सोमवार, 4 दिसंबर 2023

जल्द रिहा होने के लिए कैदी बना जल्लाद

18 जून 2023 को पूर्व माओवादी और 'पूर्ब बांगलार सर्वहारा party' के सदस्य 73 वर्षीय 'शहाजहां भुइयां' को 32 साल बाद बंगलादेश की राजधानी ढाका के उत्तर में स्थित काशिमपुर central jail से रिहा किया गया. उसे 1992 में लूट और हत्या के लिए कुल 42 वर्ष की सजा हुई थी. लेकिन jail में रहते हुए उसने मृत्यु दण्ड पाने वालों को फ़ांसी पर लटकाने में मदद करनी शुरू कर दी, और धीरे धीरे 'मुख्य जल्लाद' नियुक्त कर लिया गया. हर मृत्यु दण्ड से उस की सजा में से कुछ महीनों की छूट दी जाती थी. कुल मिलाकर उसकी सज़ा की अवधि लगभग दस वर्ष कम हो गई। बंगलादेश एकमात्र ऐसा देश है जहां अभी भी फ़ांसी के साथ मृत्यु दण्ड दिया जाता है. वहां लम्बी अवधि के कैदियों को मौत की सजा के निष्पादन में भाग लेने की अनुमति है. उनका जल्लाद के काम के लिए चयन और प्रशिक्षण दिया जाता है. बांग्लादेश में हत्या, आतंकवाद, अपहरण, विद्रोह और हाल के वर्षों में बलात्कार के लिए मौत की सजा दी जा सकती है. आम-तौर पर दोषी को शाम आठ बजे सूचित किया जाता है. मौलाना उस के लिए सफ़ेद कपड़े लाता है. साथी कैदी उन्हें अन्तिम स्नान के लिए नीम और बेर के पत्ते देते हैं. लगभग सभी फ़ांसियां आधी रात के एक minute बाद दी जाती हैं. बंगलादेश की jails में अनुमानत 2000 हत्यारे और इस्लामी चरमपंथी मौत का इन्तज़ार कर रहे हैं. भुइयां ने अपने जीवन में करीब 60 फ़ांसियां देखी हैं. इन में से 26 लोगों को उसने खुद फ़ांसी दी जिन में 2007 में फ़ांसी पर लटकाया गया बन्दलादेशी आतंकवादी 'सिद्दिकी-उल-एस्लाम' उर्फ़ 'बंगला भाई' भी था.