बुधवार, 25 अक्तूबर 2023

Germany में pharmacists की कमी

Scheinfeld में रह रही शाशवति शीरीष कटोचा का अपने पति के साथ Patriamed के नाम से दवाइयों का काफ़ी बड़ा कारोबार है. उनकी company में करीब सौ pharmacists काम करते हैं और अभी उन्हें कई और pharmacists की ज़रूरत है. pharmacists को शुरू में inventory lists बनाना, और delivery track करना आदि काम दिया जाता है. धीरे धीरे उन्हें ग्राहकों के साथ संवाद करने दिया जाता है. वे online व्याखयान आयोजित कर के Philipines, Syria आदि से युवा pharmacists लाने में कामयाब हुई हैं, पर भारत से अभी तक उन्हें कोई कामयाबी नहीं मिली. शाशवति जी कहती हैं कि Germany में तकनीकी क्षेत्र में तो बहुत से भारतीय आते हैं, लेकिन चिकित्सा क्षेत्र में बिलकुल नहीं आते, जब कि Germany में कम से कम 25000 pharmacists की कमी है. भारत से pharmacists बुलाने के लिए उन्होंने दो विश्व-विद्यालयों में व्याख्यान भी दिया, पर कोई सफ़लता नहीं मिली. वे कहती हैं कि doctors की अपेक्षा pharmacists के आने के लिए इतनी खास समस्या नहीं है. उन्हें अपनी पढ़ाई के साथ C1 स्तर तक German भाषा आनी चाहिए. मारवाड़ी पृष्ठ-भूमि वाली शाशवति जी 1996 में सोलह साल की उम्र में undergraduation की पढ़ाई के लिए America गईं, तो उनकी मुलाकात एक German युवक Bernhard Metzger से हुई. वे राजनीतिक पृष्ठ-भूमि से थे. उस के बाद उनका आपस में email के द्वारा कुछ सम्पर्क रहा. 2001 में वे एक साल के लिए भारत वापस आईं, जिस के बाद उन्हें masters की पढ़ाई के लिए वापस America जाना था. इस दौरान Bernhard आयुर्वेद के बारे में कुछ जानकारी प्राप्त करने के लिए भारत आए और शाशवति जी के परिवार के साथ पूना में रहे. शाशवति जी ने भी उन्हें खूब घुमाया फिराया. इस दौरान उनकी घनिष्ठता बढ़ी जो अगले साल 2002 में शादी में बदल गई और वे शाशवति शीरीष कटोचा से शाशवति Metzger बन गईं. अपने दो बच्चों, जो अब बड़े हो चुके हैं, के साथ वे ख़ुशहाल जीवन बिता रही हैं.