सोमवार, 27 जुलाई 2020

संजू

करीब एक महीना पहले youtube पर KRK का review देख कर लगा कि संजू film ख़ास अच्छी नहीं होगी। पर film देख कर लगा कि KRK ठीक आदमी नहीं है। क्योंकि उस ने review में केवल इतना ही कहा कि film संजय दत्त को निर्दोष साबित करने का propaganda है। जब कि film में दिखाया गया है कि अदालत में संजय दत्त बकायदा निर्दोष पाए गए हैं। लेकिन इस बात को media ने highlight नहीं किया क्योंकि इस में किसी का फ़ायदा नहीं था।

जो संजय दत्त के बारे में नहीं जानता, उसे film देख कर यह नहीं लगेगा कि यह किसी जीवित व्यक्ति पर आधारित है। क्योंकि पुरानी फ़िल्मों से कम से कम reference लिया गया है और पुराने किरदारों में से केवल मुन्ना भाई MBBS का circuit दिखाया गया है वह भी केवल एक सैकेंड के लिए। Rocky के गाने 'क्या यही प्यार है' की shooting में टीना मुनीम की जगह एक spot boy को देख कर संजय दत्त (रणबीर कपूर) गाता है, जिस समय उस का नशीली दवाओं का दौर चल रहा था और वह अभिनेता बनने के लिए अभी परिपक्व और गंभीर नहीं था। अभिनय उस पर थोपा जा रहा था। ऊपर से उस की पहली film Rocky के release होने से ठीक तीन दिन पहले उस की मां का गुज़र जाना उसे नशीली दवाओं की गर्त में और गहरा ले गया। इसी कारण संजय दत्त अपनी प्रेमिका के साथ शादी भी नहीं कर पाया। उस का यह दौर बड़ी ईमानदारी के साथ दिखाया गया है। असली समस्या तब शुरु हुई जब सुनील दत्त राजनीति में उतरे। उन्हें चारों तरफ़ से धमकियां मिलने लगीं। लेकिन पारिवारिक समस्याओं का दोष सुनील दत्त को कोई नहीं देगा। सब संजय दत्त को ही दोष देंगे। film लोगों के मन से यह धारणा बिल्कुल हटा देगी कि संजय दत्त का आतंकवाद से कोई लेना देना था। AK-56 उस ने अपने परिवार की रक्षा के लिए रखी थी क्योंकि पिता की राजनैतिक गतिविधियों के कारण उन के समूचे परिवार पर ख़तरा बहुत बढ़ गया था। लेकिन सुनील दत्त पर कोई उंगली नहीं उठाएगा। आख़िर एक अभिनेता को राजनीति में उतरने की क्या ज़रूरत होती है? केवल इस लिए कि उसे लगता है वह अपनी लोकप्रियता को भुना पाएगा? मेरे ख्याल से राजनेता बनने के लिए बिल्कुल अलग तरह का दिल-ओ-दिमाग चाहिए होता है। media की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाया गया है। media किसी पर भी कीचड़ उछालने से कतराता नहीं है। headline में कोई भी मनगढंत इल्ज़ाम लगा कर लोगों की इज़्ज़त उतारता है और अन्त में question mark लगा कर पल्ला झाड़ लेता है। पाठक उस समाचार को विस्तार से पढ़े बिना headline के इल्ज़ाम को मन ही मन सच मान बैठते हैं। यह film हर उम्र के दर्शकों को पसन्द आ रही है। इस लिए आश्चर्य नहीं, होना चाहिए कि यह film अच्छी कमाई कर रही है।

लेकिन एक अन्य video ने संजू film के कई अन्य पहलूओं पर दोबारा सोचने पर मजबूर किया। उस में कहा गया है कि राजकुमार हिरानी और विधु विनोद चोपड़ा ने मुन्ना भाई 3 के आने से पहले बड़ी सफ़ाई से संजय दत्त की छवि साफ़ करने की कोशिश की है। film के शुरू में दिखाया गया है कि संजय दत्त ख़ुद की गांधी के साथ तुलना नहीं करना चाहता जब कि एक बार संजय दत्त ने ख़ुद ही 'आप की अदालत' में ख़ुद को film industry का गांधी कहा था। मैंने youtube पर संजय दत्त को एक आयोजन में यह कहते हुए भी देखा है कि उसे बन्दूकों से प्यार है। वह शहर से दो तीन सौ किलोमीटर दूर जा कर यह बन्दूक इस्तेमाल करना चाहता था। इस लिए उस ने यह बन्दूक रख ली। जब कि संजू film में यह दिखाया गया है कि बन्दूक उस ने अपने परिवार की रक्षा के लिए रखी थी। मुझे भी यह लगता है कि जब तक कोई बन्दूकों का इस्तेमाल अच्छी तरह से ना जानता हो, वह इतनी बड़ी बन्दूक रखने की हिम्मत नहीं करेगा। इस video की एक और बात से मैं सहमत हूं, कि जब संजय दत्त अपनी पत्नी मान्यता के सामने Winnie Dias (अनुष्का शरमा) को बताता है कि वह करीब 350 लड़कियों के साथ सो चुका है, तो अनुष्का का reaction बेहद बेहूदा था, एक लेखक होने का नाते। video के अनुसार विधू विनोद चोपड़ा की पत्नी अनुपमा चोपड़ा ने भी अपने channel पर इस film का review नहीं डाला। शायद वह इस झमेले से दूर रहना चाहती हो। video के अनुसार 1993 के मुम्बई बम धमाके दाऊद द्वारा करवाए गए थे जब कि film में उन का रिश्ता एक हिन्दू gang के साथ जोड़ा गया है जो दत्त को गणपति विसर्जन पर न्यौता देता है। हिरानी ने पहले भी PK film में हिन्दूओं और हिन्दू देवताओं का मज़ाक उड़ाया है। तो हिरानी क्या सचमुच Hindu phobic और spineless है? क्योंकि उस में समाज के असली खलनायकों के विरुद्ध बोलने की हिम्मत नहीं है। video में एक साक्षात्कार में ऋषि कपूर को यह कहते हुए भी दिखाया गया कि वह दाऊद साहब का phone आने पर कितना ख़ुश था। वही दाऊद साहब जिन्होंने हज़ारों लोगों को मारा। ऐसे ही कितने celebrities भारत को intolerant बताते हैं और दाऊद जैसों के पैर धो कर पानी पीते हैं। इसी समय पर परमाणु film भी आई जिस में भारत की एक परमाणु महाशक्ति बनने की दास्तान थी। लेकिन यह film कब आई कब गई किसी को पता भी नहीं चला। संजू ने तीन ही दिन में सवा सौ करोड़ कमाए जब कि परमाणु ने कुल मिला कर पैंसठ करोड़ कमाए।

बुधवार, 15 जुलाई 2020

Bollywood Rock on Show

2008. Hamburg, Frankfurt और Munich में हुए Bollywood Rock on Show को औसतन दर्ज़े की सफ़लता ही मिली। अपने ज़माने में हिन्दी और पंजाबी films के hero रह चुके रमन खन्ना की company 'Sangini Entertainment' के द्वारा गायन, नृत्य और वादन के क्षेत्रों में भारत से उभरते हुए 18 कलाकारों ने इस शो में अपनी प्रतिभा दिखाई। सारेगामापा 2009 की finalist प्रतिभा बघेल और Indian Idol 4th finalist भानू प्रताप ने karaoke पर कई filmy गाने गाए। जानी मानी कथक नर्तकी 'अदिति भागवत' ने कई सारे नृत्य पेश किए। उस्ताद ज़ाकिर हुसैन के भानजे फैज़ान हुसैन ने ढोलक पर अपनी लाजवाब कला दिखाई। इनके अलावा बहुत सारे हिन्दी filmy गीतों पर अनेक कलाकारों द्वारा choreographies प्रस्तुत की गईं। इन में से एक शीतल नाम की कलाकार भी थीं, जो अनेक TV धारावाहिकों में काम कर रही हैं, जैसे सोनी TV पर चलनी वाली silent comedy 'गुटरगूं' और 'भूत वाला सीreal' आदि। कई प्रायोजकों का कहना है कि अच्छी प्रतिभाओं के बावजूद शो के सफ़ल ना हो पाने का कारण शायद विज्ञापन के लिए पर्याप्त समय ना मिल पाना है। Hamburg के दोस्ताना बाज़ार से सुनीलः 'हमें विज्ञापन के लिए केवल एक सप्ताह मिला था। इस लिए कम लोग आए। पर शो बेहतरीन था।' शो की tickets भी भारतीय public के लिए महंगी थी। यह शो किसी कहानी के रूप में नहीं, बल्कि एक के बाद एक नृत्य, गायन या वादन प्रदर्शनों के रूप में प्रस्तुत किया गया। Munich की Indien Institut से Armin B. Meyer का मानना था कि यह बहुत विकसित कला प्रदर्शन है, पर इसकी marketing ठीक से नहीं हो पाई। वे रातों रात ढेर सारे flyer छाप कर सभी metro stations पर बांटने के पक्ष में थे ताकि अगले दिन वाला आखरी शो सफ़ल हो सके।

गुरुवार, 9 जुलाई 2020

आखिर खुल गया दक्षिण भारतीय रेस्त्रां


At last, the long awaited south Indian restaurant has opened in Munich to serve Masala Dosa, Idli, Uttapam and many more south Indian dishes. There has been a dearth of south Indian food in Germany. North Indian food has traditionally been representing the Indian food. Time to break monotony and add up spice. Good news especially for south Indians but also for other people.

भारतीय खाने के नाम पर विदेशों में मुगलाई खाना ही प्रसिद्ध है। शाही पनीर, चिकन बादामी आदि तो सभी को पता है। पर दक्षिण भारत की विलक्षण रसोई को बहुत कम लोग जानते हैं। म्युनिक में मसाला डोसा, इडली, उत्तपम आदि की कमी भारतीयों को भी बहुत देर से खल रही थी जो अब पूरी हो गई है। Prinzregentenplatz के पास ही 1 जनवरी से म्युनिक का पहला दक्षिण भारतीय रेस्त्रां खुला है जिसका नाम है 'केरला'। यहां व्यंजनों से लेकर साज सज्जा, वातावरण पूर्ण रूप से दक्षिण भारत का प्रतिनिधित्व करता है। चेन्नई से गणेष और कृष्ण की खास तौर से लायी गई मूर्तियां और चित्र, केले और नारियल के पेड़, मेज़ों पर पीतल की कटोरी में पानी में तैरता गुलाब, प्रवेशद्वार पर बड़े से पीतल के बर्तन में पानी में तैरती गुलाब की पंखुड़ियां, दक्षिण भारत से पांच सितारा होटलों में अनुभव वाले खास तौर पर आमन्त्रित किये गये रसोइयों द्वारा तैयार किये गये सांबर डोसा, इडली रसम, उत्तपम और अन्य ढेर सारे व्यंजनों को खाकर आप अंगुलियां चाटते रह जायेंगे। रेस्त्रां की ओर से इकबाल कहते हैं कि इस रेस्त्रां में आपको उत्तर भारत की तनिक भी झलक नहीं मिलेगी। यहां पहुंचना भी बहुत आसान है, U4 Prinzregentenplatz, Bus 100 / Tram 18 Friedensengel यहां से चन्द मिनटों की पैदल दूरी पर हैं। रेस्त्रां इतना बड़ा है कि आप अन्दर डेढ सौ लोगों तक की पार्टी भी आयोजित कर सकते हैं। गर्मियों में बाहर अलग से करीब सौ लोगों के बैठने की जगह है। एक बार आज़माईये।

http://www.kerala-restaurant.de/

अपाहिज व्यक्तियों के लिए कानून

Tax saving tips for handicapped or chronically suffering people in Germany.

क्या आप या आपके परिवार का कोई सदस्य अपाहिज है या लंबे समय से बीमार है या उसको कोई रोग है या आपके बच्चे को कोई स्वास्थ्य-सम्बंधित तकलीफ़ है तो यह सूचना आपके लिए टैक्स सम्बंधित बहुत लाभकारी हो सकती है।

ਜਰਮਨੀ ਵਿੱਚ ਅਪਾਹਿਜ ਅਤੇ ਲੰਬੇ ਸਮੇਂ ਤੋਂ ਬੀਮਾਰ ਲੋਕ ਟੇਕਸ ਤੋਂ ਕਈ ਤਰਾਂ ਦੀ ਛੁੱਟ ਪਾ ਸਕਦੇ ਹਨ. ਪੜੋ ਵੇਰਵਾ.

शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अक्षमता

जर्मनी की सामाजिक नियमावली की धारा 2 के पैरा 1(§2 Abs. 1 SGB IX) अनुसार कोई व्यक्ति तब अपाहिज कहलाया जाता है, „जब उसकी शारीरिक क्षमता, मानसिक योग्यता और आत्मिक तन्दुरूस्ती में उसकी उमर के लोगों की सामान्य दशा से छ महीने से अधिक का अन्तर हो और इस कारण वह समाजिक जीवन में भाग लेने में अशक्त हों“। धारा 2 के पैरा 2 (§2 Abs. 2 SGB IX) अनुसार वे लोग अति-अपाहिज माने जाते हैं जिनको अपाहिज केन्द्रों (Versorgungsamt) द्वारा अपाहिजता श्रेणी (Grad der Behinderung, GdB) कम से कम 50% प्रदान की गई है, इसका मतलब है कि उनकी शारीरिक क्षमता, मानसिक योग्यता और आत्मिक तन्दुरूस्ती उस उमर के सामान्य लोगों 50% कम है। इस प्रकार अपाहिज लोगों को सरकार द्वारा कई विशेष अधिकार प्रदान किए गये हैं जिनसे उनकी अपाहिजता की क्षति का नौकरी या समाजिक जीवन में सन्तुलन किया जा सके। इसके अतिरिक्त अपाहिज-कार्ड (Behindertenausweis) में लगे विशेष चिन्हों (Merkzeichen) द्वारा पता चल सकता है कि उस व्यक्ति को किस प्रकार की अक्षमता है और किस प्रकार के लाभ मिल सकते है, जैसे कार-पार्किंग में या टैक्स भरने में छूट।

अपाहिज-कार्ड क्या होता है?

यह कार्ड आपको तब मिल सकता है अगर आप छ महीने से अधिक किसी रोग से पीड़ित हैं और उस रोग के कारण आप समाजिक जीवन और रोज़मर्रा के कार्य पूरे करने में अक्षम है।

इस कार्ड के क्या लाभ हैं?

अगर अपाहिज केन्द्र (Versorgungsamt) द्वारा आपकी रोग-संबधित अक्षमता 50% सिद्ध की गई है तो आपको निम्नलिखित सहूलियतें प्रदान हो सकती हैं:
  • टैक्स भरने में छूट
  • सार्वजनिक परिवहन में किराये से छूट /रियायत
  • रहने के मकान पर रियायत
  • कार्य-स्थल पर अपाहिज कानून द्वारा व्यवसाय में सहूलते
यह कार्ड इस बात का कानूनी सबूत है कि आप अपाहिज हैं और किसी रोग से पीड़ित हैं। अपाहिजता श्रेणी (Grad der Behinderung, GdB) से अपाहिजता का अनुमान लगाया जा सकता है।

अपाहिज-कार्ड में उपलब्ध विशेष चिन्ह (Merkzeichen)

aG का अर्थ है चलने में असामान्य कठिनता Bl का अर्थ है अंधा G का अर्थ है चलने में कठिनता GI का अर्थ है बहरा H का अर्थ है सहायता की आवश्यकता है B का अर्थ है सदा कोई साथ होना चाहिए RF का अर्थ है रेडियो और टीवी शुल्क से छूट

विशेष चिन्हों द्वारा असुविधा का सन्तुलन


  • BI, H, aG: कार-टैक्स (Befreiung von Kfz Steuer) की छूट और कार-बीमा (Beitragsnachlass bei Kfz-Haftpflicht) में रियायत
  • G, aG, H, Bl: परिवहन साधनों के किराये में छूट (Freifahrtberechtigung im öffentlichen Nahverkehr)
  • G: नौकरी-स्थल पर पहुंचने के लिए या रोग सम्बंधित यात्रा के लिए हर कि.मी. के लिए पैसे मिल सकते हैं (Kfz-Kosten)
  • B: इस चिन्ह के साथ अपाहिज व्यक्ति किसी को परिवहन साधनों में (बस, ट्रैम, एस-बॉन) अपने साथ निशुल्क ले जा सकता है। कई एयरलाइने जैसे लुफ़्थांज़ा अपाहिज के साथ जाने वाले यात्री (Begleitperson) को निशुल्क ले जाते है, वैसे ही जर्मन रेल में (Deutsche Bahn) में भी साथ जाने वाले यात्री (Begleitperson) बिना किराया भरे साथ जा सकते है।
अधिकतर अपाहिज व्यक्ति भी घर से 50 किमी तक की दूरी तक यात्रा बिना किराये से की जा सकती है। इसके लिए कार्ड जारी करने वाले अपाहिज केन्द्र (Versorgungsamt) द्वारा सार्वजनिक परिवहन में सफ़र करने के लिए एक कूपन (Wertmarke für Freifahrt) जारी किया जाता है जिससे आप मुफ़्त में या थोड़े पसों से सफ़र कर सकते हैं। या कार होने पर € 0.30 / किमी के लिए प्रदान किए जाते है। बिना सबूत पेश किए 3000 km तक टैक्स ऑफ़िस से स्वीकार किया जाता है, इसका मतलब है कि साल में 3000 km x e 0.30 = € 900,- छूट मिल सकती है। साल में 3000 km से अधिक होने पर आपको सबूत देना होगा कि यात्रा रोगी के साथ की गई और इसके लिए कापी (Fahrtenbuch) में हर यात्रा आरम्भ करने से पहले और उसके अन्त में कि. मी. लिखने होंगे और यात्रा का कारण लिखना होगा। यह कि. मी. लिखने की कापी (Fahrtenbuch) आप किसी भी कापी की दुकान में खरीद सकते हैं। अगर रोगी या अपाहिज व्यक्ति किसी म्यूजियम, सिनेमा या अन्य सांस्कृतिक स्थल में जाना चाहे तो अधिकतर साथ जाने वाले की टिकट मुफ़्त होती है। ध्यान रहे कि टिकट काउंटर पर यह पूछना न भूले।RF रेडियो और टीवी की फ़ीस न भरने के लिए समाज-कल्याण कार्यालय (Sozialamt) में जाकर फ़ार्म ले आयें और इसे भर के भेज दें।टेलीकॉम (Telekom) से फ़ोन के बिल में भी रियायत पाने की अर्जी करना न भूले।

अपाहिज को नौकरी से नोटिस देने में कानूनी बाधा

इस नियमावली का महत्वपूर्ण तत्व यह है कि किसी को उसकी अक्षमता के कारण नौकरी से नोटिस नही दिया जा सकता। पर ध्यान रहे: शारीरिक, मानसिक और आत्मिक अक्षमता के कारण नौकरी मिलना भी कोई आसान बात नही। अधिकतर कंपनियों के मालिक अपाहिज व्यक्ति को नौकरी देने से हिचकाते हैं और अपाहिज को नौकरी पर न रखने के कारण सरकार द्वारा लगाया कानूनी कर भरने को तैयार होते हैं।

ओवर-टाइम

अगर अपाहिज व्यक्ति अपनी बीमारी के कारण ओवर-टाइम पर काम नही कर सकते तो वे इस बारे में अर्जी कर सकते है तथा उन्हें ओवर-टाइम पर नही लगाया जा सकता।

वार्षिक अवकाश

अपाहिज कर्मचारी को सालाना अवकाश के 5 दिन अधिक मिलते हैं।

टैक्स कटौती में रियायत (Steuerermäßigung bei Behinderung)

अर्जी करने पर अपाहिज व्यक्ति को आय-कर दफ़्तर (Finanzamt) से टैक्स भरने में काफ़ी छूट की जाती है। वह बीमारी सम्बंधित अधिकतर खर्च टैक्स में से कटवा सकते है। कटौती करने की अनुमित रकम को आयकर-कार्ड (Lohnsteuerkarte) में दर्जित करवाया जा सकता है। अपाहिजता की फ़ीसदी अनुसार रियायत होगी।

विशेष चिन्ह (Merkzeichen)

अपाहिजता की फ़ीसदी के साथ-साथ आप अपाहिज केन्द्र (Versorgungsamt) में अर्जी कर सकते हैं कि आपको अपाहिज-कार्ड पर विशेष चिन्ह भी लगा कर दिए जायें। कौन से विशेष चिन्ह का आपको अधिकार है यह आपकी बीमारी और अपाहिजता की फ़ीसदी (Grad der Behinderung) पर निर्भर करता है। बच्चों के लिए यहां विशेष नियम लागू हैं।

बच्चों के लिए विशेष नियम

बच्चों के लिए H और B के चिन्ह बहुत महत्वपूर्ण हैं। यह चिन्ह बच्चों को तब दिए जाते है अगर बच्चे बिना सहायता से रोज़मर्रा के कार्य पूरा करने में अक्षम हैं।

आय-कर में कटौती (Pauschalbetrag - Außergewöhnliche Belastung)

अपाहिज बच्चे के लिए माता-पिता को आय-कर भरने में बहुत छूट मिलती है। H चिन्ह पाने से माता-पिता वार्षिक कर की रकम से 3700,- यूरो की कटौती कर सकते हैं।G, aG और H चिन्ह पाने से माता-पिता बच्चे के साथ किए हर सफ़र पर आय-कर में से 0.30 यूरो/कि.मी. कटवा सकते हैं, चाहे बच्चे को डाक्टर, स्कूल, अस्पताल, छुट्टीयों आदि में ले जाना हो।इसके अतिरिक्त अपाहिजता की फ़ीसदी (Grad der Behinderung, GdB) अनुसार नीचे लिखी रकमों की छूट (Pauschalbetrag) मिल सकती है: 25% - 30% € 310,- 35% - 40% € 430,- 45% - 50% € 570,- 55% - 60% € 720,- 65% - 70% € 990,- 75% - 80% € 1060,- 85% - 90% € 1230,- 95% - 100% € 1420,- विशेष चिन्ह H और Bl होने पर € 3700,- की रकम टैक्स में से रियायत दी जाती है। अगर आपके टैक्स की रकम इस से कम है तो बाकी बची रकम आपको टैक्स ऑफ़िस (Finanzamt) से वापिस दी जाई है इसका मतलब है कि आपको अपाहिज्ता के कारण टैक्स रिटर्न करने के बाद राशि वापिस मिल सकती है। इसलिए ध्यान रहे कि परिवार के किसी भी सदस्य को कोई रोग है तो सब से पहले अपाहिज-कार्ड (Behindertenausweis) बनवाने की अर्जी करें। कार्ड मिलने पर टैक्स ऑफ़िस (Finanzamt) से पूछ कर आप आय-कर-टैक्स कार्ड (Lohnsteuerkarte) में अपाहिजता की फ़ीसदी अनुसार कर-मुक्त करने की रकम दर्ज करवा सकते है। इससे आपकी मासिक आय में से शुरू से ही टैक्स कम काटा जाएगा या यह रकम टैक्स रिटर्न के समय आपको वापिस मिल जाएगी। जर्मनी में टैक्स ऑफ़िस (Finanzamt) का फ़र्ज़ है कि आपको वहां से सही और आपके हित में ठीक सूचना दी जाए। इसलिए बिना डर के टैक्स ऑफ़िस (Finanzamt) में फ़ोन कर के सूचना ले या चर्टेड एकाउंटेंट से राय लें।

ध्यान रहे अगर किसी को कोई रोग या अपाहिजता है तो टैक्स रिटर्न भरना न भूलें। यह टैक्स ऑफ़िस (Finanzamt) से नकद पैसे पाने के समान है।


  • विशेष चिन्ह H होने पर आपको वार्षिक €924,- पाने का हक है जिस से आप किसी को घरेलू काम में सहायता पाने के लिए (जैसे नौकरानी) (Haushaltshilfe) रख सकते हैं।
  • इसके साथ-साथ विशेष चिन्ह H होने पर आपको वार्षिक €924,- पाने का भी हक है अगर रोगी की घर में देख-भाल (Pflegepauschalbetrag) की जाती है। रोगी की देख-भाल का कार्य परिवार का कोई भी सदस्य या रिश्तेदार कर सकता है जैसे मां/बाप, बेटा-बेटी, दादा/दादी आदि। टैक्स रिटर्न के समय उस व्यक्ति का नाम देना होगा।

अपाहिज-कार्ड कहां से मिल सकता है?

अपाहिज-कार्ड पाने के लिए आपको अपाहिज केन्द्र (Versorgungsamt) में अर्जी करनी होगी। अर्जी करने से पहले आप अपने डाक्टर से इस बारे में बात कर सकते हैं। डाक्टर आपको आवश्यक मेडिकल कागज़ात दे देंगे जिन्हे आप अपनी अर्जी के साथ भेज सकते हैं। इसके बाद आपको अपाहिज केन्द्र (Versorgungsamt) से एक फ़ार्म भेजा जाएगा या यह फ़ार्म आप समाज-कल्याण कार्यालय (Sozialamt) में जाकर खुद ले सकते हैं। यह फ़ार्म आप भर के वापिस भेज दें। फ़ार्म में आपको भरना होगा कि आप अपाहिज केन्द्र (Versorgungsamt) को अधिकार देते हैं कि वे आपके डाक्टर से आपकी बीमारी बारे सूचना ले सकें। ध्यान रहे कि आप हर बीमारी बारे पूरी सूचना दें और समस्त डॉक्टरों के नाम लिखे जिनके पास आप जा चुके हैं। फ़िर उनसे आपकी फ़ाइल मंगाई जाती है। जितनी अधिक सूचना कार्यालय के पास होगी उतनी अधिक संभावना होगी कि आपको अपाहिजता की फ़ीसदी अधिक मिल सके। कुछ हफ़्तों बाद आपको अपाहिज केन्द्र (Versorgungsamt) से जवाब मिलेगा कि आपको अपाहिज-कार्ड (Behindertenausweis) मिलने का अधिकार है या नही और आपकी अपाहिजता की फ़ीसदी (Grad der Behinderung) कितनी है। अगर आपकी बीमारी के कारण आपको कार्ड पाने की अधिकार है तो आपको कार्ड पत्र के साथ ही भेजा जाता है।

अपाहिजता की फ़ीसदी किस प्रकार सिद्ध की जाती है?

आपकी समस्त डॉक्टरी फाइलों का निरीक्षण एक मेडिकल विशेषज्ञ द्वारा करवाया जाता है। इसके अतिरिक्त जो रोज़मर्रा के कार्य आप करने में असमर्थ है उन पर ध्यान दे कर यह फ़ीसदी सिद्ध की जाती है। यह भी हो सकता है कि कोई मेडिकल विशेषज्ञ आपके घर आकर देखे कि आप क्या कार्य करने में असमर्थ है और इस बारे सवाल करें। अधिकतर यह बच्चों के केस में किया जाता है।

अपाहिज केन्द्र (Versorgungsamt) के फ़ैसले खिलाफ़ अपील कैसे की जाए?

अगर आप समझते है कि यह फ़ैसला आपके हित में नही हुआ या आपको अपाहिजता की फ़ीसदी अधिक मिलनी चाहिए या आपको विशेष चिन्ह (Merkzeichen) आपकी बीमारी अनुकूल नही मिले तो आप इस फ़ैसले के खिलाफ़ अपील कर सकते हैं। इस के लिए आप अपाहिज केन्द्र (Versorgungsamt) को इस बारे एक पत्र लिख कर अपने कारण बता दें। इसके बाद जिला कार्यालय से जांच की जाती है तथा आपको पत्र द्वारा इसका नया फ़ैसला भेजा जाता है।

अदालत में इस फ़ैसले के खिलाफ़ केस कैसे किया जाए?

अगर आप समझते हैं कि जिला कार्यालय का फ़ैसला भी आपके हित में नही हुआ तो आप इसके खिलाफ़ अपने निवास-स्थान की अधिकृत समाज-कल्याण अदालत (Sozialgericht) में केस कर सकते हैं या किसी वकील द्वारा यह केस करवा सकते हैं। अगर आपके पास वकील लेने के लिए आर्थिक साधन नही हैं तो आप केस चलाने के लिए कानूनी सहायता (Prozeßkostenhilfe) पाने की अर्जी कर सकते है। यह कानूनी सहायता (Prozeßkostenhilfe) आपके वकील द्वारा की जा सकती है या आप लोकल अदालत (Amtsgericht) में जाकर इसकी अर्जी कर सकते हैं।

इस विषय में अन्य सूचना पाने के लिए क्लिक करें:
behindertenbeauftragte
http://www.intakt.info/75-0-ausweis-und-beantragung.html

© Jasminder Nagpal-Metzger
www.nagpal.de

वृद्ध पर हमला

Munich में Großhadern क्षेत्र में 25 January 2010 को दोपहर ढाई बजे घर लौटते हुए एक 73 वर्षीय वृद्ध ने देखा कि कोई 25 वर्षीय, अनुमानित german युवक इमारत के दरवाज़े के पास खड़ा है। पूछने पर युवक ने बताया कि वह अपने दोस्त से मिलने आया है। यह कहकर वह युवक बुड्ढे के साथ इमारत के अन्दर घुस आया। बुड्ढा अभी दरवाज़े के पास अपनी डाक देख रहा था कि वह युवक सीढ़ियां चढकर ऊपर चला गया। जब बाद में बुड्ढे ने पहली मंज़िल पर जा कर अपने फ़्लैट का दरवाज़ा खोला तो अजनबी ने उस पर हमला कर दिया। वृद्ध को फ़र्श पर गिराकर उसने उसके कपड़े तलाश लिए, लेकिन उसे कुछ मिला नहीं। वृद्ध के मदद के लिए ज़ोर से चिल्लाने पर वह वहां से भाग गया। एक गवाह ने उसे पास के metro station की ओर जाते देखा। वृद्ध को काफ़ी चोट आई और उसे अस्पताल भेजा गया।

http://www.polizei.bayern.de/muenchen/news/presse/aktuell/index.html/108977

महिला वकील ने मारा पति और बेटे को


Lörrach नामक एक कस्बे में 19 सितम्बर 2010 को एक 41 वर्षीय महिला वकील ने दो गोलियों से अपने पति की हत्या कर दी, फिर अपने पांच वर्षीय बेटे के सर पर कई वार करके और उसके सर को एक प्लास्टिक के लिफाफे में बन्द करके दम घोंट कर मार दिया। फिर उस घर में पेट्रोल लगा कर आग लगा दी जिसमें उसका पति और उसका बेटा रह रहे थे। फिर वह सड़क पर निकल कर गोलाबारी करती हुई पास के एक अस्पताल में चली गई। वहां भी उसने एक कर्मचारी को गोलियों और चाकू से मार दिया। इस अस्पताल में कुछ साल पहले एक गर्भपात में उसका बच्चा मर गया था। पुलिस के आने पर उसने एक पुलिसकर्मी को भी ज़ख्मी कर दिया। नियन्त्रण न हो पाने पर  वह पुलिस द्वारा मार दी गई। उसे कुल 17 गोलियां लगीं। इस घटना में कुल चार मौतें हुई। वह वकील होने के साथ साथ एक शूटिंग क्लब की सदस्य भी थी जिसके कारण उसके पास कई हथियार भी थे और वह उन्हें चलाने में प्रवीण भी थी। पति के साथ झगड़ा होने पर कुछ महीने पहले वह घर छोड़कर अलग रहने लगी थी। इसी नए घर में उसने वकील का कार्यालय भी बनाया था। बच्चे को रखने का अधिकार उसके पति को मिला था। उसका पति, नया प्यार से ख़रीदा और सजाया घर, बच्चा सब छिन चुका था। इस घटना से वहां उपस्थित कई पुलिसकर्मियों को भी गहरा धक्का लगा है।
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Die Amokläuferin von Lörrach
http://www.polizei-loerrach.de/
http://www.amtsgericht-loerrach.de/
http://www.staatsanwaltschaft-freiburg.de/
http://www.landgericht-heidelberg.de/

Golf

कहा जाता है कि तकनीकी तौर पर golf दूसरा सबसे कठिन खेल है। दिखने में जितना आसान लगता है, ठीक तरह से खेल पाना उतना ही मुश्किल। Germany में कोई पांच लाख लोग golf खेलते हैं। पर इन में से दस हज़ार लोग भी ऐसे नहीं होंगे जो गेन्द को ठीक तरह से मार पाते हों। हालांकि Germany में यह खेल बहुत ज़्यादा नहीं फैला है पर पहले की तरह केवल अमीरों का खेल भी नहीं है। England, अमरीका, Africa में तो यह घर घर का खेल है, बच्चों को school में भी सिखाया जाता है। Germany में नौ या अधिक सुराखों वाले कोई सात सौ club हैं जहां लोग golf खेलने जा सकते हैं। केवल Munich में ही तीस के आस पास मैदान हैं। इनका दिन का किराया लगभग पचास Euro प्रति व्यक्ति होता है। लेकिन कुछ घण्टे खेलने से ही थकावट बहुत ज़्यादा हो जाती है। इस खेल की ओर आकर्षित बनाने वाली चन्द बातें इस प्रकार हैं। एक तो चार पांच घण्टे के लिए बाहर प्रकृति में सैर हो जाती है जो सेहत के लिए अच्छा है। दूसरा इसकी scoring करना बहुत आसान है और उसमें विवाद होने की सम्भावना बहुत कम होती है। जितने कम shots में गेन्द को सुराख में डाला, उतना अच्छा। तीसरी बात है कि आप किसी के विरुद्ध नहीं, बल्कि केवल मैदान के विरुद्ध खेलते हैं। यानि इस में लगातार प्रतिद्वन्धिता की भावना नहीं होती। इस लिए यह बहुत ही शान्तिपूर्वक खेल है। ऐसा भी नहीं कि golf के लिए मैदान शहर के अन्दर बनाए जाते हों जिससे आम नागरिक को शिकायत हो कि उनके घूमने फ़िरने की जगह को ऊंचे नाक वाले लोगों के लिए उपयोग किया जा रहा है। बल्कि अक्सर ये शहर के बाहर बनाए जाते हैं। Putter के लिए तो घर में बिछाने के लिए भी छोटे छोटे golf के मैदान आते हैं जो बिल्कुल घास की होते हैं। Driving और woods की छड़ियों में अब titanium का उपयोग बहुत होने लगा है। बाज़़ार में नरम प्रकार की गेन्दें भी मिलती हैं और बहुत ठोस भी। ठोस गेन्दें बहुत दूरी तय कर लेती हैं पर उनके साथ खेलने से अन्दाज़़ा नहीं होता कि गेन्द कितनी दूर जाएगी। नरम गेन्दें इनके विपरीत होती हैं। यानि वे कम दूरी तय करती हैं पर उनके साथ खेलने से बहुत ठीक अन्दाज़़ा रहता है।  गेन्दों में छोटे छोटे गड्ढे भी होते हैं जिनके कारण हवा में उड़ते हुए गेन्द की दिशा नहीं बदलती। golf के लिए जूतों की sole बहुत ठोस होती है, वह मुड़ती नहीं। उसके नीचे फिसलन से बचने के लिए spikes लगे होते हैं।

http://www.golftage-muenchen.de/

दालचीनी वाले बिस्कुट

सर्दियों में दाल-चीनी वाले biscuit ना यहां केवल Christmas बाज़़ार में बहुत मिलते हैं, बल्कि Christmas के लिए लोग घरों में भी बहुत बनाते हैं। पेश है ख़ुद आज़माई हुई एक पाक विधि, वह भी चीनी की बजाए गुड़ के साथ।

सामग्रीः
125 ग्राम मक्खन
दो बड़े चम्मच शहद
175 ग्राम भूरी चीनी (बाज़़ार में मिलती है) या गुड़ (Asian दुकानों में मिलता है)
एक छोटा चम्मच दाल-चीनी वाला powder
एक बड़ा चम्मच chocolate powder
400 ग्राम मैदा
एक छोटा चम्मच baking powder
दो अण्डे

एक कड़ाही में मक्खन डाल कर पिघला लें। इस में भूरी चीनी या गुड़ डालें। अगर गुड़़ का उपयोग कर रहे हैं तो पहले गुड़ को तोड़ कर छोटे टुकड़े कर लें। गुड़ या चीनी को मक्खन में पूरी तरह मिल जाने तक प्रतीक्षा करें। फ़िर इसे आंच से उतार लें। फ़िर शहद, दाल-चीनी चूर और chocolate का चूर डालें और अच्छी तरह हिलाएं। कभी भी पकाते हुए शहद ना डालें। फ़िर आग (या heater) से उतार कर थोड़़ी देर ठण्डा होने दें। यह चाश्नी तैयार हो गई। इतने में दो अण्डों को फेंट कर आटे में मिलाएं। उसमें baking powder डालें और अच्छी तरह गून्थ कर लोई बना लें। लोई को भी ठण्डा होने दें। फ़िर चकले पर थोड़़ा सूखा आटा छिड़क कर लोई को करीब एक centimetre मोटी परत में बेल लें। फ़िर उसमें से अपने मनपसन्द आकार काट लें। इन biscuits को 175 degree तक पहले से गरम की हुई भट्ठी (oven) में दस बारह minute तक पकाएं (बेक करें)। दाल-चीनी वाले biscuit तैयार।

रसोई के लिए कुछ सुझाव

  1. अगर सब्ज़ी, दाल या सूप में नमक अधिक हो जाये तो बड़े आकार के कुछ उबले आलू काट कर डाल दें और थोड़ी देर बाद उन्हें निकाल दें। या फिर आटे के गोले बनाकर सब्ज़ी में डालें और थोड़ी देर बाद निकाल दें। ये आलू के टुकड़े और आटे के गोले अतिरिक्त नमक को सोख लेते हैं। इन्हें आप अलग से किसी अन्य व्यंजन में उपयोग कर सकते हैं।
  2. धनिए और पुदीने की पत्तियों को ज़्यादा दिनों तक ताज़ा रखने के लिए उनकी जड़ें काटकर अखबार में लपेट कर एक डिब्बे में बन्द करके फ्रिज में रखें। इससे वे लगभग 15 दिन तक ताज़ा रहेंगे।
  3. कुरकुरे और सुनहरे भूरे डोसे बनाने के लिए मिश्रण में एक चम्मच चीनी या एक चम्मच बेसन मिलाएं।
  4. पूरी या चपाती को मुलायम बनाने के लिए आटे में थोड़ा दूध मिलाकर गून्थें।
  5. हरी मिर्चों को ज़्यादा दिन तक ताज़ा रखने के लिए उनके ऊपर के डण्डल को तोड़कर हवाबन्द डिब्बे में बन्द कर के फ्रिज में रखें।
  6. पालक उबालते समय उसमें एक चुटकी बेकिंग सोडा या चीनी डालें। इससे पालक का रंग हरा बना रहेगा।
  7. बादाम के छिल्के जल्दी उतारने हों तो उन्हें गर्म पानी में दस मिनट तक भिगो कर उतारें।
  8. अगर सब्ज़ी या सूप में डालने के लिए क्रीम न हो तो मक्खन और दूध का मिश्रण मिलायें।
  9. अगर नींबू कड़े हो गये हों तो उन्हें 5-10 मिनट गर्म पानी में रखें। इससे नींबू आसानी से निचोड़े जा सकेंगे।
  10. आलू जल्दी बेक करने के लिए उन्हें बेक करने से पहले 15 मिनट तक नमकीन पानी में रखें।
  11. चावलों में थोड़ा सा नींबू का रस डालने से चावल ज़्यादा सफेद बनेंगे।
  12. अगर धनिये, कसूरी मेथी, पुदीने या कड़ी पत्ते आदि की सूखी पत्तियों का उपयोग कर रहे हैं तो उन्हें हाथों से मसलकर / रगड़कर डालें। इससे पत्तियों की सुगंध अधिक प्रगाढ़ होगी।
  13. घर में बनाए हुए अदरक, लहसुन या मिर्च के पेस्ट में एक चम्मच गर्म तेल और थोड़ा नमक मिलाने से वे ज़्यादा दिन तक ताज़ा और स्वादिष्ट रहेंगे।
  14. भिण्डी भूनते समय 2-3 चम्मच दही या 1 चम्मच नींबू का रस मिलाने से भिण्डियां आपस में चिपकेंगी नहीं।
  15. पनीर बनाते हुए सिरका पहले न डाल कर सबसे बाद में डालें। केक बनाते हुए भी बेकिंग सोडा या इनो आदि शुरू में न डालें, बल्कि बाद में डालें। शुरू में डालने से गैस जल्दी उड़ जाती है और छिद्र नहीं बनते।
शालिनी सिन्हा, म्युनिक

म्युनिक का शिकार संग्रहालय

Munich's hunting museum showcases over one thousand prepared models of wild animals and birds, hunting weapons of all era and souvenirs collected by many royal people of bygone times.

ਜਰਮਨੀ ਵਿੱਚ ਵੀ ਪਹਿਲਾਂ ਰਾਜੇ ਮਹਾਰਾਜੇ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦਾ ਬਹੁਤ ਸ਼ਿਕਾਰ ਕਰਦੇ ਸਨ. ਉਹ ਆਪਣੇ ਲਈ ਬੜੇ ਮਹਿੰਗੇ ਹਥਿਆਰ ਬੰਦੂਕਾਂ ਆਦਿ ਬਨਵਾਓਂਦੇ ਸਨ. ਮਉੰਸ਼ਨ ਵਿਖੇ ਸ਼ਿਕਾਰਘਰ ਵਿੱਚ ਬਾਯਰਨ ਦੇ ਰਾਜਿਆਂ ਦੁਆਰਾ ਇਕੱਠੀਆਂ ਕੀਤੀਆਂ ਜਾਨਵਰਾਂ ਦੀਆਂ ਯਾਦਗਾਰਾਂ, ਉਹਨਾਂ ਦੇ ਹਥਿਆਰ ਆਦਿ ਦੇਖ ਸਕਦੇ ਹੋ.

म्युनिक के शिकार संग्रहालय में एक हज़ार से अधिक संरक्षित जानवर, पंछी और मछलियां देख सकते हैं। पूर्व में केवल राज या उंचे पद पर बैठे लोगों को हि शिकार करने का अधिकार होता था। वे कैसे शिकार करते थे, इनकी सचित्र उदहारणें आपको वहां देखने को मिलेंगी। वे पहले कुत्तों को जानवरों के पीछे दौड़ाकर जानवरों को थका देते थे, और वे पीछे घोड़ों पर आते थे। फिर वे थके हुए जानवर जैसे हिरण, लोमड़ी या रीछ को बन्दूक से मार देते थे। समय के साथ कैसे बारूद और बन्दूक का विकास और विस्तार हुआ, यह भी आपको वहां देखने को मिलेगा। हालांकि बारूद का अविष्कार पहले चीन में हुआ, पर इसे हथियार में बदलने का श्रेय यूरोप को जाता है। आरम्भिक युग की बन्दूकों का उपयोग बहुत कठिन होता था। उन्हें केवल खड़े होकर इस्तेमाल किया जा सकता था, क्योंकि वे बहुत लंबी होती थीं। लंबी बन्दूक में बारूद को गोली धकेलने के लिये लंबा रास्ता मिलता था। पर समय के साथ छोटी बन्दूकों का विकास हुआ जिन्हें घोड़ों पर सवारी करते समय उपयोग किया जा सकता था। यहां के एक प्रसिद्ध राजा Graf Arco ने सैंकड़ों की संख्या में बेशकीमती हिरण मारे। उनकी प्रदर्शनी भी आपको यहां देखने को मिलेगी। 1835 में बायरन के आखिरी रीछ का शिकार किया गया, इसके चित्र भी वहां देखने को मिलेंगे। इसके अलावा हज़ारों जंगली जानवरों, पंछियों और मछलियों के बारे में संरक्षित मॉडल के साथ जानकारी वहां उपलब्ध है। संग्रहालय देखने की टिकट बेहद कम है, केवल साढे तीन यूरो। हर बृहस्पतिवार शाम साढे पांच बजे केवल एक यूरो शुल्क के साथ टूर भी आयोजित होता है।

http://www.jagd-fischerei-museum.de/

Shahi Paneer (serves 2-3 people)

Ingredients
2- 3 Onions finely chopped
1 cup (250 ml) Tomato puree (or fresh 2-3 tomatoes finely chopped)
250 gms Paneer (Cottage cheese)
3 Tbsp Oil
1 Tsp Ginger garlic paste (or finely chopped fresh ginger and garlic)
1 Bay leaf
1 Black cardamom
2 Green cardamom
1small piece of Cinnamon
2 Black pepper
2-3 colves
1 Tsp Cumin Seed
1 Tbsp Coriander powder
0.5 Tsp Turmeric
0.5 Tsp Salt (As per taste)
0.25 Tsp Garam Masala
50 ml (0.25 Cup) Cream
Few drops of lemon
Pinch of sugar
1 Tbsp White flour (optional)

Preparation
Heat the oil in a pan over medium heat. Add bay leaf, cardamom, cinnamon, pepper and cloves and fry them a little then add cumin seeds and let them crackle. Now add ginger-garlic paste and chopped onions in the pan and stir until it gets golden brown. Now add tomato puree and stir again until all water evaporates from the mixture. Let this cool for few minutes and then add it to the blender and make a fine paste of it. Now add the blended mixture in warm pan and add rest spices – coriander powder, turmeric powder, garam masala, salt to taste and mix it well. After it is properly mixed then add the cream and stir it until oil starts separating from the mixture. Now add lemon and sugar. For a thicker gravy add white flour and leave it for few minutes. Now add pieces of Paneer to the gravy and let it cook for 5 more minutes.

http://cookcurry.de/

Christmas Cookies

Christmas के समय पर घर घर में cookies बनायी जाती हैं। हम यहां पर cookies बनाने की एक साधारण विधि दे रहे हैं।

लगभग 90 cookies के लिए सामग्रीः
3 अण्डे
250 ग्राम मक्खन
250 ग्राम चीनी
2 packet vanilla चीनी (सौगंध के लिए, बाज़़ार में 8 ग्राम के packet मिलते हैं)
500 ग्राम मैदा
आकृतियां काटने के लिए विभिन्न stencil (बाज़़ार में तरह तरह के packet मिलते हैं)

विधिः
दो अण्डे उबाल लें। अण्डों की जर्दी को अलग कर के चूरा बना लें। फ़िर मक्खन पिघला कर उसमें यह पिसी हुयी जर्दी, चीनी, एक कच्चा अण्डा और vanilla चीनी मिला कर झाग बना लें। फ़िर इसे आटे (मैदे) में मिला कर गून्थ लें। गुन्थे हुए आटे को एक घंटे के लिए बाहर ठण्डा होने के लिए पड़ा रहने दें। फ़िर उसे आधा centimetre पतली परत में बेल लें और उसमें से stencils की मदद से cookies की विभिन्न आकृतियां काटें। उबले हुए अण्डों के कारण आपको आटा बेलने में कठिनाई हो सकती है। ऐसी हालत में एक कच्चा अण्डा और मिला सकती हैं, या फ़िर aluminium foil में रख कर बेलने की कोशिश कर सकती हैं। इन आकृतियों को baking oven की plate में रख लें। cookies के बीच में अच्छी ख़ासी दूरी रखें क्योंकि बेक होने के बाद वे बहुत फूल जाती हैं और एक दूसरे के साथ चिपक सकती हैं। baking oven को 175°C पर एक minute के लिए गरम करें। फ़िर उसके ऊपर वाले खाने में cookies से भरी हुयी plate रख कर पांच minute तक बेक होने दें। फ़िर plate को नीचे वाले खाने में रख कर दस minute तक बेक होने दें जब तक cookies हल्के भूरी हो जाएं। cookies तैयार हैं। बाहर निकाल कर ठण्डी होने पर खाएं। आप चाहें तो बिना अण्डों की भी cookies बना सकती हैं।

बेबी कॉर्न मंचूरियन

सामग्री
babycorn: 18-20 पीस (canned या bottled)
cornflour: 8 बड़े चम्मच
टमाटर की चटनी (tomato sauce): 1 छोटी कटोरी
अदरक का पेस्टः 1 छोटा चम्मच
लहसुन का पेस्टः 1 छोटा चम्मच
प्याज़ बड़ाः 1 बारीक कटा हुआ
हरी मिर्चः 2-3 बारीक कटी हुयी
थोड़े अदरक और लहसुन बारीक कटे हुए
Paniermehl (सुपरमार्केट में मिलने वाला एक तरह का आटा) या मोटी सूजीः 3 चम्मच
धनिया पत्तीः सजाने के लिये (garnishing)
सिरका (Essig): 1-1½ चम्मच
नमक और तेल

विधिः
बेबीकॉर्न को थोड़ी देर के लिये गर्म पानी में उबाल लें और ठण्डा होने के लिये रख दें। अगर आप canned या शीशी वाले बेबी कॉर्न उपयोग कर रहे हैं तो उन्हें उबालने की ज़रूरत नहीं है। फिर एक कटोरे में कॉर्न फ़्लोर, 2 चम्मच टमाटर की चटनी, अदरक और लहसुन के पेस्ट को मिलाकर गाढ़ा घोल बना लें। फिर उसमें बेबीकॉर्न को एक इंच के दो भागों में बराबर काट कर घोल में लपेटें। फिर उसे Paniermehl या सूजी में लपेट कर सुनहरा होने तक तल लें। आप चाहें तो इन पकौड़ों को भी खा सकते हैं।

चटनी बनाने की विधिः
कड़ाही में दो चम्मच तेल डालकर गर्म करें। फिर उसमें कटी हुई हरी मिर्च अदरक, लहसुन और कटा हुआ प्याज डाल कर थोड़ी देर तक भूनें। फिर उसे आंच से उतार कर उसमें टमाटर की चटनी, सिरका और चिल्ली sauce डालें। अगर आप कम तीखा खाते हैं तो chilly sauce का उपयोग न करें।

अब चटनी को अच्छी तरह मिलाएं और उसमें तले हुए बेबी कॉर्न डाल कर दो मिनट तक आंच पर रख कर इस तरह मिलाएं कि सभी टुकड़ों पर चटनी की परत चढ़ जाये। अब इसे कटे हुए धनिए के साथ सजा कर प्लेट में गर्म गर्म परोसें।

-शालिनी सिन्हा, म्युनिक