सोमवार, 30 अक्तूबर 2023

प्रतिबंधित पुस्तकों की प्रदर्शनी

म्युनिक के Literaturhaus में पिछली चार सदियों में सारे विश्व में आंशिक या पूर्ण रूप से प्रतिबंधित की गईं या अतीत में प्रतिबंधित की जा चुकी कुछ चुनिंदा पुस्तकों की प्रदर्शनी चल रही है। सभी पुस्तकों के मूल भाषा के और जर्मन अनुवाद के नमूने भी वहां देखें जा सकते हैं। बिक्री के लिए केवल थोड़ी सी प्रतिबंधित पुस्तकें ही उपलब्ध हैं। पुस्तकों को प्रतिबंध के तीन कारणों के अनुसार श्रेणीबद्ध किया गया है, राजनीति, नैतिकता और धर्म।

पंद्रहवीं सदी में जब से पुस्तकों का चलन शुरू हुआ है, तब से कलात्मक स्वतंत्रता और सख्त नैतिक, राजनीतिक या धार्मिक विचारों के बीच एक कड़वा संघर्ष होता रहा है। चाहे निरंकुश शासक हों, चिंतित माता-पिता या नैतिकता के संरक्षक, उन्होंने पठन सामग्री पर नियंत्रण रखने का प्रयास किया है। राजनीतिक रूप से अवांछनीय लोगों, महिलाओं, सामाजिक रूप से वंचितों लोगों को शिक्षा से दूर रख कर उन्हें स्वतंत्र रूप से सोचने और खुद को सशक्त बनाने से रोका जाता रहा है। मुद्रण के आविष्कार के बाद से ही सेंसरशिप अस्तित्व में है और अब यह दुनिया के कई क्षेत्रों में नए आयामों तक पहुँच रही है। अनेक लोकतंत्रों में भी अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर रोक लगाई जाती रही है।

"अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता ही जीवन है।" - सलमान रुश्दी

रोमन साम्राज्य के 'librorum prohibitorum' नामक सूचकांक से लेकर 1933 में राष्ट्रीय समाजवादियों द्वारा पुस्तकों को जलाए जाने से होते हुए 2022 में  'The Satanic Verses' के लेखक सलमान रुश्दी की हत्या के प्रयास तक, जिसमें वह मुश्किल से बच पाए थे, यह प्रदर्शनी बदलते समाजों की समझ और प्रतिबंध के बीच अंतर की पड़ताल करती है।

https://www.literaturhaus-muenchen.de/ausstellung/vorschau-verbotene-buecher/