बुधवार, 29 नवंबर 2023

हिमालय संकट में

भारत पहाड़ों में बिजली संयन्त्र, सुरंगें और राज-मार्ग बना रहा है, प्रकृति को ध्यान में रखे बिना

जलवायु परिवर्तन वर्षों से पृथ्वी के सब से ऊंचे पर्वत हिमालय को प्रभावित कर रहा है. लेकिन भारत की बेरोकटोक निर्माण गतिविधि भी तेज़ी से प्रकृति और लोगों को खतरे में डाल रही है. इस क्षेत्र में पहले से कहीं अधिक जंगल काटे जा रहे हैं, दूरदराज़ के इलाकों को जोड़ने के लिए अनगिनत सुरंगें खोदी जा रही हैं, चट्टानों को विस्फ़ोटित किया जा रहा है, अछूते क्षेत्रों पर concrete डाली जा रही है और राज-मार्ग बनाए जा रहे हैं. धार्मिक रूप से प्रेरित सरकारी योजनाओं तहत हिन्दू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तीर्थ-यात्रा मार्गों पर बहु-lane डामर सड़कें बनाई रही हैं. चीन के सीमा क्षेत्र में भारत रणनीतिक सैन्य कारणों से नए बुनियादी ढांचे खड़े कर रहा है. हिमांक परियोजना के अन्तर्गत 5400 meter से भी अधिक की ऊंचाई पर दुनिया का पहला glacier highway बनाया जा रहा है. 6.4m km के साथ भारत मैं संयुक्त राज्य America के बाद दुनिया का दूसरा सब से बड़ा सड़क network है. इस में हर दिन 29km जोड़े जाते हैं. पिछली सरकार के तहत 2014/2015 में यह 12km थी. 2014 के बाद से 50,000km राज-मार्ग बनाए जा चुके हैं. इस के अलावा नई railway lines बनाई जा रही हैं, अत्यन्त ऊंचाई पर बांध और जलविद्युत संयन्त्र बनाए जा रहे हैं, जिन की मदद से भारतीय प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी जलवायु को नुकसान पहुंचाने वाले उत्सर्जन को कम करना चाहते हैं. भारत के 1.4 अरब से अधिक लोगों की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों का एक बड़ा हिस्सा भविष्य में जल विद्युत संयन्त्रों द्वारा पूरा किया जाएगा. प्रगति और समृद्धि के नाम पर पर्वतीय क्षेत्र का विकास किया जा रहा है.

लेकिन हिमालय भूकम्पीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है, इस लिए बड़ी निर्माण परियोजनाएं जोखिम भरी हैं. विशेषज्ञों को डर है कि निर्माण कार्य के दौरान भू-गर्भीय परिस्थितियों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. ज़िम्मेदार अधिकारी इससे इनकार कर रहे हैं, लेकिन हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है. बेलगाम निर्माण गतिविधियां और बढ़ता तापमान तेज़ी से आपदाओं का कारण बन रहे हैं. भूस्खलन और बाढ़ की संख्या में वृद्धि हुई है. सरकार भू-वैज्ञानिकों और पर्यावरण कार्य-कर्ताओं की चेतावनियों को नज़र-अन्दाज कर रही है. और हिमालय जवाबी कार्यवाही कर रहा है. हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड में भूस्खलन की संख्या 2021 में 354 थी, 2022 में 245 और 2023 में 1100. 1 April से 20 नवंबर 2023 तक भारत में बाढ़ से पीड़ितों की संख्या 221 है और भूस्खलन से पीड़ितों की संख्या 212 है. पिछले सालों की अनेक दुर्घटनाएं हिमालय की नाज़ुक स्थिति पर प्रकाश डालती हैं. August 2023 में शिमला में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन ने कई घरों को खाई में गिरा दिया. परिणाम: 14 मृत. 12 नवंबर, 2023 को उत्तराखण्ड राज्य की Silkyara सुरंग में काम के दौरान shaft का एक हिस्सा ढह गया, जिस में 41 श्रमिक सुरंग के अन्दर फंस गए. सरकार ने पहले सुरंग को चौड़ा करने से रोकने वाले अदालती फ़ैसलों की अनदेखी की थी. कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण दुर्घटना-स्थल पर बचाव कार्य अत्यन्त कठिन बना रहा. अन्तत: 28 नवंबर को सभी श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया. यह सुरंग नए चार धाम राज-मार्ग का हिस्सा है, जो प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी की करोड़ों Dollar की प्रतिष्ठा वाली परियोजना है. इस राज-मार्ग से चार हिन्दू तीर्थ स्थलों (गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) को जोड़े जाने और पर्यटकों को आकर्षित करने की उम्मीद है. February 2021 में तपोवन में हिमनदों ने ज्वार की लहर पैदा कर दी. इससे तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली संयन्त्र क्षति-ग्रस्त हो गया, जो अभी भी निर्माणाधीन है. इस आपदा में 140 श्रमिकों की मृत्यु हो गई. 7 February, 2021 को glaciers के ढेर के कारण धौलीगंगा बांध ढह गया. 60 लोगों की मौत हो गई. 16 जून, 2013 को बादल फटने से केदारनाथ तीर्थ-नगरी में विनाशकारी बाढ़ आ गई. मलबे और बर्फ़ के मिश्रण ने हज़ारों लोगों को बहा दिया और घरों और सड़कों को तबाह कर दिया. कुल मिला कर, इस आपदा ने 6,000 से अधिक लोगों की जान ले ली. January 2023 में घरों में दरारें आने के बाद जोशीमठ शहर के कुछ हिस्सों को खाली कराना पड़ा था. जोशीमठ शहर अब रहने लायक नहीं रह गया है. इस क्षेत्र में भी तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली घर जैसी बड़ी निर्माण गतिविधियां ज़मीन को हिला रही है और इमारतों को नष्ट कर रही हैं. यह शहर भूकम्प क्षेत्र में 1800 meter की ऊंचाई पर चार धाम राज-मार्ग पर स्थित है. 27 October, 2023 को भूस्खलन के मलबे से सुबनसिरी बांध के कुछ हिस्से नष्ट हो गए. विशेषज्ञ लम्बे समय से इस परियोजना के बारे में चेतावनी दे रहे हैं. बांध के वजन के कारण आस-पास की चट्टानों में दरारें आ जाती हैं. power plant अभी चालू नहीं हुआ है.