बुधवार, 25 अक्तूबर 2023

गांधी जी का नमक सत्याग्रह

नमक व्यवसाय को अपने लिए सुरक्षित करने के लिए, British औपनिवेशिक सत्ता ने भारतीयों को नमक के खनन और बिक्री से मना कर रखा था. महात्मा गान्धी ने 1930 में तीन सप्ताह तक लगभग 400 kilometre लम्बी 'नमक march', जिसे दाण्डी यात्रा या नमक सत्याग्रह का नाम भी दिया गया, कर के इस एकाधिकार का विरोध किया, जिस में हिन्दू और Muslim दोनों समुदायों के लगभग पचास हज़ार लोग शामिल हुए. अपने गन्तव्य पर उन्होंने समुद्र तट पर नमक के टुकड़े एकत्र किए. तब लाखों भारतीयों ने नमक के एकाधिकार को तोड़ा. गान्धी के साथ, दसियों हज़ारों विरोध प्रदर्शनकारियों को गिरफ़्तार किया गया और बेरहमी से पीटा गया. इससे अंग्रेज़ों को media में इतनी बदनामी मिली कि उन्होंने 1931 में एक सामान्य माफ़ी की घोषणा की और नमक एकाधिकार को समाप्त कर दिया. नमक march 1947 में भारत की आज़ादी की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जाता है.