रविवार, 17 जुलाई 2022

एक कमरे से शुरू की यूरोप की सबसे बड़ी ऑनलाइन किराने की दुकान

SAP जैसी बड़ी company में software engineer की अच्छी भली नौकरी करने वाले रमन गुप्ता ने किराने के मामले में भारतीयों की ज़रूरतों को देखते हुए 2010 में केवल दो सौ Euro और केवल पचास उत्पादों के साथ एक online Indian shop खोली जिस के पास आज ढाई हज़ार उत्पाद हैं और पूरे Europe में अस्सी हज़ार ग्राहक हैं. बल्कि January 2022 में मुम्बई से अदनान सामी का भी एक order आया.

रमन 2002 में International University Bruchsal / Karlsruhe में Masters in Information Technology करने आए. उस समय Germany के छोटे शहरों में भारतीय किराने का सामान या तो कम या बहुत महंगा मिलता था या फिर बहुत दूर से ले कर आना पड़ता था.. रमन का इस दिशा में कुछ करने का मन हुआ. पर इसे होने में अभी कुछ साल लगने थे. 2004 में रमन ने उसी विश्व-विद्यालय में assistant professor के तौर पर पढ़ाना शुरू कर दिया. 2005 में SAP company में, जहां उन्होंने internship की थी, उनके पूर्व boss ने एक नौकरी की पेशकश की. SAP में उस समय करीब ढाई तीन सौ भारतीय काम करते थे. रमन हमेशा से ऊर्जावान व्यक्ति थे. company में वे नौकरी के साथ साथ हमेशा कुछ ना कुछ करते रहते थे. वे एक बार SAP की कर्मचारी परिषद के सदस्य बने और वहां उन्होंने भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व किया. वे परिषद के अन्य सदस्यों के साथ मिल कर  सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने लगे. विभिन्न आयोजनों में भारतीय stalls, भारतीय dancer और संगीतज्ञों की सारी ज़िम्मेदारी उन की ही होती थी. 

इसी दौरान उन्हें एक partner के साथ मिल कर global transactions के लिए एक platform बनाने का विचार आया जिस से बहुत बड़ा मुनाफ़ा हो सकता था. पर इसे बनाने के लिए लगभग दस लाख Euro की ज़रूरत थी. किस्मत से उन्हें एक investor मिला जिस ने इस में छिपे मुनाफ़े को देखते हुए उन्हें दस की बजाए तीस लाख Euro देने की पेशकश की और तुरंत काम आरम्भ करने की सलाह दी. पर फिर 2008 की भयंकर मन्दी में उस investor का दिवालिया निकल गया और यह परियोजना ठण्डे बस्ते में चली गई. 

रमन हताश हो गए और फिर किराने के सामान के अपने पुराने सपने के बारे में सोचने लगे. 2009 में उन्होंने Get Grocery का पञ्जीकरण किया। पर 2009 में उनके सारे जमा हुए पैसे Germany में अपना घर और भारत में माता-पिता के लिए घर ख़रीदने में लग गए. व्यवसाय में लगाने के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं बचे थे। पर अब वे रुकना नहीं चाहते थे। इसलिए केवल दो सौ यूरो और पचास उत्पादों के साथ अपने कमरे में से ही काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी company SAP को अपने धंधे के बारे में सूचित किया और वहां एक notice लगा दिया कि अगर किसी को किराने का सामान चाहिए तो उनके website से order कर सकता है. उनके भारतीय सह-कर्मी उन्हें छिटपुट order देने लगे. रमन सुबह अपनी गाड़ी में रख कर सामान ले आते थे और उनके सह-कर्मी parking में उनसे सामान ले लेते थे. साथ ही अन्य शहरों से आए orders को रमन courier द्वारा पहुंचाने लगे. वे Karlsruhe, Heidelberg, Mannheim और Frankfurt में विभिन्न थोक विक्रेताओं से सामान ख़रीदते थे. लेकिन उनके order इतने छोटे होते थे कि थोक विक्रेता उन्हें भाव नहीं देते थे. वे कहते थे कि तुम कैसे व्यापारी हो? तुम से चार गुना अधिक सामान तो आम लोग ही ले जाते हैं. जहां अन्य खुदरा व्यापारी एक साथ दस-दस हज़ार Euro का सामान ले जाते थे, रमन की दौड़ केवल दो तीन सौ Euro तक रहती थी. लेकिन रमन हमेशा सकारात्मक ऊर्जा से भरे रहते थे और इन बातों को गम्भीरता से नहीं लेते थे.

क्योंकि यह व्यवसाय उन्होंने बहुत कम निवेश और बहुत कम उत्पादों के साथ शुरू किया था, तो उन्हें अक्सर order पूरा करने के लिए बहुत दौड़ भाग करनी पड़ती थी. अक्सर order पूरा करने के लिए रमन Bruchsal में पड़ोस की श्रीलंकन की दुकान से महंगा सामान ले कर कम कीमत पर भेजते थे. या फिर अचानक घंटों गाड़ी चला कर सामान ले कर आना पड़ता था. पर उनका ध्यान पूरी तरह ग्राहकों की सन्तुष्टि पर था. वे किसी भी तरह order पूरा करने की कोशिश करते. अगर किसी को गलती से expired सामान चला गया तो पैसे वापस करते थे.

साथ ही telephone पर ग्राहकों की तकलीफें और शिकायतें सुनने और सुलझाने को भी वे बहुत महत्वपूर्ण समझते थे. इस लिए वे कोशिश करते थे कि phone पर हमेशा कोई ना कोई उपलब्ध ज़रूर हो. पहले तो वे यह काम भी खुद ही करते थे, पर बाद में उन्हें एक बहुत अच्छी पढ़ी लिखी और शिष्ट लड़की मिल गई जिस ने ग्राहकों की सन्तुष्टि का पूरा ध्यान रखा. सन्तुष्ट ग्राहकों के mouth propaganda के कारण उनका व्यवसाय बढ़ता गया. उन्हें कभी marketing पर अधिक पैसा खर्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ी. 2017 में उन्होंने परिवार के साथ अधिक समय बिताने और अपने व्यवसाय पर पूरा ध्यान लगाने के लिए SAP छोड़ दी. 2019 में रमन के बड़े भाई निशांत गुप्ता, जो खुद एक software engineer हैं, भी रमन के व्यवसाय में शामिल हो गए।

Get Grocery के 75% ग्राहक भारतीय मूल के हैं और 80% बिक्री Germany में होती है. पिछले कुछ सालों में Get Grocery की लीक पर ही चलते हुए कई लोगों ने online Indian shops खोल ली हैं. पर यह काम बहुत पेचीदा है, इस लिए अधिकतर companies थोड़ा समय बाद बन्द हो जाती हैं. Get Grocery आज भी सब से पुरानी और सब से अधिक उत्पाद रखने वाली online Indian shop है.

https://www.get-grocery.com/