शनिवार, 25 नवंबर 2023

चांद पर दावा करने वालों में भारत शामिल

2023 में भारतीय चन्द्र-यान-3 के चांद पर पहुंचने और रूसी लूना-25 अन्तरिक्ष यान की असफ़लता से चन्द्रमा एक बार फिर विश्व राजनीति का केन्द्र बिन्दु बन गया है।

अब तक केवल संयुक्त राज्य America, Soviet संघ और चीन ही चन्द्रमा पर soft landing करने में सफ़ल रहे थे। लेकिन 14 जुलाई 2023 को चन्द्र-यान-3 के प्रक्षेपण के साथ भारत भी 'चन्द्र राष्ट्र club' में शामिल हो गया। 2019 में चन्द्र यान-3 का पूर्ववर्ती यान (चन्द्र-यान-2) एक landing प्रयास के दौरान दुर्घटना-ग्रस्त हो गया था। इस लिए चांद के Manzinus crater के लिए mission दोहराया गया. शोध-कर्ताओं को चन्द्रमा के गड्ढों की छाया में बर्फ़ मिलने की उम्मीद है जिससे वे चन्द्रमा पर बसने वालों के लिए पानी बना सकें. चन्द्र-यान-3 इस खोज में शामिल कई चन्द्र कार्यक्रमों में से एक है। 

प्रज्ञान rover और विक्रम lander, दोनों चन्द्र-यान-3 mission का हिस्सा हैं, जो 14 July, 2023 को भारत के सतीश धवन अन्तरिक्ष केन्द्र से launch हुआ और 23 August को Manzinus crater के तल पर नर्म landing के साथ समाप्त हुआ. यह हमारी पृथ्वी के उप-ग्रह पर कोई ऐसी वैसी जगह नहीं, बल्कि वह जगह है जहां मानवता का भविष्य तय हो सकता है. और भारत वहां अपना पहला दावा पेश करने के लिए अपनी पूरी ताकत से प्रयास करने वाला एकमात्र देश नहीं है।

Manzinus crater चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास स्थित है. दक्षिणी ध्रुव को वर्तमान में लगभग सभी प्रमुख चन्द्र कार्यक्रमों का सब से महत्वपूर्ण लक्ष्य माना जाने का कारण इसकी अद्वितीय मिट्टी की संरचना है. क्योंकि यहां, जहां 4.3 अरब साल पहले सौर मण्डल के प्रारम्भिक चरण में बड़े पैमाने पर उल्का-पिण्ड बमबारी ने युवा चन्द्रमा की सतह को ध्वस्त कर दिया था, आज अनगिनत, विशाल crater की दीवारें आकाश की ओर फैली हुई हैं. चूंकि शोध-कर्ताओं को सन्देह है कि इन पहाड़ों की शाश्वत छाया में बड़ी मात्रा में पानी की बर्फ़ है और crater के किनारे पर भविष्य में चांद पर बसने वालों के सौर module लम्बी चन्द्र रातों के दौरान भी बिजली पैदा कर सकते हैं।

चन्द्र-यान-3 को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए 43.5 meter ऊंचे भारतीय वाहक rocket, "Launch Vehicle Mark 3" को इस्तेमाल किया गया। launch के समय इस rocket का वजन 640 टन था. इसे पहले ही सात missions में सफ़लतापूर्वक उपयोग किया जा चुका है.

26kg वजनी rover 'प्रज्ञान' को चांद पर अन्वेषण के लिए ले जाने के लिए 1,750kg भारी  landing module (lander, विक्रम) का इस्तेमाल किया गया। 2019 में चन्द्र-यान-2 की crash landing के बाद इस बार इसकी टांगों को और मजबूत किया गया है. इस यान में चार mini-rockets रूपी engines हैं जो 800Nm का thrust विकसित कर सकते हैं. पूर्ववर्ती चन्द्र-यान-2 के lander में पांच engine थे. lander विक्रम, चार टांगों पर उड़ने वाले घर जैसा कुछ है। lander को पृथ्वी की तेज़ अण्डाकार कक्षाओं में स्थापित कर के  गुलेल की भांति चन्द्रमा की ओर फेंका गया। जब यह चन्द्रमा से 200 km की दूरी पर था तो चन्द्रमा की बाहरी कक्षा में प्रवेश करने के लिए 30 minute की braking प्रक्रिया शुरू की गई. Europe के उप-ग्रह network Estrack ने lander को चन्द्र कक्षा में लाने में मदद की। इस का एकमात्र यात्री प्रज्ञान आखिरकार 23 August 2023 की दोपहर को अपने छह पहियों पर ramp से नीचे उतरते ही काम पर लग गया।

प्रज्ञान के पास घातक रात होने से पहले ज़्यादा समय नहीं था. क्योंकि चन्द्र रातें 15 दिनों तक चलती हैं और तापमान शून्य से 160 degree Celsius नीचे तक गिर जाता है. छोटे से rover द्वारा विक्रम lander के अन्दर एक छोटे से ramp के माध्यम से अपने परिवहन capsule को छोड़ने और चन्द्रमा की धूल भरी सतह पर उतरने और अपना काम पूरा करने में काफी मूल्यवान समय बीत गया। crater की घाटियों से बचते हुए एक laser plasma spectroscope के साथ चन्द्र धूल को सूंघते हुए और बहुत धीमी गति से चलते हुए प्रज्ञान ने दस दिनों तक नमूने एकत्रित किए। उसने तीन seconds का चन्द्रमा का भूकम्प भी record किया. पृथ्वी के विपरीत, यह दुर्लभ घटना महाद्वीपीय plates के हिलने के कारण नहीं होती है, बल्कि इस लिए होती है क्योंकि चन्द्रमा आज भी ठण्डा हो रहा है और सिकुड़ रहा है. रात होने से पहले प्रज्ञान ने चांद पर sulphur के अस्तित्व की पुष्टि भी की। 101.4 meter चलने के बाद वह अन्तत: रुक गया और एक प्रकार की शाश्वत नींद में चला गया. प्रज्ञान rover Astrobotic technology के CubeRover परिवार से सम्बन्धित है. 

अपने निष्क्रियीकरण से पहले प्रज्ञान ने जो data एकत्रित किया, वह अनुसंधान के लिए अमूल्य है. इस data से पता चला कि Manzinus crater में ज़मीन का तापमान आश्चर्य-जनक रूप से अधिक है, और कम से कम इस स्थान पर बर्फ़ और संसाधन के रूप में पानी की मौजूदगी की कल्पना नहीं की जानी चाहिए. प्रज्ञान ने यह भी दर्शाया कि चन्द्रमा पर मनुष्यों को स्थायी रूप से बसाने के बारे में सोचने से पहले कई और अन्वेषण mission आवश्यक हैं. लेकिन कभी ना कभी तो बाशिन्दे आएंगे ही, इस में कोई सन्देह नहीं.

14 December 1979 को चन्द्रमा पर चलने वाले अन्तिम व्यक्ति Eugene Cernan के पृथ्वी पर लौटने के बाद दुनिया भर में बेहद महंगे और व्यावहारिक रूप से निरर्थक चन्द्र missions में रुचि शून्य हो गई. आज चन्द्रमा को एक बार फिर वैज्ञानिक अन्वेषण का प्राथमिक लक्ष्य माना जा रहा है। और यह केवल चन्द्रमा पर अनुसंधान के लिए या उपनिवेश स्थापित करने के लिए या मंगल ग्रह के प्रवेश द्वार के रूप में या ब्रह्माण्ड पर उपनिवेश स्थापित करने के लिए ही नहीं बल्कि इसलिए कि आने वाले दशकों में चन्द्रमा अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में दुनिया की प्रमुख गुप्त सेवाओं और सेनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान का रूप धारण कर लेगा। इसके आर्थिक दोहन के लिए दौड़ शुरू हो चुकी है. चीन 2020 में बड़ी मात्रा में चन्द्रमा की चट्टानें पृथ्वी पर लाने में कामयाब रहा. इस साल भारत के साथ-साथ रूस ने भी 50 साल बाद चांद पर लौटने का प्रयास किया. हालांकि Luna-25 यान landing से पहले चन्द्रमा पर दुर्घटना-ग्रस्त हो गया, लेकिन Luna 26 से 28 के प्रक्षेपण और ground station स्थापित करने की योजना पहले से ही बन चुकी है। वर्तमान में विभिन्न देशों के तीन दर्जन से अधिक चन्द्र mission चल रहे हैं. संयुक्त राज्य America, जो पृथ्वी की कक्षा में एक दीर्घ-कालिक अन्तरिक्ष station और चन्द्रमा पर एक base की योजना बना रहा है, नवीनतम 2028 तक लोगों को फिर से उप-ग्रह पर भेजना चाहता है. इनमें पहली महिला भी शामिल है. यह एक मील का पत्थर साबित होगा. क्योंकि इस बार बात सिर्फ़ चन्द्रमा तक पहुंचने और फिर वापस आने की नहीं बल्कि वहां स्थाई रूप से बसने की है।