रविवार, 17 जुलाई 2022

म्युनिक के कलाकार ने दी मोदी जी अपनी कलाकृति

मूलत: कर्नाटक से Munich निवासी नितिन रमेश यथार्थवादी कला-कृतियां बनाने के शौकीन भी हैं. कई लोग उनसे अपने या अपने परिवार के portraits भी बनवाते हैं. एक बार तो उन्होंने एक दम्पत्ति, उनके नवजात शिशु और माता-पिता की अलग अलग फोटो को एक साथ मिला कर यथार्थवादी कला-कृति के रूप में दोबारा बनाया. उन्होंने मोदी जी का एक चित्र बना कर उन कर पहुंचाने में सफ़लता पाई. यह कहानी वे खुद अपने शब्दों में बयान करते हैं.

वर्तमान भारतीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के G7 शिखर सम्मेलन के लिए Munich आने से तीन सप्ताह पहले Munich Kannadigaru के WhatsApp Group में से मेरे कुछ दोस्तों ने मुझे सुझाव दिया कि क्यों ना मैं मोदी जी की कला-कृति बनाऊं और उस पर मोदी जी का autograph ले कर अपने संग्रह में रखूं. तो मैं ने तुरंत मोदी जी की कुछ उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरों को internet पर ढूंढ कर एक तस्वीर पर काम करना शुरू कर दिया. एक हफ्ते बाद, लगभग तीस घंटे कला-कृति पर काम करने के बाद लोग मुझे प्रतिक्रिया देने लगे कि मोदी जी के लिए उनका स्वयं का चित्र प्राप्त करना बहुत आम है. क्यों ना मैं मोदी जी का उनकी मां के साथ कोई चित्र बनाऊं? यह एक अच्छा विचार था पर तब आयोजन तक केवल दो सप्ताह का समय बचा था जब कि एक चित्र बनाने में साठ-सत्तर घंटे लगते हैं. यह भी मुझे Software QA Automation Engineer के रूप में पूर्णकालिक कार्यरत रहते हुए करना था जिस में मुझे office के बाद ही समय मिलना सम्भव था. internet पर मुझे मोदी जी की एक तस्वीर मिली जहां वे अपनी मां से आशीर्वाद ले रहे हैं. मुझे यह सन्दर्भ बहुत भाया और मैं ने तुरंत एक नई sheet ले कर चित्र बनाना शुरू कर दिया. मैं ने दो सप्ताह तक हर शाम छह बजे से ले कर रात्रि एक-दो बजे तक बिना विराम चित्र पर ही काम किया. इन दिनों में मेरी पत्नी वर्षा ने मेरे खाने-पीने का ध्यान रखा. चित्र पूरा होने पर मैं ने आयोजन के स्वयं सेवकों और भारतीय वाणिज्य दूतावास के सदस्यों को चित्र दिखाया ताकि मुझे प्रधान-मन्त्री का autograph प्राप्त करने की अनुमति मिल जाए.

#MunichWelcomesModi कार्यक्रम से एक दिन पहले मैं ने अपने तमाम सम्पर्कों को call किया और text message भेजे. चित्र देखने वाले हर व्यक्ति ने इसे सराहा और मदद करनी चाही. लेकिन फिर भी मोदी के द्वारा चित्र को देखे जाने की कोई guarantee या सम्भावना नहीं थी. सख्त protocol के चलते सुरक्षा कारणों से hotel की स्थिति (Hotel Kempinski) का खुलासा नहीं किया गया था. लेकिन फिर भी कुछ उम्मीद थी. आधी रात हो चुकी थी और मुझे hotel के आस-पास के क्षेत्र में स्वागत कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए phone आया, जो सुबह 5:00 बजे से निर्धारित था. उस रात कोशिश करने पर भी नींद नहीं आई. मैं और मेरी पत्नी सुबह तैयार हो कर tram के द्वारा सुबह 4:30 बजे hotel से दो ढाई सौ meter दूर निर्धारित स्थल पर पहुंचे. मेरे आश्चर्य से बहुत से लोग उनका स्वागत करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे. भीड़ को देखते हुए मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि क्या मैं मोदी जी को चित्र दिखा पाऊंगा. यह असम्भव लग रहा था. जैसे ही मोदी जी वहां पहुंचे भीड़ पागल हो गई. मोदी जी का वहां रुकना ज़रूरी भी नहीं था पर उन्होंने भीड़ से मिलने के लिए कार रुकवाई. मैं ने मुश्किल से चित्र को ऊंचा उठा कर उनका ध्यान खींचने की कोशिश की. उन्होंने कला को देखने के लिए अपना सिर उठाया लेकिन मैं उनके करीब नहीं जा सका. फिर वे वापस कार में बैठ कर hotel की ओर चले गए.

पूरी तरह से निराश, मैं ने आशा खो दी थी. और जब मैं सोच रहा था कि अब कोई सम्भावना नहीं है, तभी मेरे कुछ स्वयंसेवी मित्रों ने दोपहर के बाद Audi Dome में भाषण कार्यक्रम के दौरान एक मौका तलाशने का सुझाव दिया. पर इस में भी आशा बहुत कम थी क्योंकि वहां smartphone और ID Card अलावा कुछ भी अन्दर ले जाने की अनुमति नहीं थी. उस छोटी सी उम्मीद के साथ मैं समय से पहले Audi Dome के सुरक्षा द्वार के पास चित्र को अन्दर ले जाने की अनुमति के लिए इंतज़ार करने लगा. कई अन्य लोगों के साथ चर्चा करने के बाद चित्र को अन्दर लाने के अनुरोध को ठुकरा दिया गया और मुझे मेरे मुंह पर कह दिया गया कि अगर इसे अन्दर ले जाने की कोशिश की गई तो हम इसे फेंक देंगे. यह बहुत सख्त protocol था.

दोपहर दो बजे मैं ने चित्र को एक दोस्त की कार के अन्दर रखने का फ़ैसला किया और पूरी निराशा के साथ Dome में प्रवेश किया. जब मैं ने निराश चेहरे के साथ सभागार में प्रवेश किया तो कुछ स्वयं सेवकों ने मुझसे कला-कृति के बारे में पूछा. जब मैं ने उन्हें बताया कि चित्र को अन्दर नहीं आने दिया गया तो वे किसी अन्तिम सम्भावना के लिए SPG / सुरक्षा कर्मियों से बात करने चले गए. वे एक अच्छा समाचार ले कर वापस आए कि मुझे बिना frame के चित्र को अन्दर लाने की अनुमति मिल सकती है. तब मुझे पता चला कि अनुमति ना मिलने का कारण चित्र लकड़ी के frame और शीशा था जिस का दुरुपयोग किया जा सकता था. केवल कागज़ को अन्दर लाया जा सकता था. दोपहर के सवा दो बज रहे थे और केवल पन्द्रह minute में मोदी जी के आने से पहले gate बन्द कर दिए जाने थे. चित्र एक कार में था जो पौना kilometre दूर खड़ी थी. मैं बेतहाशा कार की ओर भागा और चित्र से frame को हटा कर gate बन्द होने से ठीक पहले Audi Dome में प्रवेश कर गया.

अगली चुनौती उस क्षेत्र में बैठ पाने की थी जहां से मोदी जी ने प्रवेश करना था. मेरे सम्पर्कों ने मुझे वहां पहुंचने और बैठ पाने में मदद की. वहां कुछ सुन्दर सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहे थे लेकिन मेरे लिए यह प्रतीक्षा की घड़ी थी. राजनयिकों ने सभागार में प्रवेश करना शुरू किया और फिर मोदी जी आ गए. Munich Kannadigaru के मित्रों ने जितना हो सके मुझे railing के पास खड़ा हो कर चित्र को ऊंचा उठा कर खड़े रहने में मदद की. जब मोदी जी ने Dome में प्रवेश किया तो सभी दोस्त मेरे साथ पागलपन से चिल्लाने लगे ताकि मोदी जी का ध्यान खींच पाएं. लेकिन, मोदी जी सभागार के चारों ओर हाथ हिलाते हुए सीधे मंच पर चले गए. उनके शानदार और जोशीले भाषण के बाद, यह उनका Munich के सभी लोगों को अलविदा कहने और सभागार छोड़ने का समय था. मोदी जी ने लोगों की ओर हाथ लहराते हुए एक चक्कर लगाया और निकास की ओर बढ़ने लगे (प्रवेश और निकास एक ही था). मैं railing के पास अपनी स्थिति में वापस आ गया. हम फिर से मोदी जी का नाम इतनी जोर से पुकारने लगे कि वह अन्त में मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ मेरी ओर आए, चित्र लिया, अभिवादन किया अपने दोनों हाथों से और चारों ओर चित्र को लहराया. वह क्षण मेरे जीवन का सब से बड़ा और सब से यादगार क्षण था, जब मुझे उस चित्र को बनाने और उसे अन्तत: मोदी जी तक पहुंचाने में किए गए सभी प्रयासों के लिए बहुत सन्तुष्टि महसूस हुई. मैं हर उस व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहता हूं जिस ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस उद्देश्य करने में मदद की है. जय हिन्द.

नितिन रमेश

Instagram: @sketchernitz