सोमवार, 23 अक्तूबर 2023

Israel (जायोनीवादी) और फिलिस्तीन की वर्तमान स्थिति

मई 1948 में Israel के आधिकारिक निर्माण से बहुत पहले, यहूदी प्रवासियों को फिलिस्तीन में बसाया गया था. फिलिस्तीन को 'Europe के अपराधों की कीमत कैसे चुकानी पड़ी'? यहूदियों ने उस देश में एक राज्य बनाने का प्रबन्धन कैसे किया जहां वे एक छोटे से अल्प-संख्यक थे?

हर साल 15 मई को, दुनिया भर में फिलिस्तीनी, जिन की संख्या लगभग 12.4 million है, नकबा या "तबाही" मनाते हैं, जो 1948 में फिलिस्तीन के जातीय सफ़ाए और फिलिस्तीनी समाज के लगभग पूर्ण विनाश का ज़िक्र करते हैं. बेदखली और मातृ-भूमि की हानि का फिलिस्तीनी अनुभव इस वर्ष 75 वर्ष पुराना है. उस दिन, Israel राज्य अस्तित्व में आया. Israel का निर्माण एक हिंसक प्रक्रिया थी जिस में जायोनी आन्दोलन की आकांक्षाओं के अनुसार, यहूदी-बहुल राज्य की स्थापना के लिए सैकड़ों हज़ारों फिलिस्तीनियों को उनकी मातृ-भूमि से जबरन निष्कासन करना पड़ा.

1947 और 1949 के बीच, 19 लाख आबादी में से कम से कम 750,000 फिलिस्तीनियों को राज्य की सीमाओं से परे शरणार्थी बना दिया गया था. जायोनी सेनाओं ने ऐतिहासिक फिलिस्तीन के 78 प्रतिशत से अधिक हिस्से पर कब्जा कर लिया था, लगभग 530 गांवों और शहरों को जातीय रूप से साफ़ और नष्ट कर दिया था और 70 से अधिक नरसंहारों सहित सामूहिक अत्याचारों की एक श्रृंखला में लगभग 15,000 फिलिस्तीनियों को मार डाला था.

द्वितीय विश्व युद्ध से पहले Israel कभी भी विश्व मानचित्र पर अस्तित्व में नहीं था. यह हर विश्व मानचित्र पर फिलिस्तीनी देश था. Israeli पूरे Europe में रह रहे थे और अधिकांश आबादी Germany में केन्द्रित थी. द्वितीय विश्व युद्ध में Germany, Italy और जापान का नेतृत्व Hitler ने मित्र सेनाओं के विरुद्ध किया था. German सेना और German लोगों ने यहूदियों का नरसंहार किया. उन्होंने यातना शिविरों में लगभग 6 million लोगों को मार डाला.

Israel ने 2 आतंकवादी संगठन Irgun और Haganah शुरू किए, जिन्होंने Europe और फिलिस्तीनी में कई स्थानों पर बमबारी की, जिस में कई लोग मारे गए. Israel के PM 'Menachem Begin' इन आतंकी संगठनों का हिस्सा थे. 'Menachem Begin' का जन्म Poland में हुआ था, जहां वे एक चरमपंथी जायोनी आन्दोलन में शामिल हो गए जो फिलिस्तीन में बल-पूर्वक एक यहूदी राज्य स्थापित करना चाहता था. द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान Begin को Soviet संघ में हिरास्त में रखा गया था. वहां से वह अविश्वसनीय भाग्य के साथ यरूशलेम पहुंचने में कामयाब हो गया.

1948 में, Einstein और कई यहूदी शिक्षाविदों ने 'Menachem Begin' की America यात्रा के विरोध में New York times को एक पत्र भेजा. अच्छी तरह से प्रलेखित पत्र में, उन्होंने Begin की Herut (स्वतन्त्रता) party की निन्दा की और इसकी तुलना Nazi और फासीवादी parties से की जो अपने संगठन तरीकों, राजनीतिक दर्शन और सामाजिक appeal में निकट थीं.

संक्षेप में, यह German और पश्चिमी विश्व ही थे जिन्होंने यहूदियों पर अत्याचार किए, अरबों ने नहीं. इस लिए द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पश्चिमी देशों ने यहूदियों को फिलिस्तीन में स्थानांतरित करने का निर्णय लिया. दुनिया भर से यहूदियों को फिलिस्तीन बुलाया गया. यहूदियों को Europe में European लोगों द्वारा मार दिया गया और अरब राष्ट्र में स्थानांतरित कर दिया गया. Israel को पश्चिमी देशों से सैन्य सहायता मिलने लगी. Israel को एक देश घोषित किया गया. फिलिस्तीन के लोगों ने दिन-ब-दिन अपनी ज़मीन खोनी शुरू कर दी और वर्षों बाद वे अपने ही देश में शरणार्थी बन गए.

अब फिलिस्तीनियों के पास कोई बन्दरगाह या हवाई अड्डा नहीं है. उन्हें सारी आपूर्ति Israel से होकर जानी है. Israel ने गाज़ा में 20 लाख लोगों के लिए भोजन, पानी, बिजली और चिकित्सा आपूर्ति बन्द कर दी है. फिलिस्तीन को दुनिया की सब से बड़ी खुली jail कहा जाता है. अपने ही बुनियादी अधिकारों के लिए लड़ने पर उन्हें आतंकवादी और अत्याचारी कहा जाता है. Israel ने गाज़ा में 20 लाख लोगों को गुलाम बना लिया है. पिछले 10 वर्षों में ही उन्होंने लगभग 150,000 फिलिस्तीनियों को मार डाला है जिन में से 35,000 बच्चे हैं.फिलिस्तीनियों के पास ना तो सेना है और ना ही हथियार.

तो सवाल ये है कि पश्चिमी देशों और America ने पूरी दुनिया में जुल्म किया और हर देश में लाखों लोगों को मार डाला. फिर भी वे आपकी screen पर आते हैं और ऐसे बात करते हैं जैसे वे शांति निर्माता और मानवता के ध्वज-वाहक हों. वास्तव में वे राक्षस हैं. लोगों को जाग जाना चाहिए नहीं तो वे आए दिन नरसंहार के भागीदार बनेंगे. तो जब British French, पुर्तगाली, ने भारत पर आक्रमण किया, तो भारतीय आतंकवादी बन गए और उन्हें भारत छोड़ने के लिए कहा?

पहले पश्चिमी शक्तियां दुनिया पर नियन्त्रण हासिल करने के लिए उपनिवेशीकरण का इस्तेमाल करती थीं, अब वे आक्रमण करने, लूटने और देशों को नष्ट करने के बहाने के रूप में "आतंकवाद" का इस्तेमाल करती हैं. वे नरसंहार करते हैं और कुछ साल बाद sorry कहते हैं. वे media में यह प्रचार करते हैं कि वे आतंकवाद से लड रहे हैं, जब कि वास्तव में वे आतंकवादी हैं और दुनिया भर में लाखों लोगों की मौत के लिए ज़िम्मेदार हैं.