मंगलवार, 2 अगस्त 2022

19वें भारतीय फिल्म समारोह Stuttgart के विजेता

रविवार को 19वें ‘भारतीय फिल्म महोत्सव Stuttgart’ में विजेता फिल्मों की घोषणा की गई

फीचर फिल्म श्रेणी में सन्दीप कुमार की सामाजिक-महत्वपूर्ण फिल्म ' Mehrunisa' जिसमें शीर्षक भूमिका में अद्भुत अभिनेत्री फारुख जाफर हैं,को फिल्म पुरस्कार 'जर्मन स्टार ऑफ इण्डिया' जिसमें 4,000 यूरो का नकद पुरस्कार दिया जाता है,से सम्मानित किया गया.

अमृता बागची द्वारा 'Succulent' को सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म पुरस्कार से व 1000 यूरो के नकद पुरस्कार द्वारा सम्मानित किया गया.

रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष द्वारा निर्देशित 'Writing With Fire' को सर्वश्रेष्ठ डॉक्यूमेंट्री फिल्म अवार्ड से सम्मानित किया गया. 

1,000 यूरो के नकद पुरस्कार के साथ 'डायरेक्टर्स विज़न अवार्ड' नितिन लुकोज की 'Paka- River of Blood' को प्रदान किया गया .

1,000 यूरो का ऑडियंस अवार्ड महक जमाल की लघु फिल्म ’ Bad Egg' को प्रदान किया गया.


उत्सव की शुरुआत में, मुम्बई के संग्रहाध्यक्ष ‘उमा दा कुन्हा’ (89) को Stuttgart में न्यू पैलेस मार्बल हॉल में स्टॉफर मेडल से सम्मानित किया गया . राज्य सचिव सैण्ड्रा बोसेर ने पहली बार किसी भारतीय महिला को बाडेन-वुर्टेमबर्ग राज्य का सर्वोच्च पुरस्कार प्रदान किया. सिनेमा में अपनी वापसी के साथ, इस फेस्टिवल ने दर्शकों को 30 वर्तमान स्क्रीन वर्क और महामारी के कारण दो ऑनलाइन संस्करणों के बाद रोमांचित किया.


Stuttgart अभिनेत्री Juliane Bacher द्वारा जर्मन भाषा में डब की गई एक भारतीय धूर्त कहानी का सिनेमा हॉल में लाइव प्रसारण किया गया|

Stuttgart से फिल्म समारोह के मुख्य प्रायोजक माननीय Consul एण्ड्रियास लैप और Munich के महावाणिज्य दूत मोहित यादव ने भारतीय फिल्म महोत्सव को भारत और Stuttgart के बीच एक महत्वपूर्ण सांस्कृतिक पुल बताते हुए इसकी प्रशंसा की|


'Mehrunisa' के लिए जूरी का बयान

विजेता फीचर फिल्म 'Mehrunisa' में एक 80 वर्षीय नायिका समाज और फिल्म उद्योग में फैली पितृसत्ता के खिलाफ लडती है. पति की मृत्यु के बाद उसकी विधवा मेहरुनिसा सार्वजनिक रूप से अपने पति के साथ साझा किए गए बिस्तर को जलाती है. तीन सदस्यीय जूरी, जिसमें एमएफजी कर्मचारी मैक्सिमिलियन होहेनले, निदेशक अञ्जा गुर्रेस और निर्माता लुई विक शामिल थें, के अनुसार- "यह एक ऐसी अनसुनी घटना और ऐसी भयावह छवि है जो आपके दिमाग में फिल्म खत्म हो जाने के बाद भी लम्बे समय तक नहीं मिटती है. यह कहानी एक खूबसूरत दादी-पोती के रिश्ते का शुरुआती बिन्दु है जो सिनेमा के पर्दे से परे, पदानुक्रम पर सवाल उठाती है, आत्मनिर्णय का जश्न मनाती है और आशा को प्रेरित करती है. एक ऐतिहासिक फिल्म की पटकथा और  संशोधनवादी कथानक की निन्दा करते हुए ‘Mehrunisa’ फिल्म उद्योग को निशाने पर लेती है और अन्तत: ऐतिहासिक रूप से सटीक के पक्ष में ज्वार को मोड देती है. कलाकार, अभिनय और मंचन उदात्त लेकिन विनम्र और पात्रों के करीब हैं. Mehrunisa' अपने नायक की तरह ही व्यक्तिगत और सामाजिक संघर्षों को खुल कर सम्बोधित करती है. प्यारी झुर्रियां, पूरे दिल से उन्हें व्यावहारिकता और गहरे रंग के हास्य के साथ गले लगाती है." 


सर्वश्रेष्ठ Documentary ‘Writing with Fire’ के लिए जूरी का बयान

रिंटू थॉमस और सुष्मित घोष द्वारा निर्देशित 'Writing with Fire' ने ‘खबर लहरिया’ के महिला पत्रकारों (भारत के एकमात्र महिला समाचार पत्र न्यूजरूम) की कहानी बयां की .एक महिला पत्रकार के परिप्रेक्ष्य से रिपोर्ट और विशेष रूप से ग्रामीण क्षेत्रों में घटनाएं किस प्रकार से सभी जातियों के लोगों के जीवन को प्रभावित करती हैं की कहानी है. निर्देशकों ने पितृसत्तात्मक समाज और पुरुष प्रधान मीडिया की दुनिया के खिलाफ साहसी महिला पत्रकारों के संघर्ष को बखूबी पर्दे पर उतारा है.सघन रूप से फिल्म में दलित आबादी समूह के नायकों के विकास को उजागर किया है जिनके लिए शायद ही भारतीय जाति व्यवस्था में कोई भी शैक्षिक अवसर प्रदान किया जाता है. चौकस कैमरा भी

न्यूज रूम के डिजिटल परिवर्तन को कुशलता से पकड लेता है और एक ऐसी पत्रकारिता को दिखाता है जो जनता की शिकायतों को उजागर करने और लोकतंत्र और मानवाधिकारों को मजबूत करने के लिए तत्पर है.न्यायाधीश जूरी, जिसमें सबाइन विलमैन (फिल्म और थिएटर निर्देशक,मीडिया शिक्षक, फिल्म सलाहकार), SWR सम्पादक और फिल्म लेखक स्टीफन जीरहुत और Documentary फिल्म निर्माता जनिका क्वास शामिल थे, के मुताबिक 'Writing with Fire' एक रोमांचक समकालीन Documentary है जो बताती है कि कठिन परिस्थितियों में भी परिवर्तन सम्भव है. आवश्यकता है तो इच्छाशक्ति और आपसी समर्थन की.


सर्वश्रेष्ठ लघु फिल्म 'Succulent' के लिए जूरी का बयान

तीन सदस्यीय जूरी जिसमें भारतीय फिल्म निर्माता रमेश होलबोले, नाटककार कथरीना परपार्ट और ZDF के सम्पादक एलेक्स स्टैब शामिल थे, ने अपने निर्णय की व्याख्या कुछ इस प्रकार की- लघु फिल्म 'Succulent' हमें  हमारी मानवता के मूल के बारे में सार्वभौमिक प्रश्नों से सामना कराती है. जैसे– हम एक व्यक्ति के रूप में क्या हैं ? क्या हम बदलने के  योग्य हैं ? क्या सेवा की तरह ही निकटता और स्नेह का भी निर्माण और क्रय किया जा सकता है? फिल्म अति-पूंजीवाद और कोरोना महामारी के परिणाम दोनों अभिव्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए सामाजिक दूरी के समाज को दर्शाती है.अकसर बेबसी और अकेलेपन की इस क्रूर दुनिया में, 'Succulent' भी सुकून भरे पलों को देखती  है. आपसी स्नेह और साथ ही उनकी नाजुकता को भी. उदाहरण के लिए फिल्म के मुख्य पात्र का अपने सबसे बुजुर्ग ग्राहक के साथ रिश्ता.


‘Succulent' अपने शिल्प कौशल के मामले में भी उम्दा है. शानदार लोकेशंस, संक्षिप्त संवाद, अभिनेताओं द्वारा गहन अभिनय और एक वायुमण्डलीय रूप से घने ध्वनि कालीन इस लघु फिल्म को औरों से बेहतर बनाते हैं. वहीं फिल्म काफी चालाकी से कई चीजें संकेतों के रूप में छोड देती है जो दर्शकों को रोमांच और गहन सोच में गोते लगाने को मजबूर कर देती है.‘Succulent' समाज के एक डायस्टोपियन मसौदे को चित्रित करता है, विज्ञान कथा दृष्टि और सामाजिक अध्ययन का मिश्रण है. यह फिल्म जितनी उत्तेजक और आ कर्षक है उतनी ही परेशान करने वाली है.


डायरेक्टर्स विज़न अवार्ड-'Paka- River of Blood' के लिए जूरी का बयान

डायरेक्टर्स विज़न अवार्ड जिसमें 1000 यूरो का नकद पुरस्कार प्रदान किया जाता है, ऐसे निर्देशकों को सम्मानित करता है जो अपनी फिल्मों के माध्यम से असाधारण राजनीतिक या सामाजिक प्रतिबद्धता में योगदान देते हैं. जूरी - festival director ओलिवर महन और दो curators उमा दा कुन्हा और थेरेसी हेस ने नितिन लुकोज की 'Paka- River of Blood' के पक्ष में फैसला किया -‘हिंसा हमेशा हिंसा पैदा करती है’, यह एक सार्वभौमिक सत्य है. 'Paka- River of Blood'  हमें दिखाती है, एक गांव का सूक्ष्म जगत जिसमें  कैसे हिंसा विकसित होती है जो घृणा और ईर्ष्या से प्रेरित है. फिल्म हमें याद दिलाती है कि साहसी लोगों को आगे आने और अविश्वास, हिंसा और आक्रामकता के चक्र को तोडने की जरूरत है.जूरी के शब्दों में “हमें इस दुनिया को एक साथ साझा करना चाहिए. ऐसा करने का सबसे अच्छा तरीका स्वतंत्रता और आपसी सम्मान है. और इसके लिए हम नितिन लुकोस की फिल्म 'Paka- River of Blood' का सम्मान करते हैं.“


अनुवादः प्रियंका आढ़ा