मंगलवार, 31 अक्तूबर 2023

शैतानी छंदों का कालक्रम

1947 में मुम्बई के एक Muslim परिवार में अहमद सलमान रुश्दी का जन्म हुआ. 1961 में रुश्दी England के एक स्कूल में गए और बाद में Cambridge में इतिहास पढ़ने गए. 1981 में उनके दूसरे उपन्यास 'Midnight's Children' को अन्तर-राष्ट्रीय सफ़लता मिली और उन्हें Booker's prize मिला. सितंबर 1988 में भारत में उनकी नई पुस्तक 'The Satanic Verses' (TSV) के बारे में दो साक्षात्कार छपे. 'The Union of Muslims' (UoM) ने इसे भारत में प्रतिबन्धित करवाने के लिए एक अभियान चलाया. London में यह पुस्तक Viking Penguin द्वारा प्रकाशित हो गई. अक्तूबर 1988 में यह पुस्तक भारत में प्रतिबन्धित हो गई. UoM ने इसे England में भी प्रतिबन्धित किए जाने की मांग की. नवंबर 1988 में रुश्दी Johannesburg में censor के बारे में बात करने वाले थे, लेकिन उनकी जान को खतरे को देखते हुए निमन्त्रण cancel कर दिया गया. TSV को Whitbread Award मिला. UK की प्रधान मन्त्री Margaret Thatcher ने रुश्दी या TSV के विरुद्ध कोई कदम उठाना ज़रूरी नहीं समझा. December 1988 तक TSV को Sudan, बंगलादेश, दक्षिण Africa, साउदी अरब, कतार, मिस्र, Somalia, मलेशिया और श्री लंका में प्रतिबन्धित किया जा चुका था. और बाद में इसे ईरान, Kenia, Thailand, Sierra Leone और पाकिस्तान में भी प्रतिबन्धित किया गया. January 1989 में UK के Bradford शहर में TSV की प्रति को एक Muslim प्रदर्शन के दौरान सार्वजनिक रूप से जलाया गया. February 1989 में TSV USA में प्रकाशित हुई. इस्लामाबाद में दस हज़ार लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया. 'American Cultural Centre' पर हमले के दौरान छह प्रदर्शनकारी मारे गए. Ayatollah Ruhollah Khomeini ने रुश्दी और उस के प्रकाशक को मारने के लिए फतवा जारी किया. ईरान की धार्मिक संस्था '15 Khordad Foundation' ने रुश्दी की हत्या के लिए दस लाख अमरीकी dollar के इनाम की घोषणा की. रुश्दी अगले नौ साल के लिए police के संरक्षण में रहे. सुन्नी मौलवी भी पुस्तक के प्रतिबन्ध के पक्षधर थे लेकिन Khomeini के फतवे के विरुद्ध थे. रुश्दी ने सार्वजनिक रूप से अपनी पुस्तक द्वारा धर्मनिष्ठ मुसलमानों को हुए नुकसान के लिए माफ़ी मांगी. Khomeini ने घोषणा की कि फतवे को वापस नहीं लिया जा सकता. march 1989 में UK और USA के दर्जनों book stores को धमकियां दी गईं और उन पर हमले किए गए. London में पन्द्रह-बीस हज़ार Muslims ने TSV के विरुद्ध प्रदर्शन किया और रुश्दी का पुतला जलाया. रुश्दी की हत्या करने के इरादे से बम बनाते हुए गल्ती से बम के जल्दी फटने के कारण 'Mustafa Mahmood Mazeh' की मृत्यु हो गई. Mazeh को तेहरान में शहीद के तौर पर दफ़नाया गया. अक्तूबर 1989 में Germany में एहतियाती कारणों से केवल TSV के प्रकाशन के लिए 'Artikel 19' प्रकाशन स्थापित किया गया. प्रकाशन के लोगों और अनुवादकों के नामों का और प्रकाशन के स्थान का उल्लेख नहीं किया गया. 'Frankfurter Buchmesse' के एक दिन बाद TSV का German अनुवाद प्रकाशित हुआ. 1991 में TSV के जापानी अनुवादक 'Hotoshi Igarashi' की Tokyo के पास हत्या कर दी गई. उससे दस दिन पहले TSV के इतालवी अनुवादक 'Ettore Capriolo' पर Mailand में चाकू से हमला किया गया पर उस की जान बच गई. 1993 में TSV के Norway के प्रकाशक 'William Nygaard' पर गोली चलाई गई और वह गम्भीर रूप से घायल हुआ. 2 July 1993 को तुर्की के Sivas शहर के Madimak hotel में आग लगा दी गई. यहां 16वीं शताब्दी के अलेवी कवि पीर सुल्तान अब्दाल के जीवन का जश्न मनाने के लिए अनेक कलाकार, लेखक और संगीतकार एकत्रित हुए थे. इस सम्मेलन में वामपंथी तुर्की बुद्धिजीवी और TSV के तुर्की अनुवादक 'Aziz Nesin' भी भाग ले रहे थे. इस आगजनी में दो अपराधियों सहित 37 लोग मारे गए, लेकिन Aziz Nesin बच गए. माना जाता है कि इस हमले का एक कारण अलवियों और मुस्लिमों के बीच नफ़रत भी थी। 1998 में ईरानी सरकार ने घोषणा की वह रुश्दी पर आक्रमण का ना तो समर्थन करेगी और ना ही रोकेगी. 2006 में ईरान की आधिकारिक समाचार agency 'IRNA' ने कहा कि फतवा अनिश्चित काल तक वैध रहेगा. 2007 में रुश्दी ने कहा कि उन्हें अभी तक फतवे की सालगिरह पर उनकी हत्या की शपथ को याद दिलाने के लिए एक card प्राप्त होता है. England में उन्हें Nighthood की उपाधि दी गई जिस के परिणाम-स्वरूप फिर से विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए. 2010 में रुश्दी को अल-कायदा ने अपनी मृत्यु सूचि में शामिल किया. 2012 में रुश्दी के निजी सुरक्षा के अन्तर्गत गुज़ारे वर्षों के संस्मरण के रूप में उनके गुप्त नाम 'Joseph Anton' के नाम से उनकी जीवनी प्रकाशित हुई. 2017 में Khomeini ने फतवे की पुष्टि की. 2022 में Germany की Stern पत्रिका के साथ एक साक्षात्कार में रुश्दी ने कहा कि America निर्वासित लेखकों के लिए सुरक्षित ठिकाना है और वे अब बिना किसी सुरक्षा के वहां रहते हैं. लेकिन कुछ दिन बाद ही New York के Chautauqua शहर में एक व्याख्यान के दौरान एक व्यक्ति ने उन पर चाकू से गम्भीर रूप से हमला कर दिया. हमलावर Lebanon मूल का अमरीकी नागरिक था. उसे मौके पर ही गिरफ़्तार कर लिया गया. ईरान और Hisabollah ने किसी भी संलिप्तता से इनकार किया लेकिन हमले की निन्दा भी नहीं की. रुश्दी एक आंख से अन्धे हो गए और अब दर्दनाक घटनाओं के परिणामों से मनोवैज्ञानिक रूप से भी पीड़ित हैं. हमले से कुछ दिन पूर्व ही समाप्त किए गए उपन्यास 'Victory City' में वे लिखते हैं: 'मैं लिखता ज़रूर हूं, पर यह केवल खालीपन और कचरे का एक मिश्रण है.'