गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

एक आनन्त यादगार

The Eternal Memory (मूल शीर्षक: La Memoria Infinita, German शीर्षक: Die Unendliche Erinnerung) 2023 में Maite Alberdi द्वारा निर्देशित Chile का एक वृत्तचित्र  है. यह फिल्म Chile के पत्रकार Augusto Góngora (02.01.1952 - 19.05.2023) पर केन्द्रित है, जिन्हें Alzheimer रोग हो गया था. बढ़ती बीमारी और रोजमर्रा की ज़िन्दगी में उतार-चढ़ाव को उनकी पत्नी Paulina Urrutia (*15.01.1969) ने video में दर्ज किया. 1983 में जन्मी निर्देशक Maite Alberdi अपनी फिल्म "The Mole - A Detective in the Nursing Home" (2020) के लिए Oscar के लिए नामांकित होने वाली पहली Chile वासी थीं. Augusto Chile के सब से प्रमुख सांस्कृतिक पत्रकारों और television प्रस्तुतकर्ताओं में से एक थे. अपने career के दौरान Augusto ने Pinochet शासन के अपराधों पर विस्तार से लिखा और यह सुनिश्चित किया कि Pinochet तानाशाही के अत्याचारों को भुलाया ना जाए. Paulina एक मंच, TV और सिनेमा अभिनेत्री हैं जिन्होंने अपने कलात्मक काम के अलावा 2006 से 2010 तक Mitchell Bachelet की पहली सरकार में संस्कृति मन्त्री के रूप में भी काम किया. फिल्म का premier 22 January 2023 को Sundance Film Festival में हुआ जहां इसे Grand Jury पुरस्कार मिला. European premier 18 February, 2023 को Berlin अन्तर-राष्ट्रीय फिल्म महोत्सव में हुआ, जहां इसे panorama अनुभाग में आमन्त्रित किया गया था. premier के कुछ महीनों बाद Augusto की मृत्यु हो गई. यह फिल्म Germany के सिनेमा में 28 December, 2023 को release हुई, जिसे Piffl Medien द्वारा वितरित किया गया. Rotten Tomatoes website के अनुसार यह फिल्म एक गहरी राजनीतिक पृष्ठ-भूमि के खिलाफ़ एक गहरी व्यक्तिगत कहानी है और प्रेम और स्मृति की शक्ति का एक मार्मिक प्रमाण है.

Augusto Góngora और Paulina Urrutia सन 2000 से एक-दूसरे के साथ रह रहे थे. वे लम्बे समय तक अविवाहित रहे. 2015 में Augusto के Alzheimer रोग के बारे में पता चला. Paulina तभी से उनकी देख-भाल कर रही थीं. Augusto की बीमारी का पता चलने के बाद फिल्म निर्माता Alberdi द्वारा उनके निजी जीवन को फिल्माने का निर्णय सोच समझ कर और Augusto की सहमति से लिया गया. 2020 में जा कर उन्होंने शादी की. Augusto ने जिस तरह अपने पत्रकारिता कार्य में अथक रूप से यह सुनिश्चित किया कि Chile में राज्य द्वारा किया गया अन्याय बख्शा ना जाए और सामूहिक रूप से उस का दमन किया जाए, वैसे ही उसने अपनी पत्नी और Alberdi के साथ मिल कर अपनी बीमारी के कारण अपनी शारीरिक और मानसिक शक्ति में गिरावट के दस्तावेज़ीकरण में योगदान दिया. फिल्म में जहां दम्पत्ति को हर दिन बीमारी के कारण उत्पन्न होने वाली कठिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ता है, वहीं ही वे एक-दूसरे के प्रति कोमल स्नेह दिखाते हैं और उनकी हास्य की भावना उन्हें एक साथ रखती है.

प्यार के कबूलनामे में जोड़े एक-दूसरे से अच्छे और बुरे समय में शाश्वत वफ़ादारी की शपथ लेते हैं. लेकिन उस समय बहुत से लोग नहीं जानते कि बुरा समय आने का वास्तव में क्या मतलब होता है. Augusto और Paulina 20 वर्षों से एक साथ हैं, उनके दो बच्चे हैं और उन्होंने एक घर बनाया है. लेकिन Augusto की बीमारी के कारण यह सब गायब होने का खतरा है. कई अन्य लोगों की तरह Augusto भी तेज़ी से अपनी याददाश्त खो रहा है. अब वह नहीं जानता कि वह कौन है, कहां है, और अब दूसरों को नहीं पहचानता. लेकिन फिल्म में बीमारी के बारे में बहुत कम दिखाया गया है. Alzheimer या dementia के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है, doctors के साथ बीमारी के बारे में किसी बात-चीत के दृश्य नहीं दिखाए गए हैं. वास्तव में Alzheimer शब्द का उल्लेख भी फिल्म काफ़ी देर बाद किया गया है. और बाद में भी वे दोनों इस के बारे में बहुत कम बात करते हैं. इस की बजाय दर्शक उनके विवाह, उनके अतीत और वर्तमान के दृश्य देखते हैं. फिल्म में उनके युवा दिनों के, और बच्चों के साथ अनेक video दिखए गए हैं. Augusto का पेशेवर अतीत भी दिखाया गया है जब वे Pinochet तानाशाही के विरुद्ध एक पत्रकार के रूप में काम कर रहे थे.

Augusto की यादें तेज़ी से धुंधली होती जा रही हैं. Paulina को लगातार उसे याद दिलाना पड़ता है कि वह कौन है. कभी-कभी जब वह अपना प्रतिबिम्ब देखता है तो वह खुद को नहीं पहचान पाता है या अपनी किताबों से घिरा हुआ महसूस करता है जैसे कि उससे सब कुछ छीन लिया गया हो. यह फिल्म बताती है कि इस बीमारी का क्या मतलब है और इस के साथ होने वाले नुकसान क्या हैं. कुछ चीज़ें इतनी करीब होती हैं कि उनसे जुड़े रहना मुश्किल हो जाता है. फिर भी निर्देशक Maite Alberdi ने अनेक खूबसूरत और कोमल क्षणों को इस में शामिल किया है. जब वे दोनों एक साथ नृत्य करते हैं या मज़ाक करते हैं तो दर्शकों को लगता है कि सब कुछ ठीक हो जाएगा. कि दोनों का ना केवल एक अतीत है, बल्कि एक भविष्य भी है. यह फिल्म यह जानती है कि दर्शकों में भावनाएं कैसे जगाई जाती हैं. इस में दर्शकों के साथ किसी भी तरह का हेर फेर करने की कोशिश नहीं की गई. दृश्य स्वयं बोलते हैं. "Gone with the Wind" (1939) या "Titanic" (1997) जैसी महान प्रेम कहानियां अक्सर महाकाव्य विस्तार में बताई जाती हैं, जिन में 1000 से अधिक की चुनौतीपूर्ण पृष्ठ संख्या और तीन घंटे से अधिक का समय होता है. लेकिन इस फिल्म के संक्षिप्त 85 minute इतनी गहराई और एहसास से भरे हुए हैं कि फिल्म के याद रह जाने की तीव्रता किसी भी किताब या किसी भी सिनेमाई महाकाव्य को मात दे सकती है.

एक ओर यह फिल्म बेहद दुखद है क्योंकि यह हमें अवगत कराती है कि सब कुछ क्षण-भंगुर है. दूसरी ओर, यह हमें बहुत आशा भी देता है कि भले ही हमारी अपनी यादें उम्र के साथ गायब हो जाएं, शरीर किसी बिन्दु पर हार मान ले, लेकिन हमारे कार्यों के निशान बने रहेंगे. पुराने संग्रह footage में हम Augusto को एक पत्रकार के रूप में duty पर और Paulina को प्रदर्शन और पुरस्कार प्रदान करते हुए देखते हैं. 1990 के दशक के उत्तरार्ध के home video clip जोड़े की निजी ख़ुशी को दर्शाते हैं. ये सब बेहद मार्मिक है. हालांकि वर्तमान दृश्य सब से प्रभावशाली हैं जिन से यह स्पष्ट होता है कि दो दशकों के बाद भी यह प्यार कम नहीं हुआ है. Paulina Augusto को नहाने और दाढी बनाने में मदद करती है. वे दोनों sun hat पहन कर सैर करते हैं, वह उसे किताबें पढ़ कर सुनाती है, वे दोनों रंग-मंच पर अभ्यास करते हैं. जब Paulina Augusto को अपनी पहली date के बारे में बताती है, तो वे दोनों एक-दूसरे के साथ बात-चीत में इतने flirty होते हैं, मानो वे सीधे पहली बार प्यार में पड़ने के उस रोमांचक एहसास पर वापस जा सकते हों. एक सुबह बिस्तर पर जागते ही Augusto Paulina से कहते हैं, ''आप से मिल कर ख़ुशी हुई.'' Paulina तब धैर्य-पूर्वक उसे सब कुछ याद दिलाती है, कि यह उन दोनों का कमरा है, कि वे एक विवाहित जोड़े हैं. इन दो लोगों को Alberdi के अन्तरंग लेकिन हमेशा सम्मान-जनक दृष्टि-कोण से देखना अकथनीय रूप से महान और बेहद प्रभावशाली है. हम उन दोनों को लम्बे समय तक याद रखेंगे, यह निश्चित है. Augusto एक बार फिल्म में कहते हैं कि "स्मृति ही पहचान है". निर्देशक Frederick Nietzsche का उद्धृत करते हुए कहती हैं कि "केवल वही चीज़ आपकी स्मृति में बनी रहती है जो आपको दुख देना बन्द नहीं करती." भूमिगत युग के एक मित्र की मृत्यु का दर्द, जिस का गला Pinochet के गुर्गों ने काट दिया था, अभी भी Augusto की हड्डियों में है, जिसे याद कर के वह अपनी छाती पीटता है.

बुधवार, 27 दिसंबर 2023

PFAS - अनन्त काल के लिए ज़हर

PFAS नामक रसायण के करीब दस हज़ार यौगिक हमारे रोजमर्रा जीवन में काम आने वाली सैंकड़ों वस्तुओं में पाए जाते हैं. करीब 80 साल पहले अविष्कृत किए गए इस रसायन ने जहां हमारे जीवन को बहुत आसान बनाया है, वहीं यह बहुत ज़हरीला और खतरनाक भी है. यहां तक कि वस्तुओं की packings पर इसका उल्लेख करना भी कभी ज़रूरी नहीं समझा गया. लेकिन अब European संघ इस रसायन पर प्रतिबन्ध लगाने की योजना बना रहा है. पर हमें और हमारे समाज को इसकी क्या कीमत चुकानी होगी? सैंकड़ों उद्योगों पर इसका असर पड़ेगा. यहां तक कि पर्यावरण संरक्षण के लिए और जीवाश्म ईंधनों से छुटकारा पाने के लिए विकसित की जा रही भविष्यात्मक तकनीकों पर भी इसका असर पड़ेगा.

PFAS का मतलब Per- और Polyfluorinated Alkyl Substances है. ये carbon के अणु हैं जिन में एक या अधिक hydrogen परमाणुओं को Fluorine परमाणुओं द्वारा प्रतिस्थापित किया जाता है. Carbon और Fluorine के यौगिक प्रकाश, जीवाणुओं आदि से विघटित नहीं होते या बहुत धीमी गति से विघटित होते हैं. इस लिए इनका उपयोग हमारी रोजमर्रा की वस्तुओं को पानी, गन्दगी, grease, ठण्ड और गर्मी से बचाने लिए किया जाता है. लेकिन इसका मतलब यह भी है कि इन्हें एक बार पर्यावरण में छोड़े जाने के बाद हम उनसे छुटकारा नहीं पा सकते. PFAS हवा और जल चक्र द्वारा हमारी खाद्य श्रृंखलाओं में भी जमा हो सकता है और भू-जल जैसे पेय-जल स्रोतों तक पहुंच सकता है. PFAS अब दुनिया भर में पानी में पाया जाता हैं. हवा और भूमि के अलावा यह मानव रक्त serum में भी हो सकता है और स्वास्थ्य पर प्रभाव डाल सकता है. इस पदार्थ से पर्यावरण और जीवित प्राणियों को होने वाली दीर्घ-कालिक क्षति अभी भी काफ़ी हद तक अज्ञात है. लेकिन एक बात निश्चित है: भावी पीढ़ियों पर इसका बहुत असर पड़ने वाला है. भूमि का नवीकरण जटिल, महंगा और केवल कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में ही सम्भव है.

इन कृत्रिम रासायनिक मिश्रणों का चलन लगभग 80 साल पहले USA में DuPont और 3M companies के कारखानों में शुरू हुआ था. वहां Fluorine युक्त Teflon pans और waterproofing spray ने सनसनी पैदा कर दी. आज शायद ही कोई उद्योग इनके बिना चल सकता है. वे cookware, पानी में ना भीगने वाली jackets, कालीन, furniture, सौंदर्य प्रसाधन वस्तुएं, अग्निशमन foam, fast food packaging, contact lens, tennis racket, ski wax और dental floss में पाए जाते हैं. वे pizza box को पिलपिला होने से बचाते हैं, भोजन को non-stick pan पर चिपकने से बचाते हैं, और weather jacket को बारिश में गीला होने से बचाते हैं. बहुत सारी औद्योगिक वस्तुओं और प्रक्रियाओं में भी उनका इस्तेमाल होता है. ईंधन cell, semiconductors, electric कारें, चिकित्सा प्रौद्योगिकी में dialysis tubes या कृत्रिम हृदय valves के लिए इनका उपयोग होता है.

PFAS द्वारा उत्पन्न खतरे को लम्बे समय से कम कर के आंका गया है और labeling की कोई आवश्यकता नहीं समझी गई है. लेकिन अन्तर-राष्ट्रीय अध्ययन और विष विज्ञान सम्बन्धी reports अब सम्भावित खतरों का खुलासा कर रही हैं. विशेषज्ञों के अनुसार PFAS मनुष्यों में thyroid, lever और प्रतिरक्षा प्रणाली को प्रभावित करता है, harmonal सन्तुलन को प्रभावित करता है, शुक्राणुओं की संख्या कम करता है, गर्भ में बच्चे को नुकसान पहुंचाता है और मधुमेह का खतरा बढ़ाता है. कुछ को cancer-कारी माना जाता है. बच्चों में ये टीकाकरण के प्रभाव को कमज़ोर कर देते हैं. लेकिन ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि किसी जादुई अविष्कार के नुकसान बाद में पता चलें. प्रारम्भ में किसी को नहीं पता था कि CFC प्रणोदक से Ozone छिद्र बन जाएंगे, या asbestos से cancer हो सकता है. फिर भी Germany में पीने के पानी में PFAS की निचली सीमा 2026 से लागू होगी. Denmark में यह पहले से लागू है. Europe में 17,000 से अधिक जगहें PFAS से दूषित हैं, जिन में Germany की 1,500 जगहें भी शामिल हैं. इस में में लगभग 300 जगहों पर प्रदूषण बहुत गम्भीर है. यह परीक्षण Europe के 18 media भागीदारों के सहयोग से "forever pollution project" नामक शोध (foreverpollution.eu) का परिणाम है. ये अत्यधिक प्रदूषित क्षेत्र अधिकतर हवाई अड्डे, रासायनिक स्थल और अग्नि स्थल हैं. Düsseldorf शहर के हवाई अड्डे पर अग्निशमन foam से PFAS भू-जल के माध्यम से Rhine नदी में प्रवाहित हुआ. Bavaria के Gendorf chemical park में PFAS ने निकास हवा और अपशिष्ट जल के माध्यम से पर्यावरण में प्रवेश किया. Rastatt शहर में PFAS से दूषित कागज़ के कीचड को खाद के साथ मिला दिया गया और उर्वरक के रूप में वितरित कर दिया गया, जिस से फसलों का नुकसान हुआ और कुओं को बन्द करना पड़ा.

PFAS सिर्फ़ एक European समस्या नहीं है: USA में 3M और Teflon pan निर्माता DuPont PFAS से जुड़े पर्यावरण घोटालों में शामिल थे. उन्हें भारी मुआवज़ा देना पड़ा. यह मुद्दा अब Europe की राजनीति में भी गर्मा रहा है. संघीय पर्यावरण agency और Netherland, Denmark, Sweden और Norway के अधिकारियों ने European रसायन agency को क्रमिक प्रतिबन्ध के लिए एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया है. सरल भाषा में European संघ 10,000 से अधिक रसायनों के इस पदार्थ समूह पर व्यापक प्रतिबन्ध की योजना बना रहा है, जो आज तक अद्वितीय होगा. प्रतिबन्ध के अलावा इस बात का भी ध्यान रखना पड़ेगा कि उद्योग PFAS से बचने के लिए किसी अन्य हानिकारक वस्तुओं का उपयोग ना करने लग जाएं, क्योंकि इस के उचित विकल्प ढूंढने मुश्किल होंगे. उदाहरण के लिए जब 2020 में दुकानों पर receipt printers में इस्तेमाल होने वाले thermal paper के रसायन Bisphenol A पर प्रतिबन्ध लगा दिया गया तो उद्योग ने सन्दिग्ध Bisphenol S को इस्तेमाल करना शुरू कर दिया. हर प्रतिबन्ध को पूरी तरह क्रियांवित करने में कई साल लगते हैं. इस लिए PFAS अभी दशकों तक पर्यावरण में रहेगा. वैसे भी PFAS की श्रेणी में हज़ारों यौगिक आते हैं, जिन में से अब तक केवल लगभग एक दर्जन PFAS पर शोध किया गया है. चार प्रतिबन्धित हैं: PFOS, PFOA, PFHxS और C9-21 PFCAs. इस लिए दुनिया का कोई भी प्राधिकरण इस सारे समूह को केवल कुछ सालों में प्रयावरण से नहीं हटा सकता. फिर भी कुछ उद्योग Fluorine मुक्त उत्पादों पर परीक्षण कर रहे हैं. यह निकास, जिसे "FLEXIT" का नाम दिया गया है, कठिन है, लेकिन सम्भव है. प्रतिबन्ध से विज्ञान और start-up को विकल्पों पर शोध करने का एक अवसर भी मिलता है.

मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

पुराने mobile phones में दुर्लभ धातुएं

Germany में वर्तमान में लगभग 21 करोड़ पुराने cell phones घरों में बेकार पड़े हैं. cell phones में बहुत सारी मूल्यवान धातुएं होती हैं जिन का पुनर्चक्रण किया जा सकता है. इन अप्रयुक्त उपकरणों में 3356 टन लोहा, 1947 टन silicon, 1388 टन ताम्बा, 546 टन Nickel और 3.6 टन सोना, 400 kg Palladium, 100 kg Platinum शामिल हैं. साथ ही Neodymium जैसी कई दुर्लभ और विशेष धातुएं भी शामिल होती हैं. वे housing में, touchscreen में, screw, circuit board, cable, battery और speaker में, camera और vibration motor में मौजूद होती हैं. कुल मिला कर इन सामग्रियों की कीमत लगभग 24 करोड़ Euro है. पहली नज़र में यह बहुत ज़्यादा लगता है, लेकिन प्रति cell phone में केवल एक Euro से थोड़ा अधिक की धातुएं हो सकती हैं. फिर भी इनका पुनर्चक्रण किया जाना चाहिए. क्योंकि पुनर्चक्रण से खनन की तुलना में काफ़ी कम greenhouse gas उत्सर्जित होती है. और चूंकि Germany में अब शायद ही किसी धातु का खनन किया जाता है, इस लिए ये पुराने cell phones और भी मूल्यवान हो जाते हैं. एक टन पुराने cell phone में एक टन अयस्क की तुलना में लगभग 40 गुना अधिक सोना होता है; एक cell phone में 0.017 ग्राम सोने का मूल्य लगभग 80 cent है. विशुद्ध रूप से गणितीय शब्दों में Germany के पुराने cell phone से पुनर्नवीनीकृत धातुएं दस वर्षों तक नए smartphones बनाने के लिए पर्याप्त होंगी. लेकिन ऐसा करने के लिए सब से पहले उन्हें पुराने device से बाहर निकालना होगा. तथा-कथित एकीकृत smelters से लगभग 20 धातुएं निकाली जा सकती हैं. लेकिन Europe में ऐसे smelters अभी गिने चुने ही हैं. सरल प्रणालियों में electrolysis का उपयोग कर के केवल ताम्बा, सोना, चांदी, Palladium, Platinum और शायद Nickel जैसी कुछ मूल्यवान धातुएं निकाली जा सकती हैं. इस तरह 90% से भी अधिक मूल्य की धातुएं दोबारा प्राप्त की जा सकती हैं. पुनर्चक्रण की दक्षता को और बढ़ाने के लिए cell phones को अन्य छोटे विद्युत उपकरणों से अलग कर के संसाधित करना होगा. लेकिन इसे सार्थक बनाने के लिए सौंपे गए पुराने cell phone की संख्या में वृद्धि करनी होगी.

लेकिन क्या पुनर्नवीनीकृत कच्चे माल का वास्तव में दोबारा उपयोग किया जाता है? अधिक से अधिक cell phone निर्माता पर्यावरण तटस्थ बनने और पुन: उपयोग की जाने वाली सामग्रियों के अनुपात को बढ़ाने के लिए काम कर रहे हैं. उदाहरण के लिए, Apple पहले से ही iPhone 15 के नवीनतम model की battery में 100% पुनर्नवीनीकृत cobalt, charging port में सोना, solder और PCB coating में सोना और टिन का उपयोग करता है. cell phone के चुम्बक में केवल पुनर्चक्रित दुर्लभ धातुओं का उपयोग किया जाता है. कई उपकरणों में housing पूरी तरह से पुन: उपयोग किए गए aluminium से बनी होती है. Apple दुनिया के सब से बड़े smartphone निर्माताओं में से एक है और उस की बाज़ार हिस्सेदारी लगभग 20% है. 2022 में दुनिया भर में 40,000 टन से अधिक Apple उपकरणों का पुनर्चक्रण किया गया. विशेष रूप से design किए गए Daisy नामक robot iPhone को अलग करते हैं. ऐसा एक robot Austin (Texas) में है और एक Breda (Netherland) में. एक Daisy robot प्रति घंटे 200 iPhones को अलग कर सकता है, यानि एक साल में 12 लाख. इस तरह phones को तोड़ कर धातुएं निकालने की बजाए इस तरह के प्रारम्भिक कार्य से बेहतर recycling हो सकती है. Daisy द्वारा एकत्रित किए गए एक टन motherboard, तारों और camera module से Apple के recycling partner 2,000 टन से अधिक खनन किए गए अयस्कों के समान ही सोना और ताम्बा पुनर्प्राप्त कर सकते हैं. एक अनुमान के अनुसार 2019 से ले कर batteries से 11 टन से भी अधिक cobalt निकाला जा चुका है. आगे के विकास चरणों में निराकरण machines दुर्लभ धातुओं को बेहतर ढंग से पुनर्प्राप्त करने में मदद करेंगी. लेकिन अभी भी Daisy का उपयोग क्षमता के अनुसार नहीं किया जा रहा है, क्योंकि सभी ग्राहक iPhones को वापस नहीं कर रहे हैं. Germany में phones की return दर लगभग 45% है जो European संघ द्वारा निर्दिष्ट 65% से काफ़ी कम है. 

इस के अलावा ताम्बा, लोहा, steel और aluminium के उत्पादन के लिए बड़ी मात्रा में scrap का आयात किया जाता है. recycling कीमत में उतार-चढ़ाव, वितरण कठिनाइयों और चीन पर निर्भरता के खिलाफ़ एक महत्वपूर्ण तरीका है. तथा-कथित खनिज कच्चे माल के लिए German उद्योग काफ़ी हद तक सुदूर पूर्व पर निर्भर है. Germany में दुर्लभ धातुएं के आयात का दो तिहाई अकेले चीन से आता है. दुनिया भर में सभी aluminium और कच्चे इस्पात का आधा हिस्सा वहीं से आता है. लगातार पुनर्चक्रण कम से कम इन आर्थिक निर्भरताओं को कम कर सकता है.

एक smartphone में यह कच्चे माल होता है: 25% धातुएं (15% ताम्बा, 3% लोहा, 3% aluminium, 2% Nickel, 1% टिन, 1% अन्य दुर्लभ धातुएं और दुर्लभ मृदाएं), 16% कांच और चीनी मिट्टी की चीज़ें, 56% plastic, 3% अन्य.

भारत के प्रति पुरानी चाहत को नया आकार

भू-मण्डलीकरण

चीन से अधिक स्वतन्त्र होने के लिए German companies अब दुनिया के सब से अधिक आबादी वाले देश पर जोर दे रही हैं जो एक जोखिम वाली रणनीति साबित हो सकती है.

आज तक, चीन mechanical engineering उद्योग के लिए सब से महत्वपूर्ण बाज़ारों में से एक रहा है. लेकिन अब Germany की मध्यम और बड़े आकार वाली companies भारत में विकास और स्थिरता देखती हैं. Corona महामारी, संयुक्त राज्य America और चीन के बीच तनाव के साथ-साथ Germany की चीन के प्रति आलोचनात्मक विदेश नीति ने German companies को चिन्तित कर दिया है. वे चीन में अपने जोखिम को कम करने के लिए विकल्पों की तलाश कर रही हैं. और इन विकल्पों को तलाशने में German सरकार मदद कर रही है. Chancellor Olaf Scholz और आधा दर्जन मन्त्रियों ने व्यापार के लिए दरवाज़े खोलने के लिए इस साल भारत की यात्रा की. इस प्रतिनिधि-मण्डल में अर्थ-व्यवस्था मन्त्री Robert Habeck, श्रम-मन्त्री Hubertus Heil के साथ-साथ रक्षा-मन्त्री Boris Pistorius भी उपस्थित थे.

अब तक भारत ने German companies के लिए एक मामूली भूमिका निभाई है. Germany के व्यापारिक सांझेदारों में भारत 24वें स्थान पर है और भारत के सब से बड़े निर्यातकों की ranking में Germany शीर्ष दस में नहीं है. ऐसा इस लिए भी है क्योंकि भारत कई उत्पादों पर उच्च tariff लगाता है और मुख्य रूप से तेल और कोयला जैसे कच्चे माल का आयात करता है. इस लिए चीन, America, सऊदी अरब और रूस जैसे राष्ट्र सब से महत्वपूर्ण आपूर्तिकर्ता हैं. हालांकि हाल ही में भारत के साथ German व्यापार में काफ़ी वृद्धि हुई है. और प्रबन्धन परामर्श company KPMG द्वारा German companies के एक सर्वेक्षण के अनुसार लगभग आधी companies भारत में अपना निवेश बढ़ाना चाहती हैं. भारतीय की सात प्रतिशत से अधिक की विकास दर लम्बे समय तक चीन जैसी प्रमुख अर्थ-व्यवस्थाओं में ही जानी जाती थी. यह विदेशी निवेशकों को आकर्षित कर रही है. मुम्बई की stock exchange ऊपर जा रही है, बहुत सारा सट्टे का पैसा बह रहा है, और नई companies पूंजी बाज़ार में प्रवेश कर रही हैं. वहां इस साल जितने IPO कभी नहीं आए.

हालांकि अतीत में भारत ने अक्सर निवेशकों और companies के बीच उच्च उम्मीदें जगाई हैं लेकिन अक्सर उन्हें निराश भी किया है. संरक्षणवाद, भ्रष्टाचार और नौकरशाही, अपर्याप्त शिक्षा और जर्जर बुनियादी ढांचे ने देश को बार-बार पीछे धकेला है. समस्याओं का समाधान आज तक नहीं हुआ है. प्रधान-मन्त्री नरेन्द्र मोदी भारत के प्रति नए प्रेम को बढ़ावा दे रहे हैं. वे भारत के लिए चीन से दूरी बनाने, खुद को पश्चिम के भागीदार के रूप में स्थापित करने और आर्थिक रूप से एक अलग लीग में उभरने का अवसर देखते हैं. हालांकि भारत ने अब तक मुख्य रूप से भारी उद्योग और IT सेवाओं में अन्तर-राष्ट्रीय भूमिका निभाई है जब कि भारत का लगभग आधा कार्य-बल अभी भी कृषि में काम करता है और लाखों लोग अत्यधिक ग़रीबी में रहते हैं. लेकिन मोदी भारत को अधिक व्यापक रूप से औद्योगीकृत करना चाहते हैं. मोदी ने लगभग एक दर्जन औद्योगिक श्रेणियों के लिए 24 billion Euro का कार्यक्रम शुरू किया है. वे भारत में विदेशी companies को आकर्षित करने के लिए वित्तीय प्रोत्साहन का उपयोग करना चाहते हैं. शर्त यह है कि companies स्थानीय स्तर पर उत्पादन करें. चीन के विपरीत German companies को अभी तक यह डर नहीं है कि भारत उनकी प्रौद्योगिकी को या patents को हड़प सकता है. मोदी सड़कों, railway, बन्दरगाहों और हवाई अड्डों का विस्तार कर रहे हैं और German mechanical engineering companies और बुनियादी ढांचा प्रदाताओं को इस से लाभ होने की उम्मीद है.

November 2023 में बैंगलोर प्रदर्शनी केन्द्र में »India Manufacturing Show« में 400 से अधिक प्रदर्शक और 20,000 आगन्तुक एकत्रित हुए. स्वचालन प्रौद्योगिकी, robots, drones और machines से halls भर गए. इन में कई German companies भी शामिल थीं. उदाहरण के लिए मध्यम आकार की company Hawe, जिस की 20% बिक्री अभी भी चीन में होती है, valves, pumps और सम्पूर्ण hydraulic systems बनाती है. इन का उपयोग बाद में अन्य निर्माताओं द्वारा पवन turbines, machine tools या चिकित्सा प्रौद्योगिकी में किया जाता है. 20 साल पहले, Hawe ने भारत में सस्ते और सरल पुर्जों का उत्पादन शुरू किया, जिन्हें वह आगे की प्रक्रिया के लिए Germany को निर्यात करती थी. भविष्य में Hawe भारत में पवन ऊर्जा के विस्तार और निर्माण machinery की बढ़ती मांग से लाभ उठाने के लिए भारतीय बाज़ार के लिए तैयार hydraulic उत्पादों तैयार करना चाहती है. कुछ समय पहले Hawe ने भारत में एक नई factory बनाने के लिए ज़मीन ख़रीदी, जो 2025 से चालू हो सकती है. 

हालांकि, केवल बड़ी mechanical engineering companies ही Hawe जैसे कदम उठा सकती हैं. छोटी और मध्यम आकार की companies भारत में निर्यात पर ध्यान केन्द्रित कर रही हैं. उनके लिए, स्थानीय स्तर पर उत्पादन स्थापित करने का प्रयास बहुत मंहगा है. वे चीन के कड़वे अनुभवों से भी सबक ले चुकी हैं. छोटी मध्यम आकार की companies को चीनी प्रतिस्पर्धा के आगे घुटने टेकने पड़े थे. तो क्या भारत वास्तव में German उद्योग के लिए अपने बड़े पड़ोसी की जगह ले सकता है? नहीं, भारत निकट भविष्य में चीन की जगह नहीं ले सकता, वह अधिकतम उस का पूरक बन सकता है. उदाहरण के लिए, Germany का automotive उद्योग एक प्रमुख उद्योग है और वह किसी भी अन्य उद्योग की तुलना में चीन पर बहुत निर्भर है. अधिकांश भारतीयों के पास Mercedes, BMW या Audi के premium models के लिए पर्याप्त क्रय शक्ति नहीं है. उनकी प्रति व्यक्ति आय चीन की तुलना में केवल पांचवां हिस्सा है. बड़े पैमाने पर बाज़ार में घरेलू आपूर्तिकर्ता Tata का वर्चस्व है. यहां तक कि VW को भी प्रतिस्पर्धा करने में कठिनाई हो रही है, खास कर जब से भारत ने मध्य-श्रेणी की कारों पर 100 प्रतिशत आयात शुल्क लगाना शुरू किया है. भारत में उत्पादन सार्थक नहीं है क्योंकि वहां आर्थिक रूप से कारखानों को संचालित करने के लिए बिक्री पर्याप्त नहीं है.

हालांकि Siemens जैसे कुछ उद्योगों के लिए यह आसान है. 1892 में Siemens के संस्थापक Werner von Siemens ने प्रशिया, रूस और फ़ारस से होते हुए England और भारत के बीच एक विशेष telegraphic line बनाने की साहसिक योजना बनाई थी. यह योजना सफ़ल रही, लेकिन लम्बे समय तक भारत एक ऐसा बाज़ार बना रहा जिसे जीतना मुश्किल था. भले ही पिछले दशकों में companies को कई बार बड़े order मिले, लेकिन लम्बे समय तक व्यवसाय का विकास धीमा रहा. भारत की लम्बे समय से यह प्रतिष्ठा रही है कि बहुत सारी योजनाएं बनाई जाती हैं, लेकिन लागू नहीं की जातीं. लेकिन अब मोदी सरकार अपने साथ कुछ भी कर सकने की नई मानसिकता ले कर आई है. पिछली January में Siemens Mobility को भारतीय railway division से इतिहास में सब से बड़े आदेशों में से एक मिला. Munich स्थित company को 35 वर्षों तक के रख-रखाव सहित 1,200 locomotive वितरित करना है. यदि चीज़ें योजना के अनुसार चलीं तो पहला locomotive दो वर्षों में परीक्षण संचालन में चला जाएगा. 2018 के बाद से भारत ने 40,000 km railway line का विद्युतीकरण किया है. इस का अर्थ है कि पूरे network का 95 प्रतिशत अब overhead lines से सुसज्जित है. यह बड़ा order Siemens Mobility के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है. लम्बे समय तक, Siemens मुख्य रूप से signalling तकनीक की आपूर्ति करती थी या subway के स्वचालन में मदद करती थी. लेकिन अब ये locomotive भारतीय railway कारखाने में बनाए जाएंगे; सरकार ने Siemens के साथ अनुबन्ध में देश में उत्पादन की भी शर्त रखी है. इस में Siemens का भी फ़ायदा है, क्योंकि वह एक महंगी factory बनाने भी बच गई और वह भारत के मौजूदा आपूर्तिकर्ता उद्योग तक भी पहुंच सकती है. पश्चिमी भारत के औरंगाबाद में स्थित कारखाने में Siemens सभी प्रकार की trains के लिए bogies का उत्पादन कर रही है. 12 लाख वाली आबादी वाले औरंगाबाद शहर का चयन कोई संयोग नहीं है. वह विश्व-विद्यालयों के साथ दीर्घ-कालिक सम्बन्ध स्थापित करना चाहती है क्योंकि अच्छे कर्मचारी ढूंढना और उन्हें बनाए रखना वहां बहुत मुश्किल काम है. भारत एक युवा देश है. लगभग 45 प्रतिशत जनसंख्या 25 वर्ष से कम उम्र की है. लेकिन केवल तुलनात्मक रूप से छोटा सा अभिजात वर्ग ही बड़े महा-नगरीय क्षेत्रों के शीर्ष विश्व-विद्यालयों में जाता है और वह आर्थिक रूप से मजबूत, अन्तर-राष्ट्रीय IT companies द्वारा चयनित कर लिया जाता है. इस से औद्योगिक companies के लिए प्रतिभा की लड़ाई कठिन हो जाती है. सब से महत्वपूर्ण उत्पादन के लिए योग्य विशेषज्ञों को ढूंढना German उद्योग के लिए एक चुनौती है. फिर भी Siemens भारत के कारोबार को और अधिक विस्तारित करना चाहती है क्योंकि यहां से रेल division का वैश्विक विकास सम्भव है. भारत एक वैश्विक केन्द्र साबित हो सकता है और औरंगाबाद का कार-खाना मौजूदा bogie उत्पादन के अलावा, मध्य पूर्व, Asia या Australia में सम्पूर्ण railway परियोजनाओं को भी सम्भाल सकता है. आज के पर्यावरण संकट के कारण इन की मांग बढ़ रही है.

योजनाएं काम करेंगी या नहीं यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि क्या भारत राजनीतिक रूप से स्थिर बना रहेगा. इस के बारे में सन्देह हैं. कार्य-कर्ता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या, जिन के पास Canadian passport था और जो भारतीय क्षेत्र में एक स्वतन्त्र सिख राज्य के लिए लड़े थे, ने भारत के नए दोस्तों को चिन्तित कर दिया है: Canadian सरकार को इस अपराध के पीछे भारत सरकार पर सन्देह है, जब कि भारत इस में भागीदारी से इनकार करता है. यह घटना भारत को राजनीतिक रूप से अधिक संलग्न करने के पश्चिमी प्रयासों के लिए एक झटका थी. और यह घटना पहली नहीं थी. आज तक मोदी Ukraine के खिलाफ़ आक्रामक युद्ध के लिए रूस की निन्दा करने से बच रहे हैं. और July में संयुक्त राज्य America की राजकीय यात्रा के तुरन्त बाद वे रूसी राष्ट्रपति Vladimir Putin, चीनी राष्ट्रपति Xi Jinping और ईरानी राष्ट्रपति Ibrahim Raisi सहित चीनी-प्रभुत्व वाले Shanghai सहयोग संगठन (SCO) के सदस्यों से जुड़े. भारत एक-तरफ़ा तौर पर पश्चिम का पक्ष नहीं लेता है. भारतीय सरकार व्यावहारिक रूप से भारतीय हितों की ओर उन्मुख है, जिस का मतलब आज संयुक्त राज्य America के साथ विलय और कल रूस की ओर रुख करना हो सकता है. यह अकारण नहीं है कि भारत कई बहुपक्षीय संस्थानों का सदस्य है, जिन में से कुछ एक-दूसरे के खिलाफ़ काम करते हैं. फिर भी अर्थ-व्यवस्था में सुधार जारी है. German companies भारत को आर्थिक और राजनीतिक रूप से अपने साथ बांधना चाहती हैं क्योंकि भारत एक लोक-तन्त्र है, निरंकुश राज्य नहीं.

Augsburg की gearbox निर्माता company Renk ऐसी प्रौद्योगिकियों का उत्पादन करती है जिन का उपयोग पवन turbine और cement संयन्त्रों के साथ-साथ tank transmission में भी किया जाता है. इस वर्ष Germany द्वारा भारत की लगभग हर सरकारी यात्रा में Renk के प्रबन्धक उपस्थित रहे. उद्योग जगत में माना जा रहा है कि Renk भारतीय मुख्य युद्धक tank अर्जुन के लिए drive system की आपूर्ति के बारे में संघीय सरकार द्वारा समर्थित बात-चीत में है. अब तक Renk ने केवल भारत में वहां के ग्राहकों के लिए उत्पादन किया है. लेकिन अब वह वहां आपूर्ति शृंखला स्थापित करना चाहती है जिस में  वैश्विक बाज़ार के लिए भारत से विनिर्माण हो सकता है. Renk की योजना जल्द ही बेंगलुरु क्षेत्र में एक बड़े स्थान पर जाने की है. मोदी भारत में निवेश करने, अपनी जानकारी अपने साथ लाने और देश में ऐसे सामान का उत्पादन करने के लिए Renk जैसी विदेशी companies पर भरोसा कर रहे हैं जो वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धी हैं. हालांकि German companies और राजनेता यह चाहते हैं कि भारत अपने सीमा शुल्क ढांचे को तोड़ दे और Europe के साथ व्यापार के लिए और अधिक दरवाज़े खोले. लेकिन मुक्त व्यापार समझौते पर बात-चीत रुकी हुई है. European संघ पर्यावरण संरक्षण और टिकाऊ आपूर्ति श्रृंखला के लिए अपने नियम लागू करना चाहता है, लेकिन भारत केवल व्यापार के बारे में बात करना चाहता है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि European चुनाव और अगले साल भारतीय संसदीय चुनाव से पहले समझौता असम्भव है.

आखिरकार भारत उन समस्याओं से लड़ना शुरू कर रहा है जो परम्परागत रूप से देश में व्यापार करने से जुड़ी हुई हैं: नौकरशाही और भ्रष्टाचार. केन्द्र सरकार के साथ साथ राज्य और क्षेत्रीय सरकारों ने भी समझ लिया है कि अगर वे अन्तर-राष्ट्रीय स्तर पर आर्थिक रूप से प्रतिस्पर्धा करना चाहतेÍ हैं तो कुछ बदलाव करने होंगे. आवेदन, ख़रीद और भुगतान प्रक्रियाएं भविष्य में पूरी तरह से digital रूप से की जाएंगी. इस से समय और रिश्वतखोरी की बचत होगी. भारत में बड़ी से बड़ी समस्याओं को हल करने के लिए आवश्यक आत्म-विश्वास की कमी नहीं है, खास कर तब से, जब वह चन्द्रमा पर उतरने वाला दुनिया का चौथा देश बन गया. पिछली गर्मियों में नई दिल्ली में G20 की बैठक से कुछ दिन पहले जब अन्तरिक्ष जांच चन्द्र-यान-3 पृथ्वी के उप-ग्रह के दक्षिण की ओर उतरा, तो प्रधान मन्त्री मोदी ने "नए भारत के लिए विजय घोष" का नारा दिया.

शनिवार, 23 दिसंबर 2023

अंत की शुरुआत?

विश्लेषण
रिचर्ड ब्रैनसन को एक नए अंतरिक्ष यान की आवश्यकता है। वह इसके लिए भुगतान नहीं करना चाहते.

यह अपमानजनक लग सकता है, लेकिन ऐसे कई संकेत हैं कि रिचर्ड ब्रैनसन हार मान रहे हैं। लगभग 20 वर्षों से ब्रिटिश अरबपति ने अपनी कंपनी वर्जिन गैलेक्टिक के साथ अंतरिक्ष पर्यटन को एक मेगा-व्यवसाय में बदलने की कोशिश की है। टॉम हैंक्स, लेडी गागा, लियोनार्डो डिकैप्रियो और एंजेलिना जोली जैसे सितारों ने भारहीनता की यात्रा के लिए उनके साथ पहले से टिकट बुक कर लिए हैं. लेकिन क्या ये सपने सच हो पाएंगे, यह देखना अभी बाकी है। क्योंकि ब्रैनसन के पास सही अंतरिक्ष यान नहीं है।

पिछले "यूनिटी" यान से वे 2021 में खुद अंतरिक्ष में गये और जून 2023 में पहला भुगतान करने वाला यात्री गया। लेकिन लाभदायक उड़ान संचालन के लिए यह वाहन बहुत छोटा और नाजुक साबित हुआ है। अधिकतम चार यात्री इसमें बैठ सकते हैं, और प्रत्येक उड़ान के बाद हफ्तों तक मरम्मत और रख-रखाव किया जाता है। इसलिए वर्जिन गैलेक्टिक 2024 में दो या तीन और उड़ानों के बाद "यूनिटी" को सेवामुक्त करना चाहता है और 2026 से इसे नए, मजबूत अंतरिक्ष यान के पूरे बेड़े से बदलना चाहता है। उनमें से प्रत्येक यान में छह यात्रियों के लिए जगह होगी और वे सप्ताह में दो बार अंतरिक्ष में प्रक्षेपित होंगे। हालाँकि, इन वाहनों के विकास में बहुत सारा पैसा खर्च होगा - और ब्रैनसन स्वयं, जैसा कि उन्होंने हाल ही में फाइनेंशियल टाइम्स को लगभग मूर्खतापूर्ण ढंग से बताया था, किसी में भी निवेश नहीं करेंगे। कंपनी के पास अभी भी बैंक में लगभग एक अरब डॉलर हैं, यह पर्याप्त होना चाहिए।

भले ही कंपनी जल्दबाज़ी में "यूनिटी" के लिए एक बेहतर उत्तराधिकारी ढूंढने में कामयाब रही, लेकिन यह अनिश्चित है कि क्या वह प्रतिस्पर्धा में टिक पाएगी या नहीं। लगभग 20 साल पहले ब्रैनसन ने दो पायलटों द्वारा अपने अंतरिक्ष यान को उड़ाने का निर्णय लिया था। प्रतिस्पर्धी कंपनियों स्पेसएक्स और ब्लू ओरिजिन के पास कम से कम एक पीढ़ी आगे की प्रौद्योगिकी है। दोनों कंपनियां अपने वाहनों को कंप्यूटर की मदद से बिना पायलटों के प्रक्षेपित कर सकती हैं। यह अधिक सुरक्षित और लाभदायक है। ब्रैनसन यह जानते हैं - और शायद पहले ही इसके परिणाम भुगत चुके हैं: 2021 में उन्होंने वर्जिन गैलेक्टिक को सार्वजनिक कर दिया। उन्होंने शेयरों में थोड़े समय की बढ़ोतरी का फायदा उठाकर नकदी हासिल की। उन्होंने अपने अधिकांश शेयर बेच कर कम से कम $1.4 बिलियन की कमाई की है। ब्रैनसन ने इस पैसे का इस्तेमाल महामारी के दौरान अपने बाकी कॉर्पोरेट साम्राज्य को मजबूत करने के लिए किया।

दुनिया के सबसे घातक पुल का उन्नयन

आत्महत्या की रोक-थाम

San Francisco का Golden Gate bridge दुनिया में सब से अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने वाली संरचना है. लेकिन यह जितना खूबसूरत है, उतना ही घातक भी है. 1937 में इस के खुलने के बाद से कम से कम 1,600 और सम्भवत: 2,000 से अधिक अधिकतर युवा लोग इस संरचना से प्रशांत महा-सागर में कूद चुके हैं. लगभग 98 प्रतिशत मामलों में 70 meter गहरी छलांग से लोग मर गए. पुल की railing मुश्किल से 1.20 meter ऊंची है. यह असाधारण मनो-वैज्ञानिक स्थिति में लोगों को आवेगपूर्ण कार्य करने से रोकने के लिए अपर्याप्त है. कई वर्षों से दुखी रिश्ते-दार पुल में सुधार करने की मांग कर रहे हैं. लम्बे समय तक, San Francisco में ज़िम्मेदार लोग लागत और इस ऐतिहासिक स्थल के सौंदर्य कारण, हस्तक्षेप करने से बचते रहे.

अब समय आ गया है. एक प्रभावी बाधा सम्भवत: वर्ष के अन्त तक पूरी हो जाएगी. इस में पैदल पथ के नीचे छह meter की गहराई पर छह meter चौड़ा steel का जाल है जो पुल की पूरी 2.7 km की लम्बाई तक फैला हुआ है. यह जाल नर्म और लोचदार नहीं बल्कि अतिरिक्त कठोर है. जो कोई भी इस में कूदेगा वह खुद को बहुत नुकसान पहुंचाएगा - इतना कि वह आत्महत्या का विचार ही छोड़ सकता है. निवारक बाधा स्पष्ट रूप से पहले से ही प्रभाव डाल रही है. 2011 से 2020 के बीच हर साल लगभग 34 लोग खुद को पुल से नीचे फेंक देते थे. पिछले साल जाल के पहले हिस्से स्थापित किए जाने के बाद थे यह संख्या घट कर 22 हो गई. इस साल October के अन्त तक जैसे-जैसे निर्माण कार्य आगे बढ़ा, यह गिनती 13 हो गई.

दशकों पहले, California के मनो-वैज्ञानिक Richard Seiden ने प्रदर्शित किया था कि जिन लोगों को पुल से कूदने से रोका जा सका, उन्होंने बाद में अन्य तरीकों से अपनी जान नहीं ली. Golden Gate bridge के उन्नयन की लागत कम से कम $21.7 करोड़ थी, जो योजना से कहीं अधिक थी.

शुक्रवार, 22 दिसंबर 2023

नब्बे के दशक का संगीत घोटाला

जो बात भारतीयों के लिए आम है, वह पश्चिमी दुनिया के लिए घोटाला बन गई. भारतीयों ने कभी राजेश खन्ना से यह नहीं पूछा कि उसने 'यह शाम मस्तानी' गाना खुद क्यों नहीं गाया, या कभी शाह रुख खान से नहीं पूछा कि उसने 'दो दिल मिल रहे हैं' गाना खुद क्यों नहीं गाया. सब-कुछ पता होते हुए भी भारतीय लोग एक अच्छे उत्पाद में विश्वास करते हैं और उस का आनन्द लेते हैं. filmy दुनिया तक तो ऐसे प्रयोग बर्दाश्त किए जा सकते हैं, लेकिन संगीत की दुनिया में नहीं. पश्चिम में संगीत की दुनिया में ऐसे पंगे लेने वाला एक ही संगीत निर्माता था, Germany का 'Frank Farian' जो अब अस्सी साल का हो चुका है और Miami में रहता है. उस का सिद्धांत भी यही था, अच्छी अच्छी चीज़ों को मिला कर एक अच्छा उत्पाद तैयार करना. उस का मानना था कि लोग कानों से नहीं, आंखों से सुनते हैं. पहले 1976 में उसने कुछ black संगीतकारों और गायकों के साथ मिल कर कुछ गाने record किए और उन्हें 'Boney M' के नाम से release कर के खूब पैसा कमाया. 'Ma Baker', 'Daddy Cool' जैसे गानों में भारी भरकम मर्दाना आवाज़ उस की खुद की थी. दो नर्तकों की Studio recording में कोई भूमिका नहीं थी. Boney M के साथ उस का सहयोग लगभग दस वर्ष तक चला. फिर 1989 में उसने फिर से बप्पी लहरी की भांति Numarx नामक एक पुराने और अज्ञात band के कुछ गाने कुछ black गायकों के साथ मिल कर नए तरीके record किए और video बनाने के लिए दो नए और अच्छे black dancers को sign किया. इस band का नाम 'Milli Vanilli' रखा गया. वह blacks music में खास कर America में नाम कमाना चाहता था. दोनों dancers को शुरू से पता था कि उन्होंने dance के साथ microphone पकड़ कर केवल होंठ हिलाने हैं. वह album hit हो गई, यहां तक कि दोनों dancers को 1990 में नए कलाकार के रूप में Grammy Award भी मिला. यह Grammy Award के इतिहास में पहली बार हुआ कि उनकी सफ़लता को देखते हुए award function में भी उन्हें track के साथ होंठ हिलाने दिया गया. लेकिन यह भाण्डा कुछ ही महीनों में फूट गया, जब एक live performance के दौरान उनका track अटक गया. वैसे भी मूल गायकों को इस बात से दुख था कि उनकी आवाज़ से कोई और नाम कमा रहा है, बिल्कुल वैसे ही जैसे Bollywood गायकों को लगता है कि नायक उनके बल पर लोकप्रियता कमा रहे हैं. राज खुलने का नुकसान सभी को उठाना पड़ा, खास कर दोनों dancers को. सफ़लता के नशे में इतने बड़े झूठ के चक्रव्यूह से बाहर निकलना उनके लिए मुश्किल हो गया. केवल दो साल में वे शून्य से शिखर तक पहुंचे और फिर शून्य से भी नीचे गिर गए. अभी उनकी उम्र मुश्किल से 25 वर्ष थी. इतने युवा मस्तिष्क के लिए इतना कुछ समझ और सह पाना मुश्किल था. ऐसा भी नहीं था कि वे खुद गा नहीं सकते थे या गाना नहीं चाहते थे. पर एक की आवाज़ में बहुत अधिक French लहजा था दूसरे की आवाज़ में बहुत अधिक बायरिश लहजा, जो Frank Farian को पसन्द नहीं था. उनकी आवाज़ में शायद वे इतने लोकप्रिय भी नहीं हो पाते. अन्तत: उन में फूट पड़ने लगी. उन में से एक नशीली दवाओं का सेवन करने लगा और अन्तत: 1998 में उस की मृत्यु हो गई. July 2023 में Paramaount+ द्वारा इस पर एक दस्तावेज़ी फिल्म बनाई गई और December 2023 में एक German feature फिल्म, जिस का शीर्षक है 'Girl You Know it's True'.

मंगलवार, 19 दिसंबर 2023

अफ्रीका में तख्ता-पलटों की झड़ी

2020 के बाद से Africa के आठ देशों में सेना ने तख्ता-पलट कर दिया है. यह संयोग नहीं है कि सूडान के अलावा बाक़ी सभी देश France के पूर्व उपनिवेश हैं. तख्ता-पलटों की ना केवल Africa में बल्कि दुनिया भर में आलोचना हो रही है.

26 July 2023 को Niger के वायु सेना के colonel major Amadou Abdramane ने राज्य TV station RTN पर सन्देश दिया कि अब से Niger गणराज्य निलम्बित है और अब देश की स्थिति को सेनाओं ने सम्भाल लिया है. कुछ समय पहले तक, Niger को Sahel क्षेत्र में स्थिरता का आधार माना जाता था. Europe ने इस देश को इस्लामी लड़ाकों के खिलाफ़ लड़ाई में एक केन्द्रीय भागीदार के रूप में देखा और एक वास्तविक लोक-तन्त्र के निर्माण पर उम्मीदें जताईं. अब यह राज्य रातों-रात पश्चिम से विमुख हो गया. माली में दो तख्ता-पलट हुए, August 2020 और मई 2021 में. colonel Assimi Goita ने पहले 2020 में माली में तख्ता-पलट किया, फिर अगले साल 24 may को उसने खुद को राज्य का प्रमुख घोषित कर दिया. उसने राष्ट्रपति के कार्यालय को मजबूत किया. वह माली में तैनात France के 5,000 सैनिकों के खिलाफ़ हो गया और रूसी Wagner भाड़े के सैनिकों का पक्ष लेने लगा. इस बीच, Chad में सेना ने सत्ता में अपनी जगह बना ली. इस के बाद शरद ॠतु 2021 में गिनी और सूडान आए. सूडान British उपनिवेश होने वाला एकमात्र अशांत देश था. 2022 में Burkina Faso में सेना ने दो बार विद्रोह किया. 30 September 2022 को मार्क्सवादी Ibrahim Traoré Burkina Faso में तख्ता-पलट कर के दुनिया के सब से युवा राष्ट्र प्रमुख बन गया. उस का जन्म 1988 के आस-पास हुआ था. वह France से दूर हो रहा है और संयुक्त राज्य America और Putin पर भरोसा कर रहा है. Traoré का कहना है कि वह भ्रष्टाचार से लड़ना और अधिक समानता हासिल करना चाहता है. सन्दिग्ध राष्ट्रपति चुनावों के बाद, 30 August 2023 को पांच दशकों से निरंकुश शासन के अधीन रहे पूरी तरह से ग़रीब देश Gabun में तख्ता-पलट हुआ. general Brice Nguema वर्तमान में अन्तरिम राष्ट्रपति के रूप में शासन कर रहे हैं. कथित तौर पर जून 2024 में चुनाव की योजना है.

दशकों से Sahel क्षेत्र के पूर्व औपनिवेशिक देशों में France के खिलाफ़ गुस्सा बढ़ता जा रहा है. हालांकि तख्ता-पलट के अन्य कारण भी हैं, जैसे भ्रष्टाचार, इस्लामी आतंक और ग़रीबी से लड़ने में सरकार की अक्षमता आदि. हालांकि ये देश दशकों से औपचारिक रूप से स्वतन्त्र हैं, लेकिन France ने कभी भी अपने पूर्व उपनिवेशों को पूरी तरह से नहीं छोड़ा. Paris ने एकतरफा अनुबन्धों, भ्रष्ट network, वित्तीय निर्भरता और, यदि आवश्यक हो, सैन्य हस्तक्षेप से नियन्त्रण स्थापित करना जारी रखा. 1959 में America के राष्ट्रपति पद पर लौटते हुए, Charles de Gaulle ने 1960 के "African वर्ष" में French औपनिवेशिक साम्राज्य के अधिकांश हिस्से को स्वतन्त्र कर दिया. लेकिन France के लिए विशेष आर्थिक अधिकार अपने पास सुरक्षित रखे. इस तरह उसने France की कच्चे माल तक विशेष पहुंच सुनिश्चित की, जिस में तेल, gas, हीरे, सोना और अन्तिम लेकिन महत्वपूर्ण Uranium शामिल है, जो आज तक France के 58 परमाणु reactors को ईंधन देने वाले आयात का 60 प्रतिशत हिस्सा बनाता है. इस के अलावा, उड़ान और landing अधिकार Air France के पास रहे. France की हथियार companies ने Africa के देशों को सामान बेचना जारी रखा. यहां तक कि तट पर मछली पकड़ने का अधिकार भी लम्बे समय तक France हाथों में रहा. इस के अलावा, युवा African राज्य 1945 से भुगतान के साधन के रूप में तथा-कथित CFA Frank का उपयोग कर रहे हैं. CFA का मतलब शुरू में »colonies françaises dAfrique« था, बाद में »coopération financière en Afrique« कर दिया गया. यह एक क्षेत्रीय मुद्रा है जिसे पहले French Frank की दर से जोड़ा जाता था, और बाद में Euro की दर से जोड़ा जाता रहा. आज तक 14 African देशों की मुद्रा Paris में छपती है. हाल तक, अनैच्छिक मौद्रिक समुदाय में भाग लेने वाले राज्य अपनी विदेशी मुद्रा का आधा हिस्सा French केन्द्रीय bank के पास जमा करने के लिए बाध्य हैं. दशकों से इसने विरोधाभासी स्थिति पैदा कर दी है: CFA राज्यों को अपनी पूंजी France में जमा करनी पड़ती है और फिर महंगे ॠणों के माध्यम से French banks से अपना पैसा उधार लेना पड़ता है.

1962 में de Gaulle ने African व्यापार को व्यवस्थित करने के लिए एक छाया मन्त्रालय की स्थापना की. Élysée palace में कार्यरत staff में अब 100 से अधिक कर्मचारी हैं और यह किसी भी संसदीय नियन्त्रण से परे है. उस समय के नेता Jacques Foccart को "महाशय Afrique" उपनाम दिया गया था और उन्होंने एक भ्रष्ट संरक्षण प्रणाली स्थापित की थी. यहां का सब से शक्तिशाली उपकरण सरकारी स्वामित्व वाली तेल company elf (आज total energies) है. यह पूर्व उपनिवेशों में drilling रियायतों के लिए African शक्तिशाली लोगों को लाखों का "bonus भुगतान" प्रदान करती है. दशकों तक elf की बिक्री का दो से पांच प्रतिशत Swiss खातों में प्रवाहित होता रहा. उसका उपयोग रिश्वत के लिए, Africa में French गुप्त सेवा संचालन और तख्ता-पलट को वित्त-पोषित करने के लिए किया जाता रहा. पश्चिम और मध्य Africa में elf की भूमिका ज़बरदस्त है. 1970 के दशक से France का लगभग आधा कच्चा तेल आयात वहीं से हुआ है. Gabun के राष्ट्रपति Omar Bongo ने आपसी सम्बन्धों को संक्षेप में बताया है: "France के बिना Africa बिना चालक की कार है और Africa के बिना France बिना ईंधन वाली कार."

Omar और उनके बेटे Ali Bongo ने 30 August, 2023 तक 56 वर्षों तक Gabun देश पर शासन किया है. Chad में Déby परिवार ने अब तक 33 वर्षों तक शासन किया है, और Cameroon में 90 वर्षीय Paul Biya ने 41 वर्षों तक शासन किया है. Togo के राष्ट्रपति Faure Gnassingbé अपने पिता के शासन को 56वें वर्ष तक बढ़ा रहे हैं, और 81 वर्षीय Teodoro Obiang अपने चाचा के साथ 55 वर्षों तक equatorial गिनी के शीर्ष पर रहेंगे. ये सभी राज्य गणतन्त्र के रूप में कार्य करते हैं और नियमित चुनाव कराते हैं. लेकिन censorship और मानवाधिकारों का उल्लंघन हर जगह है. यहां European विचारों के अनुरूप लोक-तन्त्र की बात नहीं हो सकती. कच्चे माल की बिक्री से होने वाला मुनाफ़ा विदेशों में प्रवाहित होता है. बढ़ती युवा आबादी आर्थिक सम्भावनाओं की कमी का सामना कर रही है. Niger में प्रति महिला 6.82 जन्म के साथ दुनिया में सब से अधिक जन्म दर है. जब तक भ्रष्ट राष्ट्रपति तानाशाह France के साथ सहयोग करते हैं, Paris का प्रतिरोध बहुत कम रहता है. पर यदि कोई राज्य नेता "Franç-Afrique" नामक इस गुट प्रणाली से अलग हो जाता है, तो पूर्व औपनिवेशिक शक्ति विकास सहायता में भारी कटौती के साथ प्रतिक्रिया करती है. औपनिवेशिक काल की समाप्ति के बाद से France ने 40 से अधिक बार Africa में सीधे सैन्य हस्तक्षेप किया है.

Franç-Afrique नामक भावना पारस्परिक है: African तानाशाह राजवंशों की सन्तानें कुलीन French विश्व-विद्यालयों में पढ़ती हैं, वे Paris में luxury apartment और Côte d'Azur (French Riviera) पर सम्पत्ति बनाती हैं और French parties के लिए महत्वपूर्ण दानकर्ता हैं. यह सब करने से वे स्वयं French उच्च वर्ग का हिस्सा बन जाती हैं. शायद ही कोई French राष्ट्रपति हो जिसे African कुलीन वर्गों के बीच भाई-भतीजावाद या सन्दिग्ध सम्बन्धों का दोषी ना पाया गया हो. Gabun के Bongo कबीले को Nicholas Sarkozy के 2007 के राष्ट्रपति चुनाव अभियान का financer माना जाता है. राष्ट्रपति François Mitterand का बेटा Jean-Christoph Mitterand अंगोला में अवैध हथियारों के व्यापार में शामिल रहा है. इस व्यापार में उसने ने शुरुआत में लाखों कमाए और 2009 में निलम्बित सजा पाई. राष्ट्रपति Valéry Giscard d'Estaing ने मध्य Africa के स्व-घोषित सम्राट Bokassa प्रथम से उपहार के रूप में हीरे स्वीकार किए, जो एक विशेष रूप से क्रूर तानाशाह था, जो French सेनापतियों की मदद से 13 साल तक सत्ता में रहा.

शीत युद्ध की समाप्ति के साथ, कभी राज्य-संचालित Franç-Afrique प्रणाली व्यक्तिगत network में परिवर्तित हो गई. French अरबपति Vincent Bolloré के logistics साम्राज्य के पास पश्चिम African तट पर अधिकांश बन्दरगाहें हैं या व्यापक उपयोग रियायतें हैं. media में उन्हें "Africa का राजा" कहा जाता है. उनका France और उस के पूर्व उपनिवेशों के बीच सारे व्यापार पर एक आभासी एकाधिकार है. बेशक वह France की राजनीति से अच्छे से जुड़े हुए हैं. Nicholas Sarkozy ने 2007 में अपने निजी Jet का उपयोग किया और Bolloré की luxury नौका पर राष्ट्रपति के रूप में अपने पहले चुनाव का जश्न मनाया. 

France और उस के पूर्व उपनिवेशों की असहज निकटता "operation Barkhane" से हिल गई है. Sahel में सैन्य अभियान, जो 2014 में शुरू हुआ था, का उद्देश्य क्षेत्र में इस्लामी आतंकवादी संगठनों का मुकाबला करना था. France ने हाल ही में माली, Niger, Chad और Burkina Faso में 4,500 सैनिकों को तैनात किया है, लेकिन mission बुरी तरह विफ़ल हो रहा है. इस्लामवादियों द्वारा लूटपाट और हमले बढ़ रहे हैं. साथ ही France के खिलाफ़ Africans का गुस्सा भी बढ़ रहा है. 2014 से 2021 तक France Sahel क्षेत्र में आतंकियों से लड़ता रहा. माली, Niger और Chad जैसे देश शुरू में "operation Barkhane" पर सहमत हुए. पर जैसे-जैसे इस्लामवादियों के खिलाफ़ त्वरित सफ़लताएं हासिल नहीं हो पाईं, अनेक सैनिक मारे जाते रहे और लागत बढ़ गई, तो Africa में आलोचना भी बढ़ गई. August 2023 में अखबार »Le Point« के साथ एक साक्षात्कार में, Emanuel Macron ने कहा »operation Barkhane ने हमारी सीमाओं से कुछ हज़ार kilometre की दूरी पर खिलाफ़त के उद्भव को रोक दिया है. इस mission के बिना माली, Burkina Faso और शायद Niger अब तक अस्तित्व में नहीं रहते.« इस तरह के बयानों को Africa में अहंकारपूर्ण माना गया और इससे आबादी की उम्मीदें चीन जैसे अन्य देशों पर केन्द्रित हो गईं जो निवेश करने के इच्छुक हैं. Sahel में विद्रोही French तिरंगे को जलाते हैं और अक्सर रूसी झण्डा लहराते हैं. अब तक, तख्ता-पलट वाले राज्यों में आबादी के लिए बहुत कम सुधार हुआ है. हाल के सैन्य तख्ता-पलट से वाञ्छित स्थिरता नहीं आई है. माली और Burkina Faso दोनों में, तख्ता-पलट नेताओं के सत्ता में आने के बाद से आतंकवादी पीड़ितों की संख्या में वृद्धि हुई है. CFA frank को एक स्वतन्त्र मुद्रा में बदलने की घोषणा लगातार स्थगित की जा रही है. मूल रूप से 2015 के लिए योजना बनाई गई थी, अब यह परियोजना 2027 के लिए निर्धारित है. Euro से जुड़ी मुद्रा क्षेत्र के विकास में बाधा बनी हुई है.

मछली पालन के लिए high-tech aquarium

औसतन, Germany में प्रत्येक व्यक्ति प्रति वर्ष लगभग 14 किलो मछली खाता है, और Austria में आठ किलो. अधिकांश मछलियां या तो आयात की जाती हैं, या जंगली रूप से पकड़ी जाती हैं या जलीय कृषि से, यानी मछली पालन से. दोनों विकल्प पारिस्थितिक रूप से आपत्तिजनक हैं, क्योंकि पानी का प्रदूषण, अत्यधिक मछली पकड़े जाना और मछलियों को हम तक पहुंचने के लिए अक्सर लम्बी दूरी तय करना, सभी खाद्य श्रृंखला के लिए हानिकारक हैं. Vienna की एक start-up 'Blue Planet Ecosystems' (BPE) अब यह साबित करना चाहती कि कैसे चारों ओर से घिरा Austria खुद टिकाऊ तौर पर मछली का उत्पादन कर सकता है. संस्थापक एक विशेष aquarium में प्राकृतिक खाद्य श्रृंखला की नक़ल करते हैं और AI का उपयोग कर के इसे नियन्त्रित करते हैं. इसकी शुरुआत सूक्ष्म शैवाल (algae) से होती है, जो प्रकाश, पानी और carbon पर जीवित रहते हैं. वे zooplankton नामक छोटे जानवरों का भोजन बनते हैं, जो आगे मछलियों का भोजन बन जाते हैं. उनका मल विघटित हो जाता है और अन्तत: शैवाल की आजीविका बन जाता है. एक चक्र. computer एक camera और censor का उपयोग कर के मछली के स्वास्थ्य, पानी की गुणवत्ता, तापमान और oxygen स्तर की निगरानी करता है. और वह जल्दी से जान लेता है कि कौन सी परिस्थितियां इष्टतम परिणाम देती हैं. BPE ने अपनी खाद्य मछली के रूप में बहुत अनुकूलनीय Tilapia को चुना है. इष्टतम शैवाल अभी भी पाया जाना बाक़ी है.

https://www.blueplanetecosystems.com/

क्या धर्म आपको अधिक उदार बनाता है?

मनो-विज्ञान प्रयोग

समाधान पढ़ने से पहले: स्वयं सोचें और अपने सामान्य ज्ञान का परीक्षण करें.

कवि Friedrich Schiller ने अपने अपने प्रसिद्ध कार्य »Ode to Joy« में लिखा था कि जब हम उदार और सहयोगी होते हैं तो कोई ना कोई चमत्कार घटित होता है. उन्होंने  हमारे भाई-चारे के सह-अस्तित्व को ईश्वर के कार्य के रूप में देखा. लेकिन क्या ईश्वर में विश्वास वास्तव में हमें अधिक मददगार बनाता है? सही उत्तर का चयन करें:

A. हां. जो लोग धार्मिक होते हैं वे अधिक सहयोगी होते हैं और अपनी चीज़ों को दूसरों के साथ सांझा करते हैं.

B. इस के विपरीत. धार्मिक लोग स्वयं पर ध्यान केन्द्रित करते हैं. वे अधिक स्वार्थी होते हैं.

C धर्म इस प्रश्न में कोई भूमिका नहीं निभाता है.

शोध-कर्ता अक्सर ऐसे प्रश्नों की जांच खेल के साथ करते हैं: व्यक्ति 1 और 2 को एक निश्चित राशि दी जाती है. व्यक्ति 1 को एक तानाशाह की तरह निर्णय लेना होता कि धन कैसे विभाजित किया जाएगा. कई प्रयोगों से पता चलता है कि धार्मिक लोग ऐसे "तानाशाह खेल" में अन्य प्राणियों की तुलना में अधिक उदारता-पूर्वक व्यवहार नहीं करते हैं. तो क्या उत्तर C सही है? शायद नहीं, क्योंकि जैसे ही धार्मिक लोगों को स्पष्ट रूप से उनके ईश्वर की याद दिलाई जाती है, वे अचानक अधिक सहयोगात्मक और उदारता-पूर्वक व्यवहार करते हैं. एक हालिया अध्ययन से पता चला है कि ईसाइयों, मुसलमानों, यहूदियों और हिन्दुओं को अपने ईश्वर के बारे में संक्षेप में सोचने के लिए कहने से वे औसतन ग्यारह प्रतिशत अधिक उदार हो जाते हैं. और वे उन लोगों के प्रति भी उदार हो जाते हैं जो उनके धर्म में विश्वास नहीं रखते हैं. यानि उत्तर A सही है.

सोमवार, 18 दिसंबर 2023

क्या मुर्गे खुद को आईने में पहचानते हैं?

व्यवहार जीव-विज्ञान
Bonn विश्व-विद्यालय के शोध-कर्ताओं को इस बात के प्रमाण मिले हैं कि मुर्गे खुद को दर्पण में पहचान सकते हैं. महत्वपूर्ण बात यह है कि ऐसी प्रायोगिक स्थितियां बनाई जाएं जो उनके प्रकार के अनुरूप हों. दर्पण परीक्षण यह पता लगाने का एक मानक है कि जानवरों में आत्म-जागरुकता है या नहीं. आम-तौर पर, जानवर के शरीर पर एक रंगीन धब्बा लगाया जाता है और उस के सामने एक दर्पण रखा जाता है. यदि अब वह अपने शरीर पर चिन्हित क्षेत्र की जांच करता है, तो इसे इस बात का प्रमाण माना जाता है कि उसने खुद को पहचान लिया है. chimpanzee, dolphin और मैगपाई के विपरीत, मुर्गे हमेशा ऐसे परीक्षणों में विफ़ल रहे हैं.

लेकिन Bonn के लोगों ने अपने मुर्गों को चिन्हित नहीं किया, बल्कि छत पर शिकारी पक्षी की छवि बनाई. इस के पीछे का विचार: मुर्गे ऐसे खतरे की चेतावनी देने के लिए विशेष आवाज़ों का उपयोग करते हैं. हालांकि, केवल तभी जब आस-पास अन्य जानवर हों. यदि वे अकेले हैं, तो वे अपनी चोंच को बन्द रखते हैं ताकि शिकारी पक्षी सचेत न हों. 58 परीक्षण मुर्गों में से अधिकांश तब चिल्लाए जब कोई अन्य मुर्गा पास में था, लेकिन तब चुप रहे जब यह माना गया कि दूसरा मुर्गा सिर्फ़ उनका प्रतिबिम्ब है. तो आखिरकार वे सम्भवत: स्वयं को पहचानते हैं.

शनिवार, 16 दिसंबर 2023

ESA - बड़ी अन्तरिक्ष योजनाएं, बिना रॉकेट के

अन्तरिक्ष अभियान आज एक ऐसी क्रांति का अनुभव कर रहे हैं जैसी 20 साल पहले internet ने की थी. आर्थिक दोहन (space mining) के लिए हज़ारों धूमकेतुओं (comets) और क्षुद्रग्रहों (asteroids) को खोजा और जांचा जा रहा है, चन्द्रमा पर मनुष्यों के स्वतन्त्र और टिकाऊ वास का परिदृश्य विकसित किया जा रहा है. 2040 तक वैश्विक अन्तरिक्ष व्यवसाय एक trillion Euro तक बढ़ जाएगा. Europe इसका एक तिहाई हिस्सा सुरक्षित करना चाहता है. इस लिए ESA (European Space Agency) के अन्तर्गत 22 European देशों ने मिल कर पिछले कई वर्षों से बहुत उल्लेखनीय अभियानों को अञ्जाम दिया है. भविष्य में भी उनके पास बहुत सी योजनाएं हैं. पर सारी बात rocket पर आकर रुक जाती है. Europe अपने यानों, उप-ग्रहों और सैन्य scouts को अन्तरिक्ष में भेजने के लिए अभी भी काफ़ी हद तक अन्य देशों पर निर्भर है. ESA का स्व-निर्मित »Ariane 5« rocket 1996 से 2023 तक उपयोग में था और 20 तक टन का वजन पृथ्वी की निचली कक्षा में ले जाने में सक्षम था. पर 2012 तक ये माना जाने लगा कि »Ariane 5« आकार में बहुत बड़ा हो गया है और लगातार आधुनिक और छोटे होते उप-ग्रहों को प्रभावी ढंग से पृथ्वी की कक्षा में ले जाने के लिए इसका संचालन बहुत महंगा हो गया है. इस लिए इसे July 2023 में 117 वीं और अन्तिम बार launch किया गया. इस के बाद इसे हटा दिया गया. इसका उत्तराधिकारी, »Ariane 6« सम्भवत: 2024 में launch होगा और यह सम्भवत: अन्य देशों की तुलना में बहुत महंगा होगा. »Ariane 6« दो engines के साथ दस टन तक और चार engines के साथ 20 टन से अधिक वजन ले जाने में सक्षम होगा. ESA का Italy में निर्मित Vega rocket केवल 1.5 टन तक, और Vega-C संस्करण 2.5 टन तक के छोटे उप-ग्रहों को पृथ्वी की कक्षा में ले जा सकता है. इस लिए ESA को तत्काल इस प्रश्न का उत्तर खोजने की आवश्यकता है कि भविष्य में अपने उपकरणों को अन्तरिक्ष में कैसे ले जाएगा. »Ariane 6« के विकास के प्रश्न पर Germany और France के बीच रस्साकशी चलती रही. Germany »Ariane 5« के ऊपरी चरण को बेहतर बनाना चाहता था और इसे Bremen में विकसित और निर्मित करना चाहता था. France एक पूरी तरह से नया ठोस-ईंधन rocket बनाना चाहता था ताकि उसे परमाणु ऊर्जा चालित rockets के लिए भी इस्तेमाल किया जा सके. अन्तत: »Ariane 6« को दो या चार तरफ़ ठोस प्रणोदन engine और Germany का बना हुआ ऊपरी चरण दिया गया. यह विचार ना तो नवोन्वेषी था, ना ही टिकाऊ और ना ही इसे दोबारा इस्तेमाल किया जा सकता था. SpaceX ने पहले ही साबित कर दिया था कि rocket की केन्द्रीय drive इकाई अपना काम पूरा होने के बाद अन्तरिक्ष से लौट सकती है और पृथ्वी पर उतर सकती है. यह पुन: प्रयोज्य (reusable) rockets की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था. फिर भी लम्बे समय तक Europe के अन्तरिक्ष प्रबन्धक SpaceX का मज़ाक उड़ाते रहे, यह कह कर कि California की company सपने बेच रही है. SpaceX का Falcon 9 अब तक लगभग 250 बार सफ़लतापूर्वक launch हो चुका है और 200 से अधिक बार उतर चुका है.

July 2023 की शुरुआत में Cape Canaveral में ESA की 1.4 अरब Euro की लागत वाली महान दूरबीन »Euclid« को SpaceX के Falcon 9 rocket द्वारा अन्तरिक्ष में भेजा गया. 41 minute बाद »Euclid« दूरबीन अन्तरिक्ष में तैर रही थी. आने वाले वर्षों में यह अन्तरिक्ष दूरबीन अरबों आकाश-गंगाओं का निरीक्षण करेगी और उनके आकार और स्थिति को मापेगी. शोध-कर्ताओं को प्रकृति में दो घटनाओं की क्रांतिकारी अन्तर्दृष्टि प्राप्त करने की भी उम्मीद है जिन्हें वे dark matter और dark energy कहते हैं. दोनों मिल कर ज्ञात ब्रह्माण्ड का लगभग 95 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं. लेकिन इनके पीछे क्या है ये अभी तक पता नहीं चल पाया है. यह ब्रह्माण्ड के महान रहस्यों में से एक है और Europe इसे सुलझाना चाहता है. »Euclid« के विकास और निर्माण में Hungary के अलावा ESA के सभी सदस्य देशों ने योगदान दिया. कई देशों की राष्ट्रीय अन्तरिक्ष agencies, मन्त्रालयों या विश्व-विद्यालयों ने mission को वित्त-पोषित किया. अनुसंधान संस्थानों और companies ने »Euclid« के दस उच्च-तकनीकी उपकरणों की आपूर्ति की, जैसे camera, spectrometer, radar, magnetometer और अन्य मापने वाले उपकरण. Europe ने »Euclid« के प्रक्षेपण के लिए SpaceX को लगभग 65 million Euro का भुगतान किया. जब कि कहा जाता है कि SpaceX को प्रत्येक launch की लागत 30 million Euro से भी कम पड़ती है. दूसरी ओर ग़ैर-पुन: प्रयोज्य (non-reusable) »Ariane 6« की उड़ानों की कीमत variant के आधार पर 75 या 115 million Euro तक आएगी. और इस के विकास की लागत चार अरब Euro से अधिक है. वास्तव में »Ariane 6« 2020 में launch होने वाला था. पर अब यह 2024 से पहले launch नहीं होगा. ESA के अनेक महत्वपूर्ण अभियान इतने लम्बे समय तक इन्तज़ार नहीं कर सकते: Europe का क्षुद्रग्रह यान »Hera«, cloud explorer »Earthcare«, और शायद अगले Galileo उप-ग्रह, ये सभी अब European के बजाय SpaceX के Falcon 9 के साथ launch होने वाले हैं.

ऐसा नहीं है कि ESA समय के संकेतों को नहीं पहचानता है. »Themis« कार्यक्रम में, Arianegroup 2020 से ESA के लिए नए rocket engine »Prometheus« के साथ एक नया पुन: प्रयोज्य rocket विकसित कर रहा है. इस engine की लागत नई सामग्रियों और विनिर्माण प्रक्रियाओं के कारण पिछले engines की लागत की अपेक्षा केवल दस प्रतिशत होगी. जून में इसका प्रारम्भिक परीक्षण सफ़ल रहा. लेकिन Arianegroup का खुद का कहना है कि 2030 तक किसी operational rocket की उम्मीद नहीं की जानी चाहिए. इस परियोजना को अल्पवित्त-पोषित भी माना जाता है. rocket के मामले में कई वर्षों से एक विश्वसनीय सांझेदार रूस ने Ukraine में युद्ध के कारण खुद को खत्म कर लिया है. सम्भावित राष्ट्रपति Donald Trump के तहत संयुक्त राज्य America को अविश्वसनीय माना जाता है. भारत एक सम्भावित उम्मीदवार होता, लेकिन August में »चन्द्र-यान-3« के सफ़ल mission से पहले उसे असफ़लताओं से जूझना पड़ा. चीन अपने महत्वाकांक्षी अन्तरिक्ष कार्यक्रम के साथ तेज़ी से प्रतिस्पर्धी बनता जा रहा है. और SpaceX अपने विलक्षण और चंचल boss Elon Musk के तहत कोई स्वप्निल भागीदार नहीं है. 

European rocket के विकास के मामले में एक मूलभूत समस्या है »Geo-Return«. यह एक सिद्धांत है जिस के अनुसार प्रत्येक ESA सदस्य देश अन्तरिक्ष परियोजनाओं से अपने वित्तीय योगदान के अनुसार औद्योगिक क्षेत्र में और अन्तरिक्ष उद्योग में नौकरियां सुरक्षित करने में लाभ उठाना चाहता है. उदाहरण के लिए Germany अन्तर-राष्ट्रीय अन्तरिक्ष station (ISS) के संचालन की European लागत का लगभग 38 प्रतिशत वहन करता है. इस लिए यह European अनुसंधान समय का 38 प्रतिशत पाने का हकदार है. लेकिन तेज़ी से बढ़ती वाणिज्यिक अन्तरिक्ष दुनिया में, Geo-Return ESA के लिए एक नुकसान साबित हो रही है. 22 में से केवल 13 देश Ariane कार्यक्रम में भाग ले रहे हैं और सब की अपनी औद्योगिक प्राथमिकताएं हैं. अगर SpaceX को भी सब से सस्ते, सब से उपयुक्त घटकों को ख़रीदने या विकसित करने के बजाय Texas से engine, Vermont से valve और Alaska से cable ख़रीदना पड़ता, तो company कभी इतनी सफ़ल नहीं होती. इस लिए Geo-Return प्रतिस्पर्धा और नवाचार को रोक रहा है. Geo-Return के कारण नए start-ups को उत्साहित करना भी मुश्किल है, क्योंकि युवा companies वहीं बनती हैं जहां नए विचार और प्रतिबद्ध संस्थापक होते हैं. लेकिन इस सिद्धांत को आसानी से समाप्त भी नहीं किया जा सकता है. इस के लिए सभी 22 सदस्य देशों की सहमति की आवश्यकता होगी. फिर भी ESA ने हाल ही में Germany के दबाव में आ कर Germany के तीन start-ups को बढ़ावा देने के लिए एक प्रतियोगिता की घोषणा की. उम्मीदवारों को ESA से European उप-ग्रह launch करने के आदेश मिलेंगे, बशर्ते छोटे rocket एक दिन सफ़लतापूर्वक उड़ान भरें. ये तीन start-ups mini-उप-ग्रह launch करने के लिए छोटे rocket विकसित कर रहे हैं, यह प्रतियोगिता अमेरिकी अन्तरिक्ष agency NASA के उस विचार की नक़ल है जिस के तहत NASA ने कभी SpaceX को बढ़ावा दिया था. हालांकि NASA का वित्त-पोषण बहुत छोटा था. NASA ने Space-Shuttle युग के अन्त में 2011 में अनुबन्ध देने के तरीके को मौलिक रूप से ही बदल दिया था. स्वयं rockets को चालू करने, योजना बनाने, भुगतान करने और महंगे तरीके से संचालित करने के बजाय, निजी companies को उनकी पहल और उद्यमशीलता कर जोखिम पर यह काम दे दिया गया था. NASA केवल प्रदर्शन data प्रदान करती थी, कुछ सौ million Dollar की start-up funding देती थी और start-up सफ़ल होने पर launch order की guarantee देती थी. अन्तत: दो start-up इस में सफ़ल हुए: 'Orbital Sciences' और 'SpaceX'. NASA model को बेहद सफ़ल माना जाता है और अब इसे कई बार copy किया गया है, जिस में चन्द्रमा पर भविष्य की उड़ानों के लिए 'अन्तरिक्ष यान' का विकास भी शामिल है.

शुक्रवार, 15 दिसंबर 2023

इस्लाम का इतिहास

दमिश्क (Damascus) से लगभग 120 km दक्षिण-पूर्व में, नामारा में, अरब नेता 'इमरू अल-कैस' को 328 में दफ़नाया गया था. वह अपने समाधि-लेख के लिए प्रसिद्ध हुए. यह ना केवल अरबी भाषा में सब से पहले लिखित दस्तावेज़ थे, बल्कि यह कैस को "सभी अरबों के राजा" के रूप में भी मनाते थे. इस पाठ की व्याख्या के बारे में एक लम्बी बहस हुई कि क्या यह अरब समुदाय की चेतना जैसा कुछ है, यहां तक कि बाद में मुहम्मद के काम का आधार भी? लोगों का शक सही निकला. कैस सभी अरबों का प्रतिनिधित्व नहीं करता था, बल्कि कई समूहों में से एक था जो विशेष रूप से आत्म-विश्वासी दिखने में सक्षम था. कैस के योद्धाओं ने शुरू में खुद को फ़ारसी Sasanids की सेवा में रखा था, वह महान साम्राज्य जिस ने 400 से अधिक वर्षों तक, लगभग 640 तक, जो अब मध्य पूर्व है, के बड़े क्षेत्रों को नियन्त्रित किया था. लेकिन फिर वे Roman साम्राज्य के सम्राटों के पक्ष में चले गए, शायद ईसाई धर्म स्वीकार करने के सम्बन्ध में. कैस और उनके लोग प्रारम्भिक अखिल अरब पहचान के पक्ष में नहीं बल्कि उस गतिशीलता के लिए खड़े थे जो दो महान साम्राज्यों ने बीच के "buffer समाजों" में अपनी प्रतिस्पर्धा के माध्यम से शुरू की थी. अपनी सीमाओं को सुरक्षित करने और अपने विरोधियों को दूर रखने के लिए, Byzantines और फ़ारसियों (Sasanids ) ने समान रूप से सहयोगी के रूप में अरब संघों पर जीत हासिल करने का प्रयास किया. ऐसा करने में, उन्होंने ऐसी प्रक्रियाएं शुरू कीं जिन के अरब प्रायद्वीप, उत्तर में Syrian रेगिस्तान और उससे आगे के निवासियों के लिए गम्भीर परिणाम हुए: नए पदानुक्रम उभरे और राजाओं के बीच प्रतिस्पर्धा तेज हो गई. जैसा कि तीसरी शताब्दी से होता आ रहा था, लोगों ने स्थान बदलना शुरू कर दिया और नए समुदायों का उदय हुआ. पूर्वी रोम की सीमाओं से परे हर जगह बहुत समान प्रक्रियाएं एक साथ हुईं, जिन्हें अक्सर "लोगों का प्रवासन" कहा जाता है. प्राचीन समय में, अरब प्रायद्वीप की आबादी कुलों और कबीलों में विभाजित थी. अक्सर रिश्ते-दारी समूह एक-दूसरे के प्रतिद्वन्द्वी होते थे और अक्सर बदलते गठबन्धन में एक-दूसरे से लड़ते रहते थे. महान साम्राज्यों की सेवा से उन्हें प्रतिष्ठा और धन मिलता था. तीसरी शताब्दी के अन्त के बाद से, फ़ारसियों को Nasrids के प्रभुत्व वाले एक संघ द्वारा समर्थन दिया गया था जो अब इराक है, जब कि 6वीं शताब्दी में Roman मुख्य रूप से Jafnids पर निर्भर थे, जो दक्षिणी अरब के एक संघ के शासक थे जो उत्तर की ओर बढ़ रहे थे और जिन्होंने बदले में ईसाई धर्म अपनाया. कई अरब जन-जातियां शुरू में कम से कम आंशिक रूप से खानाबदोश के रूप में रहती थीं. अमीरों के साथ उनके सम्पर्कों ने अब बसने की प्रक्रिया को तेज कर दिया. अरब प्रायद्वीप के पश्चिम में मक्का, जिसे "Hejaz" कहा जाता था, वहां अरब लोग स्थायी तौर पर रहते थे. व्यापारी और काबा नामक पंथ स्थल इसकी पहचान थे. काबा सम्भवत शुरुआत में विभिन्न मूर्ति-पूजक देवताओं से जुड़ा था. कुरैश जन-जाति के प्रभुत्व वाले इस जीवन्त स्थान पर, मुहम्मद का जन्म सम्भवत: 570 के आस-पास हुआ. उनके पिता अब्दुल्ला की मृत्यु जल्दी हो गई. भावी भविष्य-वक्ता एक नर्स और उस के चाचा के साथ बड़ा हुआ. समय कठिन था. 7वीं शताब्दी की शुरुआत में Byzantines और Sasanians के बीच लड़े गए "प्राचीन काल के अन्तिम महान युद्ध" ने दोनों प्रतिस्पर्धियों को रसातल के कगार पर ला दिया था. कई plague महामारियों और प्राकृतिक आपदाओं से जनसंख्या भी नष्ट हो गई थी. अन्तिम समय की उम्मीदों का उदय पूर्वी रोम में छठी शताब्दी से ही हो चुका था. इसने अधिक से अधिक लोगों को और कुछ यहूदियों को प्रभावित किया. कई लोगों के लिए, अरब प्रायद्वीप पर प्रचलित विश्व-उन्मुख बुत-परस्त पंथ अब पर्याप्त नहीं थे. यहूदी धर्म और ईसाई धर्म जैसे एकेश्वरवादी धर्मों को अरबों के बीच भी कई अनुयायी मिले. कुरान में उल्लेखित हनीफ जैसे अन्य धर्म, अपने स्वयं के और इब्राहीम से प्रभावित एकेश्वरवाद की तलाश में थे. मुहम्मद ने निकट आने वाले अन्तिम समय की छाप को महसूस करते हुए शाश्वत जीवन के परिप्रेक्ष्य के साथ एक सख्त एकेश्वरवाद का प्रचार करना शुरू कर दिया. यह शुरू में मक्का की आबादी को अजीब लगा. उन्होंने सम्भवत: स्थापित जन-जातीय संरचनाओं को भी खतरे में देखा. 622 में मुहम्मद और उनके अनुयायियों को शहर छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा. यह पलायन इतिहास में "हिजरा" के रूप में दर्ज हुआ. इस के साथ ही इस्लामी युग की शुरुआत हुई. Jathrib में, बाद में मदीना में मक्का प्रवासी मुहम्मद और उस के अनुयायिओं को एक नया घर मिला. उन्होंने यहां एक नया समुदाय बनाया. लगभग दो साल बाद वे मक्का-वासियों के खिलाफ़ लड़ाई में उतरे. निश्चित रूप से सामान्य जन-जातीय संघर्षों के सन्दर्भ में यह कोई विशेष शानदार घटना नहीं थी. निस्सन्देह, नई बात यह थी कि मदीना के लोग खुद को एक धार्मिक, आदि-वासी समुदाय के रूप में देखते थे. मक्का-वासियों पर जीत के बाद, उन्हें समुदाय, "उम्मा" में एकीकृत करने की समस्या उत्पन्न हुई. मक्का और मदीना-वासियों के बीच प्रतिद्वन्द्विता और मुहम्मद के द्वारा शांति स्थापित करने के लिए किए गए समझौतों के बीच तीव्र टकराव की सम्भावना थी. मुहम्मद के जीवन-काल के दौरान उस के रोब और विभिन्न सैन्य अभियानों के द्वारा जन-जातियों में एक-जुटता बनी रही. लेकिन 632 में मुहम्मद के शासन के एक उत्तराधिकारी को चुनने के किसी भी नियम के बिना ही मुहम्मद की मृत्यु हो गई. समुदाय बिखरने की स्थिति का सामना कर रहा था. पैगम्बर की मृत्यु के बाद विभिन्न समूहों ने खुद को अलग कर लिया और खूनी झड़पें शुरू हो गईं. हालांकि, मुहम्मद के उत्तराधिकारी अबू बक्र के अधीन शेष वफ़ादार सैन्य रूप से सफ़ल रहे. वे शीघ्र ही पूरे अरब प्रायद्वीप को अपने नियन्त्रण में लाने में सक्षम हो गए, विशेष रूप से अब परिवर्तित मक्का-वासियों के समर्थन से, ताकि 634 में अबू बक्र की मृत्यु के बाद, उनके कार्यालय का हस्तांतरण उम्र (644 तक खलीफ़ा) को बिना किसी संघर्ष के हो जाए. हालांकि, सैन्य सफ़लताओं ने अब अपनी गति पकड़ ली थी, शानदार जीत ने अतिरिक्त लूट हासिल करने की सम्भावना खोल दी. general और सैनिक खुद को अलग करना चाहते थे, और मदीना के लिए मरने वाले लोगों को स्वर्ग का वादा किया गया था. किसी भी मामले में, योद्धाओं को विशेष रूप से लड़ाई के लिए प्रेरित करना अब आवश्यक नहीं लगता, जैसा कि कुरान के मदीना सूरह में अभी भी पढ़ा जा सकता है. अक्सर, इन marshall छन्दों को उनके ऐतिहासिक सन्दर्भ से हटा दिया गया है और हिंसा के लिए कालातीत आह्वान के रूप में गलत समझा गया है. वे मक्का के खिलाफ़ लड़ाई, फिर अरब जन-जातियों की अधीनता और एकीकरण का उल्लेख करते हैं, और यह Byzantium से आयातित "पवित्र युद्ध" की विचार-धारा के सन्दर्भ में है.

बुधवार, 13 दिसंबर 2023

Gymnastics coach को निकाला

2014 में Fellbach-Schmiden में 'लयबद्ध gymnastic' (RSG) के 'राष्ट्रीय team प्रदर्शन केन्द्र' के दो पूर्व कर्मचारियों के खिलाफ़ एक gymnast को अवैध दवा देने की कोशिश के जुर्म में 90 दैनिक दर का जुर्माना लगाया गया. पूर्व coach Natalia Stepanova और पूर्व DTB team boss Karina Pfennig ने drug कानून के उल्लंघन के साथ-साथ खतरनाक शारीरिक नुकसान पहुंचाने का प्रयास किया था. उन्होंने एक athlete को दवा दी थी जिसे संक्रमण के कारण break लेना पड रहा था. लेकिन antibiotic capsule, जो संक्रमण के खिलाफ़ मदद नहीं कर सकते थे, पूर्वी Europe से आए थे और Germany में स्वीकृत नहीं थे. तत्कालीन 16 वर्षीय gymnast ने वे दवाएं नहीं लीं. German gymnastic association (DTB) 2014 की गर्मियों में Karina Pfennig से अलग हो गई और October में Stepanova से.

ज्वालामुखी - जितने सुन्दर उतने भयानक

Europe में सब से खतरनाक ज्वालामुखियों में से एक इस महाद्वीप के विशेष रूप से घनी आबादी वाले क्षेत्र के ठीक नीचे सुप्त अवस्था में है. यदि इतालवी महा-नगर Naples के निकट Phlegraean fields में स्थित यह ज्वालामुखी फिर से फूटता है तो सैकड़ों हज़ारों लोगों को जान गंवानी पड़ सकती है. हज़ारों लोगों को कुछ ही घंटों में सुरक्षित स्थान पर पहुंचाना पड़ेगा, यदि ऐसा हो भी पाया तो. जब ज्वालामुखियों की बात आती है तो सौंदर्य और भय एक दूसरे के बहुत करीब होते हैं. Iceland पर स्थित Fagradalsfjall नामक ज्वालामुखी 2021 के वसन्त में अचानक फूटने तक स्थानीय और विदेशियों के लिए एक लोकप्रिय भ्रमण स्थल था. 2021 में ही La Palma द्वीप पर लोगों ने कई हफ़्तों तक भय के साथ Cumbre Vieja नामक ज्वालामुखी को गरजते हुए और उस की राख और चट्टानों को आकाश में उड़ते हुए देखा. हमें शायद ही कोई अन्य प्राकृतिक घटना इतना आकर्षित करती है, क्योंकि यह जीवन का निर्माण भी करती है और साथ ही मृत्यु भी ला सकती है. यह एक ही समय में भयावह और सौंदर्यपूर्ण है. दुनिया की आबादी का दसवां हिस्सा, लगभग 80 करोड़ लोग लगभग 1,500 सक्रिय ज्वालामुखियों के आस-पास के क्षेत्र में रहते हैं. कई लोग उपजाऊ लावा मिट्टी पर सब्ज़ियां, शराब या नीम्बू उगाते हैं और साथ ही वे यह आशा कर सकते हैं कि यह आग का पहाड़ शांत रहेगा.

सोमवार, 11 दिसंबर 2023

धर्मों की उत्पत्ति

लोगों ने धर्म में विश्वास करना कैसे सीखा?

क्या आपने कभी सोचा है कि आप यहां क्यों हैं? या आपके मरने के बाद क्या होता है? आप इन विचारों के साथ अकेले नहीं हैं. हर समय लोगों ने खुद से जीवन के अर्थ का सवाल पूछा है. पाषाण युग के लोगों के साथ-साथ प्राचीन मिस्र-वासी, African और European लोगों ने भी. और वे सभी जितने भिन्न थे, उनके उत्तर भी उतने ही भिन्न थे. लेकिन उन सभी में एक समानता यह थी कि वे उन अलौकिक शक्तियों में विश्वास करते थे जो दुनिया और उनके जीवन को प्रभावित करती हैं. लगभग 17,000 साल पहले, पाषाण युग के लोगों ने दक्षिणी France में Lascaux गुफा की दीवारों को बैल, घोड़ों और पौराणिक प्राणियों से चित्रित किया. शोध-कर्ताओं को सन्देह है कि वे लोग इन चित्रों का उपयोग उच्च शक्ति का आह्वान करने के लिए करते थे जो उनके लिए ढेर सारे शिकार लाती. इन गुफाओं में मानव इतिहास की सब से पुरानी छवियां हैं. और उन में से कुछ बहुत बड़ी हैं, जैसे कुछ बैल पांच meter से भी अधिक लम्बे हैं. वे लोग दीवार पर बैल चित्रित कर के सफ़लतापूर्वक शिकार करने के लिए इन छवियों के सामने शिकार के जादू का जाप करते थे. वे लोग शिकार किए गए जानवरों के साथ-साथ जामुन, जड़ी-बूटियां और mushroom भी खाते थे. इसी लिए उन्हें शिकारी-संग्रहकर्ता कहा जाता था. उनके पास रहने का कोई निश्चित स्थान नहीं था. लगभग 15,000 वर्ष पहले पृथ्वी गर्म हो गई और glacier पिघलने लगे. चूंकि गर्मियां अब गर्म और शुष्क थीं, इस लिए लोगों को प्रकृति में पर्याप्त खाद्य भोजन नहीं मिल पा रहा था. इस के अलावा, शिकार तकनीक में सुधार हुआ और अनुभवी शिकारी अधिक शिकार करने में सक्षम हुए. इस लिए लोगों के भोजन के लिए और भी कम जानवर बचे थे. इस लिए भोजन के एक नए स्रोत की आवश्यकता थी. यह ज्ञात नहीं है कि लगभग 12,000 साल पहले मिट्टी पर खेती करने और कुछ रोपने का विचार सब से पहले किसके मन में आया था. लेकिन वह जो भी था, बहुत चतुर रहा होगा! जब लोगों ने खेती करनी शुरू की, तो वे गतिहीन हो गए: उन्होंने झीलों और नदियों पर साधारण घर बनाए, भेड़ और बकरियां पाल लीं, और बाद में मवेशी और सूअर भी पाल लिए. शिकारी और संग्रहकर्ता किसान और पशु-पालक बन गए. अब लोगों के लिए यह जानना ज़रूरी हो गया कि कब तूफ़ान आने वाला है और कब नदी अपने किनारों से बह निकलेगी. वे भविष्य-वाणियां करने के लिए तारों को देखते थे. पाषाण युग के लोग सूर्य और चन्द्रमा के प्रति विशेष सम्मान रखते थे, जिस से उन्हें गर्मी और रौशनी मिलती थी. पहले गांव उभरे, बाद में वे शहर बन गए. लोगों ने व्यापार करना और वस्तुओं का आदान-प्रदान करना शुरू किया, धन का आगमन हुआ. एक साथ रहना अधिक जटिल हो गया और इसे सुव्यवस्थित करना पड़ा. जो लोग इस में कुशल थे उन्हें अत्यधिक सम्मान दिया जाता था और दूसरों की तुलना में बेहतर स्थान प्राप्त होता था. इतनी अधिक विकसित होने वाली पहली संस्कृतियों में से एक लगभग 2500 साल पहले मिस्र की संस्कृति थी. बाद में यूनानियों और Romans ने इसका अनुसरण किया. वे सभी जीवन के विभिन्न महत्वपूर्ण क्षेत्रों, जैसे युद्ध और उपचार, के लिए देवताओं की पूजा करते थे. दक्षिणी England के Stonehenge में, लगभग 5,000 साल पहले, सात meter तक ऊंचे विशाल पत्थरों को घेरे में रखा गया था. ऐसा माना जाता था कि ये पत्थर की इमारतें सूर्य और चन्द्रमा की पूजा और अवलोकन के लिए अभयारण्य थीं. अपनी सूची का उपयोग कर के, बुद्धिमान लोग ग्रीष्म संक्रांति और विषुव के दिन की सटीक गणना करने में सक्षम थे. मिस्र की Neith देवी सब से महत्वपूर्ण देवताओं में से एक थीं. पहले उन्हें युद्ध की देवी माना जाता था, बाद में सृजन और मातृ देवी के रूप में और फिर मृत्यु की देवी के रूप में पूजा जाने लगा.


कौन सा धर्म सही है?

इस प्रश्न का कोई उत्तर नहीं हो सकता. किसी एक धर्म को सही कहने का मतलब है दूसरे धर्मों को गलत कहना. और इसका निर्णय कौन कर सकता है? इसका परिणाम सभी विश्वासियों के बीच एक कड़वा विवाद होगा. इस लिए हमें प्रत्येक आस्तिक को अपना धर्म में विश्वास करने देना चाहिए और यह दावा नहीं करना चाहिए कि हमारा अपना धर्म बेहतर है. एक मुसलमान के लिए, इस्लाम निश्चित रूप से सही आस्था है, जब कि एक ईसाई ईसाई धर्म को मानता है और एक बौद्ध बौद्ध धर्म को सही आस्था मानता है. ये सभी लोग अपने भगवान में विश्वास करते हैं और अपने जीवन से निपटने के लिए दैवीय सहायता की आशा करते हैं.


धर्म हमारे जीवन को कैसे प्रभावित करता है?

प्रत्येक ईसाई सम्भवत: Bible की दस आज्ञाओं को जानता है जिन का उन्हें अपने जीवन में पालन करना चाहिए. उदाहरण के लिए, इस में कहा गया है कि किसी को चोरी या हत्या नहीं करनी चाहिए. धर्म लोगों के मन में मृत्यु का भय भी दूर कर सकता है. यह उन्हें समझाता है कि मृत्यु के बाद क्या होता है. लेकिन धर्म ना केवल प्रत्येक व्यक्ति के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह लोगों को एक साथ भी लाता है, जैसे प्रार्थना करते समय. Germany में स्कूल में धर्म से सम्बन्धित एक विषय भी पढ़ाया जाता है.


पांच बड़े धर्म

सहस्राब्दियों में, विशेष रूप से पांच धर्म इतने महत्वपूर्ण हो गए हैं कि अब उन्हें विश्व धर्म माना जाता है. ये हैं ईसाई धर्म, इस्लाम, यहूदी धर्म, बौद्ध धर्म और हिन्दू धर्म. दुनिया भर में ईसाई धर्म के सब से अधिक अनुयायी हैं, हालांकि Catholic, protestant और रूढ़िवादी ईसाइयों के बीच अन्तर किया जाता है. इस्लाम दूसरे स्थान पर है, उस के बाद हिन्दू धर्म और बौद्ध धर्म काफ़ी बड़े अन्तर पर हैं. यहूदी धर्म अपेक्षाकृत कम विश्वासियों वाला धर्म है. लेकिन यह 3000 वर्षों से भी अधिक पुराना है, इस लिए यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण धर्म है. कुछ लोग इस बात पर आश्वस्त हैं कि कोई ईश्वर या देवता नहीं है, उन्हें नास्तिक कहा जाता है. Australia में Jedi-वाद सब से विचित्र धर्मों में से एक है. इस में करीब 70,000 लोग शामिल हैं. यह धर्म George Lucas की star wars फिल्मों से प्रेरित है जिन में Jedi को शांति के संरक्षक दिखाया गया है. उनके पास असाधारण क्षमताएं हैं, जिन्हें वे "the force" नामक अलौकिक शक्ति के माध्यम से हासिल करते हैं.


एक भगवान या अनेक

यहूदी धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम में, विश्वासी एक ईश्वर की पूजा करते हैं. इन धर्मों को एकेश्वरवाद कहा जाता है. अन्य धर्मों, जैसे बौद्ध धर्म और हिन्दू धर्म में, लोग कई देवताओं में विश्वास करते हैं. ऐसी मान्यता को बहुदेववाद कहा जाता है. इस में प्राचीन यूनानियों और Romans के धर्म भी शामिल थे.

रविवार, 10 दिसंबर 2023

बाल सैनिक: बचपन के बजाय युद्ध

दुनिया भर में 250,000 से 300,000 बाल सैनिक सक्रिय हैं। अकेले 1990 से 2000 के वर्षों में लगभग 20 लाख बच्चों की मृत्यु हो गई, 60 लाख बच्चे विकलांग हो गए और 10 लाख बच्चों को गंभीर मनोवैज्ञानिक क्षति हुई है। जर्मनी सबसे बड़े हथियार निर्यातकों में से एक है। संयुक्त राज्य अमेरिका और रूस के बाद, यह आमतौर पर फ्रांस और चीन के साथ तीसरे स्थान पर है। जर्मनी विशेष रूप से बड़ी संख्या में छोटे हथियारों का निर्यात करता है, जिनका उपयोग मुख्य रूप से बाल सैनिकों को लैस करने के लिए किया जाता है। Bundeswehr में नाबालिगों की संख्या 2011 में 689 से 2022 में 1773 तक दोगुनी से अधिक हो गई है। इनमें लगभग बीस प्रतिशत युवा महिलाएं हैं।

2011 में एक साल के लिए सैन्य सेवा की अनिवार्यता समाप्त होने के बाद, Bundeswehr ने नए रंगरूटों को भर्ती करने का अपना सबसे महत्वपूर्ण भर्ती उपकरण खो दिया। तब से Bundeswehr पूरे जर्मनी में युवाओं और नाबालिगों को सैनिक के पेशे की‌ ओर लुभाने के लिए नियमित तौर पर मनोरंजक, साहसिक और रोमांचक शिविरों का आयोजन कर रहा है (Bundeswehr Adventure Camps), जिनमें युवा लोग बिना एक पैसा खर्च किए भाग ले सकते हैं। इन साहसिक सप्ताहों में नौसेना, वायु सेना और थल सेना भी भाग लेती है। वहां युवाओं को रोमांचक खेलों के साथ साथ पर्वतीय सैनिकों, चिकित्सा इकाइयों, टैंक इकाइयों और साइबर कमांड से परिचित कराया जाता है। अनेकों पोस्टर अभियानों के बाद Bundeswehr ने सोशल मीडिया को आजमाया और यूट्यूब श्रृंखला 'Die Rekruten' को फिल्माया।  

https://youtube.com/playlist?list=PL0nyHde37tIao-vYD1K4rvhW4Hoav-ITq

वामपंथी सांसद Norbert Müller के अनुसार यह निंदनीय है कि Bundeswehr विशेष रूप से नाबालिगों की भर्ती को लक्षित कर रहा है। विज्ञापन अभियानों में अक्सर तथ्यात्मक अभिविन्यास और सूचना की कमी होती है। Bundeswehr बार-बार वैज्ञानिक रूप से विवादास्पद बयानों के साथ विज्ञापन करता है और सैनिक के पेशे की जटिलता और उससे जुड़े खतरों का पर्याप्त रूप से प्रतिनिधित्व नहीं करता है। युद्ध और शांति के सवालों से निपटने के लिए विज्ञापन सही तरीका नहीं है। बाल अधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र समिति ने भी अतीत में संघीय सरकार से नाबालिगों को लक्षित करने वाले सभी प्रकार के विज्ञापनों से परहेज करने का बार-बार आह्वान किया है। अपनी प्रतिक्रिया में संघीय सरकार ने कहा कि वह शिविरों की बढ़ती मांग से खुद को पुष्ट देखती है। इससे पता चलता है कि 'Bundeswehr कार्यस्थल' को बेहतर तरीके से जानने में युवाओं की रुचि बढ़ी है.

https://aufschrei-waffenhandel.de/
http://www.kindersoldaten.info/
https://www.redhandday.org/en/
https://muenchen.paxchristi.de/
https://www.muenchner-friedensbuendnis.de/
https://dip.bundestag.de/vorgang/adventure-camp-der-bundeswehr/57291

मंगलवार, 5 दिसंबर 2023

Geo Kompakt 43/2015 Editorial

प्रिय पाठको

GEOcompakt ने दूसरी बार अपना एक अंक संभोग को समर्पित किया है। एक ओर इसका कारण यह है कि हम अपने 2009 के अंक में सभी प्रकार की मानवीय कामुकता को संबोधित करने में सक्षम नहीं थे। दूसरी ओर, तब से इंटरनेट पोर्नोग्राफ़ी की घटना बेहद तीव्र हो गई है। अब Dating Apps के साथ डिजिटल दुनिया में कई अन्य विकास भी हो रहे हैं। ये सभी विषय हैं जिन्हें हम इस अंक में संबोधित करेंगे।

इसके अलावा, हाल के वर्षों में कई शोध क्षेत्रों में नए निष्कर्ष सामने आए हैं, जैसे कि यह सवाल कि कुछ लोग अपने ही लिंग के प्रति आकर्षण क्यों महसूस करते हैं या क्या वास्तव में "वफादार genes" जैसी कोई चीज होती है।

अब लंबे समय से प्रजनन, जो जैविक रूप से पुरुषों और महिलाओं के शारीरिक संलयन का वास्तविक कारण था, केवल कामुकता का सहायक बन कर रह गया है। मनुष्य ने संभोग को प्रजनन के शुद्ध उद्देश्य से कहीं आगे बढ़ा दिया है। इसे इस तथ्य से देखा जा सकता है कि आनंद की अनगिनत किस्में सभी संस्कृतियों में सह-अस्तित्व को निर्धारित करती हैं।

इसलिए कुछ भी मानवीय कामुकता जितना व्यापक नहीं है। जहां कुछ लोग अपने पूरे जीवन में एक ही साथी पर टिके रहते हैं, अन्य हमेशा नए कामुक प्रयोगों के लिए प्रयास करते रहते हैं। और कुछ लोग विशेष प्राथमिकताएं विकसित करते हैं, प्रभुत्व या समर्पण की मांग करते हैं, या कुछ खास सामग्रियों या वस्तुओं से उत्तेजित होते हैं।

यौन इच्छाओं की व्यापक विविधता ने दशकों से शोधकर्ताओं को आकर्षित किया है। जटिल उपकरणों और परिष्कृत प्रयोगों का उपयोग करते हुए, डॉक्टर, आनुवंशिकीविद्, मनोवैज्ञानिक और न्यूरोबायोलॉजिस्ट वासना, वफादारी और ईर्ष्या के नियमों को समझते हैं। वे प्रेमियों के मस्तिष्क की जांच करते हैं, अणुओं के काम करने के तरीके को समझते हैं, उन तंत्रों की तलाश करते हैं जो हमें संबंध बदलने को मजबूर करते हैं। वे इन विषयों के बारे में हमारे ज्ञान का विस्तार करते हैं कि हमारी इच्छाएँ कैसे उत्पन्न होती हैं और हमारा मार्गदर्शन कैसे करती हैं।

हम इस अंक में यह भी बताएंगे कि विभिन्न लिंगों द्वारा संभोग का अनुभव इतना अलग-अलग क्यों होता है, युवावस्था में कैसे अपनी इच्छा का पता चलता है, जब दो साथी एक-दूसरे को जानने लगते हैं तो कौन से छिपे हुए तंत्र काम करते हैं, संभोग सुख के दौरान पुरुष और महिलाओं के दिमाग में क्या होता है, क्यों यौन कल्पनाएँ हमारी सोचने की क्षमता का अधिकांश हिस्सा ले लेती हैं।

हम यह भी समझाएंगे कि क्यों अधिक से अधिक लोग स्पष्ट रूप से वासना के अंधेरे पक्ष की खोज कर रहे हैं - जो अन्य बातों के अलावा, "Fifty Shades of Grey" जैसे Sado-maso उपन्यासों से प्रेरित है। दीर्घकालिक रिश्तों में जुनून बनाए रखने के लिए आप कौन सी तरकीबें अपना सकते हैं? और यह कि सभी नए निष्कर्षों और विकासों के बावजूद, यौन गतिविधि के सभी नए-नए पहलुओं के बावजूद, अंत में अधिकांश रिश्ते मुख्य रूप से सदियों पुरानी जरूरतों के बारे में हैं जो बहुत सरल और बहुत जटिल हैं। वे हैं: निकटता, विश्वास, सुरक्षा, और हाँ, प्यार।

सोमवार, 4 दिसंबर 2023

जल्द रिहा होने के लिए कैदी बना जल्लाद

18 जून 2023 को पूर्व माओवादी और 'पूर्ब बांगलार सर्वहारा party' के सदस्य 73 वर्षीय 'शहाजहां भुइयां' को 32 साल बाद बंगलादेश की राजधानी ढाका के उत्तर में स्थित काशिमपुर central jail से रिहा किया गया. उसे 1992 में लूट और हत्या के लिए कुल 42 वर्ष की सजा हुई थी. लेकिन jail में रहते हुए उसने मृत्यु दण्ड पाने वालों को फ़ांसी पर लटकाने में मदद करनी शुरू कर दी, और धीरे धीरे 'मुख्य जल्लाद' नियुक्त कर लिया गया. हर मृत्यु दण्ड से उस की सजा में से कुछ महीनों की छूट दी जाती थी. कुल मिलाकर उसकी सज़ा की अवधि लगभग दस वर्ष कम हो गई। बंगलादेश एकमात्र ऐसा देश है जहां अभी भी फ़ांसी के साथ मृत्यु दण्ड दिया जाता है. वहां लम्बी अवधि के कैदियों को मौत की सजा के निष्पादन में भाग लेने की अनुमति है. उनका जल्लाद के काम के लिए चयन और प्रशिक्षण दिया जाता है. बांग्लादेश में हत्या, आतंकवाद, अपहरण, विद्रोह और हाल के वर्षों में बलात्कार के लिए मौत की सजा दी जा सकती है. आम-तौर पर दोषी को शाम आठ बजे सूचित किया जाता है. मौलाना उस के लिए सफ़ेद कपड़े लाता है. साथी कैदी उन्हें अन्तिम स्नान के लिए नीम और बेर के पत्ते देते हैं. लगभग सभी फ़ांसियां आधी रात के एक minute बाद दी जाती हैं. बंगलादेश की jails में अनुमानत 2000 हत्यारे और इस्लामी चरमपंथी मौत का इन्तज़ार कर रहे हैं. भुइयां ने अपने जीवन में करीब 60 फ़ांसियां देखी हैं. इन में से 26 लोगों को उसने खुद फ़ांसी दी जिन में 2007 में फ़ांसी पर लटकाया गया बन्दलादेशी आतंकवादी 'सिद्दिकी-उल-एस्लाम' उर्फ़ 'बंगला भाई' भी था.

रविवार, 3 दिसंबर 2023

भारत से फ़ारस का BC तक का संक्षेप इतिहास

Mesopotamia के पूर्व में, आज के ईरान, अफ़गानिस्तान, पाकिस्तान और भारत के क्षेत्र में, ईसाई-पूर्व काल में प्रारम्भिक उन्नत संस्कृतियां, महान साम्राज्य और कई धर्म विकसित हुए जो आज भी मौजूद हैं.

2600 BC और 1900 BC के बीच लगभग 40,000 निवासियों वाले मोहनजो-दारो और हड़प्पा जैसे बड़े शहर सिंधु घाटी में उभरे. वे Mesopotamia तक माल का व्यापार करते थे.

सिंधु घाटी आज के पाकिस्तान में सिंधु नामक एक विशाल नदी के आस पास का इलाका है. वहां 2600 BC के आस-पास एक रोमांचक उन्नत सभ्यता विकसित हुई, जिस के बारे में आज बहुत से लोग नहीं जानते. यह सिंधु सभ्यता लगभग 700 वर्षों तक चली. इसका साम्राज्य प्राचीन मिस्र और Mesopotamia के संयुक्त साम्राज्य से भी बड़ा था. सिंधु संस्कृति के लोगों ने शहरों का निर्माण किया, उनकी अपनी एक लिखित प्रणाली यानि लिपि थी, और वे कृषि और लम्बी दूरी का व्यापार करते थे. वे कुम्हार के चाक पर चीनी मिट्टी के बरतनों का उत्पादन करते थे, कपडों की बुनाई और रंगाई करते थे, धातु का प्रसंस्करण करते थे और Carnelian और Lapis lazuli रत्नों से गहने बनाते थे. Carnelian नामक लाल पत्थर को रेखाओं से सजा कर आभूषणों में संसाधित किया जाता था. सिंधु लोग साबुन के पत्थर पर जानवरों और अक्षरों को उकेरते थे और इन पत्थरों का इस्तेमाल मोहरों के रूप में करते थे.

सिंधु संस्कृति के लोगों के शहर New York जैसे दिखते थे. गगनचुम्बी इमारतों के कारण नहीं, बल्कि समकोण पर बनी सड़कों के कारण. घर मिट्टी की ईंटों से बने होते थे जिन में कई कमरे होते थे और लगभग हमेशा उनका अपना स्नानघर होता था. हर जगह पानी के कूंए थे और पानी की नालियों से ताज़ा और साफ़ पानी बहता था. शौचालय भी थे जिन का मल एक नाले के माध्यम से बहता था. दुर्गन्ध को फैलने से रोकने के लिए नालों को ढक दिया जाता था. नहाने के लिए तालाब भी हुआ करते थे. इस तरह पानी की नालियों और swimming pool का अविष्कार रोम में नहीं बल्कि सिंधु सभ्यता में हुआ. रोम में उस समय केवल बकरियों की चिरागाहें हुआ करती थीं. 

पाकिस्तान में खोदे गए मोहनजो-दारो शहर में 4,000 साल से अधिक पुराना एक पकी हुई ईंटों का तालाब है, जिस का आकार लगभग 12 गुणा 7 meter और 2.5 meter गहरा है. पानी के रिसाव को रोकने के लिए इसे अन्दर से सील किया गया है. इस में दो तरफ़ सीढ़ियां हैं. लेकिन दुनिया के ये पहले swimming pool शायद मनोरञ्जन के लिए कम और धार्मिक शुद्धि के लिए ज़्यादा थे.

लेकिन कुछ चीज़ें ऐसी हैं जिन के बारे में शोध-कर्ता अभी भी अन्धेरे में हैं. सिंधु सभ्यता का उदय कैसे हुआ और इसका पतन क्यों हुआ? उदाहरण के लिए, आप नहीं जानते कि उस समय प्रभारी कौन था. वहां कोई बड़े महल नहीं हैं, कोई समृद्ध कब्रें नहीं हैं, ना ही कोई हथियार हैं और ना ही सेना का कोई सबूत है. हम उनकी भाषा नहीं जानते और उनकी लिखावट अभी भी समझी नहीं जा सकी है.

इस के विपरीत साबुन का अविष्कार सम्भवत: सिंधु लोगों ने नहीं, बल्कि Mesopotamia के लोगों ने किया. पौधे की राख और तेल से साबुन बनाने का नुस्खा लगभग 2500 BC के एक Cuneiform tablet पर पाया गया. 

1500 से 600 BC के दौरान ईरानी आर्य जातीय समूह ने भारत पर आक्रमण किया. वे लोग गंगा नदी तक फैल गए और राज्य स्थापित किए. लोगों को चार वर्गों में बांटा गया, जिन्हें जातियां कहा गया : 1. पुजारी, 2. कुलीन और सैनिक, 3. किसान और व्यापारी, 4. नौकर और दास. जातियों के बाहर अछूत थे जिन्हें परिया कहा जाता था.

550 से 330 BC के दौरान महान कहे जाने वाले फ़ारसी राजा Cyrus द्वितीय ने फ़ारस (आज का ईरान) को एक महान साम्राज्य में विस्तारित किया. 539 BC उसने Babylon पर विजय प्राप्त की और पकड़े गए इस्राएलियों को उनकी भूमि पर लौटने की अनुमति दी. उस के उत्तराधिकारियों के फ़ारसी युद्धों के माध्यम से, फ़ारस Greece से आज के तुर्की और Mesopotamia से होते हुए भारत और दक्षिण से उत्तरी Africa तक फैल गया.

फ़ारसी साम्राज्य लगभग 200 वर्षों तक अस्तित्व में रहा. आज के ईरान में Persepolis और Susa जैसे शहर इसकी समृद्धि को दर्शाते हैं. राजा Darius प्रथम द्वारा 518 BC में स्थापित Persepolis में, विशाल महल, hall और एक खज़ाना बनाया गया. Susa का शाही शहर भी भव्य रूप से सुसज्जित था. इस के महलों को रक्षकों और विभिन्न जानवरों को चित्रित करने वाली रंगीन चमकदार tiles से सजाया गया था. जब सिकन्दर महान ने 331 BC में Susa पर विजय प्राप्त की, तो उसे अपने सामान के परिवहन के लिए हज़ारों ऊंटों और गधों की आवश्यकता थी. Susa आज भी मौजूद है और दुनिया के सब से पुराने स्थायी रूप से बसे शहरों में से एक है.

800 BC से भारत में हिन्दू धर्म का प्रसार शुरू हुआ. हिन्दू नाम सिंधु नदी से आया. विश्व धर्म हिन्दू धर्म का आधार पवित्र ग्रन्थ, तथा-कथित वेद हैं. वे धार्मिक प्रथाओं और लोगों के एक साथ रहने के तरीके को नियन्त्रित करते हैं. पुजारी, जिन्हें ब्राह्मण कहा जाता है, यह सुनिश्चित करते हैं कि उनका पालन किया जाए. महत्वपूर्ण देवता विष्णु, शिव और ब्रह्मा हैं. उन्हें और लोगों के पूर्वजों को बलिदान चढ़ाया जाता है. ये अक्सर खाद्य पदार्थ होते हैं. हिन्दू लोग आत्मा के दूसरे शरीर में पुनर्जन्म में विश्वास करते हैं. धर्म में ध्यान और योग जैसे मानसिक और शारीरिक व्यायाम शामिल हैं.

लगभग 450 से 370 BC बौद्ध धर्म की स्थापना करने वाले पहले बुद्ध गौतम सिद्धार्थ भारत में रहे. भारत में ब्राह्मी लिपि का उदय हुआ, जो आज भारत और दक्षिण पूर्व Asia में मौजूद कई लिपियों की अग्रदूत है. 334 और 325 BC के दौरान सिकन्दर महान ने फ़ारसी साम्राज्य और राजधानी Persepolis को नष्ट कर दिया. उस की सेना भारत पहुंची. 

321 और 185 BC के मध्य पहला भारतीय साम्राज्य उत्तरी भारत में स्थापित हुआ. इसका विस्तार पाकिस्तान और अफ़गानिस्तान तक था. राजा अशोक ने 272 से 231 BC तक उत्तरी और मध्य भारत में एक विशाल साम्राज्य स्थापित किया. उसने बौद्ध धर्म का प्रचार किया. भारत की सब से पुरानी इमारतों में से एक सांची का महान धार्मिक स्तूप मध्य प्रदेश में बनाया गया. बौद्ध धर्म में देवताओं की पूजा नहीं की जाती. यह विश्व धर्म प्रथम बुद्ध सिद्धार्थ गौतम की शिक्षाओं पर केन्द्रित है. यह जीवन में लालच, घृणा और अज्ञानता से बचते हुए तथा-कथित मध्य मार्ग खोजने के बारे में है. अच्छे, अनुकरणीय व्यवहार और सभी जीवित प्राणियों के प्रति करुणा के माध्यम से, बौद्धों को दुख से बचना चाहिए और सर्व-व्यापी ज्ञान प्राप्त करना चाहिए. इसका लक्ष्य निर्वाण यानि आत्मज्ञान: है, यानि सभी अपूर्णताओं पर काबू पाना.

200 BC के आस पास दक्षिण भारत में तीन साम्राज्य स्थापित हुए. Bactrian और Parthian के ईरानी जातीय समूहों ने भारत पर आक्रमण किया. 100 BC के आस पास बौद्ध धर्म पूरे Asia में फैला हुआ था. यूनानियों और खानाबदोश जनजातियों ने भारत पर आक्रमण किया.

शुक्रवार, 1 दिसंबर 2023

जब जर्मनी के अधिकांश नेता बिकाऊ थे

Flick-Affäre को विश्व युद्ध के बाद जर्मनी का सबसे बड़ा राजनीतिक घोटाला माना जाता है। 1981 में Flick नामक एक बहुत बड़ी कंपनी की 'कर चोरी' की जांच करते समय 'कर अन्वेषकों' के हाथ संयोगवश एक ऐसी सूची लगी जिससे पता चला कि उस समय की सभी राजनीतिक पार्टियों (CDU, CSU, SPD, FDP) के नेता कंपनी के हाथों बिके हुए थे। सामान्य 'कर चोरी' का मामला एक बड़ा राजनीतिक घोटाला बन गया।

पिता की मृत्यु के बाद Flick कंपनी के मालिक ने Daimler-Benz के करीब 2 अरब DM के शेयरों को Deutsche Bank को बेच दिया। सामान्यतः इस कमाई में से लगभग आधा आय-कर के रूप में सरकार को देना पड़ना था। इसे बचाने की तरकीबें निकालने के लिए उस समय के अर्थ-शास्त्र मंत्री और वित्त मंत्री ने मदद की। Flick कंपनी की राजनीतिक पार्टियों को दान करने की प्रथा नाज़ियों से भी पहले से चलती आ रही थी। लेकिन इस दान से राजनीतिक फैसलों को प्रभावित करने के ये पहले संकेत थे। उस समय लगने लगा था कि पूरी की पूरी सरकार बिकाऊ है। इसके बाद पार्टी-दान संबंधित कानूनों में सुधार किया गया। लेकिन इस घटना को lobbying के अग्रदूत के रूप में देखा जा सकता है। आज lobbying इतना बड़ा रूप धारण कर चुकी है कि उसे विधायक, कार्यकारी और न्यायिक शक्तियों और मीडिया के बाद पांचवीं शक्ति के रूप में देखा जाता है।

कर चोरी का मामला कुछ इस प्रकार था। Flick कंपनी हर वर्ष चर्च को लगभग दस लाख DM दान देती थी। इस दान से उसे कर में छूट मिलती थी। लेकिन इसमें से एक लाख DM चर्च अपने पास रखती थी, एक लाख उस समय के एक मंत्री को दिए जाते थे। बाकी आठ लाख एक Swiss bank को भेज दिए जाते जो cash के रूप में वापस Flick कंपनी को पहुंचा दिए जाते थे। इस तरह कंपनी वर्षों से एक तहखाने में काले धन का बड़ा भंडार पाल रही थी।