शनिवार, 25 नवंबर 2023

अपने सपनों को कैसे हासिल करें

यदि सब कुछ सम्भव हो तो आप क्या करना चाहेंगे? यदि हम अपने भीतर गहराई से सुनें, तो देर-सबेर हमें उत्तर मिल ही जाएगा. हमें बस अपने आप से सही प्रश्न पूछने के लिए कुछ समय चाहिए. अभी कैसा रहेगा? इस लेख के साथ हम आपको जीवन में अपने व्यक्तिगत सपनों का पता लगाने के लिए और अन्तत: उन्हें क्रियान्वित करने के लिए आमन्त्रित करते हैं.

हर चीज़ हमेशा असम्भव लगती है जब तक कि पूरी ना हो जाए.
Nelson Mandela (1918-2013)

क्या आपने अनायास ही कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में सोचा है जो आप करना चाहते हैं? यदि नहीं, तो बेझिझक अपनी कल्पना को थोड़ा धक्का दें और कुछ minutes के लिए इस के बारे में सोचें. या इससे भी बेहतर: अपने भीतर महसूस करें कि कौन से विचार आपको प्रेरित करते हैं और जिन से आपको अच्छा महसूस होता है. यह बेतुका लग सकता है. लेकिन स्वतन्त्र सपने देखना समय की बरबादी नहीं है, बल्कि यह हमारी रचनात्मकता और मस्तिष्क के लिए अच्छा है. इससे हमारा मस्तिष्क अपने द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए प्रशिक्षित होता है. हमारी ऊर्जा हमारे focus का अनुसरण करती है: जैसे ही हम सोचते हैं कि कुछ असम्भव है, हम हमेशा कारण ढूंढ लेंगे कि यह सम्भव क्यों नहीं है. इस लिए यदि आप हर असामान्य विचार के बारे में सोचते हैं कि यह वैसे भी काम नहीं करेगा, तो आपको खुद से पूछना चाहिए: यह कैसे काम कर सकता है?

अक्सर हम रचनात्मक समाधान तलाशना भूल जाते हैं. यह अकारण नहीं है कि अनुभवी मानसिक प्रशिक्षक हमें इस बात से अवगत होने के लिए कहते हैं कि हम वास्तव में क्या चाहते हैं. क्योंकि तभी हमारा मस्तिष्क इसे साकार करने के तरीके खोजेगा. शायद हर बड़ा सपना सच नहीं होगा और अन्तिम परिणाम मूल इच्छा से बिल्कुल अलग हो सकता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सपने को पूरी तरह से भुला दिया जाए. जो कोई भी आगे की सोचता है और लगातार खुद को नया रूप देता है, उसे नए रास्ते और समाधान मिल जाएंगे. एक अनुकूलित दृष्टि का कार्यान्वयन हमें कुछ पूरी तरह से अलग और बहुत अधिक महत्वपूर्ण सिखा सकता है: अन्त में यह मायने नहीं रखता है कि हम ने एक विशिष्ट लक्ष्य हासिल कर लिया है, बल्कि यह कि हम इसे कैसे आकार देते हैं और अनुभव करते हैं. 

जीवन के सपनों को अमल में लाने का मतलब सब कुछ पाना नहीं है. कभी-कभी हमें एक चीज़ के लिए कुछ और छोड़ना पड़ता है. जैसे अपने पीछे एक अच्छी नौकरी और प्रिय सह-कर्मियों को छोड़ कर उस स्थान पर एक नया अस्तित्व बनाने के लिए जाना जिस के लिए हम तरस्ते हैं. अपनी जीवन्तता को महसूस करने के लिए अपना सुरक्षित आराम क्षेत्र छोड़ें. सुरक्षित रास्ता चुनने के बजाय एक दृष्टि-कोण के लिए लड़ें. यदि आप अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं तो कभी-कभी आप असफ़ल होंगे. लेकिन ये चुनौतियां हैं जिन से हम सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं.

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह जीवन का कौन सा क्षेत्र है: गहन अनुभव और जीवन्त भावनाएं सब से कीमती यादों को जन्म देती हैं. नीचे कुछ प्रश्न और सुझाव हैं जिन के द्वारा आप अपने जीवन के सपनों में गहराई से उतर और उन्हें साकार कर सकते हैं.

ख़ुशी अपने अन्दर ही है. कुछ सवाल हैं जो हम सभी को खुद से पूछने चाहिए. अपने लिए कुछ क्षण निकालें, किसी अच्छी जगह पर बैठें, चाहे घर के अन्दर हो या बाहर, और इन सवालों के बारे में सोचें. साथ ही एक पुस्तिका में लिखें.

आखिरी बार कब मैं सच-मुच ख़ुश हुआ था?
हल्कापन, आन्तरिक शांति, परमानन्द, प्रेरणा. ये वे भावनाएं हैं जो हम ख़ुश होने पर महसूस करते हैं. एक क्षण के लिए रुकें और उन क्षणों को याद करें जब आपने खुद को उत्साहपूर्ण और जीवन्त महसूस किया था. आप किस बात का इन्तज़ार कर रहे हैं? अक्सर हम दिमाग से और उस तरीके से कार्य करते हैं जिस की हम से और हमारे आदर्शों से अपेक्षा की जाती है. हम सोचते हैं कि हम तभी ख़ुश होंगे जब हम यह और वह हासिल कर लेंगे. हम अक्सर भूल जाते हैं कि एक बच्चे के रूप में अपनी भावनाओं और अन्तर्ज्ञान पर भरोसा करना कितना आसान था, हम अपने आस-पास की हर चीज़ को भूल जाते हैं और बस यहां और अभी का आनन्द लेते हैं.

मैं कैसे पता लगाऊं कि मैं वास्तव में क्या चाहता हूं?
हर कोई सुखी और सन्तुष्ट जीवन जीना चाहता है. लेकिन हम इसे कैसे हासिल करें? बहुत से लोग नहीं जानते कि वे वास्तव में क्या चाहते हैं क्योंकि उन्होंने केवल यह देखा है कि दूसरे क्या कर रहे हैं, और उनकी नक़ल कर रहे हैं. हमारे कपडों की पसन्द से ले कर हमारे व्यवहार और आदर्शों तक, हम खुद को दूसरे लोगों से प्रभावित होने देते हैं और कम से कम सवाल करते हैं कि हम खुद क्या कर रहे हैं और क्या यह वास्तव में वही है जो हम चाहते हैं. पहली नज़र में यह कभी-कभी आसान लगता है, लेकिन यह हमें दीर्घ-कालिक रूप से ख़ुश नहीं करता है. इस के बजाय, हमें इस तथ्य के बारे में अधिक जागरुक होना चाहिए कि कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें कैसे जीना चाहिए - चाहे वह नौकरी हो, प्यार हो, हम कहां रहते हैं या जीवन के प्रति हमारा दृष्टि-कोण क्या हो. हमारे पास अविश्वसनीय संख्या में विकल्प हैं. लेकिन समस्या अक्सर यहीं होती है: हम इस स्वतन्त्रता से अभिभूत होते हैं और कथित रूप से अधिक जटिल मार्ग से बचते हैं. और अब अपने आप से पूछें: मैं वास्तव में क्या चाहता हूं?

कल्पना ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि ज्ञान सीमित है.
Albert Einstein (1879-1955)

व्यक्तिगत ख़ुशी की तीन युक्तियां
1. यदि आप अपनी कल्पना को खुला छोड़ दें, तो एक उत्तम दिन कैसा दिखेगा? इसे लिख लें - चुनाव आपका है. Harvard के एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग अपने लक्ष्य और दृष्टि-कोण को लिखते हैं उनके उन्हें हासिल करने की सम्भावना काफ़ी अधिक होती है.

2. हम सभी अच्छे पुराने पक्ष और विपक्ष की सूची को जानते हैं. यह वास्तव में "मैं वास्तव में क्या चाहता हूं?" के प्रश्न का उत्तर देने में मदद कर सकती है. बस अपने मन की नहीं, बल्कि अपने अन्तर्मन की सुनें और लिखें. अपनी भावनाओं पर ध्यान केन्द्रित करें और सचेत रूप से अपने आप से पूछें: मैं कहां जाना चाहता हूं, भले ही मेरा दिमाग मुझे पूरी तरह से कुछ अलग बताता हो? मेरा अन्तर्ज्ञान मुझे क्या बताता है?

3. ज़्यादा मत सोचो, बस करो! यह जानने के लिए कि क्या कोई चीज़ हमें सच-मुच ख़ुश करती है, हमें उसे आज़माना होगा. आप यह कैसे पता लगा सकते हैं कि क्या आपको वास्तव में नृत्य पसन्द नहीं है, यदि आपने कभी प्रत्यक्ष रूप से महसूस नहीं किया है कि संगीत और लय का हम पर क्या प्रभाव पड़ता है? लगातार बने रहना महत्वपूर्ण है. कुछ चीज़ों के लिए थोड़े अभ्यास की आवश्यकता होती है.

रचनात्मकता दिमाग से शुरू होती है: दिवास्वप्न देखना क्यों महत्वपूर्ण है. "क्या आप फिर से हवा में देख रहे हैं?" हमारे समाज में दिवास्वप्न का अनुचित रूप से नकारात्मक अर्थ निकाला जाता है. जो कोई भी अक्सर अपने विचारों को भटकने देता है, उसे जल्द ही एक अविश्वसनीय स्वप्नपंथी के रूप में देखा जाता है. लेकिन मनो-वैज्ञानिकों का अनुमान है कि औसतन हम अपने जागने के समय का लगभग पचास प्रतिशत समय दिवास्वप्न देखने और autopilot पर बिताते हैं; यानी किसी गतिविधि को करते समय अन्य चीज़ों के बारे में सोचना, योजनाएं बनाना और अनुभवों पर विचार करना. आश्चर्य-जनक बात यह है कि तथा-कथित उत्तेजना-स्वतन्त्र सोच, कल्पना, रचनात्मकता और समस्या-समाधान कौशल को उत्तेजित करती है. अक्सर हम केवल उस समाधान के बारे में ही जानते हैं जो हम ने पहले दिवास्वप्न में पाया था. इस लिए सपने देखते समय दिमाग को कोई break नहीं मिलता, बल्कि वह पूरी गति से चलता है. दुर्भाग्य से, कुछ लोग शीघ्र ही नकारात्मक चिन्तन की ओर चले जाते हैं. जैसे ही हम नकारात्मक श्रृंखलाओं का अनुभव करें, हमें दृढ़तापूर्वक उन्हें सकारात्मक श्रृंखलाओं से बदल देना चाहिए.

रचनात्मक दिवास्वप्न का सचेत रूप से बैठ कर, टहलने के लिए जा कर, या यहां तक कि घर के काम करने के दौरान अभ्यास किया जा सकता है. इस दौरान एक इरादा निर्धारित करें लेकिन लक्ष्य नहीं. जैसे ख़ुश और जीवन्त महसूस करें लेकिन इस के फल से अभिभूत ना हों. उन चीज़ों को छोड़ दें जो आप पर बोझ डालती हैं और खुद को नई चीज़ों के लिए खोलें. अपनी कल्पना को खुला छोड़ दें और इसे अपनी सोच को सीमित नहीं रखें.

हम सम्भावनाओं की सीमाओं को कैसे पार करते हैं: Roger Bannister प्रभाव
1954 में एक अंग्रेज़ छात्र और मध्यम दूरी के धावक Roger Bannister ने कुछ अविश्वसनीय हासिल किया. उसने एक मील की दौड़ को 03:59 minute में, यानी चार minute से भी कम समय में पूरा किया, जिसे पहले असम्भव माना जाता था. लेकिन विश्व record टूटने के बाद इतने सारे धावकों का मानसिक अवरोध टूट गया कि 1955 के अन्त तक 300 से अधिक लोग चार minute से कम समय में दौड़ने में कामयाब रहे. एक व्यक्ति ने अपनी इच्छा-शक्ति और विश्वास के माध्यम से जो हासिल किया उस का दूसरों पर स्थायी प्रभाव पड़ा.

आपका लक्ष्य, आपका सपना आपकी आंखों के सामने स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है. अब कार्यवाही करने और अपने लक्ष्य के करीब पहुंचने का समय आ गया है. इच्छा पूर्ति छह चरणों में:

1. इरादा: मैं क्या हासिल करना चाहता हूं और क्यों?
2. सम्बन्ध: इस में मुझे क्या उत्साहित करता है? मैं इस के साथ क्या महसूस करना चाहता हूं?
3. समाधान ढूंढना: मैं लक्ष्य कैसे प्राप्त कर सकता हूं? क्या काम नहीं कर रहा और वह कैसे ठीक हो सकता है?
4. साहस: मैं अपने लक्ष्य के प्रति कैसे खड़ा रह सकता हूं? मुझे किस चीज़ का डर है?
5. क्रिया: मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आज क्या कर रहा हूं?
6. चिन्तन: मैंने पहले क्या सीखा है और मैं अलग तरीके से क्या कर सकता हूं?

भविष्य उनका है जो अपने सपनों की सच्चाई पर विश्वास करते हैं. Eleanor Roosevelt (1884-1962)

पुस्तक tip:
"जीवन के पांच बड़े मंत्र"
जीवन में वास्तव में क्या मायने रखता है
John Strelecky द्वारा

अपनी नौकरी से असन्तुष्ट एक कर्मचारी 'Joe' संयोग से करिश्माई व्यवसायी Thomas से मिलता है. दोनों व्यक्तियों के बीच जल्द ही गहरी दोस्ती हो जाती है, जिस में Thomas 'Joe' का गुरु बन जाता है और उसे अपनी सफ़लता के रहस्य बताता है. Thomas अपनी company को एक दिशा-निर्देश के आधार पर चलाता है: प्रत्येक कर्मचारी को अपने जीवन के वे पांच लक्ष्य पता होने चाहिए जिन्हें वे जीवन में हासिल करना चाहते हैं. क्योंकि पैसा कमाने के लिए काम करना अतीत की बात है. आज से, लक्ष्य है: व्यक्तिगत सन्तुष्टि पाने के लिए काम करना.
DTV, €9.90
ISBN: 978-3-423-34528-6