आवेदन

UNESCO की विश्व धरोहरों की सूची में फिलहाल 1157 घोषित स्थल हैं जिन में से 51 Germany में हैं. लेकिन आपको यह जान कर हैरानी होगी कि Bayern के राजा Lugwig II द्वारा बनाए गए तीन सुन्दर महल (Neuschwanstein, Herrenchiemsee और Linderhof) जिन्हें हर साल दुनिया भर से लाखों लोग देखने आते हैं, इस सूची में नहीं हैं. इन चारों महलों में से Neuschwanstein खास है जो दक्षिण Bayern की Alps पहाड़ियों में एक परी-कथा के स्वप्न की तरह दूर से दिखता है. यह महल दो kilometre दूर नीचे घाटी में 3300 की आबादी वाले Schwangau नामक गांव की नगर पालिका के अन्तर्गत आता है. वहां से इस महल तक पैदल चल कर या घोड़ा गाड़ी द्वारा पहुंचा जा सकता है. इसका निर्माण 1869 में पूरा हुआ था. राजा Lugwig II के 13 जून 1886 को Starnberg झील में रहस्यमयी ढंग से डूब कर मर जाने के केवल छह हफ़्तों बाद इस महल को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया. धीरे धीरे गरीब ग्वालों वाला Schwangau गांव अन्तर-राष्त्रीय शीर्ष पर्यटन स्थल बन गया. आज इस महल को हर साल पूरी दुनिया से लगभग 14 लाख लोग देखने आते हैं. विश्व भर में इतना लोकप्रिय पर्यटन स्थल होने के बावजूद यह UNESCO की सूची में क्यों नहीं है, इस के कई कारण हैं. एक कारण तो यह है कि UNESCO की विश्व धरोहरों की सूची में शामिल किए जाने की आवेदन प्रक्रिया बहुत जटिल है और उसमें बहुत सी शर्तें हैं. इस लिए Bayern सरकार ने अभी तक इस ओर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया क्योंकि इन स्थलों पर पर्यटन पहले ही बहुत अधिक है. ऊपर से Bayern सरकार इस बात से आश्वस्त नहीं है कि ये महल उन शर्तों को पूरी कर पाएंगे या नहीं. एक शर्त तो यह है कि विश्व धरोहर घोषित जाने वाले स्थल मानव जाति के लिए सार्वभौमिक मूल्य के होने चाहिए. दूसरी यह कि इन स्थलों के आस पास रहने वाले लोगों की रज़ामन्दी भी चाहिए क्योंकि विश्व धरोहर घोषित जाने के बाद उस स्थल के रख-रखाव का खर्च बढ़ जाता है, उस के आस पास एक संरक्षित क्षेत्र बनाया जाता है जहां कोई ऊंची इमारतें नहीं बना सकता ताकि यह स्थल बहुत दूर से नज़र आएं. उस संरक्षित क्षेत्र में किसी राजनीतिक या भूगौलिक गड़बड़ी की सम्भावना नहीं होनी चाहिए. Schwangau के लोग पहले ही इस प्रक्रिया के विरुद्ध हैं. उनका मानना है कि यहां पहले ही इतने पर्यटक आते हैं जो भर भर के बसों में आते हैं, और बिना एक ice cream तक खाए महल देखने के बाद वापस चले जाते हैं. ऐसे पर्यटकों से गांव को कोई फ़ायदा नहीं जो एक रात के लिए भी नहीं रुकते हैं जिस से वहां के hotels और रेस्त्रां को फ़ायदा हो. ऊपर से यातायात के बढ़ने से शोर और भीड़ और बढ़ जाएगी. इस क्षेत्र में पर्यटन का इतिहास बहुत पुराना है. 18 जून को Schwangau गांव में इस मुद्दे पर जनमत संग्रह करवाया जाएगा. अगर वहां के नागरिक इस पक्ष में हुए तो 1 February 2024 को UNESCO को आवेदन भेजा जाएगा और UNESCO 2025 की गरमियों में इस के बारे में निर्णय लेगा.