शनिवार, 4 नवंबर 2023

स्मारक संरक्षक को मिली काम के बदले बरबादी

Germany के जाने माने इतिहासकार 74 वर्षीय Prof. Dr. Egon Johannes Greipl (*1948, ÖDP), जो Bayern सरकार के लिए 1999 से 2014 तक शीर्ष स्मारक संरक्षक के तौर पर कार्यरत थे, को सेवा-निवृत् होने के बाद 2019 में प्रशासनिक न्यायालय Regensburg से करीब सवा सात लाख Euro (€729 657,08) का हर्जाना भरने का हुक्म जारी हुआ क्योंकि उन्होंने अपने कार्यकाल में बहुत से बाहरी पुरातत्व विशेषज्ञों को कई सालों तक अस्थायी तौर पर नियुक्त किया था, जब कि Germany में इसकी अनुमति नहीं है. अगर किसी व्यक्ति की लगातार ज़रूरत है तो उसे स्थायी तौर पर नौकरी देना आवश्यक है. इसका अर्थ है कि नियोक्ता को हर महीने उस कर्मचारी के सामाजिक बीमे की रकम अदा करनी होती है. इस के अलावा 2020 से Greipl पर Munich जिला न्यायालय द्वारा 27 मामलों में अपने आधिकारिक कर्तव्यों के उल्लंघन के लिए कार्यवाही लम्बित है. उन पर कर्मचारियों की तनख्वाह रोकने और गबन के आरोप हैं. दरअसल अपने कार्यकाल की शुरूआत में Greipl को Bayern सरकार की ओर से करीब डेढ लाख स्मारकों की सूची दी गई जिन की जांच और अद्यतन कर के Bayern Viewer नामक online software के रूप में digitise किया जाना था. 2010 में जब एक पुरातत्व विशेषज्ञ को लगातार कई बार तीन-तीन साल के अस्थायी अनुबन्ध दिए गए (इन्हें Werkvertrag कहा जाता है) जो एक स्थायी रोज़गार अनुबन्ध के अनुरूप हैं, तो उसने संघीय श्रम न्यायालय में शिकायत कर दी. न्यायालय ने उसे सही ठहराया. इस के बावजूद Greipl ने अगले तीन वर्षों में 91 अन्य Werkvertrag जारी किए. जिस के कारण Bayern सरकार को सारे अनुबन्धों के लिए 730,000 Euro का पूर्वव्यापी सामाजिक सुरक्षा योगदान का भुगतान करना पड़ा. Bayern सरकार ने न्यायालय द्वारा Greipl से धन वापस प्राप्त करने के लिए शिकायत की. निर्धारित ब्याज जोड़ने के बाद यह राशी लगभग 900,000 Euro तक पहुंच गई. दस साल तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद 2021 में Greipl को गम्भीर आघात लगा. उनके मस्तिष्क में रक्तस्त्राव हुआ, जिस के कारण वे एक ओर से अपंग हो गए और बोलने और चलने में उन्हें तकलीफ होने लगी. अपने कार्यकाल में उन्होंने बहुत से दुश्मन पैदा कर लिए थे. बहुत से शहरों के महापौरों में स्मारकों की देख-भाल की बजाए उद्योग विकसित करने की होड लगी रहती थी. Greipl अपने सख्त स्वभाव के लिए जाने जाते थे जो हर समय लड़ने की मुद्रा में रहता है. अलग party के होने के कारण CSU के स्थानीय और राज्य के नेता भी उनसे नाराज़ रहते थे. वे न्यायालय के इस निर्णय से बहुत उदास हैं. उन्हें लगता है कि आम जनता के लिए एक मूल्यवान परियोजना को लागू करने से उन्हें केवल मुकदमे मिले और वे स्वास्थ्य और आर्थिक रूप से बरबाद हो गए हैं. वे इतने अमीर भी नहीं हैं कि इतना पैसा जेब से निकाल कर दे दें. बल्कि उन्हें अपना घर भी बेचना पड सकता है. उनके कुछ प्रमुख समर्थकों ने याचिका दायर की कि सारा कसूर Greipl का नहीं, बल्कि Bayern के कुछ पूर्व मुख्य मन्त्रियों ने (खास कर Edmund Stoiber (CSU, कार्यकाल 1993 – 2007) और Horst Seehofer (CSU, कार्यकाल 2008 – 2018) ने) इस विभाग पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया. उन्होंने वैश्विक वित्तीय संकट के दौरान पर्याप्त लोगों को काम पर नहीं रखा या कई लोगों को काम से निकाल दिया. इस तरह के अनुबन्ध संग्रहालयों और अकादमियों में व्यापक हैं. इस के अलावा अब Bavaria के हर स्मारक को online देखा जा सकता है, जब कि अन्य किसी संघीय राज्य में ऐसा नहीं है. इस लिए Greipl के पास इतने बड़े और महत्वपूर्ण काम को निपटाने के लिए बाहरी विशेषज्ञों को नियुक्त करने के अलावा कोई चारा नहीं था. पर यह याचिका न्यायालय द्वारा निरस्त कर दी गई. वे अब (Greipl के समर्थक) उनके लिए चन्दा इकट्ठा कर रहे हैं. उनकी कानूनी firm ने Bavarian राज्य संसद को इस प्रवर्तन से परहेज़ करने का आह्वान किया है.