शुक्रवार, 17 नवंबर 2023

भविष्य को ले कर बच्चों के कुछ सवाल

संघीय शिक्षा और अनुसंधान मन्त्रालय ने बच्चों के लिए अपनी मुफ़्त पत्रिका forscher ने कुछ शोधकों के साथ मिल कर भविष्य के बारे में 14 साल तक के बच्चों के कुछ चुनींदा सवालों का उत्तर देने की कोशिश की है.

1. क्या भविष्य में भी दुनिया सच-मुच उतनी ही तकनीक-युक्त दिखाई देगी जितनी हम फिल्मों और किताबों में देखते हैं? जैसे ढेर सारी गगनचुम्बी इमारतें और उड़ने वाली कारें?

दुनिया भर में अधिक से अधिक लोग शहर में रहना चाहते हैं. और क्योंकि हर किसी को एक apartment की आवश्यकता होती है लेकिन जगह सीमित है, इस लिए ऊंचा निर्माण करना ही उचित है. ऊंची इमारतें एक छोटी सी जगह में कई लोगों को समायोजित कर सकती हैं. लेकिन अगर किसी ऊंची इमारत के बगल में बस एक ऊंची इमारत हो, तो वातावरण नीरस हो जाता है और लोग सहज महसूस नहीं करते हैं. आपको शहर में स्थान और प्रकृति की आवश्यकता है, जहां लोग मिल सकें, आराम कर सकें और खेल-कूद कर सकें.

जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मियों में भारी वर्षा और अत्यधिक गर्मी आम होती जा रही है. इसलिए भविष्य के शहरों को हरा-भरा होना चाहिए ताकि बहुत सारा पानी घास के मैदानों और parks में रिस सके, पेड़ और लगाए गए अग्रभाग छाया प्रदान कर सकें. 

जहां तक ​​यातायात का सवाल है, उड़ने वाली कारें एक अच्छा विचार नहीं है क्योंकि उड़ने वाली हर चीज़ को बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है और हमें भविष्य में जहां भी सम्भव हो ऊर्जा को बचाने की ज़रूरत है. packet पहुंचाने वाले छोटे drone सम्भव हैं. ऐसी companies भी हैं जो helicopter taxis पर शोध कर रही हैं. वे विज्ञापन देते हैं कि जो यात्री जल्दी में हैं वे सड़कों पर traffic jam से बचने के लिए आसानी से उड सकते हैं. लेकिन केवल अमीर लोग ही इसे वहन कर पाएंगे. भविष्य में traffic jam से बचने से ज़्यादा ज़रूरी है कि traffic jam कम किए जा सकें, ताकि हर कोई अपनी मंज़िल तक जल्दी पहुंच सके. और इस के लिए अधिक प्रौद्योगिकी की आवश्यकता नहीं है, बल्कि कम की है. कारों के बजाय, कई शहर योजनाकार cycle चलाने और पैदल चलने पर जोर दे रहे हैं. लम्बी दूरी के लिए ऐसी बसें और trains हैं जो जलवायु-अनुकूल electric या hydrogen engine पर चलती हैं. कई जगहों पर आप electric scooter, cargo bike और electric कार सस्ते में किराए पर ले सकते हैं। शायद ऐसे वाहन भी जो खुद चलते हों. तब शायद ही किसी को अपनी कार की ज़रूरत होगी, ना ही parking की जगह की ज़रूरत होगी. ऐसे शहर में शांति होगी, हवा बेहतर होगी और लोग स्वस्थ जीवन जी सकेंगे. ये अच्छी सम्भावनाएं हैं!

2. क्या आज के बच्चे भी भविष्य में अपने बच्चों के साथ skiing अवकाश पर जा सकेंगे?

skiing छुट्टियां सम्भवत: 30 या 40 वर्षों में भी सम्भव होंगी, लेकिन आज से भिन्न! क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण सर्दियां कम हो रही हैं, जहां बर्फ़ की बजाय बारिश होती है. निचले इलाकों में हमें कई दिनों तक टिकने वाली ठोस बर्फ़ की चादर मुश्किल से ही मिल पाती है. यहां तक ​​कि Harz या Erzgebirge जैसी निचली पर्वत श्रृंखलाओं में भी प्राकृतिक बर्फ़ कम गिरती है. वह भी या तो एक ही बार में बहुत सारी या फिर छुट्टियों की अवधि के बाहर. केवल Alpine क्षेत्र में अधिक ऊंचाई पर ही भविष्य में पर्याप्त बर्फ़बारी की उम्मीद की जा सकती है. तब ski छुट्टियां सम्भवत: काफ़ी अधिक महंगी हो जाएंगी. क्योंकि एक ओर ऊंचे पहाड़ों तक पहुंचने के लिए आपको आगे तक गाड़ी चलानी पड़ेगी. दूसरी ओर, क्योंकि बहुत से लोग कुछ hotel के कमरों, अवकाश गृहों और ski passes के लिए होड कर रहे होंगे. सब से ख़राब स्थिति में भविष्य में केवल अमीर लोग ही शीतकालीन अवकाश का खर्च वहन कर पाएंगे. सर्वोत्तम स्थिति में, 2050 तक हमारी छुट्टियों की आदतें बदल जाएंगी और लोगों को हर साल skiing पर ना जाना पूरी तरह से सामान्य लगेगा. यदि हम कम यात्रा करते हैं, तो कम जलवायु-हानिकारक gases उत्पन्न होती हैं और global warming कम हो जाती है. यदि ऐसा होता है तो भविष्य के बच्चों को और यहां तक ​​कि पोते-पोतियों को भी बर्फ़ीले पहाड़ों पर दौड़ लगाने का अवसर मिलेगा.

3. क्या भविष्य में भी Corona रहेगा?

हां, Corona-virus, जो 2020 की शुरुआत में उभरा और जिस ने हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित किया, पृथ्वी पर रहेगा. लेकिन वैश्विक प्रकोप, तथा-कथित महामारी, समाप्त हो जाएगी. और यही महत्वपूर्ण बात है. क्योंकि तब इतने सारे लोग इतने कम समय में गम्भीर रूप से बीमार नहीं होंगे या मर नहीं जाएंगे. और हमें अब लम्बी अवधि में सुरक्षात्मक उपायों  की आवश्यकता नहीं होगी, जैसे बन्द स्कूल, mask पहनना, परीक्षण इत्यादि. कोई भी भविष्य-वाणी नहीं कर सकता कि ऐसा कब होगा. यह मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि virus कितनी जल्दी बदलता है. और क्या अचानक नए, अधिक खतरनाक variant सामने आ रहे हैं. यह महत्वपूर्ण है कि टीकाकरण पूरी दुनिया में हो, ना केवल अमीर देशों में. जितने कम लोगों में यह virus होगा, इस के बदलने की सम्भावना उतनी ही कम होगी. शोध-कर्ताओं का मानना ​​है कि वर्तमान महामारी रोग-जनक एक सामान्य virus बन जाएगा जो कभी-कभी छोटे प्रकोपों ​​​​को trigger करेगा. और शायद हम हर साल टीका लगवा सकें, जैसे हम flu के लिए लगवाते हैं. कई virus हर सर्दियों में वापस आते हैं जिन से हमें गले में खराश, नाक बहने या खांसी की तकलीफ होती है.  सर्वोत्तम स्थिति में अन्तत: एक सार्वभौमिक टीका उपलब्ध हो सकता है जो सभी virus variant के खिलाफ़ काम करेगा. दुर्भाग्य से, नई महामारी विकसित होने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. क्योंकि वे इतिहास में बार-बार घटित हुई हैं.

4. क्या हम भविष्य में प्रकाश की गति से यात्रा कर पाएंगे - उदाहरण के लिए अन्य ग्रहों तक?

हम कभी भी प्रकाश की गति से यात्रा नहीं कर पाएंगे; केवल प्रकाश ही ऐसा कर सकता है. हालांकि, विशुद्ध रूप से, गणितीय रूप से, यह सम्भव है कि हम किसी बिन्दु पर लगभग उसी गति तक पहुंच पाएं. और यह गति इतनी तेज होगी कि मंगल ग्रह की उड़ान में कई महीनों के बजाय केवल कुछ minute लगेंगे. Switzerland में CERN अनुसंधान संस्थान के भौतिक विज्ञानी और engineer कई वर्षों से एक कण त्वरक में छोटे कणों को प्रकाश की गति के 99 प्रतिशत से अधिक तक तेज करने में सक्षम हैं. कण एक विशाल गोलाकार tube से होकर गुज़रते हैं और प्रत्येक चक्कर के साथ और तेज हो जाते हैं. भले ही वे इतने छोटे और बेहद हल्के हैं लेकिन फिर भी कणों को इतनी तेज़ी से आगे बढ़ने के लिए भारी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है. यदि आप इस प्रयास को 100 टन के अन्तरिक्ष यान में स्थानांतरित करते हैं, तो आप गणना कर सकते हैं कि इसे लगभग प्रकाश की गति से मंगल पर भेजने में कितनी ऊर्जा लगेगी. अर्थात 15 million billion kilowatt घंटे. यानि 15x10¹⁵ kWh. तुलना के लिए: इस मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए एक आधुनिक पवन turbine को 1.5 अरब वर्षों तक चलना होगा, एक परमाणु ऊर्जा संयन्त्र को 1,500 वर्षों तक चलना होगा. दूसरी ओर, सूर्य हमारे अन्तरिक्ष यान को एक second के हज़ारवें हिस्से में इतनी ऊर्जा प्रदान कर सकता है. दुर्भाग्य से, यह उम्मीद नहीं है कि हम ऐसी drive का अविष्कार कर पाएंगे जो अगले 100 वर्षों के भीतर इतनी अकल्पनीय बड़ी मात्रा में सौर ऊर्जा को परिवर्तित कर सके.

प्रकाश की गति = 299,792,458 meter प्रति second. प्रकाश को पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच यात्रा करने में लगभग 1.3 second का समय लगता है.

5. क्या भविष्य में और भी जानवरों की प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी? क्या हम उन्हें Jurassic park की तरह वापस ला सकेंगे?

जानवरों की प्रजातियों का विलुप्त होना प्रकृति की प्रक्रिया का हिस्सा है. लेकिन वर्तमान में पृथ्वी पर जो बड़े पैमाने पर विलुप्ति हो रही है, वैसी dinosaur के गायब होने के बाद से नहीं हुई है. विशेषज्ञों ने गणना की है कि सामान्य परिस्थितियों में पिछले 100 वर्षों में केवल लगभग दस कशेरुक प्रजातियां ही विलुप्त हो जानी चाहिए थीं. इस में कंकाल वाली सभी पशु प्रजातियां शामिल हैं, यानी मछली, उभयचर, सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी. लेकिन वास्तव में इस दौरान उन में से 450 से अधिक प्रजातियां गायब हो गई हैं. 66 million वर्ष पहले उल्कापिण्ड का प्रभाव सम्भवत: dinosaurs के लिए ज़िम्मेदार था. इस बार हम मनुष्य उल्कापिण्ड हैं. हम अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप पृथ्वी के बड़े हिस्सों को फिर से design कर रहे हैं और इस प्रक्रिया में अधिक से अधिक प्रजातियों को विस्थापित कर रहे हैं. बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण कई स्थानीय प्रजातियों के आवास उनके अनुरूप ढलने की अपेक्षा बहुत तेज़ी से परिवर्तन हो रहे हैं. उदाहरण के लिए कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि arctic के ध्रुवीय भालू वर्ष 2100 तक खत्म हो जाएंगे. यह बहुत सम्भव है कि विज्ञान तब तक मृत पशु प्रजातियों को वापस लाने के लिए तैयार हो जाएगा. इस उद्देश्य के लिए, दुनिया भर के शोध-कर्ता लुप्तप्राय प्रजातियों से कोशिका के नमूने एकत्र करते हैं और उन्हें -196°C पर तरल nitrogen tank में संग्रहीत करते हैं. अत्यधिक लुप्तप्राय गैण्डा प्रजाति के व्यवहार्य भ्रूण के नमूनों से प्रजनन करना पहले से ही सम्भव हो चुका है. यह तकनीक बहुत सारी प्रजातियों के लिए जीवनरक्षक हो सकती है. लेकिन यह हर प्रजाति के लिए सम्भव नहीं होगा, क्योंकि यदि हम भविष्य में विलुप्त ध्रुवीय भालू वापस ले भी आते हैं, लेकिन अगर arctic में बर्फ़ ही नहीं होगी तो जानवर जाएंगे कहां? यदि हम भविष्य में लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाना चाहते हैं, तो हमें तत्काल उनके आवासों की रक्षा करने की आवश्यकता करनी होगी.

6. क्या भविष्य में दुनिया में कम युद्ध और कम नफ़रत होगी?

यदि आप मानव इतिहास पर नज़र डालें तो आप देखेंगे कि दुनिया भर में युद्ध कम हो गए हैं. इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भविष्य में हिंसा में कमी आएगी. यह तो शुभ समाचार है. बुरी ख़बर यह है कि हम इस पर भरोसा नहीं कर सकते. Ukraine पर रूस के हमले से ये साफ़ हो गया. भले ही युद्ध दुर्लभ हो जाएं, फिर भी प्रत्येक युद्ध भयानक होता है और इसे रोका जाना चाहिए. सौभाग्य से, अब हम इस बारे में बहुत कुछ जानते हैं कि शांति किस चीज़ से पैदा होती है. European संघ (EU) जैसे गठबन्धन इसी का हिस्सा हैं. यहां 27 देश मिल कर काम करते हैं, जिन में से कई देश पहले भी एक-दूसरे से लड चुके हैं. आज भी वे हमेशा सहमत नहीं होते और अक्सर टकराव की स्थिति पैदा हो जाती है. उदाहरण के लिए किस देश को Atlantic से कितने टन मछली पकड़ने और बेचने की अनुमति है जैसे सवालों को ले कर. लेकिन ऐसे विवादों को शांति से सुलझाया जाता है: बात-चीत से, अनुबन्धों से और पैसे से भी जो European संघ के अमीर सदस्य देश कम अमीर देशों को भुगतान करते हैं. यदि गठबन्धन में सभी लोग समान रूप से अच्छा प्रदर्शन करेंगे तो संघर्ष की सम्भावना कम है. युद्धों के खिलाफ़ एक और सिद्ध उपाय मजबूत लोक-तन्त्र है. यानी ऐसे देश जहां लोगों को अपनी बात कहने का अधिकार है, ना कि गिने चुने शासकों या छोटे समूहों को. लोक-तन्त्र विवादों को अहिंसक तरीके से हल करना पसन्द करते हैं. क्योंकि जब युद्ध छिड़ता है तो जनता ही सैनिक के रूप में अपनी जान को जोखिम में डालती है. मजबूत लोक-तन्त्रों में हर कोई स्वतन्त्र रूप से जानकारी प्राप्त कर सकता है और इस के लिए दण्डित होने की चिन्ता किए बिना अपनी राय व्यक्त कर सकता है. दुर्भाग्य से यह दुनिया की लगभग आधी आबादी पर ही लागू होता है. विश्व शांति के लिए दूसरी आधी आबादी के अधिकारों को मजबूत करना ज़रूरी है. इसे सफ़ल बनाने के लिए हमें भविष्य में अपने व्यापारिक सम्बन्धों में शर्तें जोड़नी होंगी: उदाहरण के लिए, Germany या European संघ केवल उन देशों से कच्चे माल और उत्पाद ख़रीदने का निर्णय ले सकते हैं जो अपने नागरिकों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं. इससे हमें नुकसान हो सकता है क्योंकि फिर हमें कुछ चीज़ों के लिए ज़्यादा पैसे चुकाने पड़ेंगे. लेकिन लम्बी अवधि में यह लाभकारी होगा. क्योंकि आज की परस्पर जुड़ी हुई दुनिया में हर युद्ध हमें प्रभावित करता है, चाहे वह कितना भी दूर क्यों ना हो.

7. क्या भविष्य में हम जानवरों को मारे बिना मांस खा सकेंगे?

बहुत अधिक सम्भावना के साथ: हां. companies आज प्रयोग-शालाओं में मांस का उत्पादन कर रही हैं. हालांकि यह अभी steak या Schnitzel के रूप में उपलब्ध नहीं हैं, बल्कि एक मिश्रण है जो burger patties के लिए उपयुक्त है. और यह अभी बहुत महंगा है. लेकिन इस पर शोध जारी है. अगले पांच दस सालों में यह प्रयोग-शाला मांस ख़रीदने के लिए उपलब्ध हो सकता है. लेकिन यह जानना भी ज़रूरी है कि इस के लिए भी जानवरों की भी ज़रूरत होती है. क्योंकि मांस तथा-कथित stem कोशिकाओं से बनाया जाता है. इसे पाने के लिए एक जीवित जानवर की मांसपेशी का एक टुकड़ा निकालना पड़ता है. यह एक छोटी सी प्रक्रिया है जो निशान छोड़ जाती है. इसका लाभ यह है कि इस के लिए बहुत कम जानवरों की आवश्यकता होती है. लेकिन मुख्य प्रश्न यह है: हम इन जानवरों को रखते कैसे हैं. क्या उन्हें तंग, अन्धेरे अस्तबलों में रखा जा रहा है? क्या हर शहर के एक चारागाह में केवल दस-पंद्रह जानवर हो सकते हैं जिन्हें लोग पालने, सहलाने के लिए जा सकें, और समय-समय पर उनकी मांसपेशियों के नमूने लिए जा सकें? हमारे शोध समूह के सर्वेक्षणों से पता चला है कि लोग प्रयोग-शाला के मांस का समर्थन केवल तभी करेंगे जब इससे जानवरों की सेहत बेहतर होगी.

8. क्या भविष्य के schools में robot पढ़ाएंगे?

नहीं, स्कूल में अभी भी शिक्षकों की आवश्यकता है. क्योंकि वे भी कभी बच्चे थे. और इस लिए वे अच्छी तरह से जानते हैं कि 8+17 की गणना 20+5 से अधिक कठिन क्यों है. इस के लिए सब से पहले एक robot को program करना होगा. और एक मशीन विवादों को इतनी अच्छी तरह से नहीं निपटा सकती या बच्चों को हंसा नहीं सकती. लेकिन यह सच है कि भविष्य में कक्षा में अधिक से अधिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल होगा. इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि प्रत्येक बच्चे को अपने स्वयं के कार्य मिलें. अर्थात, बिल्कुल वही कार्य जो उस बच्चे को सुधारने में मदद करें. प्रौद्योगिकी स्कूली पाठों में विविधता ला सकती है. आज कक्षाओं में या तो केवल बोला जाता है या फिर मौन रह कर काम किया जाता है. लेकिन कैसा रहेगा यदि बच्चे कठिन रसायन विज्ञान प्रयोग स्वयं कर सकें? VR चश्मे और दस्ताने के साथ वे वस्तुत: प्रयोग कर सकते हैं और यहां तक ​​कि गलत पदार्थों को भी एक साथ उण्डेल सकते हैं. इस तरह वे बिना किसी खतरे के सीख सकते हैं कि कौन से पदार्थ test tube में विस्फ़ोट का कारण बनते हैं. शारीरिक शिक्षा कक्षाओं में बच्चों को कूदने का तरीका दिखाने के लिए camera और censor द्वारा शरीर की गतिविधियों को record किया जा सकता है. संगीत में गायन के दौरान एक screen आपको दिखा सकती है कि आपने सही स्वर कब पकड़ा है. इस तरह की प्रौद्योगिकी-युक्त कक्षाएं सभी इन्द्रियों को आकर्षित कर सकती हैं जो अधिक मज़ेदार है और सीखने में मदद करता है.