बुधवार, 25 अक्तूबर 2023

पुलिस

Germany एक लोकतांत्रिक देश है. हर व्यक्ति को अपने जीवन, अपने शरीर पर और अपनी स्वतन्त्रता पर पूरा अधिकार है. सभी लोग इकट्ठे शांति के साथ रह सकें, इस लिए किसी को अपनी रक्षा करने के अलावा किसी अन्य कारण से हिंसा करने की अनुमति नहीं है, जैसे कि बदला लेने के लिए या लूटपाट के लिए. यहां तक कि परिवार में भी हिंसा की अनुमति नहीं है. नागरिक अपने चुने हुए नेताओं द्वारा हिंसा का अधिकार सरकार को देता है जो अपने तीन स्तंभों, यानि संसद, न्यायपालिका और कार्य-पालिका द्वारा इसे सन्तुलित रखती है.

police और सेना, ये कार्य-पालिका के दो महत्वपूर्ण और हथियारबन्द हिस्से हैं. सेना बाहरी सुरक्षा के लिए और police अन्दरूनी सुरक्षा के लिए ज़िम्मेदार है. सेना का काम बाहरी हमलों से देश को बचाना और ज़रूरत पड़ने पर युद्ध करना है और police का काम आम जनजीवन की सुरक्षा, व्यवस्था और यातायात की देख-रेख, अपराधों की जांच-पड़ताल और खतरों की रोकथाम करना है. सेना रक्षा मन्त्रालय के तहत काम करती है और police हर राज्य के आन्तरिक मामलों के मन्त्रालय के अन्तर्गत काम करती है. इस लिए Germany में Bundeswehr नामक एक संघीय सेना है और सभी 16 राज्यों के अपने अपने police विभाग हैं जो ज़रूरत पड़ने पर एक दूसरे की मदद करते हैं. बाढ़ जैसी आपदाओं के आने पर Bundeswehr को भी तैनात किया जा सकता है. Bundeswehr का संस्थापन नवंबर 1955 में केवल 101 स्वैच्छिक सैनिकों के साथ पश्चिम Germany में हुआ था. आज इस में ढाई लाख सैनिक हैं. जहां वायु सेना परिवहन के लिए हवाई जहाज़ों को इस्तेमाल करती है, वहीं police helicopters का.

प्राचीन काल से ही police का अस्तित्व है. लोकतांत्रिक प्राचीन देश और शहर Athen में भी सार्वजनिक व्यवस्था की देख-रेख यूनानी नागरिक नहीं, बल्कि 1000 स्कीथियन गुलाम करते थे. आपसी लड़ाइयों में हस्तक्षेप करना और रात को पहरा देना उनका काम था. 1495 में Germany में पहली बार police शब्द का इस्तेमाल किया गया जहां राजाओं के अनुयायी और सेवक लोगों को ईश्वर से डर कर रहने, अपने राजा के प्रति आज्ञकारी रहने, उचित वस्त्र पहनने, पुस्तकों से दूर रहने को प्रोत्साहित करते थे और गाली-गलोच, लोलुपता, व्यभिचार, भोग विलास, मिलावटी भोजन, सूदखोरी और भिक्षावृत्ति पर अंकुश लगाते थे. 1700 के आस-पास राजतन्त्र के दौर तक यह police की संख्या बहुत बढ़ गई. वह प्रजा के सामान्य जीवन के हर क्षेत्र पर नज़र रखने का माध्यम थी. 1789 की France जैसी बुर्जुआ क्रांतियों को रोकने के लिए German और Austrian राजशाहियों ने police का बहुत गहनता से उपयोग किया. 1933-1945 के राष्ट्रीय समाजवादी राज्य के दौरान गुप्त police Gestapo (Geheim Polizei) बनाई गई जो Nazi तानाशाही के राजनीतिक विरोधियों की जासूसी, पीछा और हत्या करती थी. युद्ध के बाद इसे आपराधिक संगठन का करार दिया गया.

राज्य police के अन्तर्गत आपराधिक कार्यालय (Landeskriminalamt, LKA), दंगा police (Bereitschaftspolizei), सामान्य सुरक्षा police (Schutzpolizei, SchuPo), आपराधिक police (Kriminalpolizei, KriPo), यातायात police (Verkerspolizei) और जल-सुरक्षा police (Wasserschutzpolizei, WaPo) आते हैं. राज्यों की police के अलावा पूरे Germany के लिए उत्तरदायी एक संघीय आपराधिक कार्यालय (Bundeskriminalamt, BKA), संघीय police (Bundespolizei, BPol) और संसदीय police भी हैं. संसदीय police में 170 police-कर्मी हैं जो Berlin में संसद के परिसर, इमारत, संसद के सदस्यों और राष्ट्रपति की सुरक्षा करते हैं. 2013 में Germany के 16 राज्यों में लगभग सवा दो लाख police अधिकारी कार्यरत थे. 40,000 के साथ सब से अधिक NRW में और 2,800 के साथ सब से कम Bremen में. केवल BKA में 41,000 कर्मी हैं. इसे 2005 तक Bundesgrenzschutz कहा जाता था. यह Germany की 3,757 kilometre लम्बी जल, थल और वायु सीमा की रक्षा करती है. इस के अलावा यह Germany में आने वाले यात्रियों के कागज़ातों की जांच करती है और LKA और अन्य देशों के police विभागों के साथ मिल कर राष्ट्रीय और अन्तर राष्ट्रीय स्तर पर संगठित अपराध, नशीले पदार्थों का व्यापार, cyber crime और आतंकवाद के विरुद्ध लड़ती है. यह Interpol में भी Germany का प्रतिनिधित्व करती है. इसका कार्यालय Wiesbaden में है. इस में करीब 300 आधुनिक तकनीक से लैस जीव-विज्ञानी, रसायनज्ञ, भौतिक विज्ञानी, engineer, मनोविज्ञानी और आवाज़ और लिखावट की जांच करने वाले विशेषज्ञ कार्यरत हैं. इस के पास motor-cycle से ले कर बड़े trucks तक हर तरह के वाहन होते हैं जिन का number BP-XX-XXX होता है.

कोई भी समस्या आने पर या कोई सुराग देने के लिए हर नागरिक चौबीस घंटे 110 पर call कर के police को सम्पर्क कर सकता है. police नियन्त्रण केन्द्र में withheld number वाले phone का भी number दिखाई देता है. यहां एक कर्मचारी गहनता के अनुसार घटना को एक से ले कर पांच तक वर्गीकृत करता है और उस के हिसाब से आगे की कार्यवाही होती है. दुर्घटना को चोरी से पहले दर्जा दिया जाता है. police का काम आम जन-जीवन में दुर्घटना और चोरी की रोकथाम और यातायात को नियन्त्रित करना है. शहरों और गावों में, समुद्र तट पर, नदियों और झीलों के किनारे आप police को पैदल, गाड़ी में, cycle पर, motor cycle पर या घोड़ों पर गश्त लगाते हुए देखे जा सकते हैं.

police भी बिना कानून की इजाज़त के किसी की स्वतन्त्रता और अधिकार में हस्तक्षेप नहीं कर सकती. police-कर्मी भी सामान्य इंसान ही होते हैं जो अपने प्रशिक्षण में शासन और समाज के बीच संविधान के अनुसार अपनी महत्वपूर्ण भूमिका को ज़िम्मेदारी से निभाना सीखते हैं. खास कर वृद्ध, बीमार और अन्य संस्कृतियों के आए इंसानों के साथ शिष्टाचार के लिए बहुत समानुभूति की ज़रूरत होती है. इस लिए अपने प्रशिक्षण में वे जहां तक हो सके, बिना हिंसा के, केवल शब्दों के साथ पेचीदा स्थितियों को सुलझाना सीखते हैं. police को समाज का भरोसा चाहिए होता है ताकि लोग उन्हें एक सहायक, सलाहकार और प्राधिकारी के रूप में देखें, ना कि एक धमकाने वाले के रूप में. police-कर्मी न्याय-शास्र, राजनीतिक शिक्षा, शस्त्र विज्ञान, आपराधिक विज्ञान, आत्मरक्षा, प्राथमिक चिकित्सा, shooting, driving और swimming में पारंगत होते हैं. इस के अलावा जन-सम्पर्क बनाना, media के प्रति जवाबदेह होना, TV के आपराधिक कार्यक्रमों के निर्माण में मदद करना, सूचना सत्र आयोजित करना, बच्चों और युवाओं को यातायात और आपराधिक मामलों में अवगत और सचेत कराना भी उनके काम में शामिल है.

लेकिन police-कर्मी भी आखिर इंसान हैं और वे गल्ती कर सकते हैं. उन पर लगाम कसने के लिए कोई अलग से विभाग तो नहीं है पर police विभाग के अन्दर ही अन्दरूनी मसलों को सुलझाने के लिए विभाग हैं. 2010 में NRW राज्य में police कर्मियों के खिलाफ़ 1434 कार्यवाहियों में से 17 में police-कर्मियों को सजा हुई. चरम राजनीतिक या सामाजिक परिस्थितियों की जांच-पड़ताल के लिए संसद में समितियां बनाई जाती हैं, जैसे 2012 में NSU नामक एक नव-Nazi आतंकवादी संगठन के विरुद्ध कार्यविहियों में police और विभिन्न सरकारी विभागों द्वारा की गई लापरवाहियों की जांच के लिए एक समिति बनाई गई. media को भी चौथे स्तंभ की तरह माना जाता है जो सरकारी लापरवाहियों को बेनकाब करता है. इस के अलावा 'Amnesty International' जैसे कई नागरिक अधिकार समूह हर तरह के भेद-भाव के विरुद्ध आन्दोलन करते हैं.

police के काम में कुत्तों की भी बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका है. वे नशीले पदार्थों, बारूद, या ज़मीन या बर्फ़ के नीचे दबे हुए इंसानों को ढूंढने में मदद करते हैं. कुत्तों की श्लेष्मा झिल्ली में बीस से पच्चीस करोड़ सूंघने वाली कोशिकाएं होती हैं, जब कि मनुष्य की श्लेष्मा झिल्ली में केवल पचास लाख. इस के अलावा अपनी जीभ में एक खास तरह की कोशिकाओं के कारण कुत्ते गन्ध का स्वाद भी चख सकते हैं. कुत्तों में stereo में सूंघने की शक्ति होती है, जिस से वे गन्ध की दिशा का पता लगा सकते हैं. इस के अलावा वे ultrasonic और infrasonic क्षेत्र की आवाज़ें भी सुन सकते हैं जो एक इंसान नहीं सुन सकता. कुत्तों से छह से आठ साल तक काम लिया जाता है. हर साल कुत्ते को पहले दस या ग्यारह सप्ताह का प्रशिक्षण दिया जाता है जिस में वे गुम हुए व्यक्तियों को ढूंढना, सन्दिग्ध अपराधी (अभिनय के साथ) को पहचानना और भौंकना आदि शामिल है. फिलहाल इसे Schutzhund कहा जाता है. Spürhund बनने के लिए उसे हर साल कई महीने का प्रशिक्षण दिया जाता है जिस में नशीले पदार्थों की, बारूद की गन्ध पहचानना शामिल है. कुत्ते पच्चीस हज़ार तरह की गन्ध पहचान सकते हैं. कई कुत्तों में पानी से निकल रही gas के आधार पर डूबे हुए व्यक्तियों का पता लगाने की क्षमता होती है. इन्हें Leichensuchhund कहा जाता है. इस तरह के काम के लिए German या Belgian Shepard कुत्ते उपयुक्त होते हैं. Niedersachsen में एक बार एक सूअर को भी काम पर रखा गया था. सूअरों की सूंघने की शक्ति कुत्तों से भी अधिक होती है. उस सूअर ने एक बार कुड़े के ढेर में छुपे हुए नशीले पदार्थों को ढूंढ निकाला था.

यातायात police (Verkehrspolizei, VP) भी सुरक्षा police का अंग है. 2012 में Germany में 24 लाख दुर्घटनाएं हुईं थी. इस लिए यातायात police के पास भी बहुत काम रहता है. यह Germany की सडकों की सुरक्षा का ध्यान रखती है. radar और laser की मदद से तेज गाड़ी चलाने वालों की फोटो खींचना, गाड़ियों की सुरक्षा से सम्बन्धित तकनीकी जांच करना उनके काम में शामिल है. आधुनिक laser उपकरणों की मदद से एक kilometre की दूरी तक आ या जा रही गाड़ियों को पहचाना जा सकता है. schools में बच्चों को यातायात नियमों के बारे में अवगत कराना भी उनके काम में शामिल है. क्योंकि बच्चे छोटी उम्र से ही खुद स्कूल जाना शुरू कर देते हैं. आम-तौर पर पहली class से पैदल और लगभग चौथी class से cycle पर. इसे Verkehrserziehung कहा जाता है. यह 1972 से schools के पाठ्यक्रम का हिस्सा है.

यातायात police अधिकारियों को उनकी सफ़ेद टोपियों से पहचाना जा सकता है. छोटी मोटी दुर्घटनाओं को वे खुद निपटते हैं और बड़ी दुर्घटनाओं के लिए विशेषज्ञों को बुलाना पड़ता है जो यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि कसूर किस का है. tyres के निशानों से गाड़ी की गति, दिशा आदि का पता लगाया जा सकता है. अगर एक चालक दुर्घटना के बाद बिना रुके भाग गया है, तो उस का पता लगाने के लिए सडक पर गिरे हुए गाड़ी के कुछ टुकड़े ही काफ़ी हैं. विशेषज्ञों के पास गाड़ियों के  रोगन के आठ हज़ार नमूने होते हैं, जिन के कारण microscope से अध्ययन करने से गाड़ी का बड़ी स्टीकता से पता लगाया जा सकता है. अगर यातायात police दुर्घटना स्थल पर आपात कालीन चिकित्सक से पहले पहुंचती है तो वह घायलों का ध्यान रखती है. सभी यातायात police अधिकारियों ने प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण लिया होता है. कई बार एक खास स्थल पर बार बार दुर्घटनाएं होती रहती हैं. तो यातायात police उस स्थल का बदलाव करने का आवेदन करती है, जैसे कि गोल-चक्कर बनाना, या traffic lights लगाना.

Autobahnpolizei Germany के highways पर चोरियों और तस्करी की रोकथाम के लिए ज़िम्मेदार है. गाड़ियों के बीच उचित दूरी, truck चालकों ने नियमित और पर्याप्त विश्राम किया या नहीं, truck में लादा गया सामान ठीक से बन्धा हुआ है या नहीं और कहीं यह सीमा से अधिक भार तो नहीं, इन सब पर उनकी नज़र रहती है. वे गश्ती कारों में घूमते हैं. पर इनके अलावा ProViDa (Proof Video Data System) विशेषज्ञ भी होते हैं जिन की गाड़ियों को पहचाना नहीं जा सकता. इन लगभग 200HP (HP, horse power, PS, Pferdestärke, घोड़ा शक्ति) वाली गाड़ियों में आगे पीछे cameras लगे होते हैं जिन से वे तेज गाड़ी चलाने वालों का पीछा करने video recording करते हैं. इन अधिकारियों ने अत्यन्त तेज गाड़ी चलाने और skid करने का प्रशिक्षण लिया होता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वे खुद दुर्घटना ना करें.

Germany के 1200-kilometre लम्बे समुद्र और 7000-kilometre लम्बे दरियायों और नहरों में चल रहे समुद्री जहाज़ों और नावों के तकनीकी और कानूनी निरीक्षण, उनके द्वारा किए गए पानी के प्रदूषण की रोकथाम (जैसे उनके द्वारा पानी में छोड़े गए रसायनों, तेल, मल या कूड़ा आदि), तस्करी की रोकथाम, मछुआरों द्वारा पकड़ी गई मछलियों की मात्रा और मछली पकड़ने के लिए इस्तेमाल किए गए जालों के नीरीक्षण (ताकि बहुत छोटी मछलियां ना पकड़ी जाएं) के लिए Wasserschutzpolizei और Küstenwache ज़िम्मेदार है. यह अपनी नावों में समुद्र तट से करीब 22 kilometre के घेरे में भ्रमण कर के जल-यातायात पर नज़र रखती है. इस के अलावा दरिया किनारे से 100 meter की दूरी तक 9 kilometre प्रति घंटे की गति से तेज नाव या जहाज़ चलाना प्रतिबन्धित है. police के गोताखोरों का काम बहुत मुश्किल है क्योंकि उन्हें हर मौसम में पानी में उतरना पड़ता है भले पानी साफ़ है या नहीं. उनके कार्यों में आ जा रहे जहाज़ों द्वारा सम्भावित पानी में छोड़े गए मल की जांच, जहाज़ की दीवारों से चिपका कर नशीले पदार्थों की तस्करी की जांच, डूबी हुई लाशों को निकालना, महत्वपूर्ण व्यक्तियों के दौरे के दौरान सम्भावित विस्फ़ोट की जांच शामिल है.