रविवार, 17 जुलाई 2022

म्युनिक में गुरु-शिष्य परम्परा

2016 से Munich में रह रहीं पेशे से Consultant अनीशा सुब्रमण्यम अपने सामान्य काम-काज के साथ कथक की अच्छी कलाकार और शिक्षिका भी हैं। वे International Dance Council (IDC) की सदस्य हैं और भारत और यूरोप में अनेक shows कर चुकी हैं। वे Munich के अपने studio में बच्चों और बड़ों को गुरु-शिष्य परम्परा के अनुसार हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत और नाट्य प्रशिक्षण भी देती हैं. उनकी संस्था में छात्रों को ताल, लय, गति, जाति और संकेतन की भटकण्डे प्रणाली के साथ वाद्य और मुखर हिन्दुस्तानी संगीत का मूलभूत प्रशिक्षण दिया जाता है. साथ ही कथक से सम्बन्धित साहित्य जैसे गणेष, लक्ष्मी के लिए स्तोत्र, कबीर के दोहे, कविताएं भी सिखाई जाती हैं. छात्रों को नृत्य के साथ हर छन्द का अर्थ और महत्व समझाया जाता है ताकि वे नृत्य करते समय खुद को व्यक्त कर सकें. एक कल्याणकारी नृत्य के रूप में काम-काजी महिलाओं में अपने स्त्रीत्व को स्वीकार करने और समुदाय की भावना जगाने पर जोर दिया जाता है. मां-बेटियों के लिए अलग पाठ्यक्रम तैयार किया गया है ताकि यह परम्परा चलती रहे. पाठ्यक्रम सफ़लतापूर्वक पूर्ण करने के बाद छात्रों को घुंघरू पूजा परम्परा के अनुसार दिल्ली में रह रहीं लखनऊ घराने की उनकी गुरु श्रीमति रानी खानम जी द्वारा गुरु पूर्णिमा या दशहरा या किसी अन्य शुभ दिन को पूजा करने के बाद घुंघरू समर्पित किए जाते हैं. बचपन से ही अनीशा जी के माता-पिता ने उन्हें पढ़ाई लिखाई के अलावा संगीत, साहित्य और नृत्य में रुचि रखने के लिए प्रोत्साहित किया.

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