रविवार, 26 अप्रैल 2020

हिन्दी फिल्म उद्योग पर कुछ प्रश्न

  1. भारत में फिल्मों का इतना महत्व क्यों है? फिल्मों से पहले लोग कैसे रहते थे?
  2. फिल्मों में विदेशी पूंजी, विदेशी कंपनियों का क्या हाल है? क्या उनकी भूमिका पिछले दशकों में घटी है या बढ़ी है?
  3. हिन्दी फिल्म उद्योग के लोग अंग्रेज़ी में बात क्यों करते हैं? अंग्रेज़ी में आत्मतथाएं क्यों लिखते या लिखवाते हैं?
  4. इतनी फिल्में बनने के बावजूद हिन्दी में फिल्म निर्माण, अभिनय, निर्देशन आदि के बारे में साहित्य की कमी क्यों है?
  5. अभिनेता लोग हमेशा यह क्यों कहते हैं कि उन्हें फ़लां फ़िल्म की पटकथा (script) पसंद आई या नहीं आई। वे यह क्यों नहीं कहते कि उन्हें फ़िल्म की कहानी पसंध आई या नहीं आई। पटकथा और कहानी में क्या अंतर है? पटकथा दिखने मैं कैसी होती है? क्या कुछ फ़िल्मों की पटकथाएं internet पर उपलब्ध हैं?
  6. हिन्दी फिल्मों में गाने क्यों ज़रूरी होते हैं? और पार्श्व गायक का चलन अभी तक क्यों बरकरार है? क्या अभिनेताओं अभिनेत्रियों को होंठ हिलाते हुए यह अहसास नहीं होता कि वे ख़ुद का दर्शकों को बुद्धु बना रहे हैं और मूल गायक के साथ नाइंसाफी कर रहे हैं?
  7. भारतीय और विदेशी फ़िल्मों में मूलतः क्या अंतर है और क्यों है?