सोमवार, 27 जुलाई 2020

संजू

करीब एक महीना पहले youtube पर KRK का review देख कर लगा कि संजू film ख़ास अच्छी नहीं होगी। पर film देख कर लगा कि KRK ठीक आदमी नहीं है। क्योंकि उस ने review में केवल इतना ही कहा कि film संजय दत्त को निर्दोष साबित करने का propaganda है। जब कि film में दिखाया गया है कि अदालत में संजय दत्त बकायदा निर्दोष पाए गए हैं। लेकिन इस बात को media ने highlight नहीं किया क्योंकि इस में किसी का फ़ायदा नहीं था।

जो संजय दत्त के बारे में नहीं जानता, उसे film देख कर यह नहीं लगेगा कि यह किसी जीवित व्यक्ति पर आधारित है। क्योंकि पुरानी फ़िल्मों से कम से कम reference लिया गया है और पुराने किरदारों में से केवल मुन्ना भाई MBBS का circuit दिखाया गया है वह भी केवल एक सैकेंड के लिए। Rocky के गाने 'क्या यही प्यार है' की shooting में टीना मुनीम की जगह एक spot boy को देख कर संजय दत्त (रणबीर कपूर) गाता है, जिस समय उस का नशीली दवाओं का दौर चल रहा था और वह अभिनेता बनने के लिए अभी परिपक्व और गंभीर नहीं था। अभिनय उस पर थोपा जा रहा था। ऊपर से उस की पहली film Rocky के release होने से ठीक तीन दिन पहले उस की मां का गुज़र जाना उसे नशीली दवाओं की गर्त में और गहरा ले गया। इसी कारण संजय दत्त अपनी प्रेमिका के साथ शादी भी नहीं कर पाया। उस का यह दौर बड़ी ईमानदारी के साथ दिखाया गया है। असली समस्या तब शुरु हुई जब सुनील दत्त राजनीति में उतरे। उन्हें चारों तरफ़ से धमकियां मिलने लगीं। लेकिन पारिवारिक समस्याओं का दोष सुनील दत्त को कोई नहीं देगा। सब संजय दत्त को ही दोष देंगे। film लोगों के मन से यह धारणा बिल्कुल हटा देगी कि संजय दत्त का आतंकवाद से कोई लेना देना था। AK-56 उस ने अपने परिवार की रक्षा के लिए रखी थी क्योंकि पिता की राजनैतिक गतिविधियों के कारण उन के समूचे परिवार पर ख़तरा बहुत बढ़ गया था। लेकिन सुनील दत्त पर कोई उंगली नहीं उठाएगा। आख़िर एक अभिनेता को राजनीति में उतरने की क्या ज़रूरत होती है? केवल इस लिए कि उसे लगता है वह अपनी लोकप्रियता को भुना पाएगा? मेरे ख्याल से राजनेता बनने के लिए बिल्कुल अलग तरह का दिल-ओ-दिमाग चाहिए होता है। media की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया गया है। media किसी पर भी कीचड़ उछालने से कतराता नहीं है। headline में कोई भी मनगढंत इल्ज़ाम लगा कर लोगों की इज़्ज़त उतारता है और अन्त में question mark लगा कर पल्ला झाड़ लेता है। पाठक उस समाचार को विस्तार से पढ़े बिना headline के इल्ज़ाम को मन ही मन सच मान बैठते हैं। यह film हर उम्र के दर्शकों को पसन्द आ रही है। इस लिए आश्चर्य नहीं, होना चाहिए कि यह film अच्छी कमाई कर रही है।

लेकिन एक अन्य video ने संजू film के कई अन्य पहलूओं पर दोबारा सोचने पर मजबूर किया। उस में कहा गया है कि राजकुमार हिरानी और विधु विनोद चोपड़ा ने मुन्ना भाई 3 के आने से पहले बड़ी सफ़ाई से संजय दत्त की छवि साफ़ करने की कोशिश की है। film के शुरू में दिखाया गया है कि संजय दत्त ख़ुद की गांधी के साथ तुलना नहीं करना चाहता जब कि एक बार संजय दत्त ने ख़ुद ही 'आप की अदालत' में ख़ुद को film industry का गांधी कहा था। मैंने youtube पर संजय दत्त को एक आयोजन में यह कहते हुए भी देखा है कि उसे बन्दूकों से प्यार है। वह शहर से दो तीन सौ किलोमीटर दूर जा कर यह बन्दूक इस्तेमाल करना चाहता था। इस लिए उस ने यह बन्दूक रख ली। जब कि संजू film में यह दिखाया गया है कि बन्दूक उस ने अपने परिवार की रक्षा के लिए रखी थी। मुझे भी यह लगता है कि जब तक कोई बन्दूकों का इस्तेमाल अच्छी तरह से ना जानता हो, वह इतनी बड़ी बन्दूक रखने की हिम्मत नहीं करेगा। इस video की एक और बात से मैं सहमत हूं, कि जब संजय दत्त अपनी पत्नी मान्यता के सामने Winnie Dias (अनुष्का शरमा) को बताता है कि वह करीब 350 लड़कियों के साथ सो चुका है, तो अनुष्का का reaction बेहद बेहूदा था, एक लेखक होने का नाते। video के अनुसार विधू विनोद चोपड़ा की पत्नी अनुपमा चोपड़ा ने भी अपने channel पर इस film का review नहीं डाला। शायद वह इस झमेले से दूर रहना चाहती हो। video के अनुसार 1993 के मुम्बई बम धमाके दाऊद द्वारा करवाए गए थे जब कि film में उन का रिश्ता एक हिन्दू gang के साथ जोड़ा गया है जो दत्त को गणपति विसर्जन पर न्यौता देता है। हिरानी ने पहले भी PK film में हिन्दूओं और हिन्दू देवताओं का मज़ाक उड़ाया है। तो हिरानी क्या सचमुच Hindu phobic और spineless है? क्योंकि उस में समाज के असली खलनायकों के विरुद्ध बोलने की हिम्मत नहीं है। video में एक साक्षात्कार में ऋषि कपूर को यह कहते हुए भी दिखाया गया कि वह दाऊद साहब का phone आने पर कितना ख़ुश था। वही दाऊद साहब जिन्होंने हज़ारों लोगों को मारा। ऐसे ही कितने celebrities भारत को intolerant बताते हैं और दाऊद जैसों के पैर धो कर पानी पीते हैं। इसी समय पर परमाणु film भी आई जिस में भारत की एक परमाणु महाशक्ति बनने की दास्तान थी। लेकिन यह film कब आई कब गई किसी को पता भी नहीं चला। संजू ने तीन ही दिन में सवा सौ करोड़ कमाए जब कि परमाणु ने कुल मिला कर पैंसठ करोड़ कमाए।