गुरुवार, 9 जुलाई 2020

म्युनिक का शिकार संग्रहालय

Munich's hunting museum showcases over one thousand prepared models of wild animals and birds, hunting weapons of all era and souvenirs collected by many royal people of bygone times.

ਜਰਮਨੀ ਵਿੱਚ ਵੀ ਪਹਿਲਾਂ ਰਾਜੇ ਮਹਾਰਾਜੇ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸ਼ਿਕਾਰ ਕਰਦੇ ਸਨ. ਉਹ ਆਪਣੇ ਲਈ ਬੜੇ ਮਹਿੰਗੇ ਹਥਿਆਰ ਬੰਦੂਕਾਂ ਆਦਿ ਬਨਵਾਓਂਦੇ ਸਨ. ਮਉੰਸ਼ਨ ਵਿਖੇ ਸ਼ਿਕਾਰਘਰ ਵਿੱਚ ਬਾਯਰਨ ਦੇ ਰਾਜਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਇਕੱਠੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੀਆਂ ਯਾਦਗਾਰਾਂ, ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਹਥਿਆਰ ਆਦਿ ਦੇਖ ਸਕਦੇ ਹੋ.

म्युनिक के शिकार संग्रहालय में एक हज़ार से अधिक संरक्षित जानवर, पंछी और मछलियां देख सकते हैं। पूर्व में केवल राज या उंचे पद पर बैठे लोगों को हि शिकार करने का अधिकार होता था। वे कैसे शिकार करते थे, इनकी सचित्र उदहारणें आपको वहां देखने को मिलेंगी। वे पहले कुत्तों को जानवरों के पीछे दौड़ाकर जानवरों को थका देते थे, और वे पीछे घोड़ों पर आते थे। फिर वे थके हुए जानवर जैसे हिरण, लोमड़ी या रीछ को बन्दूक से मार देते थे। समय के साथ कैसे बारूद और बन्दूक का विकास और विस्तार हुआ, यह भी आपको वहां देखने को मिलेगा। हालांकि बारूद का अविष्कार पहले चीन में हुआ, पर इसे हथियार में बदलने का श्रेय यूरोप को जाता है। आरम्भिक युग की बन्दूकों का उपयोग बहुत कठिन होता था। उन्हें केवल खड़े होकर इस्तेमाल किया जा सकता था, क्योंकि वे बहुत लंबी होती थीं। लंबी बन्दूक में बारूद को गोली धकेलने के लिये लंबा रास्ता मिलता था। पर समय के साथ छोटी बन्दूकों का विकास हुआ जिन्हें घोड़ों पर सवारी करते समय उपयोग किया जा सकता था। यहां के एक प्रसिद्ध राजा Graf Arco ने सैंकड़ों की संख्या में बेशकीमती हिरण मारे। उनकी प्रदर्शनी भी आपको यहां देखने को मिलेगी। 1835 में बायरन के आखिरी रीछ का शिकार किया गया, इसके चित्र भी वहां देखने को मिलेंगे। इसके अलावा हज़ारों जंगली जानवरों, पंछियों और मछलियों के बारे में संरक्षित मॉडल के साथ जानकारी वहां उपलब्ध है। संग्रहालय देखने की टिकट बेहद कम है, केवल साढे तीन यूरो। हर बृहस्पतिवार शाम साढे पांच बजे केवल एक यूरो शुल्क के साथ टूर भी आयोजित होता है।

http://www.jagd-fischerei-museum.de/