शनिवार, 16 दिसंबर 2023

ESA - बड़ी अन्तरिक्ष योजनाएं, बिना रॉकेट के

अन्तरिक्ष अभियान आज एक ऐसी क्रांति का अनुभव कर रहे हैं जैसी 20 साल पहले internet ने की थी. आर्थिक दोहन (space mining) के लिए हज़ारों धूमकेतुओं (comets) और क्षुद्रग्रहों (asteroids) को खोजा और जांचा जा रहा है, चन्द्रमा पर मनुष्यों के स्वतन्त्र और टिकाऊ वास का परिदृश्य विकसित किया जा रहा है. 2040 तक वैश्विक अन्तरिक्ष व्यवसाय एक trillion Euro तक बढ़ जाएगा. Europe इसका एक तिहाई हिस्सा सुरक्षित करना चाहता है. इस लिए ESA (European Space Agency) के अन्तर्गत 22 European देशों ने मिल कर पिछले कई वर्षों से बहुत उल्लेखनीय अभियानों को अञ्जाम दिया है. भविष्य में भी उनके पास बहुत सी योजनाएं हैं. पर सारी बात rocket पर आकर रुक जाती है. Europe अपने यानों, उप-ग्रहों और सैन्य scouts को अन्तरिक्ष में भेजने के लिए अभी भी काफ़ी हद तक अन्य देशों पर निर्भर है. ESA का स्व-निर्मित »Ariane 5« rocket 1996 से 2023 तक उपयोग में था और 20 तक टन का वजन पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाने में सक्षम था. पर 2012 तक ये माना जाने लगा कि »Ariane 5« आकार में बहुत बड़ा हो गया है और लगातार आधुनिक और छोटे होते उप-ग्रहों को प्रभावी ढंग से पृथ्वी की कक्षा में ले जाने के लिए इसका संचालन बहुत महंगा हो गया है. इस लिए इसे July 2023 में 117 वीं और अन्तिम बार launch किया गया. इस के बाद इसे हटा दिया गया. इसका उत्तराधिकारी, »Ariane 6« सम्भवत: 2024 में launch होगा और यह सम्भवत: अन्य देशों की तुलना में बहुत महंगा होगा. »Ariane 6« दो engines के साथ दस टन तक और चार engines के साथ 20 टन से अधिक वजन ले जाने में सक्षम होगा. ESA का Italy में निर्मित Vega rocket केवल 1.5 टन तक, और Vega-C संस्करण 2.5 टन तक के छोटे उप-ग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में ले जा सकता है. इस लिए ESA को तत्काल इस प्रश्न का उत्तर खोजने की आवश्यकता है कि भविष्य में अपने उपकरणों को अन्तरिक्ष में कैसे ले जाएगा. »Ariane 6« के विकास के प्रश्न पर Germany और France के बीच रस्साकशी चलती रही. Germany »Ariane 5« के ऊपरी चरण को बेहतर बनाना चाहता था और इसे Bremen में विकसित और निर्मित करना चाहता था. France एक पूरी तरह से नया ठोस-ईंधन rocket बनाना चाहता था ताकि उसे परमाणु ऊर्जा चालित rockets के लिए भी इस्तेमाल किया जा सके. अन्तत: »Ariane 6« को दो या चार तरफ़ ठोस प्रणोदन engine और Germany का बना हुआ ऊपरी चरण दिया गया. यह विचार ना तो नवोन्वेषी था, ना ही टिकाऊ और ना ही इसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता था. SpaceX ने पहले ही साबित कर दिया था कि rocket की केन्द्रीय drive इकाई अपना काम पूरा होने के बाद अन्तरिक्ष से लौट सकती है और पृथ्वी पर उतर सकती है. यह पुन: प्रयोज्य (reusable) rockets की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था. फिर भी लम्बे समय तक Europe के अन्तरिक्ष प्रबन्धक SpaceX का मज़ाक उड़ाते रहे, यह कह कर कि California की company सपने बेच रही है. SpaceX का Falcon 9 अब तक लगभग 250 बार सफ़लतापूर्वक launch हो चुका है और 200 से अधिक बार उतर चुका है.

July 2023 की शुरुआत में Cape Canaveral में ESA की 1.4 अरब Euro की लागत वाली महान दूरबीन »Euclid« को SpaceX के Falcon 9 rocket द्वारा अन्तरिक्ष में भेजा गया. 41 minute बाद »Euclid« दूरबीन अन्तरिक्ष में तैर रही थी. आने वाले वर्षों में यह अन्तरिक्ष दूरबीन अरबों आकाश-गंगाओं का निरीक्षण करेगी और उनके आकार और स्थिति को मापेगी. शोध-कर्ताओं को प्रकृति में दो घटनाओं की क्रांतिकारी अन्तर्दृष्टि प्राप्त करने की भी उम्मीद है जिन्हें वे dark matter और dark energy कहते हैं. दोनों मिल कर ज्ञात ब्रह्माण्ड का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं. लेकिन इनके पीछे क्या है ये अभी तक पता नहीं चल पाया है. यह ब्रह्माण्ड के महान रहस्यों में से एक है और Europe इसे सुलझाना चाहता है. »Euclid« के विकास और निर्माण में Hungary के अलावा ESA के सभी सदस्य देशों ने योगदान दिया. कई देशों की राष्ट्रीय अन्तरिक्ष agencies, मन्त्रालयों या विश्व-विद्यालयों ने mission को वित्त-पोषित किया. अनुसंधान संस्थानों और companies ने »Euclid« के दस उच्च-तकनीकी उपकरणों की आपूर्ति की, जैसे camera, spectrometer, radar, magnetometer और अन्य मापने वाले उपकरण. Europe ने »Euclid« के प्रक्षेपण के लिए SpaceX को लगभग 65 million Euro का भुगतान किया. जब कि कहा जाता है कि SpaceX को प्रत्येक launch की लागत 30 million Euro से भी कम पड़ती है. दूसरी ओर ग़ैर-पुन: प्रयोज्य (non-reusable) »Ariane 6« की उड़ानों की कीमत variant के आधार पर 75 या 115 million Euro तक आएगी. और इस के विकास की लागत चार अरब Euro से अधिक है. वास्तव में »Ariane 6« 2020 में launch होने वाला था. पर अब यह 2024 से पहले launch नहीं होगा. ESA के अनेक महत्वपूर्ण अभियान इतने लम्बे समय तक इन्तज़ार नहीं कर सकते: Europe का क्षुद्रग्रह यान »Hera«, cloud explorer »Earthcare«, और शायद अगले Galileo उप-ग्रह, ये सभी अब European के बजाय SpaceX के Falcon 9 के साथ launch होने वाले हैं.

ऐसा नहीं है कि ESA समय के संकेतों को नहीं पहचानता है. »Themis« कार्यक्रम में, Arianegroup 2020 से ESA के लिए नए rocket engine »Prometheus« के साथ एक नया पुन: प्रयोज्य rocket विकसित कर रहा है. इस engine की लागत नई सामग्रियों और विनिर्माण प्रक्रियाओं के कारण पिछले engines की लागत की अपेक्षा केवल दस प्रतिशत होगी. जून में इसका प्रारम्भिक परीक्षण सफ़ल रहा. लेकिन Arianegroup का खुद का कहना है कि 2030 तक किसी operational rocket की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. इस परियोजना को अल्पवित्त-पोषित भी माना जाता है. rocket के मामले में कई वर्षों से एक विश्वसनीय सांझेदार रूस ने Ukraine में युद्ध के कारण खुद को खत्म कर लिया है. सम्भावित राष्ट्रपति Donald Trump के तहत संयुक्त राज्य America को अविश्वसनीय माना जाता है. भारत एक सम्भावित उम्मीदवार होता, लेकिन August में »चन्द्र-यान-3« के सफ़ल mission से पहले उसे असफ़लताओं से जूझना पड़ा. चीन अपने महत्वाकांक्षी अन्तरिक्ष कार्यक्रम के साथ तेज़ी से प्रतिस्पर्धी बनता जा रहा है. और SpaceX अपने विलक्षण और चंचल boss Elon Musk के तहत कोई स्वप्निल भागीदार नहीं है. 

European rocket के विकास के मामले में एक मूलभूत समस्या है »Geo-Return«. यह एक सिद्धांत है जिस के अनुसार प्रत्येक ESA सदस्य देश अन्तरिक्ष परियोजनाओं से अपने वित्तीय योगदान के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र में और अन्तरिक्ष उद्योग में नौकरियां सुरक्षित करने में लाभ उठाना चाहता है. उदाहरण के लिए Germany अन्तर-राष्ट्रीय अन्तरिक्ष station (ISS) के संचालन की European लागत का लगभग 38 प्रतिशत वहन करता है. इस लिए यह European अनुसंधान समय का 38 प्रतिशत पाने का हकदार है. लेकिन तेज़ी से बढ़ती वाणिज्यिक अन्तरिक्ष दुनिया में, Geo-Return ESA के लिए एक नुकसान साबित हो रही है. 22 में से केवल 13 देश Ariane कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं और सब की अपनी औद्योगिक प्राथमिकताएं हैं. अगर SpaceX को भी सब से सस्ते, सब से उपयुक्त घटकों को ख़रीदने या विकसित करने के बजाय Texas से engine, Vermont से valve और Alaska से cable ख़रीदना पड़ता, तो company कभी इतनी सफ़ल नहीं होती. इस लिए Geo-Return प्रतिस्पर्धा और नवाचार को रोक रहा है. Geo-Return के कारण नए start-ups को उत्साहित करना भी मुश्किल है, क्योंकि युवा companies वहीं बनती हैं जहां नए विचार और प्रतिबद्ध संस्थापक होते हैं. लेकिन इस सिद्धांत को आसानी से समाप्त भी नहीं किया जा सकता है. इस के लिए सभी 22 सदस्य देशों की सहमति की आवश्यकता होगी. फिर भी ESA ने हाल ही में Germany के दबाव में आ कर Germany के तीन start-ups को बढ़ावा देने के लिए एक प्रतियोगिता की घोषणा की. उम्मीदवारों को ESA से European उप-ग्रह launch करने के आदेश मिलेंगे, बशर्ते छोटे rocket एक दिन सफ़लतापूर्वक उड़ान भरें. ये तीन start-ups mini-उप-ग्रह launch करने के लिए छोटे rocket विकसित कर रहे हैं, यह प्रतियोगिता अमेरिकी अन्तरिक्ष agency NASA के उस विचार की नक़ल है जिस के तहत NASA ने कभी SpaceX को बढ़ावा दिया था. हालांकि NASA का वित्त-पोषण बहुत छोटा था. NASA ने Space-Shuttle युग के अन्त में 2011 में अनुबन्ध देने के तरीके को मौलिक रूप से ही बदल दिया था. स्वयं rockets को चालू करने, योजना बनाने, भुगतान करने और महंगे तरीके से संचालित करने के बजाय, निजी companies को उनकी पहल और उद्यमशीलता कर जोखिम पर यह काम दे दिया गया था. NASA केवल प्रदर्शन data प्रदान करती थी, कुछ सौ million Dollar की start-up funding देती थी और start-up सफ़ल होने पर launch order की guarantee देती थी. अन्तत: दो start-up इस में सफ़ल हुए: 'Orbital Sciences' और 'SpaceX'. NASA model को बेहद सफ़ल माना जाता है और अब इसे कई बार copy किया गया है, जिस में चन्द्रमा पर भविष्य की उड़ानों के लिए 'अन्तरिक्ष यान' का विकास भी शामिल है.