बुधवार, 29 नवंबर 2023

हिमालय संकट में

भारत पहाड़ों में बिजली संयन्त्र, सुरंगें और राज-मार्ग बना रहा है, प्रकृति को ध्यान में रखे बिना

जलवायु परिवर्तन वर्षों से पृथ्वी के सब से ऊंचे पर्वत हिमालय को प्रभावित कर रहा है. लेकिन भारत की बेरोकटोक निर्माण गतिविधि भी तेज़ी से प्रकृति और लोगों को खतरे में डाल रही है. इस क्षेत्र में पहले से कहीं अधिक जंगल काटे जा रहे हैं, दूरदराज़ के इलाकों को जोड़ने के लिए अनगिनत सुरंगें खोदी जा रही हैं, चट्टानों को विस्फ़ोटित किया जा रहा है, अछूते क्षेत्रों पर concrete डाली जा रही है और राज-मार्ग बनाए जा रहे हैं. धार्मिक रूप से प्रेरित सरकारी योजनाओं तहत हिन्दू पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए तीर्थ-यात्रा मार्गों पर बहु-lane डामर सड़कें बनाई रही हैं. चीन के सीमा क्षेत्र में भारत रणनीतिक सैन्य कारणों से नए बुनियादी ढांचे खड़े कर रहा है. हिमांक परियोजना के अन्तर्गत 5400 meter से भी अधिक की ऊंचाई पर दुनिया का पहला glacier highway बनाया जा रहा है. 6.4m km के साथ भारत मैं संयुक्त राज्य America के बाद दुनिया का दूसरा सब से बड़ा सड़क network है. इस में हर दिन 29km जोड़े जाते हैं. पिछली सरकार के तहत 2014/2015 में यह 12km थी. 2014 के बाद से 50,000km राज-मार्ग बनाए जा चुके हैं. इस के अलावा नई railway lines बनाई जा रही हैं, अत्यन्त ऊंचाई पर बांध और जलविद्युत संयन्त्र बनाए जा रहे हैं, जिन की मदद से भारतीय प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी जलवायु को नुकसान पहुंचाने वाले उत्सर्जन को कम करना चाहते हैं. भारत के 1.4 अरब से अधिक लोगों की बढ़ती ऊर्जा ज़रूरतों का एक बड़ा हिस्सा भविष्य में जल विद्युत संयन्त्रों द्वारा पूरा किया जाएगा. प्रगति और समृद्धि के नाम पर पर्वतीय क्षेत्र का विकास किया जा रहा है.

लेकिन हिमालय भूकम्पीय रूप से सक्रिय क्षेत्र है, इस लिए बड़ी निर्माण परियोजनाएं जोखिम भरी हैं. विशेषज्ञों को डर है कि निर्माण कार्य के दौरान भू-गर्भीय परिस्थितियों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है. ज़िम्मेदार अधिकारी इससे इनकार कर रहे हैं, लेकिन हादसों की संख्या बढ़ती जा रही है. बेलगाम निर्माण गतिविधियां और बढ़ता तापमान तेज़ी से आपदाओं का कारण बन रहे हैं. भूस्खलन और बाढ़ की संख्या में वृद्धि हुई है. सरकार भू-वैज्ञानिकों और पर्यावरण कार्य-कर्ताओं की चेतावनियों को नज़र-अन्दाज कर रही है. और हिमालय जवाबी कार्यवाही कर रहा है. हिमालयी राज्य उत्तराखण्ड में भूस्खलन की संख्या 2021 में 354 थी, 2022 में 245 और 2023 में 1100. 1 April से 20 नवंबर 2023 तक भारत में बाढ़ से पीड़ितों की संख्या 221 है और भूस्खलन से पीड़ितों की संख्या 212 है. पिछले सालों की अनेक दुर्घटनाएं हिमालय की नाज़ुक स्थिति पर प्रकाश डालती हैं. August 2023 में शिमला में भारी बारिश के बाद हुए भूस्खलन ने कई घरों को खाई में गिरा दिया. परिणाम: 14 मृत. 12 नवंबर, 2023 को उत्तराखण्ड राज्य की Silkyara सुरंग में काम के दौरान shaft का एक हिस्सा ढह गया, जिस में 41 श्रमिक सुरंग के अन्दर फंस गए. सरकार ने पहले सुरंग को चौड़ा करने से रोकने वाले अदालती फ़ैसलों की अनदेखी की थी. कठिन भौगोलिक परिस्थितियों के कारण दुर्घटना-स्थल पर बचाव कार्य अत्यन्त कठिन बना रहा. अन्तत: 28 नवंबर को सभी श्रमिकों को बाहर निकाल लिया गया. यह सुरंग नए चार धाम राज-मार्ग का हिस्सा है, जो प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी की करोड़ों Dollar की प्रतिष्ठा वाली परियोजना है. इस राज-मार्ग से चार हिन्दू तीर्थ स्थलों (गंगोत्री, यमुनोत्री, केदारनाथ और बद्रीनाथ) को जोड़े जाने और पर्यटकों को आकर्षित करने की उम्मीद है. February 2021 में तपोवन में हिमनदों ने ज्वार की लहर पैदा कर दी. इससे तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली संयन्त्र क्षति-ग्रस्त हो गया, जो अभी भी निर्माणाधीन है. इस आपदा में 140 श्रमिकों की मृत्यु हो गई. 7 February, 2021 को glaciers के ढेर के कारण धौलीगंगा बांध ढह गया. 60 लोगों की मौत हो गई. 16 जून, 2013 को बादल फटने से केदारनाथ तीर्थ-नगरी में विनाशकारी बाढ़ आ गई. मलबे और बर्फ़ के मिश्रण ने हज़ारों लोगों को बहा दिया और घरों और सड़कों को तबाह कर दिया. कुल मिला कर, इस आपदा ने 6,000 से अधिक लोगों की जान ले ली. January 2023 में घरों में दरारें आने के बाद जोशीमठ शहर के कुछ हिस्सों को खाली कराना पड़ा था. जोशीमठ शहर अब रहने लायक नहीं रह गया है. इस क्षेत्र में भी तपोवन-विष्णुगढ़ पनबिजली घर जैसी बड़ी निर्माण गतिविधियां ज़मीन को हिला रही है और इमारतों को नष्ट कर रही हैं. यह शहर भूकम्प क्षेत्र में 1800 meter की ऊंचाई पर चार धाम राज-मार्ग पर स्थित है. 27 October, 2023 को भूस्खलन के मलबे से सुबनसिरी बांध के कुछ हिस्से नष्ट हो गए. विशेषज्ञ लम्बे समय से इस परियोजना के बारे में चेतावनी दे रहे हैं. बांध के वजन के कारण आस-पास की चट्टानों में दरारें आ जाती हैं. power plant अभी चालू नहीं हुआ है.

मंगलवार, 28 नवंबर 2023

समाचार 28.11.23

तालिबान के प्रमुख अधिकारी 'अब्दुल बारी उम्र' ने kW46/47 में Germany और Europe की यात्रा की, Cologne की एक मस्जिद में भाषण दिया, social Media Platform 'X' पर अपनी सफ़ल Europe यात्रा के बारे में डींगें मारीं, अपने German समर्थकों के साथ अपनी बैठकों के बारे में video प्रकाशित किए. लेकिन काबुल में German विदेश गुप्त सेवा BND और घरेलू गुप्त सेवा 'संविधान संरक्षण' (Verfassungsschutz) उस की यात्रा और उपस्थिति के बारे में जानने में असफ़ल रही. वह बिना भेस बदले शान से इस्लामी नारों से सजी BMW से मस्जिद में आया और तालिबान की शान में भाषण दिया.

रक्षा मन्त्री Boris Pistorius अपने शब्द-चयन को ले कर आलोचना के घेरे में हैं. उन्होंने German सशस्त्र बलों के generals के सामने बयान दिया "सशस्त्र बलों को अधिक युद्ध-दक्षता की ज़रूरत है (Kriegstüchtigkeit). इस शब्द के इस्तेमाल से उनकी शिक्षा पर सवाल उठाए जा रहे हैं. कई नेता भी उनके इस बयान से निराश हैं. Latin भाषा में युद्ध-दक्षता का सिद्धांत दो हज़ार साल से भी अधिक पुराना है "Si vis pacem para bellum", जिस का अर्थ है "यदि आप शांति चाहते हैं, तो युद्ध की तैयारी करें". यह सिद्धांत आज भी प्रासंगिक है. Pistorius ने अपनी कानूनी शिक्षा में इस के बारे में ज़रूर पढ़ा होगा. शायद इस शब्द रचना से वे अपनी अलग पहचान बनाना चाहते थे.

विदेश मन्त्रालय ने नौ Goethe संस्थानों को बन्द करने का निर्णय लिया है. प्रभावित स्थान हैं Bordeaux, Curitiba (Brazil), Genua, Lille, Osaka, Rotterdam, Triest, Turin और Washington, D.C. इसे Germany के लिए शर्म की बात माना जा रहा है. इसका मतलब है German भाषा और संस्कृति का कम संचार. Willy Brandt ने German संस्कृति और उस के संचार को German विदेश नीति का तीसरा स्तंभ बताया था. वर्तमान विदेश मन्त्री Annalena Baerbock को इतिहास में दूसरे देशों के साथ सांस्कृतिक सम्बन्धों को नष्ट करने वाले व्यक्ति के रूप में जाना जाएगा.

सोमवार, 27 नवंबर 2023

अपनी बेटी से करवाई वेश्यावृत्ति

Schweinfurt के जिला न्यायालय में 17 January से एक मुकदमे की शुरूआत हुई जिस में एक 54 वर्षीय व्यक्ति पर 2015 और 2016 के बीच Hammelburg इलाके में अपनी 51 वर्षीय दोस्त की कम उम्र की बेटी के यौन शोषण और उस के बालिग होने के बाद उससे जबरन वेश्यावृत्ति करवाने का और दलाली का आरोप है. पीड़िता की मां पर भी अपने दोस्त की मदद करने का और अपनी बेटी को वेश्यावृत्ति के लिए उकसाने का आरोप है. जांच-कर्ताओं के अनुसार वह खुद भी वेश्यावृत्ति में संलिप्त थी.

रविवार, 26 नवंबर 2023

फुटबाल खिलाड़ियों की आक्रामक ख़रीद-फरोख्त

3 January, 2023, वह दिन जब football जगत में एक नई शक्ति का उदय हुआ।

पांच बार के विश्व footballer Christiano Ronaldo को January 2023 की शुरुआत में एक बड़े laser show के साथ सऊदी अरब में अपने नए club अल-नासर से परिचित कराया गया. उस समय कोई नहीं जानता था कि Ronaldo की यह प्रतिबद्धता एक अभूत-पूर्व आक्रामक ख़रीदारी की शुरुआत है और एक खतरनाक रणनीति का हिस्सा है जिस के साथ रेगिस्तानी राज्य पैसे के नए स्रोत खोलना चाहता है, युवाओं को अपनी तरफ़ आकर्षित करना चाहता है और मानवाधिकारों के उल्लंघन से ध्यान भटकाना चाहता है.

खिलाड़ियों की ख़रीदारी की होड में एक नया देश

Christiano Ronaldo के बाद 2023 की गर्मियों में 50 से अधिक खिलाड़ी European clubs को छोड़ कर सऊदी अरब लीग में आ गए. केवल स्थानांतरण पर 80 करोड़ Euro से अधिक खर्च किए गए. ख़रीदे गए कई सितारे उच्चतम स्तर पर खेल चुके हैं: Benzema, Mané, Mahrez, Firmino, Henderson और Kanté वर्तमान या पूर्व Champions League विजेता हैं. पत्रकार Martyn Ziegler ने संक्षेप में कहा, »अब एक नया खिलाड़ी बाज़ार में है.« Ronaldo ने कहा  हैं: »मैंने मार्ग प्रशस्त किया, और अब सभी खिलाड़ी यहां आ रहे हैं.«

3 January, 2023 को football के 37 वर्षीय स्वयंभू राजा Christiano Ronaldo का अल-नासर club में laser show, एक बड़े आतिशबाज़ी प्रदर्शन और उत्साही प्रशंसकों के 'we love you' के नारों के साथ भव्य स्वागत हुआ. आखिरकार पूरा अरब देश उस के चरणों में पड़ा था. €200m के अपने कथित वार्षिक वेतन को देखते हुए उसने ख़ुशी से बयान दिया »Europe में मैं अपना काम कर चुका हूं. अब नई चुनौती का समय है.« उम्रदराज़ superstar के पास सभी आलोचकों के लिए एक सन्देश भी था, भले ही अनजाने में यह एक मज़ाक बन गया: »मुझे इसकी परवाह नहीं है कि लोग क्या कहते हैं. दक्षिण Africa में आना मेरे career का अन्त नहीं है.« Ronaldo का सऊदी अरब को गलती से दक्षिण Africa में स्थित मान लेना उन लोगों को पसन्द आया जिन्होंने Ronaldo के इस रेगिस्तानी राज्य में जाने के बाद उस का तिरस्कार और उपहास किया है. आखिर Ronaldo का तिरस्कार करने वालों का आरोप कि वह मोटी रकम के लिए वह तीसरे दर्जे की circus league में अपना career बरबाद कर रहा है, अनुचित नहीं है. लेकिन Ronaldo तो केवल शुरुआत है. क्योंकि उस के कुछ ही महीनों बाद, एक अभूत-पूर्व ख़रीदारी अभियान में कई football सितारे रेगिस्तान में उस का पीछा करते आए. और Ronaldo के विपरीत, उन में से अधिकांश अभी तक अपने career के शिखर तक नहीं पहुंचे हैं.

सउदी की ख़रीदारी सूची में कौन है?

बड़ी ख़रीदारी की होड जून 2023 में पूर्व Real Madrid star footballer Karim Benzema के अल-इत्त-ए-हाद में स्थानांतरित होने के साथ शुरू हुई. अगले हफ़्तों में कई football खिलाड़ियों ने उस का अनुसरण किया. इन में Bayern Munich के Sadio Mané, Liverpool के कप्तान Jordan Henderson और Brazil के superstar Neymar शामिल थे. Roberto Mancini और Steven Gerrard जैसे प्रमुख coach भी पैसे के पीछे भागते आए. लेकिन विशेष रूप से Neymar का €90m का अनुबन्ध, जिस में कथित तौर पर आठ luxury कारें, एक निजी Jet और सऊदी अरब का प्रचार करने के लिए प्रत्येक social media post के लिए 500,000 Euro का bonus भी शामिल है, ने विशेष हल-चल पैदा की. लेकिन विश्व football के सब से प्रमुख खिलाड़ी, Paris St. Germain के striker Kylian Mbappé को लुभाया नहीं जा सका. football club अल-हिलाल ने 24 वर्षीय French खिलाड़ी को एक season के लिए €700m की पेशकश की. लेकिन Mbappé ने इसे स्वीकार नहीं किया. megastar Lionel Messi के रेगिस्तान में जाने की बजाए America के Inter Miami में जाने के लिए लोगों ने तारीफ़ की. लेकिन बहुत लोग यह नहीं जानते कि 36 वर्षीय Messi सऊदी अरब का आधिकारिक पर्यटन राजदूत है और कथित तौर पर उसे प्रति वर्ष €25m मिलते हैं.


2023 की शुरुआत से Ronaldo की मशहूर number 7 वाली T-Shirt दिन में लगभग 400 बार बिकती है और tickets की बिक्री दोगुनी हो गई है. Ronaldo €200m के अनुमानित वार्षिक वेतन के साथ सऊदी Pro League में शीर्ष कमाई करने वाले व्यक्ति हैं. उनके बाद N'Golo Kanté (€100m), Neymar (€80m), करीम Benzema (€50m) और Sadio Mané (€40m) हैं. अल-एत्तिफाक में शामिल होने के साथ Liverpool के दिग्गज Steven Gerrard दुनिया में सब से अधिक भुगतान पाने वाले coaches में चौथे स्थान पर पहुंच गए हैं. अनुमानित वार्षिक वेतन: €17m.

खेल में इस आक्रामकता के पीछे कौन है?

इस वैश्विक खेल आक्रामकता के पीछे PIF है, सऊदी अरब के राज-कुमार और वास्तविक शासक मुहम्मद बिन-सलमान द्वारा नियन्त्रित $650b का सम्प्रभु धन-कोष, यानि 'सार्वजनिक निवेश कोष' (PIF). उस के माध्यम से अरबों dollar formula 1, मुक्केबाज़ी, golf और football में प्रवाहित होते हैं. चाहे England में Newcastle United हो, जहां सऊदी अरब के लाखों Dollers की बदौलत Champions League फिर से खेली जा रही है, या सऊदी के अल-नासर, अल-हिलाल, अल-इत्त-ए-हाद और अल-अहली clubs हों, ये सभी PIF के हाथों में हैं.  सऊदी के चारों शीर्ष clubs में PIF की 5% हिस्सेदारी है. इसका $650b का budget भविष्य के निवेश के लिए लगभग अटूट भण्डार है. इस के अलावा, December में Italian Super-Copa, Spanish Supercup या FIFA club विश्व कप जैसे खेल आयोजन सऊदी अरब में होंगे. बिन-सलमान सरकारी television पर खुले तौर पर कहते हैं कि अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रभाव की आवश्यकता है, और PIF इस के लिए एक-दम सही साधन है: »यदि आपके पास दुनिया में प्रभाव है और कई क्षेत्रों में एक प्रेरक शक्ति होने की प्रतिष्ठा है तब दुनिया आपके निवेश के लिए अधिक खुली होगी, और इससे नए अवसर पैदा होंगे.« Princeton विश्व-विद्यालय के मध्य पूर्व विशेषज्ञ Bernard Haykel इसकी पुष्टि करते हैं: »लोग सोचते होंगे कि सऊदी अरब यात्रा करने के लिए एक अच्छी जगह है, आप वहां मौज-मस्ती कर सकते हैं, वहां मनोरञ्जन है, और यह एक ऐसी जगह है जहां आपको पैसा निवेश करना चाहिए. सऊदी एक brand बनाने की कोशिश कर रहा है.«

यह आक्रामकता एक बड़े पैमाने की रणनीति का हिस्सा है जिस के माध्यम से crown prince धन के नए स्रोत खोलना चाहता है और अपने देश को मध्यम अवधि में तेल निर्यात से होने वाली आय से स्वतन्त्र बनाना चाहता है. खेल में निवेश के अलावा कई अन्य महत्वाकांक्षी निर्माण परियोजनाएं भी इस में शामिल हैं. जैसे लाल सागर पर 'Neom' शहर जिस में 170km लम्बी इमारत बनाई जाएगी, या रियाद में बनाई जा रही 'Mukaab' नामक 400 meter ऊंची और चौड़ी cube-नुमा इमारत. 38 वर्षीय तानाशाह बिन-सलमान सऊदी अरब के रूढ़िवादी साम्राज्य को एक उच्च तकनीक वाले राज्य में बदलना चाहता है जो दुनिया भर से निवेशकों और पर्यटकों को आकर्षित करेगा. साथ ही वह इन निर्माण परियोजनाओं और खेल आयोजनों के साथ विशेष रूप से युवा सऊदी आबादी को अपनी ओर आकर्षित करने की कोशिश कर रहा है जिस में 70% लोग 35 से कम उम्र के हैं. बाहरी दुनिया को वह आधुनिक और खुले दिल का प्रतीत होता है. 2018 में उसने cinema-घरों को खोलने और महिला कलाकारों के प्रदर्शन की अनुमति दी. उसने महिलाओं को football stadium जैसे खेल स्थलों तक पहुंच की भी अनुमति दी. इस तरह बिन-सलमान को आलोचनात्मक आवाज़ों के उठने से बचने की उम्मीद है. उसे एक अन्य अरब क्रांति के अलावा किसी चीज़ का डर नहीं.

मृत्यु दण्ड की संख्या नाटकीय रूप से बढ़ रही है

लेकिन आलोचनात्मक आवाज़ें बढ़ेंगी, क्योंकि सऊदी अरब में मानवाधिकारों का उल्लंघन अभी भी खुल कर हो रहा है. भले ही भव्य खेल आयोजनों के द्वारा इससे ध्यान भटकाया जा रहा हो. सऊदी वकील ताहा अल-हाजी बताते हैं »इन सौदों और बड़े खेल आयोजनों के साथ सऊदी सरकार फ़ांसियों और दमन को छुपाना चाहती है और press और जनता को धोखा देना चाहती है.« मानवाधिकार कार्य-कर्ता Lina AL-Hathloul इसकी पुष्टि करती हैं: »लोगों को मनमाने ढंग से गिरफ़्तार किया जाता है और दर्शकों के लिए jail में डाल दिया जाता है. फ़ैसले बन्द दरवाज़ों के पीछे पारित किए जाते हैं. पूछताछ के दौरान लोगों को प्रताड़ित किया जा रहा है, जिन में मेरी बहन भी शामिल है. मृत्यु दण्ड की संख्या में नाटकीय रूप से वृद्धि हुई है.« वास्तव में 2017 में बिन-सलमान को crown prince नियुक्त किए जाने के बाद से देश में फ़ांसी की सजा लगभग दोगुनी हो गई है.

इस लिए हर किसी को इस बात की जानकारी होनी चाहिए कि इन लेन-देन से उत्पन्न प्रत्येक पैसा सिंहासन के उत्तराधिकारी के पास वापस जा रहा है. »हम उसे और अधिक शक्ति दे रहे हैं.« AL-Hathloul ने कहा, »हम किसी ऐसे व्यक्ति को सशक्त बना रहे हैं जो मौतों के लिए ज़िम्मेदार है.« इस बयान में अन्तर-राष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करता हुआ यमन युद्ध और 2018 में मारा गया सऊदी अरब का पत्रकार 'Jamal Khashoggi' भी सन्दर्भित है. अमेरिकी खुफिया जानकारी के अनुसार crown prince की कहने पर उस की हत्या कर दी गई थी. इस के अलावा मानवाधिकार संगठन 'human rights watch' के अनुसार सऊदी सीमा रक्षकों ने पिछले डेढ साल में Ethiopia के सैकड़ों शरणार्थियों को जान-बूझ-कर गोली मार दी है.

अगला गन्तव्य: WM 2034

मुहम्मद बिन-सलमान तमाम आलोचनाओं से घबराता नहीं है. हाल ही में एक साक्षात्कार में जब उससे इस बारे में पूछा गया, तो उसने जवाब दिया: »अगर sportwashing से हमारा सकल घरेलू उत्पाद एक प्रतिशत बढ़ता है, तो हम इसे जारी रखेंगे!« अगले प्रमुख आयोजनों की योजना पहले से ही बनाई जा चुकी है: 2029 में Asian शीतकालीन खेल सऊदी अरब के रेगिस्तान के बीच में होंगे. October के अन्त में सऊदी अरब को 2034 के football विश्व कप से भी सम्मानित किया गया. और जल्द ही अरब प्रायद्वीप में नए football सितारे लाए जा सकते है. अल-हिलाल ज़ाहिर तौर पर अपने घायल superstar Neymar को किसी अन्य प्रतिष्ठित नाम के साथ बदलना चाहेगा. Lionel Messi और Kylian Mbappé फिर से club की इच्छा सूची में शामिल हो सकते हैं. अगला record स्थानांतरण January 2024 में फिर से सऊदी अरब में आतिशबाज़ी और laser show के साथ मनाया जा सकता है.

शनिवार, 25 नवंबर 2023

भांग के पौधे की शक्ति

भांग के पौधे में कई प्रतिभाएं हैं. भांग के उत्पाद आन्तरिक उपयोग और त्वचा और बालों की देख-भाल के लिए बहुत लोकप्रिय हैं. इस लेख में आप पारम्परिक फसल और उससे प्राप्त भांग के बीज के तेल के सकारात्मक गुणों के बारे में जानेंगे.

मानवता के सब से पुराने और सब से विविध खेती वाले पौधों में से एक के रूप में भांग का इतिहास बहुत पुराना है. हज़ारों वर्षों से भांग की फसल आर्थिक रूप से कच्चे माल का एक महत्वपूर्ण स्रोत और कृषि का एक अभिन्न अंग थी, जब तक कि 20 वीं शताब्दी में mechanization के परिणाम-स्वरूप धीरे-धीरे इसका महत्व कम नहीं हो गया और अन्तत: 1930 के दशक में नशीले पदार्थों के लिए कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता के रूप में यह बदनाम हो गई. लेकिन हाल ही में इस पूर्व super-plant का महत्व फिर से बढ़ गया है. केवल इस के बहुमुखी लाभों के कारण ही नहीं बल्कि कई अच्छे अवयवों के कारण भी.

वाणिज्यिक या औद्योगिक भांग से तात्पर्य भांग की उन सभी किस्मों से है जो दवाओं या व्यावसायिक उपयोग के लिए उगाई जाती हैं. भांग का उपयोग मुख्य रूप से कपड़ा, रस्सियां और कागज़ उद्योग के लिए कच्चे माल के रूप में रेशे निकालने के लिए किया जाता है. पौधे के फूलों, पत्तियों और बीज को मूल रूप से उपोत्पाद माना जाता था. लेकिन अब इन की मांग तेज़ी से बढ़ रही है. जहां फूलों और पत्तियों को भांग के तेल में संसाधित किया जाता है, बीजों का उपयोग भांग के बीज के तेल का उत्पादन करने के लिए किया जाता है.

भांग के बीज एक पतले लेकिन मजबूत खोल से घिरे हुए छोटे नट होते हैं. भूरे से हरे-भूरे रंग के दाने 3-4 mm आकार के होते हैं. इन्हें छील कर या बिना छिले, कच्चा या भून कर खाया जा सकता है. भांग के बीजों में उच्च गुणवत्ता वाले protein, वसा, fibre और खनिज, vitamin और carbohydrate होते हैं. वे मानव शरीर में आवश्यक amino acid की आपूर्ति करते हैं. अब उन्हें एक वास्तविक super-food माना जाता है. भांग के बीज का तेल भी मेवों की तरह ही पोषक तत्वों से भरपूर होता है. जैसा कि नाम से पता चलता है, यह भांग के पौधे के छिलके वाले या बिना छिलके वाले बीजों से प्राप्त किया जाता है. ऐसा करने के लिए, उन्हें cold-press किया जाता है: दबाव जितना हल्का होगा, तैयार वनस्पति तेल उतना ही अधिक पोषक तत्वों से भरपूर और उच्च गुणवत्ता वाला होगा. इसका उपयोग आन्तरिक और बाहरी, दोनों तरह से किया जा सकता है. रसोई में खाना पकाने के तेल के लिए या त्वचा और बालों की देख-भाल के लिए. इसका उपयोग कभी-कभी चिकित्सा में भी किया जाता है.

हाल के वर्षों में प्रसाधन सामग्री के रूप में भांग की मांग में भारी उछाल आया है. खास कर जब सुन्दरता की बात आती है. भांग के बीज का तेल अब सौंदर्य प्रसाधन उद्योग का एक अभिन्न अंग बन गया है. विशेष कर प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधनों के क्षेत्र में इसका उपयोग सभी प्रकार के मलहम, cream, साबुन और shampoo में किया जाता है. लेकिन भांग के बीज के तेल को शुद्ध रूप में बाहरी तौर पर भी इस्तेमाल किया जा सकता है. यह आराम देता है, पोषण देता है और त्वचा को पुनर्जीवित करता है. यह सभी प्रकार की त्वचाओं के लिए उपयुक्त है. यह त्वचा के छिद्रों को बन्द किए बिना जल्दी से अवशोषित हो जाता है. तेल में मौजूद omega-3 और omega-6 fatty acid त्वचा की प्राकृतिक सुरक्षात्मक बाधा पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं और कोशिका नवीनीकरण में मदद करते हैं. anti-aging के मामले में भी यह वनस्पति तेल प्रभावशाली है क्योंकि इस में मौजूद linolic acid छोटी झुर्रियों को कम कर सकता है और समय से पहले त्वचा को ढीला होने से रोक सकता है. भांग के बीज का तेल ना केवल एक अच्छा moisturiser है, बल्कि इस में सूजन-रोधी गुण भी होते हैं जो दाग-धब्बों और जलन या चकत्ते को शांत करने में मदद कर सकते हैं. अनुभव reports के अनुसार यह तेल मुंहासे, eczema, neurodermitis या psoriasis जैसे त्वचा रोगों के लिए भी प्रभावी साबित हुआ है. बाहरी उपयोग त्वरित और आसान हैं: पहले गर्म पानी से साफ़ की गई त्वचा पर तेल लगाएं और अपनी उंगलियों से धीरे से मालिश करें. भांग के बीज का तेल सूखे बालों और खोपड़ी की देख-भाल के लिए भी उपयुक्त है: बस उपचार के रूप में इससे मालिश करें और 20 minute के बाद धो लें.

भांग के बीज के तेल का मानव शरीर पर कोई मनो-वैज्ञानिक प्रभाव नहीं पड़ता है. ऐसा इस लिए है क्योंकि भांग के पौधे के बीज, साथ ही उनसे प्राप्त तेल में नशीले पदार्थ tetrahydrocannabinol (THC) की मात्रा बहुत कम या बिल्कुल नहीं होती है. यही बात CBD तेल पर भी लागू होती है. इस में THC सामग्री अधिकतम 0.2 प्रतिशत है. उच्च THC सामग्री वाले औद्योगिक भांग को वैसे भी Europe में उगाने की अनुमति नहीं है. सामान्य तौर पर, Germany में भांग से बने और उसमें मौजूद उत्पाद ख़रीदना पूरी तरह से कानूनी है. केवल उच्च THC सामग्री वाले नशीले भांग उत्पादों की ख़रीद अवैध है - जब तक कि उन्हें दवा के रूप में निर्धारित ना किया गया हो.

भांग के बीज के तेल और CBD तेल में क्या अन्तर है?
हालांकि दोनों तेल एक ही पौधे से आते हैं, फिर भी वे अलग-अलग हैं. अन्तर उत्पादन, अनुप्रयोग और सामग्री में है. भांग के बीज के तेल के विपरीत, जो विशेष रूप से भांग के बीज से प्राप्त होता है, CBD तेल का उत्पादन थोड़ा अधिक जटिल है. यहां महत्वपूर्ण कारक cannabidiol (CBD) का निष्कर्षण है, जो भांग के पौधे के कई अवयवों में से एक है. ऐसा कहा जाता है कि इस में सूजनरोधी, आराम देने वाला, ऐंठनरोधी और दर्द निवारक प्रभाव होता है. CBD तेल को तीन से चार बूंदों की छोटी मात्रा में या capsule के रूप में शुद्ध रूप से लिया जा सकता है, लेकिन बाहरी उपयोग के लिए सौंदर्य प्रसाधनों के साथ-साथ CBD cookies, chewing gum या chocolate जैसे निर्दिष्ट खाद्य उत्पादों में भी पाया जा सकता है. cannabidiol मादा भांग के पौधे के फूलों और पत्तियों से प्राप्त किया जाता है. फिर तैयार CBD तेल बनाने के लिए इसे भांग के बीज, जैतून या नारियल के तेल के साथ मिलाया जाता है. जहां भांग के बीज का तेल लगभग cannabidiol से मुक्त होता है, CBD तेल में आम-तौर पर 5, 10, 15 या 20 प्रतिशत सक्रिय घटक होते हैं.

अपने सपनों को कैसे हासिल करें

यदि सब कुछ सम्भव हो तो आप क्या करना चाहेंगे? यदि हम अपने भीतर गहराई से सुनें, तो देर-सबेर हमें उत्तर मिल ही जाएगा. हमें बस अपने आप से सही प्रश्न पूछने के लिए कुछ समय चाहिए. अभी कैसा रहेगा? इस लेख के साथ हम आपको जीवन में अपने व्यक्तिगत सपनों का पता लगाने के लिए और अन्तत: उन्हें क्रियान्वित करने के लिए आमन्त्रित करते हैं.

हर चीज़ हमेशा असम्भव लगती है जब तक कि पूरी ना हो जाए.
Nelson Mandela (1918-2013)

क्या आपने अनायास ही कुछ ऐसी चीज़ों के बारे में सोचा है जो आप करना चाहते हैं? यदि नहीं, तो बेझिझक अपनी कल्पना को थोड़ा धक्का दें और कुछ minutes के लिए इस के बारे में सोचें. या इससे भी बेहतर: अपने भीतर महसूस करें कि कौन से विचार आपको प्रेरित करते हैं और जिन से आपको अच्छा महसूस होता है. यह बेतुका लग सकता है. लेकिन स्वतन्त्र सपने देखना समय की बरबादी नहीं है, बल्कि यह हमारी रचनात्मकता और मस्तिष्क के लिए अच्छा है. इससे हमारा मस्तिष्क अपने द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तर खोजने के लिए प्रशिक्षित होता है. हमारी ऊर्जा हमारे focus का अनुसरण करती है: जैसे ही हम सोचते हैं कि कुछ असम्भव है, हम हमेशा कारण ढूंढ लेंगे कि यह सम्भव क्यों नहीं है. इस लिए यदि आप हर असामान्य विचार के बारे में सोचते हैं कि यह वैसे भी काम नहीं करेगा, तो आपको खुद से पूछना चाहिए: यह कैसे काम कर सकता है?

अक्सर हम रचनात्मक समाधान तलाशना भूल जाते हैं. यह अकारण नहीं है कि अनुभवी मानसिक प्रशिक्षक हमें इस बात से अवगत होने के लिए कहते हैं कि हम वास्तव में क्या चाहते हैं. क्योंकि तभी हमारा मस्तिष्क इसे साकार करने के तरीके खोजेगा. शायद हर बड़ा सपना सच नहीं होगा और अन्तिम परिणाम मूल इच्छा से बिल्कुल अलग हो सकता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि सपने को पूरी तरह से भुला दिया जाए. जो कोई भी आगे की सोचता है और लगातार खुद को नया रूप देता है, उसे नए रास्ते और समाधान मिल जाएंगे. एक अनुकूलित दृष्टि का कार्यान्वयन हमें कुछ पूरी तरह से अलग और बहुत अधिक महत्वपूर्ण सिखा सकता है: अन्त में यह मायने नहीं रखता है कि हम ने एक विशिष्ट लक्ष्य हासिल कर लिया है, बल्कि यह कि हम इसे कैसे आकार देते हैं और अनुभव करते हैं. 

जीवन के सपनों को अमल में लाने का मतलब सब कुछ पाना नहीं है. कभी-कभी हमें एक चीज़ के लिए कुछ और छोड़ना पड़ता है. जैसे अपने पीछे एक अच्छी नौकरी और प्रिय सह-कर्मियों को छोड़ कर उस स्थान पर एक नया अस्तित्व बनाने के लिए जाना जिस के लिए हम तरस्ते हैं. अपनी जीवन्तता को महसूस करने के लिए अपना सुरक्षित आराम क्षेत्र छोड़ें. सुरक्षित रास्ता चुनने के बजाय एक दृष्टि-कोण के लिए लड़ें. यदि आप अपने सपनों को साकार करना चाहते हैं तो कभी-कभी आप असफ़ल होंगे. लेकिन ये चुनौतियां हैं जिन से हम सीखते हैं और आगे बढ़ते हैं.

इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि यह जीवन का कौन सा क्षेत्र है: गहन अनुभव और जीवन्त भावनाएं सब से कीमती यादों को जन्म देती हैं. नीचे कुछ प्रश्न और सुझाव हैं जिन के द्वारा आप अपने जीवन के सपनों में गहराई से उतर और उन्हें साकार कर सकते हैं.

ख़ुशी अपने अन्दर ही है. कुछ सवाल हैं जो हम सभी को खुद से पूछने चाहिए. अपने लिए कुछ क्षण निकालें, किसी अच्छी जगह पर बैठें, चाहे घर के अन्दर हो या बाहर, और इन सवालों के बारे में सोचें. साथ ही एक पुस्तिका में लिखें.

आखिरी बार कब मैं सच-मुच ख़ुश हुआ था?
हल्कापन, आन्तरिक शांति, परमानन्द, प्रेरणा. ये वे भावनाएं हैं जो हम ख़ुश होने पर महसूस करते हैं. एक क्षण के लिए रुकें और उन क्षणों को याद करें जब आपने खुद को उत्साहपूर्ण और जीवन्त महसूस किया था. आप किस बात का इन्तज़ार कर रहे हैं? अक्सर हम दिमाग से और उस तरीके से कार्य करते हैं जिस की हम से और हमारे आदर्शों से अपेक्षा की जाती है. हम सोचते हैं कि हम तभी ख़ुश होंगे जब हम यह और वह हासिल कर लेंगे. हम अक्सर भूल जाते हैं कि एक बच्चे के रूप में अपनी भावनाओं और अन्तर्ज्ञान पर भरोसा करना कितना आसान था, हम अपने आस-पास की हर चीज़ को भूल जाते हैं और बस यहां और अभी का आनन्द लेते हैं.

मैं कैसे पता लगाऊं कि मैं वास्तव में क्या चाहता हूं?
हर कोई सुखी और सन्तुष्ट जीवन जीना चाहता है. लेकिन हम इसे कैसे हासिल करें? बहुत से लोग नहीं जानते कि वे वास्तव में क्या चाहते हैं क्योंकि उन्होंने केवल यह देखा है कि दूसरे क्या कर रहे हैं, और उनकी नक़ल कर रहे हैं. हमारे कपडों की पसन्द से ले कर हमारे व्यवहार और आदर्शों तक, हम खुद को दूसरे लोगों से प्रभावित होने देते हैं और कम से कम सवाल करते हैं कि हम खुद क्या कर रहे हैं और क्या यह वास्तव में वही है जो हम चाहते हैं. पहली नज़र में यह कभी-कभी आसान लगता है, लेकिन यह हमें दीर्घ-कालिक रूप से ख़ुश नहीं करता है. इस के बजाय, हमें इस तथ्य के बारे में अधिक जागरुक होना चाहिए कि कोई भी हमें यह नहीं बता सकता कि हमें कैसे जीना चाहिए - चाहे वह नौकरी हो, प्यार हो, हम कहां रहते हैं या जीवन के प्रति हमारा दृष्टि-कोण क्या हो. हमारे पास अविश्वसनीय संख्या में विकल्प हैं. लेकिन समस्या अक्सर यहीं होती है: हम इस स्वतन्त्रता से अभिभूत होते हैं और कथित रूप से अधिक जटिल मार्ग से बचते हैं. और अब अपने आप से पूछें: मैं वास्तव में क्या चाहता हूं?

कल्पना ज्ञान से अधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि ज्ञान सीमित है.
Albert Einstein (1879-1955)

व्यक्तिगत ख़ुशी की तीन युक्तियां
1. यदि आप अपनी कल्पना को खुला छोड़ दें, तो एक उत्तम दिन कैसा दिखेगा? इसे लिख लें - चुनाव आपका है. Harvard के एक अध्ययन के अनुसार, जो लोग अपने लक्ष्य और दृष्टि-कोण को लिखते हैं उनके उन्हें हासिल करने की सम्भावना काफ़ी अधिक होती है.

2. हम सभी अच्छे पुराने पक्ष और विपक्ष की सूची को जानते हैं. यह वास्तव में "मैं वास्तव में क्या चाहता हूं?" के प्रश्न का उत्तर देने में मदद कर सकती है. बस अपने मन की नहीं, बल्कि अपने अन्तर्मन की सुनें और लिखें. अपनी भावनाओं पर ध्यान केन्द्रित करें और सचेत रूप से अपने आप से पूछें: मैं कहां जाना चाहता हूं, भले ही मेरा दिमाग मुझे पूरी तरह से कुछ अलग बताता हो? मेरा अन्तर्ज्ञान मुझे क्या बताता है?

3. ज़्यादा मत सोचो, बस करो! यह जानने के लिए कि क्या कोई चीज़ हमें सच-मुच ख़ुश करती है, हमें उसे आज़माना होगा. आप यह कैसे पता लगा सकते हैं कि क्या आपको वास्तव में नृत्य पसन्द नहीं है, यदि आपने कभी प्रत्यक्ष रूप से महसूस नहीं किया है कि संगीत और लय का हम पर क्या प्रभाव पड़ता है? लगातार बने रहना महत्वपूर्ण है. कुछ चीज़ों के लिए थोड़े अभ्यास की आवश्यकता होती है.

रचनात्मकता दिमाग से शुरू होती है: दिवास्वप्न देखना क्यों महत्वपूर्ण है. "क्या आप फिर से हवा में देख रहे हैं?" हमारे समाज में दिवास्वप्न का अनुचित रूप से नकारात्मक अर्थ निकाला जाता है. जो कोई भी अक्सर अपने विचारों को भटकने देता है, उसे जल्द ही एक अविश्वसनीय स्वप्नपंथी के रूप में देखा जाता है. लेकिन मनो-वैज्ञानिकों का अनुमान है कि औसतन हम अपने जागने के समय का लगभग पचास प्रतिशत समय दिवास्वप्न देखने और autopilot पर बिताते हैं; यानी किसी गतिविधि को करते समय अन्य चीज़ों के बारे में सोचना, योजनाएं बनाना और अनुभवों पर विचार करना. आश्चर्य-जनक बात यह है कि तथा-कथित उत्तेजना-स्वतन्त्र सोच, कल्पना, रचनात्मकता और समस्या-समाधान कौशल को उत्तेजित करती है. अक्सर हम केवल उस समाधान के बारे में ही जानते हैं जो हम ने पहले दिवास्वप्न में पाया था. इस लिए सपने देखते समय दिमाग को कोई break नहीं मिलता, बल्कि वह पूरी गति से चलता है. दुर्भाग्य से, कुछ लोग शीघ्र ही नकारात्मक चिन्तन की ओर चले जाते हैं. जैसे ही हम नकारात्मक श्रृंखलाओं का अनुभव करें, हमें दृढ़तापूर्वक उन्हें सकारात्मक श्रृंखलाओं से बदल देना चाहिए.

रचनात्मक दिवास्वप्न का सचेत रूप से बैठ कर, टहलने के लिए जा कर, या यहां तक कि घर के काम करने के दौरान अभ्यास किया जा सकता है. इस दौरान एक इरादा निर्धारित करें लेकिन लक्ष्य नहीं. जैसे ख़ुश और जीवन्त महसूस करें लेकिन इस के फल से अभिभूत ना हों. उन चीज़ों को छोड़ दें जो आप पर बोझ डालती हैं और खुद को नई चीज़ों के लिए खोलें. अपनी कल्पना को खुला छोड़ दें और इसे अपनी सोच को सीमित नहीं रखें.

हम सम्भावनाओं की सीमाओं को कैसे पार करते हैं: Roger Bannister प्रभाव
1954 में एक अंग्रेज़ छात्र और मध्यम दूरी के धावक Roger Bannister ने कुछ अविश्वसनीय हासिल किया. उसने एक मील की दौड़ को 03:59 minute में, यानी चार minute से भी कम समय में पूरा किया, जिसे पहले असम्भव माना जाता था. लेकिन विश्व record टूटने के बाद इतने सारे धावकों का मानसिक अवरोध टूट गया कि 1955 के अन्त तक 300 से अधिक लोग चार minute से कम समय में दौड़ने में कामयाब रहे. एक व्यक्ति ने अपनी इच्छा-शक्ति और विश्वास के माध्यम से जो हासिल किया उस का दूसरों पर स्थायी प्रभाव पड़ा.

आपका लक्ष्य, आपका सपना आपकी आंखों के सामने स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है. अब कार्यवाही करने और अपने लक्ष्य के करीब पहुंचने का समय आ गया है. इच्छा पूर्ति छह चरणों में:

1. इरादा: मैं क्या हासिल करना चाहता हूं और क्यों?
2. सम्बन्ध: इस में मुझे क्या उत्साहित करता है? मैं इस के साथ क्या महसूस करना चाहता हूं?
3. समाधान ढूंढना: मैं लक्ष्य कैसे प्राप्त कर सकता हूं? क्या काम नहीं कर रहा और वह कैसे ठीक हो सकता है?
4. साहस: मैं अपने लक्ष्य के प्रति कैसे खड़ा रह सकता हूं? मुझे किस चीज़ का डर है?
5. क्रिया: मैं अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए आज क्या कर रहा हूं?
6. चिन्तन: मैंने पहले क्या सीखा है और मैं अलग तरीके से क्या कर सकता हूं?

भविष्य उनका है जो अपने सपनों की सच्चाई पर विश्वास करते हैं. Eleanor Roosevelt (1884-1962)

पुस्तक tip:
"जीवन के पांच बड़े मंत्र"
जीवन में वास्तव में क्या मायने रखता है
John Strelecky द्वारा

अपनी नौकरी से असन्तुष्ट एक कर्मचारी 'Joe' संयोग से करिश्माई व्यवसायी Thomas से मिलता है. दोनों व्यक्तियों के बीच जल्द ही गहरी दोस्ती हो जाती है, जिस में Thomas 'Joe' का गुरु बन जाता है और उसे अपनी सफ़लता के रहस्य बताता है. Thomas अपनी company को एक दिशा-निर्देश के आधार पर चलाता है: प्रत्येक कर्मचारी को अपने जीवन के वे पांच लक्ष्य पता होने चाहिए जिन्हें वे जीवन में हासिल करना चाहते हैं. क्योंकि पैसा कमाने के लिए काम करना अतीत की बात है. आज से, लक्ष्य है: व्यक्तिगत सन्तुष्टि पाने के लिए काम करना.
DTV, €9.90
ISBN: 978-3-423-34528-6

चांद पर दावा करने वालों में भारत शामिल

2023 में भारतीय चन्द्र-यान-3 के चांद पर पहुंचने और रूसी लूना-25 अन्तरिक्ष यान की असफ़लता से चन्द्रमा एक बार फिर विश्व राजनीति का केन्द्र बिन्दु बन गया है।

अब तक केवल संयुक्त राज्य America, Soviet संघ और चीन ही चन्द्रमा पर soft landing करने में सफ़ल रहे थे। लेकिन 14 जुलाई 2023 को चन्द्र-यान-3 के प्रक्षेपण के साथ भारत भी 'चन्द्र राष्ट्र club' में शामिल हो गया। 2019 में चन्द्र यान-3 का पूर्ववर्ती यान (चन्द्र-यान-2) एक landing प्रयास के दौरान दुर्घटना-ग्रस्त हो गया था। इस लिए चांद के Manzinus crater के लिए mission दोहराया गया. शोध-कर्ताओं को चन्द्रमा के गड्ढों की छाया में बर्फ़ मिलने की उम्मीद है जिससे वे चन्द्रमा पर बसने वालों के लिए पानी बना सकें. चन्द्र-यान-3 इस खोज में शामिल कई चन्द्र कार्यक्रमों में से एक है। 

प्रज्ञान rover और विक्रम lander, दोनों चन्द्र-यान-3 mission का हिस्सा हैं, जो 14 July, 2023 को भारत के सतीश धवन अन्तरिक्ष केन्द्र से launch हुआ और 23 August को Manzinus crater के तल पर नर्म landing के साथ समाप्त हुआ. यह हमारी पृथ्वी के उप-ग्रह पर कोई ऐसी वैसी जगह नहीं, बल्कि वह जगह है जहां मानवता का भविष्य तय हो सकता है. और भारत वहां अपना पहला दावा पेश करने के लिए अपनी पूरी ताकत से प्रयास करने वाला एकमात्र देश नहीं है।

Manzinus crater चन्द्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास स्थित है. दक्षिणी ध्रुव को वर्तमान में लगभग सभी प्रमुख चन्द्र कार्यक्रमों का सब से महत्वपूर्ण लक्ष्य माना जाने का कारण इसकी अद्वितीय मिट्टी की संरचना है. क्योंकि यहां, जहां 4.3 अरब साल पहले सौर मण्डल के प्रारम्भिक चरण में बड़े पैमाने पर उल्का-पिण्ड बमबारी ने युवा चन्द्रमा की सतह को ध्वस्त कर दिया था, आज अनगिनत, विशाल crater की दीवारें आकाश की ओर फैली हुई हैं. चूंकि शोध-कर्ताओं को सन्देह है कि इन पहाड़ों की शाश्वत छाया में बड़ी मात्रा में पानी की बर्फ़ है और crater के किनारे पर भविष्य में चांद पर बसने वालों के सौर module लम्बी चन्द्र रातों के दौरान भी बिजली पैदा कर सकते हैं।

चन्द्र-यान-3 को अंतरिक्ष में ले जाने के लिए 43.5 meter ऊंचे भारतीय वाहक rocket, "Launch Vehicle Mark 3" को इस्तेमाल किया गया। launch के समय इस rocket का वजन 640 टन था. इसे पहले ही सात missions में सफ़लतापूर्वक उपयोग किया जा चुका है.

26kg वजनी rover 'प्रज्ञान' को चांद पर अन्वेषण के लिए ले जाने के लिए 1,750kg भारी  landing module (lander, विक्रम) का इस्तेमाल किया गया। 2019 में चन्द्र-यान-2 की crash landing के बाद इस बार इसकी टांगों को और मजबूत किया गया है. इस यान में चार mini-rockets रूपी engines हैं जो 800Nm का thrust विकसित कर सकते हैं. पूर्ववर्ती चन्द्र-यान-2 के lander में पांच engine थे. lander विक्रम, चार टांगों पर उड़ने वाले घर जैसा कुछ है। lander को पृथ्वी की तेज़ अण्डाकार कक्षाओं में स्थापित कर के  गुलेल की भांति चन्द्रमा की ओर फेंका गया। जब यह चन्द्रमा से 200 km की दूरी पर था तो चन्द्रमा की बाहरी कक्षा में प्रवेश करने के लिए 30 minute की braking प्रक्रिया शुरू की गई. Europe के उप-ग्रह network Estrack ने lander को चन्द्र कक्षा में लाने में मदद की। इस का एकमात्र यात्री प्रज्ञान आखिरकार 23 August 2023 की दोपहर को अपने छह पहियों पर ramp से नीचे उतरते ही काम पर लग गया।

प्रज्ञान के पास घातक रात होने से पहले ज़्यादा समय नहीं था. क्योंकि चन्द्र रातें 15 दिनों तक चलती हैं और तापमान शून्य से 160 degree Celsius नीचे तक गिर जाता है. छोटे से rover द्वारा विक्रम lander के अन्दर एक छोटे से ramp के माध्यम से अपने परिवहन capsule को छोड़ने और चन्द्रमा की धूल भरी सतह पर उतरने और अपना काम पूरा करने में काफी मूल्यवान समय बीत गया। crater की घाटियों से बचते हुए एक laser plasma spectroscope के साथ चन्द्र धूल को सूंघते हुए और बहुत धीमी गति से चलते हुए प्रज्ञान ने दस दिनों तक नमूने एकत्रित किए। उसने तीन seconds का चन्द्रमा का भूकम्प भी record किया. पृथ्वी के विपरीत, यह दुर्लभ घटना महाद्वीपीय plates के हिलने के कारण नहीं होती है, बल्कि इस लिए होती है क्योंकि चन्द्रमा आज भी ठण्डा हो रहा है और सिकुड़ रहा है. रात होने से पहले प्रज्ञान ने चांद पर sulphur के अस्तित्व की पुष्टि भी की। 101.4 meter चलने के बाद वह अन्तत: रुक गया और एक प्रकार की शाश्वत नींद में चला गया. प्रज्ञान rover Astrobotic technology के CubeRover परिवार से सम्बन्धित है. 

अपने निष्क्रियीकरण से पहले प्रज्ञान ने जो data एकत्रित किया, वह अनुसंधान के लिए अमूल्य है. इस data से पता चला कि Manzinus crater में ज़मीन का तापमान आश्चर्य-जनक रूप से अधिक है, और कम से कम इस स्थान पर बर्फ़ और संसाधन के रूप में पानी की मौजूदगी की कल्पना नहीं की जानी चाहिए. प्रज्ञान ने यह भी दर्शाया कि चन्द्रमा पर मनुष्यों को स्थायी रूप से बसाने के बारे में सोचने से पहले कई और अन्वेषण mission आवश्यक हैं. लेकिन कभी ना कभी तो बाशिन्दे आएंगे ही, इस में कोई सन्देह नहीं.

14 December 1979 को चन्द्रमा पर चलने वाले अन्तिम व्यक्ति Eugene Cernan के पृथ्वी पर लौटने के बाद दुनिया भर में बेहद महंगे और व्यावहारिक रूप से निरर्थक चन्द्र missions में रुचि शून्य हो गई. आज चन्द्रमा को एक बार फिर वैज्ञानिक अन्वेषण का प्राथमिक लक्ष्य माना जा रहा है। और यह केवल चन्द्रमा पर अनुसंधान के लिए या उपनिवेश स्थापित करने के लिए या मंगल ग्रह के प्रवेश द्वार के रूप में या ब्रह्माण्ड पर उपनिवेश स्थापित करने के लिए ही नहीं बल्कि इसलिए कि आने वाले दशकों में चन्द्रमा अंतरराष्ट्रीय राजनीतिक प्रतिस्पर्धा में दुनिया की प्रमुख गुप्त सेवाओं और सेनाओं के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक स्थान का रूप धारण कर लेगा। इसके आर्थिक दोहन के लिए दौड़ शुरू हो चुकी है. चीन 2020 में बड़ी मात्रा में चन्द्रमा की चट्टानें पृथ्वी पर लाने में कामयाब रहा. इस साल भारत के साथ-साथ रूस ने भी 50 साल बाद चांद पर लौटने का प्रयास किया. हालांकि Luna-25 यान landing से पहले चन्द्रमा पर दुर्घटना-ग्रस्त हो गया, लेकिन Luna 26 से 28 के प्रक्षेपण और ground station स्थापित करने की योजना पहले से ही बन चुकी है। वर्तमान में विभिन्न देशों के तीन दर्जन से अधिक चन्द्र mission चल रहे हैं. संयुक्त राज्य America, जो पृथ्वी की कक्षा में एक दीर्घ-कालिक अन्तरिक्ष station और चन्द्रमा पर एक base की योजना बना रहा है, नवीनतम 2028 तक लोगों को फिर से उप-ग्रह पर भेजना चाहता है. इनमें पहली महिला भी शामिल है. यह एक मील का पत्थर साबित होगा. क्योंकि इस बार बात सिर्फ़ चन्द्रमा तक पहुंचने और फिर वापस आने की नहीं बल्कि वहां स्थाई रूप से बसने की है।

शुक्रवार, 24 नवंबर 2023

सवाद का विज्ञान

कोई भी व्यंजन खाते समय हम कुछ ही seconds में तय कर लेते हैं कि यह व्यंजन मीठा है या नमकीन, कड़वा है या खट्टा या एक मांसल-दिल-कश स्वाद जिसे Umami कहते हैं. हम यह भी तय कर लेते हैं कि यह स्वादिष्ट है या नहीं. इस अल्प समय में इतना कुछ तय कर लेने के पीछे एक काफ़ी जटिल प्रक्रिया है जो विभिन्न कारकों से प्रभावित होती है. इस लेख में हम जानेंगे कि हम पांच स्वादों में अन्तर कैसे करते हैं, 'स्वाद क्षमता' कहां से उत्पन्न होती है.

'स्वाद क्षमता' हमारे जन्म से पहले आकार ले लेती है और जन्म के बाद भी विकसित होती रहती है. एक ओर यह बहुत व्यक्तिगत होती है लेकिन दूसरी ओर सारी पीढ़ी का स्वाद समान रूप से विकसित होता है. 1970 के दशक में शिशु आहार में Vanillin मिलाना आम बात थी. इसने बच्चों की 'स्वाद क्षमता' को इतना प्रभावित किया कि यह पीढ़ी आज भी विशेष रूप से vanilla का स्वाद पसन्द करती है और इसे बचपन की यादों और सुरक्षा की भावना से जोड़ती है. आज शिशु आहार में Vanillin मिलाना वर्जित है.

लेकन हम स्वाद को यादों और भावनाओं के साथ क्यों जोड़ते हैं? यह हमारे दिमाग की उपज है. हमारा limbic system खाने में अहम भूमिका निभाता है. यह हमारे मस्तिष्क के तने में वह स्थान है जहां हमारे खाने का अनुभव दर्ज होता है. साथ ही यहां भावनाएं और यादें भी संग्रहित होती हैं. परिणाम: मस्तिष्क खाने के अनुभव को स्मृति और सम्बन्धित भावना से जोड़ता है और इस संयोजन को संग्रहीत करता है. उदाहरण के लिए, आप गर्मियों के बीच में अपनी मां के हाथ की बनी हुई Christmas cookies खाते समय महसूस करते हैं कि अब Christmas आ गया है. यही कारण है कि केवल Christmas cookies ही नहीं, बल्कि मां के अन्य सभी व्यंजनों का स्वाद हमेशा सब से अच्छा होता है: वे हमें बचपन के लापरवाह और खूबसूरत पलों की याद दिलाते हैं. लेकिन हमारी 'स्वाद क्षमता' यादें जगाने के अलावा और भी बहुत कुछ कर सकती है.

'स्वाद क्षमता' का मूल काम वास्तव में उपभोग से पहले भोजन का परीक्षण करना है. स्वाद, गन्ध और दिखावट जैसी संवेदी धारणाओं के साथ हम यह निर्धारित कर सकते हैं कि यह भोजन कच्चा है, ताज़ा है, ख़राब है या अखाद्य है. इस तरह हम खुद को हानिकारक तत्वों से बचाते हैं. मनुष्य के शरीर में स्वाद के लिए ज़िम्मेदार कोशिकाएं मुख्य रूप से जीभ पर स्थित होती हैं. जीव्हा पर स्थित असंख्य papillae, जिन्हें हम दर्पण में नंगी आंखों से देख सकते हैं जीभ के क्षेत्र-फल को बढ़ाती हैं और स्वाद की गहन अनूभूति को सुनिश्चित करती हैं. इन papillae में हज़ारों स्वाद कलिकाएं होती हैं. इन स्वाद कलिकाओं में 50 से 150 संवेदी कोशिकाएं होती हैं. और इन संवेदी कोशिकाओं में receptors होते हैं जो अन्तत: उत्तेजनाओं को मस्तिष्क तक पहुंचाते हैं. भोजन में घुला हुआ स्वाद के लिए ज़िम्मेदार रसायन संवेदी कोशिका की भित्ति में protein को बदल देता है. इससे संवेदी कोशिका neurotransmitter जारी करती है, जो फिर मस्तिष्क तक जानकारी पहुंचाती है. यह हमें कथित स्वाद के बारे में एक अपेक्षाकृत तटस्थ बयान देती है. हम अन्तत: इसे पसन्द करते हैं या नहीं, यह कई अन्य कारकों पर निर्भर करता है जैसे कि अन्य इन्द्रियां, अनुभव, अपेक्षाएं और बहुत कुछ. सामान्य धारणा कि आप जीभ के विभिन्न क्षेत्रों में कुछ स्वादों को अधिक तीव्रता से महसूस करते हैं, गलत है. वास्तव में, सभी स्वादों को जीभ के सभी क्षेत्रों से महसूस किया जा सकता है. एकमात्र अपवाद जीभ के पार्श्व और पिछले क्षेत्र हैं, जो मध्य वाले भाग की तुलना में थोड़ा अधिक संवेदनशील होते हैं. ये भाग अखाद्य चीज़ों के प्रति चेतावनी देने के लिए अन्तिम बाधा के रूप में कड़वे पदार्थों के प्रति विशेष रूप से संवेदनशील होते है. अन्यथा स्वाद कलिकाएं हमारी जीभ पर अपेक्षाकृत समान रूप से वितरित होती हैं. यद्यपि अनन्त संयोजनों के कारण अनगिनत स्वाद सम्भव हैं, लेकिन विज्ञान मूल रूप से पांच स्वादों को मानता है. प्रत्येक स्वाद की अलग-अलग विशेषताएं और सूक्ष्म उन्नयन होते हैं; विभिन्न संयोजनों के कारण कई मिश्रित स्वाद भी सम्भव हैं जैसे कड़वा-मीठा या खट्टा-मीठा.

मीठा स्वाद fructose, दूध का शक्कर, शहद जैसे प्राकृतिक उत्पाद, agave syrup, maple syrup या रसायन आदि अनेक रूप में उपलब्ध होता है. इन के अलावा कुछ amino acid या alcohol भी मिठास के लिए ज़िम्मेदार होते हैं. क्योंकि हमें ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए चीनी में मौजूद calorie की आवश्यकता होती है, इस लिए मीठी चीज़ें अक्सर हमें सहज रूप से अच्छी लगती हैं. नमकीन स्वाद हमें घरेलू नमक (sodium chloride) के अलावा potassium और magnesium से भी मिलता है. रासायनिक प्रक्रियाओं के कारण, हम ठण्डे, कच्चे खाद्य पदार्थों को पके या गर्म खाद्य पदार्थों की तुलना में कम नमकीन समझते हैं. वसा-युक्त खाद्य पदार्थ अक्सर हमें बहुत अधिक नमकीन लगते हैं क्योंकि नमक को वसा में घुलना मुश्किल होता है. नमक जीवन का आधार भी है, जिस के कारण इसका स्वाद अक्सर हमें सुखद लगता है. अधिकांश अखाद्य खाद्य पदार्थों का स्वाद कड़वा होता है. इस लिए लगभग 35 विभिन्न receptors सुरक्षात्मक कारणों से कड़वे स्वाद पर प्रतिक्रिया करते हैं. खट्टा स्वाद नींबू के रस या अन्य carbonic घोलों से बनता है. पहले यह किसी कच्ची या अखाद्य चीज़ का संकेत भी देता था. लेकिन आज विभिन्न फलों, पेय या dairy उत्पादों की अम्लता के कारण खट्टा स्वाद भी स्वीकार्य है. Umami स्वाद में सब कुछ है. Umami जापानी शब्द "umai" से लिया गया है और इसका अर्थ है "स्वादिष्ट". जापानी रसायनज्ञ Kikunae Ikeda ने इस स्वाद की खोज 1908 में की थी जब वह लोकप्रिय समुद्री शैवाल Kombu का अध्ययन कर रहे थे, जिस का उपयोग अक्सर जापान में soup को स्वादिष्ट बनाने के लिए किया जाता है. लेकिन Umami को केवल 2000 में पांचवां स्वाद घोषित किया गया जब अमेरिकी शोध-कर्ताओं ने जीभ पर Umami से सम्बन्धित receptors की खोज की थी. Umami मुख्य रूप से गले के क्षेत्र में महसूस की जाती है और इसे मांसल, स्वादिष्ट और तीव्र माना जाता है. इसका स्वाद L-Glutamic acid नामक amino acid के लवण से आता है, जो protein युक्त खाद्य पदार्थों में उच्च सांद्रता में पाया जाता है. कई खाद्य पदार्थों का स्वाद बढ़ाने के लिए Glutamic acid और इस के लवण Glutamate का उपयोग किया जाता है, जैसे टमाटर का paste, chicken शोरबा, mushroom, दूध और पनीर. ऐसा माना जाता है कि इन पांच बुनियादी स्वादों के अलावा अन्य स्वाद भी हैं: वसा-युक्त, क्षारीय, धात्विक और पानी जैसे स्वादों पर वर्तमान में शोध किया जा रहा है.

Glutamate क्या है? औद्योगिक खाद्य उत्पादन में बड़ी मात्रा में Glutamic acid कृत्रिम रूप से मिलाया जाता है, विशेष रूप से मसालों और sauce के साथ तैयार भोजन में. monosodium Glutamate सब से प्रसिद्ध संस्करण है और सामग्री की सूची में इसका पदनाम E621 है. कम मूल्य में उत्पाद उपलब्ध करवाने की प्रतिस्पर्धा में इसे भोजन के अन्तर्निहित स्वाद को बढ़ाने के लिए वास्तविक अवयवों की जगह इस्तेमाल किया जाता रहा है. अधिक तीव्र स्वाद के कारण यह उपभोक्ता को बेहतर गुणवत्ता का आभास देता है. लेकिन स्वाद के प्रति अतिसंवेदनशीलता पैदा करने और पाचन क्रिया को बिगाड़ने के सन्देह के कारण Glutamic acid की प्रतिष्ठा ख़राब है. सामग्री सूची को सुशोभित करने के लिए निर्माता तेज़ी से खमीर, मसाले या टमाटर serum की ओर रुख कर रहे हैं और Glutamic acid को केवल एक सुगन्ध के रूप में घोषित कर रहे हैं. लेकिन ऐसे निर्माता भी हैं जो Glutamic acid इस्तेमाल नहीं करते हैं और वास्तविक खाद्य पदार्थ या सांद्रण का उपयोग कर के मसाले और भोजन तैयार करते हैं.

स्वाद के अलावा खाद्य पदार्थ की बनावट और गन्ध भी हमारी पसन्द को प्रभावित करती है. हमार नाक कई अलग-अलग सुगन्धों को गहनता से महसूस कर सकती है. जब सर्दियों में नाक बन्द हो जाती है तो भोजन का स्वाद अचानक फीका हो जाता है. उम्र के साथ, सूंघने और स्वाद चखने की क्षमता कम हो जाती है, जिस से वृद्ध लोगों को भूख कम लगने लगती है और वे कुपोषण का शिकार हो सकते हैं. जो चीज़ दिखने में चीज़ अरुचिकर लगती है हम उसे तुरन्त अखाद्य मान लेते हैं. रंग भी महत्वपूर्ण है. अध्ययनों से पता चला है कि अगर दही का रंग गुलाबी हो तो वह हमें strawberry जैसा स्वाद देता है. glass का रंग नीला होने से एक पेय हमें विशेष रूप से ताज़ा लगता है. अपनी आंखें बन्द कर के विभिन्न स्वादों की पहचान करना कठिन है.

दुनिया के कई क्षेत्रों में रोज मसालेदार भोजन खाया जाता है. मिर्च, अदरक, लाल मिर्च और सहिजन आदि परिसंचरण और पाचन को उत्तेजित करती हैं. ऐसा कहा जाता है कि कुछ सामग्रियां हृदय प्रणाली पर सकारात्मक प्रभाव डालती हैं और यहां तक कि ख़ुशी की भावना भी पैदा करती हैं. लेकिन कई लोगों को अधिक खुराक में तीखापन बेहद अप्रिय लगता है क्योंकि इससे खांसी या हिचकी आती है, आंखों में आंसू आते हैं या माथे पर पसीना आता है. हालांकि बार-बार मसालेदार भोजन खाने पर इन्द्रियां इसकी आदी हो जाती हैं और शारीरिक प्रतिक्रियाएं कम हो जाती हैं. लेकिन तीखापन कोई अलग स्वाद नहीं है क्योंकि इसे जीभ पर receptors द्वारा नहीं, बल्कि संवेदी कोशिकाओं द्वारा पहचाना जाता है. तीखे के लिए अंग्रेज़ी शब्द "hot" दर्शाता है कि हमारी इन्द्रियां तीखेपन को कैसे महसूस करती हैं, यानी गर्म और दर्द के रूप में.

शिशु जन्म से बहुत पहले ही विभिन्न स्वादों को पहचानने लगते हैं. गर्भावस्था के 14वें सप्ताह से शिशु के receptors पूरी तरह से विकसित हो जाते हैं. मीठे amniotic द्रव से वह सीखता है कि मीठे स्वाद का मतलब सुरक्षा और सुरक्षित खाद्य पदार्थ है. स्तनपान के दौरान शिशु को मां के दूध के ज़रिए अन्य कई स्वादों का पता चलता है. यह मां के आहार पर भी निर्भर करता है. लेकिन दूध पर आधारित आहार भी आम-तौर पर शिशुओं के लिए उतना ही अच्छा होता है और सुरक्षा का अहसास देता है जितना मां का दूध. ठोस आहार के पहले प्रयास के साथ ही बच्चे की पसन्दें और नापसन्दें नज़र आने लगती हैं. कड़वे पदार्थ सम्भावित खतरे का संकेत देते हैं, इस लिए इन्हें अस्वीकार कर दिया जाता है. आम-तौर पर, बच्चे ऐसे खाद्य पदार्थ पसन्द करते हैं जिन का स्वाद वे पहले से जानते हैं. बचपन के दौरान प्राथमिकताएं कम ही बदलती हैं.

लेकिन पोषण पर आनुवंशिकी की तुलना में अनुभवों का कहीं अधिक प्रभाव पड़ता है. माता-पिता अपने बच्चों के लिए आदर्श होते हैं. भोजन सेवन के सकारात्मक प्रभाव के लिए भोजन को सुखद वातावरण से जोड़ा जाना चाहिए. पहले से प्रचलित "plate खाली करना" या "समय के अनुसार खाना" जैसे कठोर नियमों का नकारात्मक प्रभाव पड़ता है. क्योंकि वे केवल घृणा को बढ़ावा देते हैं और बच्चों की प्रवृत्ति और भूख की भावनाओं के खिलाफ़ जाते हैं. कई माता-पिता चिन्तित होते हैं कि उनके बच्चे pasta को बिना sauce के खाना पसन्द करते हैं. इस में कोई बुराई नहीं है. अज्ञात पकवानों या खाद्य सामग्रियों के स्वाभाविक भय को कम करने के लिए अनौपचारिक तरीके से उन्हें बार-बार दिखाया जाना चाहिए. बच्चों के लिए यह सामान्य बात है कि कुछ खाद्य पदार्थ दस या बीस बार दिए जाने के बाद ही चखे जाते हैं और फिर सम्भवत: उन्हें अपनी मनपसन्द पकवानों की सूची में शामिल किया जाता है. इस लिए निरन्तर तनाव-मुक्त हो कर विविध प्रकार के खाद्य पदार्थ परोसते रहें. कभी कच्चा, कभी पका हुआ या तला हुआ. यह अच्छा है जब बच्चे अलग-अलग पेशकशों के बीच चयन कर सकें.

लेकिन हम यह कैसे तय करें कि हमें क्या पसन्द है? उदाहरण के लिए जैतून, धनिया, मुलेठी आदि कई ऐसे खाद्य पदार्थ हैं जिन के बारे में सब की राय अलग-अलग है. कुछ इन्हें पसन्द करते हैं, अन्य इन से दूर भागते हैं.

हमारे स्वाद को कई कारक प्रभावित करते हैं. कुछ प्राथमिकताएं हमारे DNA में पहले से ही स्थापित हैं. हमारी आनुवंशिक संरचना यह भी निर्धारित करती है कि हमारी जीभ पर कितनी स्वाद कलिकाएं हैं. ये जितनी अधिक होंगी, स्वाद चखने की हमारी क्षमता उतनी ही अधिक होगी. उम्र भी महत्वपूर्ण है. शिशुओं में लगभग 9,000 से 12,000 के साथ वयस्कों की तुलना में दोगुनी से अधिक स्वाद कलिकाएं होती हैं. इस लिए उनकी स्वाद क्षमता कहीं अधिक तीव्र होती है. उम्र बढ़ने के साथ स्वाद क्षमता कम होती जाती है. उदाहरण के लिए बढ़ती उम्र के साथ हम कड़वे पदार्थों को कम महसूस करते हैं और dark chocolate, coffee या जैतून को पसन्द करने लगते हैं. लेकिन खट्टे और कड़वे खाद्य पदार्थों के प्रति हमारी नापसन्दगी जन्म-जात है. कड़वा और खट्टा स्वाद उस समय महत्वपूर्ण थे जब लोग शिकार कर के अपना पेट भरते थे. ये उन्हें ज़हरीले पौधों, कच्चे फलों या ख़राब भोजन का संकेत देते थे.

स्वाद का मूल्यांकन सिर्फ़ जीभ पर ही नहीं, बल्कि हमारे दिमाग में भी होता है. यदि हम चाहें तो हमें हर चीज़ स्वादिष्ट लग सकती है क्योंकि यह केवल आदत डालने की बात है. जितनी अधिक बार हम किसी पेय या भोजन का सेवन करेंगे, उतना ही जल्द हम उस स्वाद के आदी हो जाएंगे. जीवन के दौरान हमारा स्वाद लगातार बदलता रहता है. व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के अलावा, सांस्कृतिक प्रभाव भी हमारे स्वाद को महत्वपूर्ण रूप से आकार देते हैं. प्रत्येक देश और प्रत्येक क्षेत्र की सभी प्रकार की विशिष्टताओं और आदतों के साथ अपनी खाद्य संस्कृति होती है. अब हम उन व्यंजनों को अपने दिमाग से नहीं निकाल सकते जिन्हें हम बचपन में बार-बार खाते थे, चाहे वे सकारात्मक हों या नकारात्मक. कुछ स्वाद घर और सुरक्षा की भावना व्यक्त करते हैं. उत्पाद developer और खाद्य designer लगातार उत्तम स्वाद की खोज कर रहे हैं. कई star chef लगातार अपनी रचनाओं में स्वाद की अनेक बारीकियों के साथ प्रयोग करते रहते हैं. जब सब कुछ सही होता है तो एक नया स्वाद एक अच्छा अनुभव बन जाता है. सही तैयारी, गन्ध, तापमान और दिखावट और हमारी व्यक्तिगत भावनाएं का परस्पर सम्बन्ध यह निर्धारित करते है कि हमें कोई व्यंजन अन्तत: कितना स्वादिष्ट लगता है. किसी व्यंजन में उपयुक्त खाद्य पदार्थों का संयोजन जितना सन्तुलित होगा, व्यंजन उतना ही स्वादिष्ट होगा. 

अधिक आनन्द के लिए 5 युक्तियां. 1. जागरुकता बढ़ाएं. जान-बूझ-कर असंसाधित खाद्य पदार्थों को चखने का प्रयास करें. जैसे कच्ची गाजर का मीठापन, सेब की हल्की अम्लता या कच्चे पालक का सूक्ष्म कड़वापन. 2. स्वाद की तीव्रता कम करें. कुछ समय के लिए चीनी से परहेज़ करने से आप भोजन की मिठास को और अधिक तीव्रता से महसूस करेंगे. यही बात नमक, वसा और अम्ल पर भी लागू होती है. 3. आराम से खाएं. समय निकालकर सचेत रूप से भोजन का आनन्द लें. काम करने के साथ साथ ना खाएं, और ना ही गटक कर खाएं. इससे स्वाद के साथ-साथ पोषक तत्वों का अवशोषण भी बेहतर होता है. 4. दिखावट पर काम करें. dining table set करें और अपने भोजन को खूबसूरती से सजाएं. भोजन देखने में जितना अधिक आकर्षक होगा, खाने में उतना ही अधिक आनन्ददायक होगा. 5. सभी इन्द्रियों को इस्तेमाल करें. अपने भोजन को चखें, देखें, सूंघें और छुएं. भोजन की स्थिरता, तापमान और रंग क्या है? इससे कौन सी सुगन्ध आती है? ख़रीदारी करते समय और खाना बनाते समय भी इन चीज़ों पर ध्यान देना फ़ायदेमन्द है.

पाक-विधि - नींबू चावल

 

lemon rice, काजू, बादाम और धनिए के साथ


4 व्यक्तियों के लिए सामग्री:

200 ग्राम लम्बे दाने वाले चावल

400ml पानी

1 छोटा प्याज़

1 चम्मच नमक

1 बड़ा चम्मच गर्म मसाला

1/2 गुच्छा धनिया

तुलसी का ½ गुच्छा

¼ छोटा चम्मच chili flakes

120 ग्राम कतरे हुए बादाम

2 बड़े चम्मच तिल का तेल

1 बड़ा चम्मच बिना छिले तिल

1 नींबू

1 चम्मच नारियल तेल

1 चम्मच maple syrup

2 बड़े चम्मच जैतून का तेल

40 ग्राम काजू

सजाने के लिए कुछ smoked paprika powder


तैयारी: 30 minute


विधि

चावल को धो कर पानी वाले बरतन में डाल दीजिए. प्याज़ को छील कर बारीक टुकड़ों में काट लीजिए और नमक के साथ चावल में डाल दीजिए. गर्म मसाला डालें. धीमी आंच पर उबालें; यदि आवश्यक हो तो पानी दोबारा भरें. धनिया और तुलसी को धो कर सुखा लें और लगभग ⅓ सजाने के लिए अलग रख दें. बची हुई जड़ी-बूटियों को बारीक काट लें. चावल में मिर्च के गुच्छे, बादाम, तिल का तेल और तिल डालें. नींबू को धो कर उस का छिलका उतार लें. नींबू के छिलके का आधा हिस्सा बारीक काट लें और चावल में मिला दें. नींबू निचोड़ें और उस का रस चावल में मिला दें. चावल में नारियल का तेल, maple syrup और नींबू जैतून का तेल मिलाएं. काजू को बारीक काट लीजिए और आधा चावल में मिला दीजिए. लगभग 20 minute बाद चावल पकने तक बार-बार हिलाते रहें. lemon rice को बची हुई जड़ी-बूटियों, नींबू के छिलके, बीज और smoked paprika powder के साथ परोसें.


टिप्पणी

काजू को आम-तौर पर मेवे के रूप में जाना जाता है लेकिन ये काजू के पेड़ के फल के बीज हैं. इस छोटे से बीज में कई स्वस्थ पदार्थ होते हैं जैसे B-vitamin, magnesium और polyunsaturated fatty acid. वे चावल के व्यंजनों में मुख्य आकर्षण के रूप में या बीच में snacks के रूप में विशेष रूप से अच्छे हैं. bread पर puree के रूप में वे मक्खन का एक बढ़िया विकल्प हैं.

रविवार, 19 नवंबर 2023

अफगानी व्यंजन: नरेन्ज पुलाव

पिस्ते और संतरे के कटे हुए छिलके वाले बासमती चावल

इस व्यंजन को तैयार करने के लिए बहुत समय की आवश्यकता है। इसलिए इसे छुट्टी में या प्रिय मेहमानों के लिए तैयार किया जाता है। इलायची और संतरे के संयोजन से एक अद्भुत सुगंध विकसित होती है। संतरे के छिलके, पिस्ता और बादाम की छड़ें इस पुलाव को उत्तम और रंगीन बनाती हैं। इसलिए इसे पुलावों की रानी कहा जाता है।

चार लोगों के लिए सामग्री 
300 ग्राम बासमती चावल
40 ग्राम बादाम, चार हिस्सों में कटे हुए 
40 ग्राम पिस्ता, चार हिस्सों में कटे हुए 
3 bio संतरे
2 चम्मच नमक
300 ग्राम चीनी
15 इलायचियां
2 चुटकी केसर के धागे (या नारंगी खाद्य रंग)
5 बड़े चम्मच तेल

विधि
चावल को धोइये, एक कटोरे में रखिये, ठंडे पानी से ढक कर कई घंटों के लिये भिगो दीजिये. बादाम और पिस्ते को एक अलग कटोरे में ठंडे पानी में कई घंटों के लिए भिगो दें। संतरे को छीलें और सफेद भाग हटा दें। संतरे के छिलके को माचिस की तीली के आकार की पट्टियों में काट लें। आधा लीटर पानी में 1 चम्मच नमक डाल कर उबाल लें और इसमें संतरे के छिलकों को लगभग 5 मिनट तक उबालें। फिर एक छननी में छान लें। इस प्रक्रिया को 2 मिनट तक दोहराएँ। इससे छिलके से कड़वे पदार्थ निकल जाते हैं। एक सॉस पैन में फूले हुए संतरे के छिलके की पट्टियों को 200 मिलीलीटर पानी, 100 ग्राम चीनी और आधा केसर (या एक चुटकी खाद्य रंग) के साथ उबालें और लगभग 5 मिनट तक पकाएं। फिर एक छननी से छान लें और तरल पदार्थ इकट्ठा कर लें। संतरे के छिलकों की तैयार पट्टियों को छान कर अलग रख दें। भीगे हुए बादाम और पिस्ते को छानने के लिए रख दीजिए. भीगे हुए चावलों को दूसरी छलनी में अच्छे से छान लीजिए. इसी बीच इलायची की फलियों को तोड़ कर बीज निकाल लें और बारीक पीस लें. एक बर्तन में 2 लीटर पानी उबाल लें। उसमें चावल और बचा हुआ केसर (या एक चुटकी खाने वाला रंग) मिलाएं और 4-5 मिनट तक पकाएं। चावल को एक छननी में डालें, सूखने दें, फिर बर्तन में वापस डालें। पिसी हुई इलायची, बची हुई 200 ग्राम चीनी और तेल डालें और सभी चीजों को धीरे से मिलाएँ। इसमें संतरे के छिलके से बचा हुआ तरल पदार्थ डालें। उसे संतरे के छिलके, पिस्ता और बादाम से ढंकें। बर्तन को किचन टॉवल से ढक दें और ढक्कन लगा दें ताकि भाप बाहर ना निकल सके। चावल को धीमी आंच पर लगभग 30 मिनट तक पकाएं। परोसने के लिए चावल को एक प्लेट में रखें और कटे हुए संतरे के छिलके, पिस्ता और बादाम से सजाएँ।

Tip
यह पुलाव काफी मीठा होता है और आमतौर पर इसे अकेले नहीं खाया जाता है। आमतौर पर आप पहले एक सामान्य पुलाव तैयार करते हैं और उसे एक थाली में डालते हैं। फिर नरेन्ज पुलाव को उसके ऊपर डालते हैं और बादाम, पिस्ता और संतरे के छिलके की पट्टियों से सजाया जाता है। इसके साथ अक्सर कोफ्ता या सब्जी परोसी जाती है।

शुक्रवार, 17 नवंबर 2023

भविष्य को ले कर बच्चों के कुछ सवाल

संघीय शिक्षा और अनुसंधान मन्त्रालय ने बच्चों के लिए अपनी मुफ़्त पत्रिका forscher ने कुछ शोधकों के साथ मिल कर भविष्य के बारे में 14 साल तक के बच्चों के कुछ चुनींदा सवालों का उत्तर देने की कोशिश की है.

1. क्या भविष्य में भी दुनिया सच-मुच उतनी ही तकनीक-युक्त दिखाई देगी जितनी हम फिल्मों और किताबों में देखते हैं? जैसे ढेर सारी गगनचुम्बी इमारतें और उड़ने वाली कारें?

दुनिया भर में अधिक से अधिक लोग शहर में रहना चाहते हैं. और क्योंकि हर किसी को एक apartment की आवश्यकता होती है लेकिन जगह सीमित है, इस लिए ऊंचा निर्माण करना ही उचित है. ऊंची इमारतें एक छोटी सी जगह में कई लोगों को समायोजित कर सकती हैं. लेकिन अगर किसी ऊंची इमारत के बगल में बस एक ऊंची इमारत हो, तो वातावरण नीरस हो जाता है और लोग सहज महसूस नहीं करते हैं. आपको शहर में स्थान और प्रकृति की आवश्यकता है, जहां लोग मिल सकें, आराम कर सकें और खेल-कूद कर सकें.

जलवायु परिवर्तन के कारण गर्मियों में भारी वर्षा और अत्यधिक गर्मी आम होती जा रही है. इसलिए भविष्य के शहरों को हरा-भरा होना चाहिए ताकि बहुत सारा पानी घास के मैदानों और parks में रिस सके, पेड़ और लगाए गए अग्रभाग छाया प्रदान कर सकें. 

जहां तक ​​यातायात का सवाल है, उड़ने वाली कारें एक अच्छा विचार नहीं है क्योंकि उड़ने वाली हर चीज़ को बहुत अधिक ऊर्जा की आवश्यकता होती है और हमें भविष्य में जहां भी सम्भव हो ऊर्जा को बचाने की ज़रूरत है. packet पहुंचाने वाले छोटे drone सम्भव हैं. ऐसी companies भी हैं जो helicopter taxis पर शोध कर रही हैं. वे विज्ञापन देते हैं कि जो यात्री जल्दी में हैं वे सड़कों पर traffic jam से बचने के लिए आसानी से उड सकते हैं. लेकिन केवल अमीर लोग ही इसे वहन कर पाएंगे. भविष्य में traffic jam से बचने से ज़्यादा ज़रूरी है कि traffic jam कम किए जा सकें, ताकि हर कोई अपनी मंज़िल तक जल्दी पहुंच सके. और इस के लिए अधिक प्रौद्योगिकी की आवश्यकता नहीं है, बल्कि कम की है. कारों के बजाय, कई शहर योजनाकार cycle चलाने और पैदल चलने पर जोर दे रहे हैं. लम्बी दूरी के लिए ऐसी बसें और trains हैं जो जलवायु-अनुकूल electric या hydrogen engine पर चलती हैं. कई जगहों पर आप electric scooter, cargo bike और electric कार सस्ते में किराए पर ले सकते हैं। शायद ऐसे वाहन भी जो खुद चलते हों. तब शायद ही किसी को अपनी कार की ज़रूरत होगी, ना ही parking की जगह की ज़रूरत होगी. ऐसे शहर में शांति होगी, हवा बेहतर होगी और लोग स्वस्थ जीवन जी सकेंगे. ये अच्छी सम्भावनाएं हैं!

2. क्या आज के बच्चे भी भविष्य में अपने बच्चों के साथ skiing अवकाश पर जा सकेंगे?

skiing छुट्टियां सम्भवत: 30 या 40 वर्षों में भी सम्भव होंगी, लेकिन आज से भिन्न! क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण सर्दियां कम हो रही हैं, जहां बर्फ़ की बजाय बारिश होती है. निचले इलाकों में हमें कई दिनों तक टिकने वाली ठोस बर्फ़ की चादर मुश्किल से ही मिल पाती है. यहां तक ​​कि Harz या Erzgebirge जैसी निचली पर्वत श्रृंखलाओं में भी प्राकृतिक बर्फ़ कम गिरती है. वह भी या तो एक ही बार में बहुत सारी या फिर छुट्टियों की अवधि के बाहर. केवल Alpine क्षेत्र में अधिक ऊंचाई पर ही भविष्य में पर्याप्त बर्फ़बारी की उम्मीद की जा सकती है. तब ski छुट्टियां सम्भवत: काफ़ी अधिक महंगी हो जाएंगी. क्योंकि एक ओर ऊंचे पहाड़ों तक पहुंचने के लिए आपको आगे तक गाड़ी चलानी पड़ेगी. दूसरी ओर, क्योंकि बहुत से लोग कुछ hotel के कमरों, अवकाश गृहों और ski passes के लिए होड कर रहे होंगे. सब से ख़राब स्थिति में भविष्य में केवल अमीर लोग ही शीतकालीन अवकाश का खर्च वहन कर पाएंगे. सर्वोत्तम स्थिति में, 2050 तक हमारी छुट्टियों की आदतें बदल जाएंगी और लोगों को हर साल skiing पर ना जाना पूरी तरह से सामान्य लगेगा. यदि हम कम यात्रा करते हैं, तो कम जलवायु-हानिकारक gases उत्पन्न होती हैं और global warming कम हो जाती है. यदि ऐसा होता है तो भविष्य के बच्चों को और यहां तक ​​कि पोते-पोतियों को भी बर्फ़ीले पहाड़ों पर दौड़ लगाने का अवसर मिलेगा.

3. क्या भविष्य में भी Corona रहेगा?

हां, Corona-virus, जो 2020 की शुरुआत में उभरा और जिस ने हमारे रोजमर्रा के जीवन को प्रभावित किया, पृथ्वी पर रहेगा. लेकिन वैश्विक प्रकोप, तथा-कथित महामारी, समाप्त हो जाएगी. और यही महत्वपूर्ण बात है. क्योंकि तब इतने सारे लोग इतने कम समय में गम्भीर रूप से बीमार नहीं होंगे या मर नहीं जाएंगे. और हमें अब लम्बी अवधि में सुरक्षात्मक उपायों  की आवश्यकता नहीं होगी, जैसे बन्द स्कूल, mask पहनना, परीक्षण इत्यादि. कोई भी भविष्य-वाणी नहीं कर सकता कि ऐसा कब होगा. यह मुख्य रूप से इस बात पर निर्भर करता है कि virus कितनी जल्दी बदलता है. और क्या अचानक नए, अधिक खतरनाक variant सामने आ रहे हैं. यह महत्वपूर्ण है कि टीकाकरण पूरी दुनिया में हो, ना केवल अमीर देशों में. जितने कम लोगों में यह virus होगा, इस के बदलने की सम्भावना उतनी ही कम होगी. शोध-कर्ताओं का मानना ​​है कि वर्तमान महामारी रोग-जनक एक सामान्य virus बन जाएगा जो कभी-कभी छोटे प्रकोपों ​​​​को trigger करेगा. और शायद हम हर साल टीका लगवा सकें, जैसे हम flu के लिए लगवाते हैं. कई virus हर सर्दियों में वापस आते हैं जिन से हमें गले में खराश, नाक बहने या खांसी की तकलीफ होती है.  सर्वोत्तम स्थिति में अन्तत: एक सार्वभौमिक टीका उपलब्ध हो सकता है जो सभी virus variant के खिलाफ़ काम करेगा. दुर्भाग्य से, नई महामारी विकसित होने की सम्भावना से इनकार नहीं किया जा सकता है. क्योंकि वे इतिहास में बार-बार घटित हुई हैं.

4. क्या हम भविष्य में प्रकाश की गति से यात्रा कर पाएंगे - उदाहरण के लिए अन्य ग्रहों तक?

हम कभी भी प्रकाश की गति से यात्रा नहीं कर पाएंगे; केवल प्रकाश ही ऐसा कर सकता है. हालांकि, विशुद्ध रूप से, गणितीय रूप से, यह सम्भव है कि हम किसी बिन्दु पर लगभग उसी गति तक पहुंच पाएं. और यह गति इतनी तेज होगी कि मंगल ग्रह की उड़ान में कई महीनों के बजाय केवल कुछ minute लगेंगे. Switzerland में CERN अनुसंधान संस्थान के भौतिक विज्ञानी और engineer कई वर्षों से एक कण त्वरक में छोटे कणों को प्रकाश की गति के 99 प्रतिशत से अधिक तक तेज करने में सक्षम हैं. कण एक विशाल गोलाकार tube से होकर गुज़रते हैं और प्रत्येक चक्कर के साथ और तेज हो जाते हैं. भले ही वे इतने छोटे और बेहद हल्के हैं लेकिन फिर भी कणों को इतनी तेज़ी से आगे बढ़ने के लिए भारी मात्रा में ऊर्जा की आवश्यकता होती है. यदि आप इस प्रयास को 100 टन के अन्तरिक्ष यान में स्थानांतरित करते हैं, तो आप गणना कर सकते हैं कि इसे लगभग प्रकाश की गति से मंगल पर भेजने में कितनी ऊर्जा लगेगी. अर्थात 15 million billion kilowatt घंटे. यानि 15x10¹⁵ kWh. तुलना के लिए: इस मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए एक आधुनिक पवन turbine को 1.5 अरब वर्षों तक चलना होगा, एक परमाणु ऊर्जा संयन्त्र को 1,500 वर्षों तक चलना होगा. दूसरी ओर, सूर्य हमारे अन्तरिक्ष यान को एक second के हज़ारवें हिस्से में इतनी ऊर्जा प्रदान कर सकता है. दुर्भाग्य से, यह उम्मीद नहीं है कि हम ऐसी drive का अविष्कार कर पाएंगे जो अगले 100 वर्षों के भीतर इतनी अकल्पनीय बड़ी मात्रा में सौर ऊर्जा को परिवर्तित कर सके.

प्रकाश की गति = 299,792,458 meter प्रति second. प्रकाश को पृथ्वी और चन्द्रमा के बीच यात्रा करने में लगभग 1.3 second का समय लगता है.

5. क्या भविष्य में और भी जानवरों की प्रजातियां विलुप्त हो जाएंगी? क्या हम उन्हें Jurassic park की तरह वापस ला सकेंगे?

जानवरों की प्रजातियों का विलुप्त होना प्रकृति की प्रक्रिया का हिस्सा है. लेकिन वर्तमान में पृथ्वी पर जो बड़े पैमाने पर विलुप्ति हो रही है, वैसी dinosaur के गायब होने के बाद से नहीं हुई है. विशेषज्ञों ने गणना की है कि सामान्य परिस्थितियों में पिछले 100 वर्षों में केवल लगभग दस कशेरुक प्रजातियां ही विलुप्त हो जानी चाहिए थीं. इस में कंकाल वाली सभी पशु प्रजातियां शामिल हैं, यानी मछली, उभयचर, सरीसृप, पक्षी और स्तनधारी. लेकिन वास्तव में इस दौरान उन में से 450 से अधिक प्रजातियां गायब हो गई हैं. 66 million वर्ष पहले उल्कापिण्ड का प्रभाव सम्भवत: dinosaurs के लिए ज़िम्मेदार था. इस बार हम मनुष्य उल्कापिण्ड हैं. हम अपनी आवश्यकताओं के अनुरूप पृथ्वी के बड़े हिस्सों को फिर से design कर रहे हैं और इस प्रक्रिया में अधिक से अधिक प्रजातियों को विस्थापित कर रहे हैं. बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण कई स्थानीय प्रजातियों के आवास उनके अनुरूप ढलने की अपेक्षा बहुत तेज़ी से परिवर्तन हो रहे हैं. उदाहरण के लिए कुछ विशेषज्ञों का मानना ​​है कि arctic के ध्रुवीय भालू वर्ष 2100 तक खत्म हो जाएंगे. यह बहुत सम्भव है कि विज्ञान तब तक मृत पशु प्रजातियों को वापस लाने के लिए तैयार हो जाएगा. इस उद्देश्य के लिए, दुनिया भर के शोध-कर्ता लुप्तप्राय प्रजातियों से कोशिका के नमूने एकत्र करते हैं और उन्हें -196°C पर तरल nitrogen tank में संग्रहीत करते हैं. अत्यधिक लुप्तप्राय गैण्डा प्रजाति के व्यवहार्य भ्रूण के नमूनों से प्रजनन करना पहले से ही सम्भव हो चुका है. यह तकनीक बहुत सारी प्रजातियों के लिए जीवनरक्षक हो सकती है. लेकिन यह हर प्रजाति के लिए सम्भव नहीं होगा, क्योंकि यदि हम भविष्य में विलुप्त ध्रुवीय भालू वापस ले भी आते हैं, लेकिन अगर arctic में बर्फ़ ही नहीं होगी तो जानवर जाएंगे कहां? यदि हम भविष्य में लुप्तप्राय प्रजातियों को बचाना चाहते हैं, तो हमें तत्काल उनके आवासों की रक्षा करने की आवश्यकता करनी होगी.

6. क्या भविष्य में दुनिया में कम युद्ध और कम नफ़रत होगी?

यदि आप मानव इतिहास पर नज़र डालें तो आप देखेंगे कि दुनिया भर में युद्ध कम हो गए हैं. इससे यह निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि भविष्य में हिंसा में कमी आएगी. यह तो शुभ समाचार है. बुरी ख़बर यह है कि हम इस पर भरोसा नहीं कर सकते. Ukraine पर रूस के हमले से ये साफ़ हो गया. भले ही युद्ध दुर्लभ हो जाएं, फिर भी प्रत्येक युद्ध भयानक होता है और इसे रोका जाना चाहिए. सौभाग्य से, अब हम इस बारे में बहुत कुछ जानते हैं कि शांति किस चीज़ से पैदा होती है. European संघ (EU) जैसे गठबन्धन इसी का हिस्सा हैं. यहां 27 देश मिल कर काम करते हैं, जिन में से कई देश पहले भी एक-दूसरे से लड चुके हैं. आज भी वे हमेशा सहमत नहीं होते और अक्सर टकराव की स्थिति पैदा हो जाती है. उदाहरण के लिए किस देश को Atlantic से कितने टन मछली पकड़ने और बेचने की अनुमति है जैसे सवालों को ले कर. लेकिन ऐसे विवादों को शांति से सुलझाया जाता है: बात-चीत से, अनुबन्धों से और पैसे से भी जो European संघ के अमीर सदस्य देश कम अमीर देशों को भुगतान करते हैं. यदि गठबन्धन में सभी लोग समान रूप से अच्छा प्रदर्शन करेंगे तो संघर्ष की सम्भावना कम है. युद्धों के खिलाफ़ एक और सिद्ध उपाय मजबूत लोक-तन्त्र है. यानी ऐसे देश जहां लोगों को अपनी बात कहने का अधिकार है, ना कि गिने चुने शासकों या छोटे समूहों को. लोक-तन्त्र विवादों को अहिंसक तरीके से हल करना पसन्द करते हैं. क्योंकि जब युद्ध छिड़ता है तो जनता ही सैनिक के रूप में अपनी जान को जोखिम में डालती है. मजबूत लोक-तन्त्रों में हर कोई स्वतन्त्र रूप से जानकारी प्राप्त कर सकता है और इस के लिए दण्डित होने की चिन्ता किए बिना अपनी राय व्यक्त कर सकता है. दुर्भाग्य से यह दुनिया की लगभग आधी आबादी पर ही लागू होता है. विश्व शांति के लिए दूसरी आधी आबादी के अधिकारों को मजबूत करना ज़रूरी है. इसे सफ़ल बनाने के लिए हमें भविष्य में अपने व्यापारिक सम्बन्धों में शर्तें जोड़नी होंगी: उदाहरण के लिए, Germany या European संघ केवल उन देशों से कच्चे माल और उत्पाद ख़रीदने का निर्णय ले सकते हैं जो अपने नागरिकों के साथ अच्छा व्यवहार करते हैं. इससे हमें नुकसान हो सकता है क्योंकि फिर हमें कुछ चीज़ों के लिए ज़्यादा पैसे चुकाने पड़ेंगे. लेकिन लम्बी अवधि में यह लाभकारी होगा. क्योंकि आज की परस्पर जुड़ी हुई दुनिया में हर युद्ध हमें प्रभावित करता है, चाहे वह कितना भी दूर क्यों ना हो.

7. क्या भविष्य में हम जानवरों को मारे बिना मांस खा सकेंगे?

बहुत अधिक सम्भावना के साथ: हां. companies आज प्रयोग-शालाओं में मांस का उत्पादन कर रही हैं. हालांकि यह अभी steak या Schnitzel के रूप में उपलब्ध नहीं हैं, बल्कि एक मिश्रण है जो burger patties के लिए उपयुक्त है. और यह अभी बहुत महंगा है. लेकिन इस पर शोध जारी है. अगले पांच दस सालों में यह प्रयोग-शाला मांस ख़रीदने के लिए उपलब्ध हो सकता है. लेकिन यह जानना भी ज़रूरी है कि इस के लिए भी जानवरों की भी ज़रूरत होती है. क्योंकि मांस तथा-कथित stem कोशिकाओं से बनाया जाता है. इसे पाने के लिए एक जीवित जानवर की मांसपेशी का एक टुकड़ा निकालना पड़ता है. यह एक छोटी सी प्रक्रिया है जो निशान छोड़ जाती है. इसका लाभ यह है कि इस के लिए बहुत कम जानवरों की आवश्यकता होती है. लेकिन मुख्य प्रश्न यह है: हम इन जानवरों को रखते कैसे हैं. क्या उन्हें तंग, अन्धेरे अस्तबलों में रखा जा रहा है? क्या हर शहर के एक चारागाह में केवल दस-पंद्रह जानवर हो सकते हैं जिन्हें लोग पालने, सहलाने के लिए जा सकें, और समय-समय पर उनकी मांसपेशियों के नमूने लिए जा सकें? हमारे शोध समूह के सर्वेक्षणों से पता चला है कि लोग प्रयोग-शाला के मांस का समर्थन केवल तभी करेंगे जब इससे जानवरों की सेहत बेहतर होगी.

8. क्या भविष्य के schools में robot पढ़ाएंगे?

नहीं, स्कूल में अभी भी शिक्षकों की आवश्यकता है. क्योंकि वे भी कभी बच्चे थे. और इस लिए वे अच्छी तरह से जानते हैं कि 8+17 की गणना 20+5 से अधिक कठिन क्यों है. इस के लिए सब से पहले एक robot को program करना होगा. और एक मशीन विवादों को इतनी अच्छी तरह से नहीं निपटा सकती या बच्चों को हंसा नहीं सकती. लेकिन यह सच है कि भविष्य में कक्षा में अधिक से अधिक प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल होगा. इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिल सकती है कि प्रत्येक बच्चे को अपने स्वयं के कार्य मिलें. अर्थात, बिल्कुल वही कार्य जो उस बच्चे को सुधारने में मदद करें. प्रौद्योगिकी स्कूली पाठों में विविधता ला सकती है. आज कक्षाओं में या तो केवल बोला जाता है या फिर मौन रह कर काम किया जाता है. लेकिन कैसा रहेगा यदि बच्चे कठिन रसायन विज्ञान प्रयोग स्वयं कर सकें? VR चश्मे और दस्ताने के साथ वे वस्तुत: प्रयोग कर सकते हैं और यहां तक ​​कि गलत पदार्थों को भी एक साथ उण्डेल सकते हैं. इस तरह वे बिना किसी खतरे के सीख सकते हैं कि कौन से पदार्थ test tube में विस्फ़ोट का कारण बनते हैं. शारीरिक शिक्षा कक्षाओं में बच्चों को कूदने का तरीका दिखाने के लिए camera और censor द्वारा शरीर की गतिविधियों को record किया जा सकता है. संगीत में गायन के दौरान एक screen आपको दिखा सकती है कि आपने सही स्वर कब पकड़ा है. इस तरह की प्रौद्योगिकी-युक्त कक्षाएं सभी इन्द्रियों को आकर्षित कर सकती हैं जो अधिक मज़ेदार है और सीखने में मदद करता है.

बुधवार, 15 नवंबर 2023

German पत्रकार को रूस से मिले 6 लाख Euro

German प्रकाशक Spiegel और TV channel ZDF सहित 100 से अधिक देशों में फैले 280 खोजी पत्रकारों और 140 से अधिक media संगठनों के एक स्वतन्त्र वैश्विक network ICIJ द्वारा शुरू किए गए 'Cyprus Confidential' नामक एक अन्तर-राष्ट्रीय शोध की report में कहा गया है कि British Virgin द्वीप समूह (Virgin Islands) आधारित 'De Vere Worldwide Corporation' नामक एक shell company (यानि केवल कागज़ी company) ने German TV पत्रकार और लेखक Hubert Seipel को रूस और रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin के बारे में किताबें लिखने के लिए 6 लाख Euro पारिश्रमिक दिया जिस के बारे में उसने अपने नियोक्ताओं (NDR/ZDF) को, प्रकाशक को और जनता को नहीं बताया. यह company (De Vere) लम्बे समय से Tui नामक एक पर्यटन company के प्रमुख share-धारक और रूसी कुलीन Alexei Mordaschow के network का हिस्सा है.

इस report के अनुसार March 2018 में Seipel ने रूसी संघ में राजनीतिक माहौल के बारे में एक किताब लिखने के लिए 6 लाख Euro के एक अनुबन्ध पर हस्ताक्षर किए. इस किताब को 2019 में प्रकाशित किया जाना था. अनुबन्ध के अनुसार, Seipel को कथित तौर पर रूस में अपने शोध के दौरान "सामरिक और संगठनात्मक समर्थन" प्राप्त होना था. 2018 के इस अनुबन्ध पर एक हस्तलिखित नोट से यह भी पता चलता है कि 2013 में Putin की जीवनी लिखने के लिए भी इसी तरह का समझौता हुआ था. Seipel ने धन के रूप में समर्थन को स्वीकार किया है लेकिन इस के कारण पुस्तक सामग्री पर किसी प्रभाव से इनकार किया है. Seipel ने NDR television के लिए Putin का कई बार साक्षात्कार लिया था. उन्होंने Hamburg publishing house 'Hoffmann und Campe' के साथ 2015 और 2021 में रूस के बारे में किताबें लिखीं. 2021 में उन्होंने अपनी पुस्तक 'Putins Macht' के अंशों के आधार पर 'DIE ZEIT' के लिए एक अतिथि लेख लिखा. Seipel ने आखिरी बार 2019 में NDR के लिए काम किया था. February 2022 में Ukraine के खिलाफ़ रूस के आक्रामक युद्ध की शुरुआत के बाद European संघ ने Alexei Mordaschow पर रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin से निकटता के कारण प्रतिबन्ध लगा दिए थे. 

media report सामने आने के बाद NDR ने घोषणा की कि उसने 6 नवंबर को Seipel के साथ आरोपों के बारे में बात की है. Seipel ने प्रसारक के सामने स्वीकार किया कि उसे दो पुस्तक परियोजनाओं के लिए Mordaschow से धन प्राप्त हुआ था. इस लिए NDR इस में हितों का टकराव देखता है जो Seipel की पत्रकारिता की स्वतन्त्रता पर सन्देह पैदा करता है. निर्देशक Joachim Knuth ने कहा है कि हमें सन्देह है कि Seipel ने हमें और हमारे दर्शकों को जान-बूझकर धोखा दिया गया है. हम अब इसकी जांच कर रहे हैं और कानूनी कार्यवाही पर विचार कर रहे हैं. रूसी प्रतिभागियों ने इस मामले के बारे में पूछे जाने पर कोई टिप्पणी नहीं की.

मंगलवार, 14 नवंबर 2023

राजनीति अनुसंधान को कैसे आकार देती है

P.M. कोई राजनीतिक पत्रिका नहीं है. हम मुख्य रूप से शोध परिणामों पर report करते हैं और भविष्य की प्रौद्योगिकियों का विश्लेषण करते हैं. हमेशा जिज्ञासु लेकिन आलोचनात्मक दृष्टि से. इस अंक में, हमारे लेखक Astrid Viciano ने तीन शोध-कर्ताओं का परिचय दिया है जिन्होंने पूरी तरह से अलग-अलग विषयों के साथ अपने अन्त:विषय सहयोग के माध्यम से आश्चर्य-जनक सफ़लताएं हासिल की हैं, उदाहरण के लिए एक palaeopathologist जो radiologist के साथ मिल कर काम करता है.

लेकिन विज्ञान शून्य में घटित नहीं होता. परियोजनाओं को अक्सर पर्याप्त रूप से तभी वित्त पोषित किया जाता है जब कोई संकट उन्हें ऐसा करने के लिए मजबूर करता है. हाल ही में चिकित्सा में noble पुरस्कार विजेता Katalin Karikó ने दशकों तक mRNA अणु पर शोध किया, जब तक कि Corona महामारी ने टीकों के लिए बड़े पैमाने पर प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए राजनीतिक इच्छा-शक्ति नहीं जुटाई.

और बार-बार शोध राजनीतिक विवादों में खो जाता है. Brexit 2020 के परिणाम-स्वरूप, great Britain को लगभग 100 billion EU "Horizon" funding कार्यक्रम से बाहर कर दिया गया था, और British वैज्ञानिक अब सहयोग में भाग लेने में सक्षम नहीं थे. सितंबर की शुरुआत में निर्णय को संशोधित किया गया था. एक महत्वपूर्ण कदम. "Horizon हमें उन चीज़ों को करने की अनुमति देता है जो इस स्तर के सहयोग के बिना सम्भव नहीं होंगे," छाता संगठन universities UK के अध्यक्ष, Sally mapstone बताते हैं. एक उदाहरण: डिम्ब-ग्रन्थि के cancer का शीघ्र पता लगाने पर शोध.

सशस्त्र संघर्षों के कारण शोध-कर्ताओं के बीच आदान-प्रदान में बाधा आना या पूरी तरह समाप्त होना असामान्य बात नहीं है. 2020 में Ukrainian युद्ध की शुरुआत के बाद, रूसी अन्तरिक्ष संगठन Roskosmos ने ISS अन्तरिक्ष station पर "इकारस" के साथ काम करना बन्द कर दिया. वैज्ञानिकों को उम्मीद थी कि इस अन्तर-राष्ट्रीय परियोजना से बहुत सी नई चीज़ें सामने आएंगी, जिस में जानवरों को अन्तरिक्ष से देखने के लिए transmitters से लैस किया गया था, उदाहरण के लिए प्रवासी पक्षियों के मार्गों के बारे में. अनुसंधान teams के लिए अब समय आ गया है कि वे दोबारा शुरुआत करें और data को पढ़ने के लिए विकल्पों की तलाश करें.

हालांकि, आपको पशु प्रसारकों के अग्रणी दिनों में वापस जाने की ज़रूरत नहीं है. Michael Büker इस बारे में बात करते हैं. उस समय भी, 1970 के दशक की शुरुआत में बहुत कुछ गलत हुआ था. लेकिन इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं था.

सोमवार, 13 नवंबर 2023

Thailand में व्यापक कामुकता शिक्षा की समीक्षा

थाई शैक्षणिक संस्थानों में व्यापक कामुकता शिक्षा (CSE) की इस समीक्षा ने छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों, स्कूल निदेशकों और राष्ट्रीय नीति वकालत हितधारकों से data एकत्र किया. मानक अन्तर्राष्ट्रीय data संग्रह उपकरण का उपयोग इस आशा के साथ किया गया था कि Thailand में स्कूल-आधारित CSE कार्यान्वयन के विकास का मार्ग-दर्शन करने के लिए महत्वपूर्ण जानकारी एकत्र की जा सकती है.

निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि लगभग सभी सामान्य माध्यमिक और व्यावसायिक संस्थान CSE निर्देश प्रदान करते हैं, या तो एक एकीकृत या standalone विषय या दोनों के रूप में.

यद्यपि CSE पाठ्यक्रम में विविध विषयों को शामिल किया गया है, कई संस्थान कामुकता के बारे में ऐसे दृष्टि-कोण से पढ़ाते हैं जो सेक्स के नकारात्मक परिणामों पर जोर देता है और सकारात्मक पहलुओं को cover नहीं करता है या छात्रों के कामुकता से सम्बन्धित विश्लेषणात्मक और आलोचनात्मक सोच कौशल को बढ़ावा नहीं देता है. किशोर गर्भावस्था, यौन संचारित संक्रमण और HIV की रोक-थाम के साथ-साथ यौन शरीर रचना और विकास से सम्बन्धित विषयों पर सब से अधिक जोर दिया जाता है, जब कि लिंग, यौन अधिकार और नागरिकता, लैंगिक विविधता, लिंग असमानता, सुरक्षित गर्भ-पात, समान लिंग वाले जोड़ों के लिए सुरक्षित यौन सम्बन्ध और बदमाशी से सम्बन्धित विषय कम ही सिखाए जाते हैं.

कई छात्रों को अभी भी कामुकता से सम्बन्धित कई मुद्दों की सही समझ नहीं है. जब छात्रों से अपने ज्ञान का आत्म-मूल्यांकन करने के लिए कहा गया, तो उन्होंने संकेत दिया कि उन्हें गर्भ-निरोधक और मासिक धर्म की अच्छी समझ है, लेकिन केवल कुछ ही छात्रों ने मासिक धर्म या मासिक धर्म चक्र के बारे में बहुविकल्पीय प्रश्नों के सही उत्तर दिए. कई यौन सक्रिय लड़कियों ने गर्भ-निरोधक की मुख्य विधि के रूप में आपातकालीन गर्भ-निरोधक गोलियों का उल्लेख किया, क्योंकि कई लड़कों ने condom का उपयोग करने की अनिच्छा का संकेत दिया. निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि कई छात्रों में गर्भ-निरोधक के बारे में समझ और जागरुकता की कमी है और संचार और बात-चीत कौशल की कमी है जो उन्हें अपने यौन जीवन में चाहिए.

कई छात्र ऐसे दृष्टि-कोण रखते हैं जो लैंगिक समानता और यौन अधिकारों को अस्वीकार करते हैं, और लगभग आधे सोचते हैं कि घरेलू हिंसा कभी-कभी उचित होती है. शिक्षकों में लैंगिक समानता के सम्बन्ध में काफ़ी अधिक न्यायसंगत दृष्टि-कोण है और छात्रों की तुलना में शिक्षकों का अनुपात हिंसा के उपयोग को अस्वीकार करता है.  हालांकि, अधिकांश शिक्षक सोचते हैं कि अविवाहित छात्रों के बीच यौन सम्बन्ध अस्वीकार्य है, जो इंगित करता है कि वे अपने छात्रों के कुछ यौन अधिकारों को अस्वीकार करते हैं.

अधिकांश शिक्षक केवल CSE शिक्षण पद्धति के भरोसे व्याख्यान देते हैं जो छात्रों को प्रश्न पूछने या उनके विश्लेषणात्मक सोच कौशल विकसित करने के अवसर प्रदान नहीं करता है. केवल थोड़े से ही शिक्षक गतिविधि-आधारित शिक्षा-शास्त्र का उपयोग करते हैं. सामान्य माध्यमिक शिक्षकों में से केवल आधे और व्यावसायिक शिक्षकों में से आधे से भी कम ने CSE प्रदान करने के लिए प्रशिक्षण प्राप्त किया है. यह पाया गया कि प्रशिक्षित शिक्षक बिना कामुकता शिक्षा प्रशिक्षण वाले शिक्षकों की तुलना में अधिक विषयों को cover करते हैं और शिक्षा के अधिक गतिविधि-आधारित तरीकों का उपयोग करते हैं.

हालांकि अधिकांश स्कूल निदेशक और अभिभावक सोचते हैं कि CSE पढ़ाया जाना चाहिए, लेकिन फिर भी कई स्कूल निदेशक शिक्षक और शिक्षण समय जैसे समग्र रूप से दुर्लभ संसाधनों का उपयोग उन मुद्दों पर करना पसन्द करते हैं जिन्हें वे अधिक महत्वपूर्ण मानते हैं.

निष्कर्षों से संकेत मिलता है कि शिक्षा मन्त्रालय के पास बुनियादी शिक्षा में CSE के प्रावधान को अनिवार्य करने वाली नीतियां हैं. इसकी सामग्री स्वास्थ्य और शारीरिक शिक्षा के विषय क्षेत्र में एकीकृत है और प्राथमिक और माध्यमिक स्तरों पर cover की गई है. व्यावसायिक संस्थानों में इसे कामुकता शिक्षा नामक एक standalone विषय के रूप में प्रदान किया जाता है. सार्वजनिक स्वास्थ्य मन्त्रालय और सामाजिक विकास और मानव सुरक्षा मन्त्रालय भी CSE के महत्व को पहचानते हैं. वे HIV महामारी पर अंकुश लगाने और किशोर गर्भधारण की संख्या को कम करने की रणनीति के रूप में CSE प्रदान करने में शैक्षणिक संस्थानों की भूमिका को निर्दिष्ट कर के एक सहायक भूमिका निभाते हैं. हालांकि, व्यवहार में, शैक्षणिक संस्थानों को अभी भी व्यवस्थित तरीके से CSE प्रदान करने के लिए अधिक मदद और संसाधनों की आवश्यकता है. सतत निगरानी और मूल्यांकन तन्त्र की भी आवश्यकता है.

https://www.unicef.org/thailand/sites/unicef.org.thailand/files/2018-08/comprehensive_sexuality_education%20EN.pdf

रविवार, 12 नवंबर 2023

Playboy Germany की Miss Dezember 2023

हम Playboy का 70वां जन्मदिन हमारी Miss Dezember की शाश्वत सुन्दरता के साथ मना रहे हैं: आकर्षक Ukrainian Solomia Maievska. 23-वर्षीय के लिए, यह photo-shoot एक बड़े सपने के साकार होने जैसा था. लेकिन अपने सब से बड़े सपने के बारे में उसने हमें बाद में साक्षात्कार में ही बताया.

Solomia Maievska
आयाम: 90 - 60 - 89
जन्मदिन: 17 नवंबर, 1999
जन्म स्थान: Luzk, Ukraine
निवास स्थान: Kiew
लम्बाई: 172cm

Solomia, इस अंक के साथ हम US Playboy का 70वां जन्मदिन मना रहे हैं. आपके लिए Playboy का क्या मतलब है?

जब मैं Playboy के बारे में सोचती हूं, तो मैं खूबसूरत महिलाओं, मशहूर हस्तियों और विलासिता के बारे में सोचती हूं. एक Playmate होने पर मुझे अविश्वसनीय रूप से गर्व महसूस होता है.

camera के सामने नग्न होना आपको कैसा लगा?

जब आप नग्न होते हैं तो आपके पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं होता है. मैंने अपना असली रूप दिखाया, ईमानदार और स्वतन्त्र महसूस करते हुए. बाहरी दुनिया के प्रति ईमानदार और एक महिला होने के लिए स्वतन्त्र.

modeling, नौकरी के अलावा संगीत के लिए भी धड़कता है आपका दिल...

सत्य! मेरा जन्म एक बहुत ही संगीतमय परिवार में हुआ था (हंसते हुए). मैं गायन और संगीत वाद्य-यन्त्रों से घिरी हुई बड़ी हुई हूं. जब मैं छोटी थी, मैं वास्तव में गाना चाहती थी, लेकिन मैं मंच पर जाने से डरती थी. एक किशोरी के रूप में मैंने अविश्वसनीय मात्रा में संगीत सुनना शुरू कर दिया और कई संगीत समारोहों में गई. तभी संगीत के प्रति मेरा जुनून बढ़ता गया. मैंने guitar बजाना, गाना और अपने cover गाने Instagram पर post करना शुरू कर दिया. अब मैं समय-समय पर Kiew में छोटे-छोटे कार्यक्रम प्रस्तुत करती हूं. मुझे इससे प्यार है!

आप अविश्वसनीय प्रतिभाओं वाली महिला हैं. क्या पुरुष line में लगे हैं?

मैं फिलहाल सिंगल हूं! लेकिन मेरे दिमाग में मेरे सपनों के राज-कुमार की कोई सटीक तस्वीर नहीं है. मैं उस आदमी के साथ रहूंगी जिस के लिए मेरा दिल धड़कता है.

February 2022 से आपके गृह देश Ukraine में युद्ध छिड़ा हुआ है. इससे आपको क्या होता है?

यह भयानक है. लोग मर रहे हैं. जिन लोगों को आप जानते हैं या जिन से आप सम्बन्धित हैं. इस वास्तविकता में जीना अविश्वसनीय रूप से कठिन है. दिन में तो दुनिया कुछ हद तक सामान्य रहती है, लेकिन रात में missile और drone हमलों की वजह से नींद नहीं आती. मुझे शांतिपूर्ण समय की याद आती है. लेकिन हमें अपनी आज़ादी के लिए लड़ना होगा!

आपकी सब से बड़ी इच्छा क्या है?

यह मामूली बात लग सकती है है, लेकिन जिस स्थिति में मैं रहती हूं, उसे देखते हुए मेरी सब से बड़ी इच्छा शांति है. मुझे आशा है कि दुनिया हमें नहीं भूलेगी. कृपया हमारे लिए लड़ें, हमारे लिए दान करें और कृपया हमारे बारे में बात करना बन्द ना करें!

https://www.playboy.de/women/playmate-miss-dezember-2023-solomia-maievska

कला के माध्यम से परिप्रेक्ष्य में बदलाव

2016 से हमारे उत्सव "ausARTen - कला के माध्यम से परिप्रेक्ष्य में बदलाव" ने Munich के सांस्कृतिक परिदृश्य को समृद्ध किया है. एक प्रवासी उत्सव के रूप में पूरी तरह से अलग-अलग दृष्टि-कोण वाले लोगों को एक साथ लाने वाला "ausARTen" उत्सव केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं है. यह एक ऐसा मंच है जिस के माध्यम से हम सामुदायिक सह-अस्तित्व की वकालत करते हैं और यहूदी-विरोधी, Muslim-विरोधी, नस्लवाद जैसे सभी प्रकार के भेदभाव का मुकाबला करते हैं.

विशेष रूप से ऐसे समय में जब Israel-फिलिस्तीन संघर्ष फिर से बढ़ रहा है और Germany में लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है, हमारे लिए अपनी प्रतिबद्धता के साथ शांति और समझ में योगदान देना महत्वपूर्ण है. हम वर्षों से यहूदी-Muslim संवाद में शामिल रहे हैं और हम ने घनिष्ठ मित्रता बनाई है जो इस कठिन समय में भी कायम है.

यहूदी विरोधी घटनाएं, मुसलमानों पर हमले, Bavarian राजनीति में दक्षिण-पंथियों का प्रवेश, शरणार्थियों के खिलाफ़ नस्लवाद - ये सब मुद्दे हमारे बहुलवादी लोक-तन्त्र को खतरे में डाल रहे हैं. इस समय हमारे सभ्य और अन्तर-धार्मिक समाज को कड़ी परीक्षा से गुज़रना पड रहा है.  इस लिए हम इस उत्सव के द्वारा सचेत रूप से कहना चाहते हैं कि हम खुद को अलग नहीं होने देंगे. अपने त्योहार के साथ हम Munich शहर को एक ऐसा स्थान प्रदान कर रहे हैं जहां हम अपने समाज पर एक साथ काम कर सकते हैं. यहां हम चर्चा करना चाहते हैं कि हम कैसे जीना चाहते हैं और एक सांझे भविष्य की दिशा में कैसे सक्रिय रूप से काम कर सकते हैं.

इस साल के कार्यक्रम में हमारे कई focus हैं: यह hip-hop का 50 साल पुराना इतिहास, बोस्निया से चीन तक से प्रवासन की कहानियां, नरसंहार की स्मृति को जीवित रखना और Muslim दृष्टि-कोण को समझना. हम संगीत समारोहों, वाचनों, कार्य-शालाओं और panels के द्वारा इन सब पर काम कर रहे हैं.

इस बार हमारी कला प्रदर्शनी "आध्यात्मिक पलायनवाद" के बारे में है जिस में पांच कलाकार कला परिदृश्य में अपने अन्तर-विरोधी बहिष्करणों के अनुभव बताएंगे. कला और आध्यात्मिकता के द्वारा इन बहिष्करनों का हल ढूंढा जाएगा. प्रदर्शनी का संचालन Kharis Ikoko और John Politz की जोड़ी "Visual Escapism" द्वारा किया जाएगा. 2 से 19 नवंबर तक कलाकारों की कृतियां FatCat (alter Gasteig) में प्रदर्शित की जाएंगी.

https://ausarten.org/ausarten-festival-2023/

शिक्षा के लिए एक निवेदन

अन्तरिक्ष अभियानों पर एक पत्रिका 'Sterne und Weltraum' SuW) के अंक 12/2023 का सम्पादकीय

SuW का यह सम्पादकीय लेख दुर्भाग्य से Ukraine के खिलाफ़ जारी युद्ध और मध्य पूर्व में हिंसा की वृद्धि से प्रेरित है. वैश्विक राजनीतिक स्थिति चिन्ताजनक है: हिंसा खुल-ए-आम फैल रही है, संघर्ष खुले तौर पर और सैन्य रूप से लड़े जा रहे हैं. SuW में राजनीति कभी भी एक बड़ा मुद्दा नहीं रहा है, लेकिन हम इससे बच नहीं सकते क्योंकि हम सभी इसी ग्रह पर रहते हैं और राजनीति हमारे रहन-सहन की रूप-रेखा तय करती है.

मुझे चिन्ता है कि ना केवल Germany में, बल्कि पूरे Europe और दुनिया भर के कई अन्य देशों में कट्टरपंथी ताकतें बढ़ रही हैं. वे जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा संकट या आप्रवासन से सम्बन्धित जटिल प्रश्नों के सरल उत्तर ढूंढती हैं. मैं इसकी तुलना प्राकृतिक विज्ञान से करना चाहूंगा. उस के पास भी कठिन प्रश्न हैं. लेकिन अनुभव बताता है कि उनका उत्तर देना आसान नहीं होता.

शोध द्वारा हम प्रकृति के रहस्य को केवल तभी उजागर कर सकते हैं जब हमारे पास दृढ़ता हो और दिमाग ठण्डा रहे. सब से बढ़ कर हमें एक team के रूप में काम करना होगा और अन्तर-राष्ट्रीय स्तर पर सहयोग करना होगा. जब हम विज्ञान में बिना किसी पूर्वाग्रह या नाराज़गी के दूसरों से सम्पर्क करने में काफ़ी सफ़ल रहे हैं तो राजनीति में क्यों नहीं हो सकते?

ज़ाहिर तौर पर कुछ लोगों को दूसरों भिन्न होने और उनकी सीमाओं को बर्दाश्त करना मुश्किल लगता है. और निश्चित रूप से उनके कुछ अपने हित भी हैं: पुराना हिसाब चुकता करना, नए क्षेत्रों और संसाधनों पर कब्जा करना, अपनी विचार-धारा का प्रसार करना या पराए लोगों को परे रखना.

मुझे यह बात परेशान करती है कि 2023 में भी हम पुराने ढर्रे पर लौटते जा रहे हैं. हम अभी भी विवादों को शांतिपूर्ण ढंग से हल करने में कामयाब नहीं हुए हैं. एक बार फिर हम कट्टर-पंथी शासकों को अपनी दुनिया को रसातल के करीब ले जाने की अनुमति दे रहे हैं. मैं लोगों में अधिक सामञ्जस्य देखना चाहूंगा जो मिल कर कहें "नहीं, हम यह और बर्दाश्त नहीं करेंगे!" क्या अन्तर-राष्ट्रीयकृत विज्ञान के सफ़ल model को बाक़ी दुनिया में नहीं अपनाया जा सकता? मुझे ऐसा लगता है कि वैश्विक संकटों पर काबू पाने की कुञ्जी शिक्षा है. क्योंकि ज्ञान ही समझ, सहिष्णुता, करुणा और एकीकरण को बढ़ावा देता है. दुर्भाग्य से बहुत से लोगों के लिए शिक्षा अभी भी स्वाभाविक नहीं है. यहां तक कि इस देश में भी हम ठीक तरह से शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं. हमें 2024 में वहां से शुरुआत करनी चाहिए.

सम्पादकीय team की ओर से, मैं आपको नए साल में सुखद छुट्टियों और आत्म-विश्वास और प्रसन्नता के क्षणों की शुभ-कामनाएं देता हूं.
आपका, Andreas Müller

https://www.spektrum.de/inhaltsverzeichnis/jubilaeum-20-jahre-h-e-s-s-sterne-und-weltraum-12-2023/2099391

राजनीतिक सक्रियता के लिए कार्य-शालाएं और panel चर्चा

कला, राजनीतिक सक्रियता और मानसिक स्वास्थ्य को आपस में जोड़ता हुआ, कार्य-शालाओं, panel चर्चा, live संगीत और सांझे भोजन के साथ एक शुल्क रहित आयोजन.

रविवार, 12.11.2023

15:00 – 21:00

Fat Cat

Kellerstraße 8a

81667 München


कार्य-शालाएं (15:00 - 17:30):

शुक्रिया सूफी

Caritas & Refugio München

सदमा और अभिघात-जन्य तनाव विकार (PTSD) से निपटने के दौरान क्या महत्वपूर्ण है. एक मनो-वैज्ञानिक के साथ बैठक कैसी दिखती है? अफगान मनो-वैज्ञानिक और आघात विशेषज्ञ 'शुक्रिया सूफी' के साथ कार्य-शाला इस विषय से सम्बन्धित है. उन्होंने काबुल विश्व-विद्यालय में मनो-विज्ञान का अध्ययन किया. उन्होंने 100 से अधिक doctors, nurses, police अधिकारियों, धार्मिक नेताओं और विभिन्न INGO और ग़ैर सरकारी संगठनों के कर्मचारियों को आघात संवेदनशीलता में प्रशिक्षित किया है.


Agnes Fuchsloch

Bellevue di Monaco

यह कार्य-शाला कानूनी स्तर पर प्रदर्शनों और कार्यक्रमों के आयोजन से सम्बन्धित हर चीज़ के बारे में है. हमारे पास क्या अधिकार हैं? हम संरचनात्मक शक्ति, उत्पीड़न के तन्त्र और विविध भेदभाव को कैसे पहचानें? हमारे पास क्या रणनीतियां हैं?


Fátima de Souza

कला स्वयं के द्वन्द्वों से निपटने और खुद को व्यक्त करने का एक अद्भुत माध्यम है. Brazil में जन्मी और acrylic और कला शैली अमूर्त कला के साथ Germany आईं 68 वर्षीय Fátima de Souza एक व्यावहारिक कार्य-शाला के साथ समझाएंगी.

Kevin Ostoyich

Gastprofessor

Institut für Bayerische Geschichte

LMU

München

स्मृति (विशेष कर holocaust) और रंगमंच के बीच सम्बन्ध में माहिर प्रसिद्ध वैज्ञानिक और theatre व्यवसायी Ostoyich ऐतिहासिक स्रोतों और यादों को एक मनोरम और मार्मिक नाटकीय अनुभव में बदलने की कला सिखाएंगे.

panel चर्चा (शाम 6:30 - 8:00 बजे)

Lise-Christine Kobla Mendama ने 2020 में Germany में सब से बड़े 'Black Lives Matter' demo का सह-आयोजन किया. वहां उन्होंने उपस्थित 25,000 प्रदर्शनकारियों के सामने भाषण दिया. जिस ने उनकी ज़िन्दगी बदल दी. media प्रचार के बाद वे एक freelancer के रूप में  "QUEEN Lizzy" नाम से प्रमुख मंचों पर दिखाई दीं. इस वर्ष उन्होंने असन्तोष को एक प्रेरक शक्ति के रूप में उपयोग करने के विषय पर एक TEDx वार्ता दी. 2022 में उन्हें Bayrischen Rundfunk के द्वारा  'Münchnerin des Jahre' चुना गया.

Yumn Ammar  एक media निर्माता, podcaster और migration पृष्ठ-भूमि वाली प्रस्तुतकर्ता हैं. वह विशेष रूप से नस्लवाद-विरोधी और समावेशन के क्षेत्रों के लिए प्रतिबद्ध हैं.

Sophie Eisenried 'global dis:connect' नामक LMU के एक अनुसंधान केन्द्र का हिस्सा हैं. एक कला इतिहासकार के रूप में उनका ध्यान कला सिद्धांत, कलात्मक प्रथाओं, संस्थागत आलोचना और विशेष रूप से सामाजिक और राजनीतिक आन्दोलनों और कला के सम्बन्ध और वियोग पर है.

34 घंटे के विशेष कार्य बल operation के बाद आदमी अटारी में मृत पाया गया

Havelland क्षेत्र के Milower land ज़िले के Vieritz गांव में एक व्यक्ति ने खुद को 30 घंटे से अधिक समय तक एक घर में बन्द रखा. घर से कई बार गोलियां चलीं. एक गिरफ़्तारी हुई, एक बच्चे को सौंपा गया, व्यापक घेराबन्दी हुई. अधिकारियों ने हथियार और गोला-बारूद जब्त किया.

Havelland ज़िले के Vieritz गांव में विशेष बलों सहित police की एक बड़ी टुकड़ी 34 घंटे तक तैनात रही. उसने एक "अत्यधिक आक्रामक" व्यक्ति को गिरफ़्तार करने की कोशिश की जिस ने खुद को एक आवासीय इमारत में बन्द कर लिया था. police के मुताबिक, अपराधी ने कार्य बलों पर कई बार गोलाबारी की. कोई घायल नहीं हुआ.

घर के पास पहुंचते ही police ने कई हथियार जब्त किए. आवासीय परिसर और घर में आग्नेयास्त्र, गोला-बारूद और अन्य खतरनाक चीज़ें पाई गईं. police के एक प्रवक्ता ने German press agency को बताया कि वहां एक हथ-गोला भी था. यह माना जा सकता था कि जो आदमी एक दिन से अधिक समय से घर में छिपा हुआ है, उस के पास अन्य आग्नेयास्त्र भी हैं.

करीब 34 घंटे के बाद बड़े पैमाने पर चल रहा police operation अब खत्म हो गया है. police प्रवक्ता ने बताया कि रविवार रात करीब 0:30 बजे कार्य बलों को सन्दिग्ध व्यक्ति शिथिल अवस्था में इमारत की अटारी में मिला. एक आपात-कालीन चिकित्सक ने उस की मृत्यु की पुष्टि की. मौत की सही परिस्थितियां अभी स्पष्ट नहीं हैं कि उस व्यक्ति को कार्य बलों द्वारा गोली मारी गई थी या उसने आत्महत्या की. Vieritz गांव की घेरा-बन्दी उठा ली गई है लेकिन अपराध स्थल का एक बड़ा क्षेत्र अभी भी बन्द है.

"Bild" से मिली जानकारी के अनुसार बच्चे की हिरास्त विवाद के कारण यह घटना हुई. कार्य बल शुक्रवार को दोपहर 1:45 बजे 'Brandenburg an der Havel' से लगभग 20 kilometre उत्तर-पश्चिम में Vieritz गांव में पहुंचे. घर में शुरू में चार लोग थे: सन्दिग्ध, एक अन्य व्यक्ति, एक बच्चा और उस की मां.

पश्चिम police विभाग के एक प्रवक्ता ने German press agency को बताया कि शुक्रवार दोपहर को देर रात एक गिरफ़्तारी की गई. उन में से एक व्यक्ति बन्दूक ले कर घर से बाहर आया और police ने उसे पकड़ लिया. जानकारी के मुताबिक, किसी को चोट नहीं आई है. बताया जाता है कि रात को मां घर से निकल गई और बच्चे को युवा कल्याण कार्यालय को सौंप दिया. दोनों अब सुरक्षित हैं.

DPA के एक reporter ने शनिवार दोपहर को घर के सामने विस्फ़ोट की सूचना दी. police की एक बख्तरबन्द गाड़ी इमारत की ओर बढ़ी. पूछे जाने पर police ने किसी आक्रमण की पुष्टि नहीं की. जानकारी के मुताबिक युवा कल्याण कार्यालय द्वारा सुझाया गया जिला न्यायालय का एक फ़ैसला फसाद की जड़ था. दर्जनों बचाव-कर्मी और कई police वाहन मौके पर मौजूद रहे.

बच्चे को खतरे में देखते हुए police के साथ विशेष कार्य बल भी घटना-स्थल पर पहुंचे. गांव की मुख्य सड़क और घटना-स्थल के आवासीय क्षेत्र को बन्द कर दिया गया. निवासियों को आग्रह किया गया कि वे अपने घर से ना निकलें. जो निवासी बाहर से क्षेत्र में प्रवेश करना चाहते थे, उन्हें लौटा दिया गया और रहने के लिए अन्य आवास या स्थान खोजने के लिए कहा गया क्योंकि police को अपने काम के लिए खुली जगह की आवश्यकता थी.

Milower land की नगर पालिका में लगभग 4,400 निवासी हैं, और Vieritz गांव में लगभग 300. यह शहर Saxony-Anhalt के साथ पश्चिमी Brandenburg सीमा पर स्थित है.

https://www.welt.de/vermischtes/kriminalitaet/article248482856/Drama-in-Brandenburg-Nach-34-Stunden-SEK-Einsatz-Mann-tot-auf-dem-Dachboden-gefunden.html

Bangkok का एक sex toy store कैसे महिलाओं के अधिकारों को मजबूत करना चाहता है

Thailand अपने तेज़ी से बढ़ते सेक्स उद्योग के लिए जाना जाता है. यह पुरुषों और पर्यटकों को लक्षित करता है. वहीं स्त्री की इच्छा वर्जित है. Bangkok में एक sex shop की मालकिन इसे बदलना चाहती है.

Bangkok के मध्य में एक छोटी सी दुकान की मेज़ पर हरे, बैंगनी और पीले रंग के vibrator रखे हुए हैं. अलमारियों पर स्नेहक, Cannabis तेल के साथ condom और महिला सुख के बारे में नारीवादी किताबें हैं, जैसे "महिलाओं के लिए तांत्रिक सम्भोग". यहां जो पेश किया गया है वह बेतुका नहीं है. बेतुकी बात यह है कि यह महिलाओं के यौन कल्याण की दुकान वास्तव में मौजूद नहीं होनी चाहिए. क्योंकि वहां जो बेचा जा रहा है, वह अवैध है.

Thailand अपने तेज़ी से बढ़ते सेक्स उद्योग के लिए जाना जाता है. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि समाज कामुकता, विशेष कर महिला कामुकता के साथ स्वतन्त्र रूप से और खुले तौर पर व्यवहार करता है. राज्य बाहरी दुनिया के सामने खुद को सहिष्णु के रूप में प्रस्तुत करता है. महामारी के बाद, राजधानी में Patpong, Silom या Cowboy street में वेश्या-वृत्ति लम्बे समय से फिर से पनप रही है. देश के red light ज़िलों का वार्षिक राजस्व $6.4 billion अनुमानित है. Thailand में 300,000 यौन-कर्मी हैं. और अनगिनत दुकानें और online दुकानें जो आपके प्रेम जीवन के लिए सहायक उपकरण प्रदान करती हैं - काले बाज़ार में. हर साल हज़ारों छोटे उपकरण police और सीमा शुल्क द्वारा जब्त कर लिए जाते हैं.

क्योंकि इन में से किसी को भी आधिकारिक तौर पर अनुमति नहीं है. कानूनी स्थिति स्पष्ट है: वेश्या-वृत्ति निषिद्ध है, और दण्ड संहिता की धारा 287 के अनुसार "अश्लील सामग्री या चीज़ों" का व्यापार और वितरण भी अवैध है. कई चीज़ें बर्दाश्त की जाती हैं. लेकिन जो कोई भी उन्हें पेश करता है उसे jail की सजा और भारी जुर्माना हो सकता है. हालांकि, यौन सेवाएं ख़रीदना प्रतिबन्धित नहीं है.

35 साल की Phutsalunda Matshasoy आलोचना करती है, "सेक्स उद्योग फल-फूल रहा है, लेकिन इसका लक्ष्य पुरुष और पर्यटक हैं. महिलाओं, खास कर स्थानीय महिलाओं को नज़र अन्दाज किया जाता है. अक्सर उनकी पहुंच नहीं होती है."

वह अपनी दुकान का दौरा कराती है जिसे उसने वसन्त ॠतु में खोला था, जो मध्य Bangkok के एक समृद्ध क्षेत्र के मध्य में एक apartment इमारत के भूतल पर स्थित है. एक चमकदार रौशनी वाली दुकान, पीछे एक counter जहां जूस और Champaign परोसी जाती है, फूलदान में कृत्रिम फूल, दीवार पर झुके frame वाले poster, जिन पर कुछ नारे लिखे हैं, जैसे  "Normalise being hot" और "The Anatomy of Pleasure". एक ऐसी जगह जहां सब कुछ सेक्स के बारे में है, लेकिन जो शहर के अन्य जगहों की भद्दी bars से बिल्कुल अलग है, जिन का मुख्य उद्देश्य पुरुषों को आकर्षित करना है.

सेक्स खिलौनों को अपराध घोषित करने वाले प्रतिबन्धात्मक कानूनों ने थाई समाज में महिला कामुकता से जुड़ी वर्जना को मजबूत किया. Matshasoy कहती हैं, "यह लगभग वैसा ही है जैसे उनका अस्तित्व ही नहीं है." कुछ साल पहले, संस्कृति मन्त्रालय ने sex toys को "थाई संस्कृति के विरुद्ध और अधिकांश थाई लोगों के लिए अपमानजनक" बताया था. Matshasoy को लगा कि इसे ऐसे ही नहीं छोड़ा जा सकता.

अपने store में वह थाई महिलाओं को उनके शरीर और यौन स्वास्थ्य के बारे में जानने के लिए एक सुरक्षित स्थान प्रदान करना चाहती है. उस के द्वारा बेचे जाने वाले कई उत्पाद महिलाओं द्वारा विशेष रूप से महिलाओं के लिए बनाए जाते हैं. Bangkok में एक छोटी सी क्रांति.

दुकान का नाम "Lam’s Wellness" है. आधिकारिक तौर पर, नाज़ुक कानूनी स्थिति के कारण, उस की दुकान महिलाओं के समग्र स्वास्थ्य के लिए एक सलाह केन्द्र है. अधिकारियों को पता है कि वह महिला शरीर और कामुकता के बारे में जानकारी प्रदान करती है, किताबें और सहायक उपकरण बेचती है और कार्य-शालाएं आयोजित करती है. उसे इस बात से सावधान रहना होगा कि वह साक्षात्कारों में किन शब्दों का उपयोग करती है और Instagram पर अपने उत्पादों का प्रचार कैसे करती हैं. वह जानती है कि police किसी भी समय दरवाज़े पर आ सकती है और दुकान बन्द कर सकती है.

यहां आने वाली महिलाएं कौन हैं?
»उन में से अधिकतर नई ग्राहक हैं, 23 से 45 वर्ष के बीच के, बहुत शर्मीली. अधिकतर वे पहली बार इन विषयों का सामना कर रही होती हैं. डर इतना है कि थाई महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ भी सेक्स के बारे में बात तक नहीं करतीं. "मुझे आम तौर पर ग्राहकों से बात करने की ज़रूरत नहीं होती है; कुछ बिन्दु पर वे खुद ही कहती हैं कि वे अपने साथी से अपने यौन जीवन के बारे में बात करने की हिम्मत नहीं करती हैं. उन्होंने समझ लिया है कि सेक्स मुख्य रूप से पुरुषों के लिए मज़ेदार है." महिलाओं को लगता है कि वे कुछ खो रही हैं. "कई महिलाएं मुझे बताती हैं कि उन्हें अपने जीवन में कभी भी चरम-सुख प्राप्त नहीं हुआ है."

Matshasoy का मानना है कि उस के खिलौने महिलाओं को अपने शरीर का पता लगाने का एक अवसर हैं, पुरुषों के बिना. Matshasoy कहती हैं, "मैं वर्षों से अपने लिए अच्छे उत्पादों की तलाश कर रही हूं. वे यहां Bangkok महा-नगर में नहीं मिलते." आज वह कई उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद विदेशों से आयात करती है.
 
Matshasoy के लिए अपने शरीर को जानने का विषय अच्छे सेक्स से कहीं अधिक व्यापक है. दक्षिण पूर्व Asia में schools में शायद ही कोई शिक्षा होती है. बहुत लड़कियां जल्दी गर्भवती हो जाती हैं और फिर अपनी शिक्षा पूरी करने या स्वतन्त्र जीवन जीने में असफ़ल हो जाती हैं. Thailand में कई किशोरियां भी बच्चों को जन्म देती हैं; वे जन्म आंकड़ों का दसवां हिस्सा बनाते हैं. कुछ साल पहले Thailand में युवाओं के बीच यौन शिक्षा पर UNICEF की एक report में कहा गया था कि अधिकांश लोग मासिक धर्म चक्र के बारे में सवालों के जवाब देने में असमर्थ थे. अधिकतर छात्राओं ने बताया कि वे गर्भ-निरोध के लिए मुख्यत गर्भ निरोधक गोलियां इस्तेमाल करती हैं क्योंकि लड़के condom का इस्तेमाल करने को तैयार नहीं होते.

Matshasoy का मानना है कि जो लोग अपने शरीर के बारे में अधिक जानते हैं वे अपनी सीमाएं बेहतर ढंग से परिभाषित सकते हैं. जब दूसरा व्यक्ति इन सीमाओं को पार कर जाए तो इस पर अधिक ध्यान दें और सहायता प्राप्त करें. 'Women and Men Progressive Movement Foundation' के द्वारा 2021 में किए गए सर्वेक्षण के अनुसार Thailand में 75 प्रतिशत महिलाओं ने अपने पारिवारिक वातावरण में दुर्व्यवहार का अनुभव किया है. यही कारण है कि Matshasoy अपनी दुकान में यौन हिंसा के अनुभवों, स्तन cancer का शीघ्र पता लगाने या कामेच्छा और अवसादरोधी दवाओं के बीच सम्बन्ध पर मुफ़्त कार्य-शालाएं प्रदान करती है. वह पेशेवर मनो-वैज्ञानिकों को आमन्त्रित करती है और परस्पर चर्चा के लिए एक मंच प्रदान करती है.वह कहती हैं कि आज तक उनके देश में शायद ही ऐसा कुछ हुआ हो.

Thailand में sex toys को अपराध की श्रेणी से बाहर करने और एक अधिक खुले समाज की वकालत करने के लिए युवा महिलाओं और पुरुषों के द्वारा एक आन्दोलन चलाया जा रहा है, विशेष कर online. इसकी शुरुआत 2018 में कार्य-कर्ता Nisarat Jongwisan द्वारा की गई थी, जो LGBTQ समुदाय के अधिकारों और सुरक्षित गर्भ-पात के लिए भी अभियान चलाती है. वह कहती है: "हमें अपनी आवाज़ उठाने की ज़रूरत है और महिला सुख के बारे में अधिक खुल कर बात करना शुरू करना चाहिए."

पिछले चुनाव अभियान में सेक्स खिलौनों का वैधीकरण भी एक मुद्दा था; सभी लोगों में से रूढ़िवादी democratic party ने इसका समर्थन किया और उसे विपक्ष में जाना पड़ा. Matshasoy को अब भी उम्मीद है कि नई सरकार कुछ करेगी.

उस की दुकान में की तरह मंहगे वाईब्रेटर हैं, जैसे "human touch" जो waterproof है और जो छह कम्पन स्तरों से युक्त है. "व्हिस्परर" इतना छोटा है कि यह handbag में lipstick जैसा दिखता है. नर्म सिलिकॉन से बना "French lover" जीभ का आभास देता है. "Lam’s Wellness" के कई उत्पादों की कीमत लगभग 100 Euro है. केवल उच्च मध्यम वर्ग ही इसे वहन कर सकता है. उस का store व्यापक महिला आबादी के लिए नहीं है. यह Matshasoy जानती है. वह कहती है कि शुरुआत करना महत्वपूर्ण है. »महिलाएं फिर भी यहां आ सकती हैं, थोड़ा आराम कर सकती हैं और अन्य महिलाओं के साथ बात कर सकती हैं.  वे अन्य महिलाओं की कहानियों से बहुत कुछ सीख सकती हैं."« 

https://www.spiegel.de/ausland/weibliche-lust-in-bangkok-im-sex-toy-laden-den-es-eigentlich-nicht-geben-duerfte-a-32fcca3e-4a95-4740-8dd9-79487f1a0f80

https://library.siam-legal.com/thai-law/criminal-code-indecency-prostitution-sections-282-287/

शनिवार, 11 नवंबर 2023

प्रवासन सलाहकार board के वार्षिक अनुदान में वृद्धि नहीं

Munich प्रवासन सलाहकार board का एकीकरण प्रकृति की परियोजनाओं, अभियानों और आयोजनों के लिए 160,000 Euro का वार्षिक budget है. इस तरह, प्रवासन सलाहकार board Munich में अन्तर-सांस्कृतिक संवाद और शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा देता है. जो एक ओर हमें बहुत गौरवांवित करता है, लेकिन साथ ही हमारे लिए नई चुनौतियां भी प्रस्तुत करता है, क्योंकि 2023 के लिए नियोजित 160,000 Euro का वार्षिक budget August में लगभग पूरी तरह से समाप्त हो गया था. यह, अन्य बातों के अलावा वर्तमान मुद्रास्फीति के परिणाम-स्वरूप परियोजना लागत में वृद्धि के कारण है. प्रवासन सलाहकार board ने इस budget को कई गुना बढ़ाने का आह्वान किया है और सम्बन्धित प्रस्ताव तैयार किए हैं. लेकिन हमारे प्रयासों के बावजूद budget, जो आखिरी बार 2016 में बढ़ाया गया था, समायोजित नहीं किया गया है. प्रवासन सलाहकार board का उद्देश्य अधिक से अधिक संगठनों और संघों को उनकी परियोजनाओं के कार्यान्वयन में वित्तीय सहायता प्रदान करना है और इस प्रकार हमारे शहर में विविधता को मजबूत करना है. इस लिए प्रवासन सलाहकार board वार्षिक budget में वृद्धि के लिए अपना आह्वान दोहराएगा और 27 नवंबर, 2023 को अगली आम बैठक में एक और आवेदन प्रस्तुत करेगा.

https://migrationsbeirat-muenchen.de/downloads/pressemitteilungen/23-11-10-Pressemitteilung-Zuschuesse.pdf

online प्रदर्शनी: 100 साल पहले की फिल्में

Schwandorf city अभिलेखागार उन फिल्मों को इच्छुक जनता के सामने लाना चाहता है जो 100 साल पहले Schwandorf में दिखाई जाती थीं. इस परियोजना का विचार 2022 की गर्मियों में पूर्व Metropol cinema में "cinema इतिहास" विषय पर चली बेहद सफ़ल प्रदर्शनी के दौरान ही आया था. चूंकि हमारे पास अभी भी उस समय के दैनिक समाचार पत्र हैं, इस लिए उस समय की फिल्मों के विज्ञापनों को शीर्षक एवं अतिरिक्त जानकारी के साथ city archives website पर प्रकाशित किया जाएगा. तो एक नज़र डालें और पता लगाएं कि 100 साल पहले Schwandorf के लोग किन "classics" पर हंसते थे, सोचते थे या इस अपेक्षाकृत नए मनोरञ्जन विकल्प का आनन्द लेते थे.

क्या आपने कभी सोचा है कि आपके माता-पिता, दादा-दादी या परदादा-परदादा मनोरञ्जन के लिए कौन सी फिल्में देखा करते थे? उस समय कोई आरामदायक अस्बाब वाली कुर्सियां या Dolby surround sound नहीं थे. यहां तक कि रंगीन या ध्वनि वाली फिल्में भी ज़रूरी नहीं थीं. लेकिन Schwandorf के कई cinema-घरों में तब भी अच्छी दर्शक संख्या होती थी. फिल्में हमेशा कुछ दिनों तक चलती थीं, आम-तौर पर शाम को या सप्ताहांत पर. उस समय फिल्में दिल बहलाने का, रोजमर्रा की ज़िन्दगी से बदलाव, बात-चीत का विषय, चलचित्र में अपने सपनों को जीने का एक ज़रिया थीं. कुछ फिल्मों पर आज हम हंस सकते हैं, जैसे comedy "Der Weiberfresser" (A woman eater), लेकिन उस समय वे बहुत लोकप्रिय थीं. शायद उस समय लोग बेहद कठिन रोजमर्रा की ज़िन्दगी से बदलाव की तलाश में थे. विशेष रूप से वर्ष 1923 (अक्सर संकट के वर्ष के रूप में जाना जाता है) ने Germany और Schwandorf शहर के लोगों के लिए बड़ी चुनौतियां प्रस्तुत कीं. France ने Ruhr क्षेत्र को घेर लिया, जिस से इस क्षेत्र में उत्पादन लगभग पूरी तरह ठप्प हो गया. अत्यधिक मुद्रास्फीति ने छोटे कर्मचारियों को सब से अधिक प्रभावित किया. हर चीज़ अधिक महंगी हो गई. बचत का कोई फ़ायदा नहीं था. सरकार ने अक्सर हड़ताल करने वाले कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने के लिए बहुत सारे नोट छापे. नवंबर 1923 में Adolf Hitler और general Ludendorff ने सरकार को अपदस्थ घोषित कर दिया. पर तख्तापलट का प्रयास विफल हो गया और Hitler jail चला गया.

https://www.schwandorf.de/B%c3%bcrger-Stadt/Unsere-Stadt/Stadtarchiv

शुक्रवार, 10 नवंबर 2023

विज्ञान की नायिका - Vera Rubin

अमेरिकी खगोल-शास्त्री ने एक रहस्यमय पदार्थ की खोज की जो ब्रह्माण्ड का एक बड़ा हिस्सा है: dark matter

तारों को देखना सोने से कहीं अधिक रोमांचक है. Vera Rubin ने यह बात बहुत पहले ही जान ली थी. 1938 में, जब वह दस वर्ष की थी, वह और उस के यहूदी माता-पिता संयुक्त राज्य America की राजधानी Washington DC में एक नए घर में चले गए. वहां अटारी के नीचे उस का एक छोटा सा कमरा था. अपने बिस्तर से वह सीधे खिड़की से बाहर तारों से भरे आकाश को देख सकती थी. तब से वह रात में जाग कर सोचती रही कि ब्रह्माण्ड कैसे काम करता है. दिन के दौरान Vera Rubin ने खगोल विज्ञान के बारे में वह सब कुछ पढ़ा जो उस के हाथ आया. उस की मां ने उसे विशेष रूप से अनुमति दी ताकि वह पुस्तकालय के वयस्क अनुभाग से किताबें उधार ले सके. उनके पिता, जो एक electrical engineer के रूप में काम करते थे, ने उसे cardboard tube और एक lense से दूरबीन बनाने में मदद की. 1944 में उसने स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद एक महिला college, Vassar college में खगोल विज्ञान का अध्ययन किया. 19 साल की उम्र में अपनी पढ़ाई के दौरान ही उसने गणित के छात्र Robert Rubin से शादी कर ली. दोनों जीवन भर साथ रहे और उनके तीन बेटे और एक बेटी हुई. उस समय की आम प्रथा के विपरीत Vera Rubin बच्चों के साथ घर पर नहीं रहीं, बल्कि अपने पति की तरह ही विज्ञान के क्षेत्र में काम किया. पहले Washington विश्व-विद्यालय में, बाद में वहां के Carnegie institute में, जो अपने खगोलीय शोध के लिए प्रसिद्ध है. Rubin के लिए काम और परिवार के बीच सन्तुलन बनाना आसान नहीं था. यह केवल इस लिए सम्भव था क्योंकि दादा-दादी नाना-नानी बच्चों की देख-भाल में मदद करते थे. Vera Rubin अक्सर रात में काम करती थीं जब परिवार के बाक़ी लोग सो रहे होते थे. या जब बच्चे खेल रहे होते तो वह बीच-बीच में रसोई की मेज़ पर बैठ जाती. फिर उसने गणना की कि आकाश-गंगा में तारे कितनी तेज़ी से घूमते हैं. आकाश-गंगा अरबों तारों का एक संग्रह है, जो अक्सर केन्द्र में एक बिन्दु के चारों ओर चक्कर लगाते हैं. प्रकृति के नियमों के अनुसार जो तारे आकाश-गंगा के केन्द्र के करीब हैं, उन्हें सर्पिल भुजाओं के बिल्कुल बाहर वाले तारों की तुलना में तेज़ी से घूमना चाहिए. इसका सम्बन्ध गुरुत्वाकर्षण से है. पर 1970 के दशक में Vera Rubin ने पाया कि किसी आकाश-गंगा के बाहरी तारे भी उतनी ही तेज़ी से घूमते हैं, जितनी तेज़ी से आन्तरिक तारे घूमते हैं. यह वास्तव में असम्भव है. इतनी तेज गति से तारों को आकाश-गंगा से बाहर फेंकना चाहिए, मेले में हिण्डोले के समान. यह जितनी तेज़ी से घूमता है, सीटें उतनी ही ऊंची उड़ान भरती हैं. हिण्डोले पर ज़ंजीरें seats को उड़ने से रोकती हैं. लेकिन आकाश-गंगा में तारों को उनके स्थान पर कौन सी चीज़ रोक कर रखती है? यह कोई बहुत भारी वस्तु होनी चाहिए जिस में उच्च स्तर का आकर्षण हो, लेकिन साथ ही यह हमारी आंखों और मापने वाले उपकरणों के लिए पूरी तरह से अदृश्य हो. Swiss खगोल-शास्त्री Fritz Zwicky ने 1933 में ही ऐसे रहस्यमय अदृश्य द्रव्य-मान के बारे में लिखा था. उन्होंने इसे "dark matter" कहा क्योंकि यह ना तो प्रकाश उत्पन्न करता है और ना ही प्रकाश को प्रतिबिम्बित करता है. यह इसे दृश्यमान पदार्थ से अलग करता है, वह सामग्री जिस से तारे, ग्रह और हम बने हैं. Vera Rubin ने कल्पना की कि आकाश-गंगाएं बड़ी मात्रा में काले पदार्थ से ढकी हुई थीं और उन्होंने तारों को अपने गुरुत्वाकर्षण से अपनी जगह पर रोक रखा था. जब उन्होंने अपने सह-कर्मियों को इस के बारे में बताया, तो उन में से अधिकांश को सन्देह हुआ कि क्या यह सिद्धांत सच हो सकता है. क्योंकि इसका मतलब यह होगा कि खगोल विज्ञान ने अब तक ब्रह्माण्ड के केवल एक छोटे से हिस्से की ही जांच की होगी. अन्तरिक्ष में प्रकाश से कहीं अधिक अन्धकार है. यदि Vera Rubin सही थीं, तो यह अन्धेरा किसी चीज़ से नहीं, बल्कि एक अदृश्य पदार्थ से बना था, जिसे उनसे पहले के लगभग सभी शोधकर्ताओं ने नज़र-अन्दाज कर दिया था. आज, 40 से अधिक वर्षों के बाद हम जानते हैं कि Vera Rubin की गणना सही है: अन्तरिक्ष में दृश्य पदार्थ (5%) की तुलना में पांच गुना अधिक अदृश्य पदार्थ (27%) है. हालांकि, एक अन्य रहस्यमय घटक सब से बड़ा हिस्सा बनाता है: dark energy (68%). कोई नहीं जानता कि ये दोनों पदार्थ (dark matter, dark energy) किस से बने हैं. दुनिया भर के खगोल वैज्ञानिक इस पहेली को सुलझाने में लगे हुए हैं. Vera Rubin यह देखने के लिए जीवित नहीं हैं. 2016 में 88 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई. उनकी और उनकी उपलब्धियों की स्मृति में एक नई बड़ी दूरबीन का नाम उनके नाम पर रखा गया है. यह Chile के रेगिस्तान में बनाई जा रही है और 2024 में समाप्त होने वाली है जो अन्य चीज़ों के अलावा dark matter और dark energy की खोज करेगी.