रविवार, 31 जुलाई 2022

विश्व-प्रसिद्ध शास्त्रीय नृत्यांगना का Munich में शो

07 मई 2022 को Munich के नित्या कला केन्द्र की शुभदा सुब्रमण्यम द्वारा The Consulate General of India Munich के सहयोग के साथ Anton-Fingerle-Zentrum auditorium में "Natya Fest - 2022" के शीर्षक से एक शास्त्रीय नृत्य शो आयोजित किया गया जिसे देखने करीब ढाई सौ लोग आए. यह नृत्य शो इस लिए खास था क्योंकि इस में बेंगलौर की विश्व प्रसिद्ध भरतनाट्यम नृत्यांगना, नाट्य रानी शांताला पुरस्कार विजेता 73 वर्षीय डॉ॰ वसुंधरा दोरास्वामी, जो अपने world tour पर थीं, शुभदा सुब्रमण्यम के कहने पर England से प्रस्तुति देने के लिए खास Munich आई थीं. आज़ादी के महोत्सव के अवसर पर उन्होंने कित्तुर की रानी चेन्नम्मा पर 1.5 घंटे तक एक भव्य भरतनाट्यम प्रस्तुति दी. मंच पर उनके कदम इतने मजबूत परंतु इतने नरम थे कि केवल उनकी नाचने वाली घंटियां सुनाई दे रही थीं. उनकी कहानी ने सभी दर्शकों को भावनाओं की गहराई में खींच लिया. उनके प्रदर्शन का अन्त दर्शकों की अच्छी-खासी वाहवाही के साथ हुआ. उस के बाद Germany के 6 अन्य कलाकारों ने उल्लेखनीय प्रदर्शन दिए. भगवान गणेष की प्रार्थना के साथ शुभदा सुब्रमण्यम द्वारा भरतनाट्यम, प्रियंवधा कृष्णकुमार का सर्वशक्ति सम्बन्धित प्रदर्शन, भगवान शिव के बारे में दीपा हेगड़े का प्रदर्शन. भगवान कृष्ण के बारे में अपने सुन्दर भावों के साथ Brigitta Hegedus का मोहिनीअट्टम. Sandra Chatterjee द्वारा ओडिसी, देवदत्त Persuad द्वारा झुम्पा ताल पर एक ऊर्जावान प्रदर्शन. सभी भारतीय पारम्परिक नृत्यों को मिला कर तैयार किए गए इस शो को अत्यन्त सफ़़लता मिली. अर्पिता सुरेश, Carnatic vocalist, Munich

मंगलवार, 26 जुलाई 2022

ਕਬੱਡੀ Tournament Frankfurt

17 ਜੁਲਾਈ 2022 ਨੂੰ ਬਾਬਾ ਮੱਖਣ ਸ਼ਾਹ ਲੁਭਾਣਾ ਸਿੱਖ Welfare Association (Regi.) Frankfurt ਵੱਲੋਂ ਸੰਤ ਬਾਬਾ ਪ੍ਰੇਮ ਸਿੰਘ ਮੁਰਾਲੇ ਵਾਲਿਆਂ ਜੀ ਦੀ ਮਿੱਠੀ ਅਤੇ ਨਿੱਘੀ ਯਾਦ ਵਿੱਚ 23ਵਾਂ ਕਬੱਡੀ Tournament ਅਤੇ ਸੱਭਿਆਚਾਰਕ ਮੇਲਾ ਕਰਵਾਇਆ ਗਿਆ. ਪੰਜ ਕਬੱਡੀ ਟੀਮਾਂ ਦੇ ਆਪਸ ਵਿੱਚ 6 ਮੁਕਾਬਲਿਆਂ ਵਿੱਚੋਂ ਮਹਾਰਾਜਾ ਰਣਜੀਤ ਸਿੰਘ ਕਬੱਡੀ Club Köln ਜੇਤੂ ਹੋਈ ਜਿਸਨੂੰ 3100 ਯੂਰੋ ਦੇ ਇਨਾਮ ਨਾਲ ਸਨਮਾਨਿਤ ਕਿੱਤਾ ਗਿਆ. Punjab Sports Club Amsterdam runner up ਘੋਸ਼ਿਤ ਹੋਇਆ ਅਤੇ ਉਸ ਟੀਮ ਨੂੰ 2500 ਯੂਰੋ ਦੇ ਇਨਾਮ ਨਾਲ ਸਨਮਾਨਿਤ ਕਿੱਤਾ ਗਿਆ. ਗੁਰੂ ਕਾ ਲੰਗਰ ਹੈਪੀ ਸੱਲਾਂ ਪਰਿਵਾਰ ਵੱਲੋਂ ਲਗਾਇਆ ਗਿਆ. ਡਾ. ਅੰਬੇਡਕਰ ਮਿਸ਼ਨ Society Europe 'Germany' ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਸੋਹਨਲਾਲ ਸਾਪਲਾ ਵੱਲੋਂ ਸੰਸਥਾ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਹਰਭਜਨ ਸਿੰਘ ਕੈਰੋਂ, ਚੇਅਰਮੈਨ ਕਰਨੈਲ ਸਿੰਘ, ਮੀਤ ਪ੍ਰਧਾਨ ਗੁਰਮੇਲ ਸਿੰਘ ਪਿਹੋਵਾ, ਗੁਰੁਦ੍ਵਾਰਾ ਸਿੰਘ ਸੈਂਟਰ ਦੇ ਪ੍ਰਧਾਨ ਬਲਕਾਰ ਸਿੰਘ, ਬੱਬਾ ਸਿੰਘ ਗਿੱਲ, ਨਿਰਮਲ ਸਿੰਘ ਨਿੰਮਾ, ਸਾਬਕਾ ਪ੍ਰਧਾਨ ਕੁਲਵੰਤ ਸਿੰਘ, ਪਾਲਾ ਸਿੰਘ, ਸੁਰਾਇਣ ਸਿੰਘ ਅਤੇ ਬਾਕੀ ਕਮੇਟੀ members ਨੂੰ ਕਬੱਡੀ ਖੇਡ ਨੂੰ ਪ੍ਰਫੁੱਲਤ ਕਰਨ ਲਈ ਭਾਰਤੀ ਸੰਵਿਧਾਨ ਦਾ ਪੰਜਾਬੀ ਸੰਸਕਰਣ ਭੇਂਟ ਕੀਤਾ ਗਿਆ.

सोमवार, 25 जुलाई 2022

Regensburg में चौथे पंजाबी रौनक मेले का आयोजन

23 July को Young Star Youth Club e.V. Regensburg ने Regensburg गुरुद्वारे और पञ्जाबी समुदाय के सहयोग के साथ Lappersdorf (Regensburg) के एक बड़े मैदान में लगातार चौथी बार सफ़लतापूर्वक रौनक मेले का आयोजन किया जिसमें पांच teams का commentary सहित कबड़्डी match, महिलाओं का रस्साकशी मुकाबला, साथ में भांगड़ा, DJ, मुफ्त लंगर मुख्य आकर्षण थे. करीब चार सौ दर्शक इस मेले में शरीक हुए. मुख्य अतिथियों में भारतीय कोंसलावास से कोंसल श्री हरविन्दर सिंह जी, Regensburg गुरुद्वारे के प्रधान श्री सुखविंदर सिंह लाडी और Munich के स्वागत रेस्त्रां से श्री देवेन्द्र शाबला उपस्थित हुए.

कबड़्डी में तीन teams में मुकाबले हुए और दो teams के मध्य show match हुआ. Young Star Kabaddi Club Regensburg ने अन्य दो teams को हरा कर पहला स्थान पाया. उसे पुरस्कार के रूप में €1100 और trophy दी गई. दूसरा स्थान पाने वाले ताहिर कबड़्डी club, Frankfurt को €800 और trophy दी गई. तीसरा स्थान पाने वाले बिट्टू दुग्गल कबड़्डी club, Köln को आने-जाने के किराए के रूप में €500 दिए गए. Best raider समर गुज्जर और Best stopper हरजीत गरेवाल को एक-एक 55 inch का LCD TV पुरस्कार के रूप में दिया गया.

इस के अलावा भारत से खास तौर से आमन्त्रित बारह कबड़्डी खिलाड़ियों से बनी दो teams (शेर-ए-पञ्जाब) महाराजा रणजीत सिंह कबड़्डी club, Köln और सांझा पञ्जाब कबड़्डी club Frankfurt) के मध्य show match हुआ. शेर-ए-पञ्जाब टीम 30 points के साथ जीती और उसे €1500 की राशी पुरस्कार के रूप में दी गई। सांझा पञ्जाब team 28 points के साथ हारी और उसे €1000 की राशी पुरस्कार के रूप में दी गई. भारत से विशेष तौर पर आमंत्रित कबड्डी commentator बब्बू खन्ना ने लगातार कई घंटों तक जोशीली commentary करते हुए दर्शकों का मन बहलाया।

इस के बाद München और Regensburg से आईं महिलाओं में बीच रस्साकशी मुकाबला हुआ. दोनों teams को trophies दी गईं. गणेष रेस्त्रां Deggendorf की ओर से मुफ्त लंगर उपलब्ध करवाया गया. इटली से Bhangra Boys & Girls Group ने ढोल और DJ के साथ भांगडा करते हुए दर्शकों का मनोरञ्जन किया. करीब दो महीनों की अथक मेहनत और तैयारी साथ यह कार्यक्रम सम्भव हुआ. आयोजन के बाद पूरे मैदान में से कचरा साफ़ करने के लिए अनेक कार्यकर्ताओं ने मदद की. अगले वर्ष 'रौनक मेला' 22 July को आयोजित किया जाएगा।

Basera Magazine

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रविवार, 17 जुलाई 2022

Indian Street Food Festival Frankfurt

Vishwa Hindu Parishad e.V. Germany ने 3rd July को Frankfurt के Titus Forum में Indian Street Food and Cultural festival का सफल आयोजन किया जिसमें 3500 से अधिक लोगों ने 12 अलग-अलग समाज संघों द्वारा प्रस्तुत किए गए संगीत, नृत्य और योग जैसे मंचीय कार्यक्रमों का और 35 food stalls पर पूरे भारत से 200 से अधिक विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का आनन्द लिया. व्यंजनों में बिरयानी रायता, mango लस्सी, बिहार का लिट्टी चोखा, राजस्थान का मिर्ची वड़ा, उत्तर प्रदेश का चाट, गोलगप्पे, खस्ता कचौड़ी और गन्ने का रस, दिल्ली का आलू चाट, असम के मोमोस, गुजरात की कच्ची दावेली, दक्षिण भारत का वड़ा सांभर और इडली सांभर, बालगोकुलम Frankfurt Little Chef द्वारा प्रस्तुत किया गया अण्डे रहित cake और स्वस्थ फलों का सलाद इनमें प्रमुख थे।

VHP Germany के अध्यक्ष श्री रमेश जैन ने अपनी उद्घाटन टिप्पणी में आगंतुकों का स्वागत किया और VHP के सिद्धान्तों पर प्रकाश डाला कि भारतीय संस्कृति और मूल्यों को सांझा करने वाला हर इन्सान हिन्दू है। डॉ॰ नृपेश विक्रम ने एक बार फिर VHP Germany के उद्देश्यों और गतिविधियों की याद दिलाई. कार्यक्रम के मुख्य अतिथि Consul General of India, Frankfurt, डॉ॰ अमित तेलंग ने आगंतुकों को सम्बोधित करते हुए कहा कि Covid के बाद के समय में यह बहुत ही महत्वपूर्ण कार्यक्रम है जहां बहुत सारे भारतीय एकत्रित हो पाये. पिछले 2 साल से हमारा समुदाय इस तरह के आयोजन को तरस रहा था. उन्होंने भारत के वसुधैव कुटुम्भकम (यानि विश्व एक परिवार है) की धारणा में विश्वास की याद दिलाई। उन्होंने कहा कि आज हम दुनिया में कई संकटों का सामना कर रहे हैं, इसलिए यह भाई-चारे का सन्देश आज बहुत प्रासंगिक है. उन्होंने पूरे भारतीय समुदाय और VHP समिति की एक साथ आकर संगीत, नृत्य और भोजन के साथ भारतीय संस्कृति का जश्न मनाने के लिए सराहना की. 

VHP ने विशिष्ट अतिथि Dipl. Kfm. Jürgen H. Schneider का अभिनन्दन किया, जिन्होंने विश्व हिन्दू परिषद की 1983 में स्थापना से ले कर निस्वार्थ और मुफ्त कर-संबंधी सेवाएं प्रदान कीं. अन्य सम्मानित अतिथि श्री राहुल कुमार, जो Frankfurt नगर परिषद के सदस्य हैं, ने VHP कार्यक्रमों के साथ अपने बचपन की यादों को संजोते हुए दर्शकों को सम्बोधित किया.

कार्यक्रम स्थल पर food stalls रखने के लिए सौ से अधिक अनुरोध प्राप्त करने के बाद सीमित जगह के कारण VHP ने केवल 35 street food stalls को समायोजित किया. VHP समिति ने इस बात का धयान रखा कि लोग उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम भारत के मूल street food का आनन्द ले सकें. VHP समिति ने प्रत्येक क्षेत्र (उत्तर, दक्षिण, पूर्व और पश्चिम) से 4 stalls का चयन किया और उन्हें उनके भोजन की विविधता, स्वच्छता और stall प्रस्तुति के लिए सम्मानित किया. विजेता थे, पश्चिम क्षेत्र से दीपक भाई पटेल (गुजराती समाज Germany e.V.) का stall, दक्षिण क्षेत्र से श्री प्रहलाद नागेन्द्रप्पाई का stall, उत्तर क्षेत्र से श्री हीरल त्रिवेदी जी का stall और पूर्वी क्षेत्र से श्री मिथुन सालगर का stall.

मंच पर कार्यक्रम दल ने विविध प्रकार के नृत्य, संगीत को प्रस्तुत करने का अवसर देने का प्रयास किया. दर्शकों ने शास्त्रीय संगीत, शास्त्रीय नृत्य और लोक नृत्य का आनन्द लिया. कार्यक्रम में VHP के योग प्रशिक्षक श्री अंकित सिंगला ने बालगोकुलम के बच्चों द्वारा बहुत ही शानदार योग प्रदर्शन करवाया. श्रीमति संगीता, श्रीमति श्रीजा, श्री बद्री, श्री अरुण, और कार्तिक ने बहुत अच्छा मंच संचालन किया.

Telugu Velugu समाज के अध्यक्ष श्री प्रभंजन गडेला ने इस आयोजन की सराहना की और कहा कि Telugu Velugu Team को इस तरह के अभूतपूर्व आयोजन का हिस्सा बनने पर बहुत गर्व है। उन्होंने कहा कि VHP ने यहां एक लघु-भारत बना दिया है। Frankfurt Tamil Sangam के श्री शशि किरण ने कार्यक्रम के संचालन की सराहना की और सभी को बधाई दी. Hessen Cricket Association के श्री बिमल रॉय ने teamwork की सराहना की और HCA सहित सभी भारतीय समाजों को आयोजन team में लाने के लिए VHP का आभार व्यक्त किया. उन्होंने भारत को एक छत के नीचे लाने के इस तरह के विचार के लिए VHP समिति को बहुत-बहुत धन्यवाद दिया. VHP ने Friends of India Frankfurt Team का आभार व्यक्त किया और कहा कि FOI Team के बिना इस आयोजन को अखिल भारतीय कार्यक्रम बनाना सम्भव नहीं होता. श्री कमल वत्सायन ने Germany में भारतीय समुदाय की एकता का प्रदर्शन करने के लिए ग़ैर-भारतीय मूल के गणमान्य व्यक्तियों को आमंत्रित करने में सफ़लता पाई। श्री बसवराज गौडा के नेतृत्व में 60 से अधिक स्वयं-सेवकों ने अल्प सूचना पर आगे आ कर इस आयोजन को अञ्जाम दिया.

असमाई मन्दिर के भक्तों ने एक भक्ति गीत प्रस्तुत किया. हरि ओम मन्दिर ने एक अद्भुत नृत्य प्रस्तुत किया. Frankfurt बुद्धिजीवियों और छात्र संघ (FISA) ने कहा कि उन्हें कार्यक्रम में भाग लेकर बहुत अच्छा लगा और उन्होंने स्वयंसेवी team को उनके प्रयासों और अप्रत्याशित बड़ी भीड़ की स्थिति को कुशलता से सम्भालने के लिए प्रशंसा की। नृत्य प्रशिक्षक श्रीमति सुप्रीता नाथी नुपुरम, मलयालम समुदाय से श्रीधन्या, Indian Dance school से श्रीमति उज्ज्वला, बालगोकुलम से शैफाली, साईं नृत्यालय से राखी पिल्लई ने इस रंगारंग कार्यक्रम में प्रस्तुति देने का अवसर मिलने पर आभार व्यक्त किया. Frankfurt Sangeetha Sabha e.V. की अध्यक्षा श्रीमति सुधा कुमुरी ने प्रदर्शन करने का अवसर मिलने के लिए आयोजन समिति का आभार व्यक्त किया. RMKS (Rhein Main Kannada Sangha) की श्रीमति अनुपमा गौडा ने पूरे भारतीय समुदाय को एक छत के नीचे लाने के VHP के प्रयासों की सराहना की. RMKS के सदस्यों ने भी कार्यक्रमों और 200 से अधिक भारतीय street food की किस्मों का आनन्द लिया. श्रीमती शिरा मित्तल और उनकी टीम ने आकर्षक खेलों के साथ दर्शकों का मनोरंजन किया और विजेताओं को पुरस्कार वितरित किए। VHP के उपाध्यक्ष श्री विपिन मिश्रा ने विभिन्न भारतीय समुदायों के सभी 60 स्वयं-सेवकों की सराहना की जिन्होंने इस आयोजन को सफ़ल बनाया. उन्होंने सभी कलाकारों और सभी दर्शकों का भी आभार व्यक्त किया जिन्होंने इस कार्यक्रम में भाग लिया और इस कार्यक्रम को सफल बनाया.

जर्मनी के तीन शहरों में कीर्तन आराधना

सनातन हिन्दू धर्म के पथ-प्रदर्शकों में से एक परम पावन प्रमुख स्वामी महाराज की सौवीं जयन्ती के अवसर पर Germany के Hamburg (19 जून), Berlin (23 जून), और Stuttgart (25 जून) शहरों में और UK के London शहर में कीर्तन आराधना कार्यक्रम आयोजित किए गए. इस में भारत और Britain के संगीत वाद्य यन्त्रों में कुशल अनेक सन्त और अन्य युवा शामिल हुए. हर एक शहर में 15-45 स्वयं सेवकों सहित लगभग दो सौ लोग उपस्थित हुए. हर आयोजन में कुल 8 खण्ड थे जिन में पञ्जीकरण desk, book stall counter, दान counter, प्रदर्शनी, मुख्य मंच, hall आदि शामिल थे. प्रदर्शनी में प्रमुख स्वामी महाराज के जीवन, कार्य, शिक्षाओं के साथ-साथ उनके बारे में प्रसिद्ध गणमान्य व्यक्तियों की राय शामिल थी. उपस्थित लोगों को पञ्जीकरण के बाद श्री नील-कण्ठ वर्णी महाराज का अभिषेक करने का भी अवसर मिला. कार्यक्रम की शुरुआत भगवान स्वामी नारायण, हिन्दू धर्म के सभी देवताओं और गुरु हरि प्रमुख स्वामी महाराज की प्रार्थना से साथ हुई. कार्यक्रम में उपस्थित लोगों ने गरबा / डाण्डिया कर के भी भक्ति का प्रदर्शन किया. कार्यक्रम के अन्त में dinner परोसा गया। Hamburg में अपनी पत्नी श्रीमति मोनिका ढींगरा के साथ भारत के उप महावाणिज्य दूतावास श्री गुलशन ढींगरा और अन्य सरकारी प्रतिनिधियों ने अपनी उपस्थिति से कार्यक्रम की शोभा बढ़ाई. HSS, गुजराती समाज और अनिवासी भारती आदि सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भी इस दिव्य अनुभव में भाग लिया. Berlin में गुजराती समाज सहित विभिन्न सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। Stuttgart में HSS, गुजराती समाज, India Culture Forum के प्रतिनिधियों ने भाग लिया।

जैन समाज ने मनाया जीनार्धना महोत्सव

दिनांक 2 जुलाई को जर्मनी के Walldorf शहर में अजीत बेनाडी जी के सानिध्य में और श्रेयांश बाबागोंड के नेतृत्व में एवं बाकी कार्यकर्ताओं के सहयोग से जर्मनी में रहने वाले जैन समाज ने जैन मिलन समारोह का आयोजन किया। इस कार्यक्रम में जर्मनी के विभिन्न शहरों से तकरीबन 90 लोग सम्मिलित हुए। इस कार्यक्रम में जैन तीर्थकरों की पूजा, अहिंसा का संदेश, बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम एवम् सामूहिक भोजन था। जर्मनी में रहने वाले भारतीय मूल के जैनों के अलावा जैन दर्शन को मानने वाले जर्मन भी सम्मिलित हुए। अजीत बेनाडी, जिन्होंने Jain Association International (Germany) e.V. की स्थापना सन् 1989 में की थी, वो विभिन्न जैन लिपियों को जर्मन भाषा में अनुवाद कर चुके हैं।

अर्पित जैन

सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा: परिचय

जब हमारे जीवन में घर, स्वास्थ्य और सेवा-निवृत्ति जैसी महत्वपूर्ण चीज़ों को अधिक सुरक्षित करने की बात आती है, तो बीमा एक भ्रमित करने वाला विषय हो सकता है. German Association of Insurance Companies के अनुसार, केवल Germany में अभी लगभग 45 करोड़ सार्वजनिक बीमा policies सक्रिय हैं! India Initiative की ओर से हम आपको सार्वजनिक बीमा सम्बन्धी छह सब से बड़ी भ्रांतियों के बारे में बता रहे हैं जिन के बारे में आपको अपनी बीमा policy में ठीक से परखना चाहिए.

1. हम अत्यधिक बीमाकृत हैं

किसी भी अन्य देश की तरह, Germany में जायज़ और अत्यधिक बीमाकृत, दोनों तरह के लोग हैं. कई बीमा policies में, कुछ अनुबन्ध बीमाकृत व्यक्तियों के प्रति अपने दायित्वों को हमेशा पूरा नहीं करते हैं. विकलांगता और किसी के प्रति दायित्व जैसे कई आवश्यक बिन्दुओं को छोड़ दिया जाता है.

2. विदेश यात्रा coverage की ज़रूरत नहीं

Germany में अपने घर से दूर यात्रा करते समय, यात्रा स्वास्थ्य बीमा ख़रीदना एक उत्कृष्ट विचार है. नियोक्ता (employer) या सार्वजनिक बीमा विदेश यात्रा को cover नहीं करता है. इस लिए किसी को अनुबन्ध पर हस्ताक्षर करने से पहले यह सुनिश्चित कर लेना चाहिए कि सब कुछ cover किया गया है.

3. disability insurance बेमतलब है

यदि आप उन भाग्यशाली लोगों में से एक हैं जिन के पास काम पर घायल होने या बीमार होने की 1% से भी कम सम्भावना है, तो विकलांगता बीमा (disability insurance) शायद पैसे की बरबादी है. 99% लोग, जो जीवन में कभी ना कभी, किसी ना किसी बीमारी के कारण और 25% लोग, जो किसी ना किसी दुर्घटना के कारण स्थायी या अस्थायी रूप से अक्षम होते हैं, उन्हें आर्थिक रूप से बचने के लिए disability insurance प्राप्त करनी चाहिए.  disability insurance लगभग रोज़गार अनुबन्ध जितनी ही विश्वसनीय है.

4. जीवन बीमा over-hyped है

गलत. मानक जीवन बीमा policies के अतिरिक्त, unit-linked policies भी उपलब्ध हैं. इन के साथ लोग अपनी सेवा-निवृत्ति को अधिक आरामदायक बनाने के लिए जीवन बीमा की बचत का share बाज़ार में निवेश कर के, उस के उतार-चढ़ाव से लाभान्वित हो सकते हैं.

5. Supplementary Hospital Add-on की आवश्यकता नहीं है:

लाभों की एक विस्तृत श्रृंखला प्रदान करने के अलावा, supplementary inpatient insurance आपको वह clinic और विशेषज्ञ चुनने की अनुमति देता है जो आपके बिलकुल अनुकूल हो. additional inpatient insurance के साथ आप अस्पताल में आरामदायक double या single rooms भी प्राप्त कर सकते हैं.

6. सार्वजनिक जीवन बीमा योजनाएं पर्याप्त हैं

सार्वजनिक जीवन बीमा की लाभप्रदता में गिरावट आई है. इस स्थिति के कारण, बीमाकृत व्यक्तियों को ऐसे पेशेवरों की तलाश करनी चाहिए जो उन्हें पैसे बचाने में मदद कर सकें, उन्हें सेवा-निवृत्ति के बाद उनके प्रियजनों को वित्तीय रूप से स्थिर रखने के लिए वित्तीय सलाह प्रदान कर सकें.

 निष्कर्ष:

हम आशा करते हैं कि इन छह सब से बड़ी सार्वजनिक बीमा सम्बन्धी भ्रांतियों और उनकी सच्चाइयों को जानने के बाद, आप समझ चुके होंगे कि German सार्वजनिक स्वास्थ्य बीमा कैसे काम करता है और आपको कौन से कदम उठाने की आवश्यकता है.

indiainitiative.de

Fürth निवासी निशानबाज़ पहुंचे राष्ट्रीय स्तर तक

2012 से Fürth में रह रहे Mechanical Engineer चेतन पाटिल निशानेबाज़ी के खेल के बहुत शौकीन हैं. वे Germany में सब से निचले स्तर (Gauliga) से शुरू कर के Bundesliga तक पहुंच चुके हैं. उन्हें हमेशा से निशानेबाज़ी में दिलचस्पी थी. अपने college के दिनों में वे air-rifle प्रतियोगिताओं में भाग लेते थे. लेकिन अधिक लागत के कारण, उन्होंने 2002 में यह खेल छोड़ दिया. एक बार फिर उन्होंने 2012 में Munich में air-pistol category में एक shooting association में शामिल होकर इस खेल की शुरुआत की और कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया. कुछ व्यक्तिगत कारणों से 2016 में फिर से खेल छोड़ने से पहले वे सब से निचले स्तर यानि Gauliga से Bundesliga तक बढ़ चुके थे. हाल ही में वे फिर से Nürnberg/ Fürth में air-pistol category में सक्रिय हुए हैं और अपने खेल में सुधार की उम्मीद कर रहे हैं. Germany में निशानेबाज़ी का खेल बहुत लोकप्रिय है और यहां 14374 से अधिक shooting संघ हैं. निशानेबाज़ी में कई श्रेणियां होती हैं.


rifle:

• 50 meter rifle three position (पुरुष और महिला)

• 50 meter rifle prone (पुरुष)

• 10 meter air rifle (पुरुष और महिला)


pistol

• 50 meter pistol (पुरुष)

• 25 meter rapid fire pistol (पुरुष और महिला)

• 10 meter air pistol (पुरुष और महिला)


shot-gun

• trap (पुरुष और महिला)

• double trap (पुरुष)

• Skeet (पुरुष और महिला)


इनके अलावा और भी कई श्रेणियां होती हैं. Germany में निशानेबाज़ी में कई स्तर पर प्रतियोगिताएं होती हैं, जैसे Gauliga, Bezirksliga, Bayernliga, Bundesliga, Deutsche Meistershaft. लगभग €150 (लगभग) वार्षिक सदस्यता की लागत के साथ अपने शहर के किसी संघ में शामिल होना वास्तव में आसान है. अधिकांश संघों के पास हथियारों का भण्डार होता है जिन का उपयोग अभ्यास के लिए किया जा सकता है लेकिन bullet (या air pistol / rifle के लिए pallet) का खर्च खुद उठाना पड़ता है. यदि आप इसे उच्च स्तर पर जारी रखना चाहते हैं तो आपको अपने हथियार रखने की सलाह दी जाती है क्योंकि आपको उसी हथियार पर अभ्यास करने को मिलता है और उस की पकड़ को आपकी आवश्यकताओं के अनुसार अनुकूलित किया जा सकता है. सभी श्रेणियों में से air pistol का निवेश सब से कम है. इस खेल के बारे में सलाह के लिए आप उन्हें chetanpatil@web.de पर email कर सकते हैं.

म्युनिक के कलाकार ने दी मोदी जी अपनी कलाकृति

मूलत: कर्नाटक से Munich निवासी नितिन रमेश यथार्थवादी कला-कृतियां बनाने के शौकीन भी हैं. कई लोग उनसे अपने या अपने परिवार के portraits भी बनवाते हैं. एक बार तो उन्होंने एक दम्पत्ति, उनके नवजात शिशु और माता-पिता की अलग अलग फोटो को एक साथ मिला कर यथार्थवादी कला-कृति के रूप में दोबारा बनाया. उन्होंने मोदी जी का एक चित्र बना कर उन कर पहुंचाने में सफ़लता पाई. यह कहानी वे खुद अपने शब्दों में बयान करते हैं.

वर्तमान भारतीय श्री नरेन्द्र मोदी जी के G7 शिखर सम्मेलन के लिए Munich आने से तीन सप्ताह पहले Munich Kannadigaru के WhatsApp Group में से मेरे कुछ दोस्तों ने मुझे सुझाव दिया कि क्यों ना मैं मोदी जी की कला-कृति बनाऊं और उस पर मोदी जी का autograph ले कर अपने संग्रह में रखूं. तो मैं ने तुरंत मोदी जी की कुछ उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरों को internet पर ढूंढ कर एक तस्वीर पर काम करना शुरू कर दिया. एक हफ्ते बाद, लगभग तीस घंटे कला-कृति पर काम करने के बाद लोग मुझे प्रतिक्रिया देने लगे कि मोदी जी के लिए उनका स्वयं का चित्र प्राप्त करना बहुत आम है. क्यों ना मैं मोदी जी का उनकी मां के साथ कोई चित्र बनाऊं? यह एक अच्छा विचार था पर तब आयोजन तक केवल दो सप्ताह का समय बचा था जब कि एक चित्र बनाने में साठ-सत्तर घंटे लगते हैं. यह भी मुझे Software QA Automation Engineer के रूप में पूर्णकालिक कार्यरत रहते हुए करना था जिस में मुझे office के बाद ही समय मिलना सम्भव था. internet पर मुझे मोदी जी की एक तस्वीर मिली जहां वे अपनी मां से आशीर्वाद ले रहे हैं. मुझे यह सन्दर्भ बहुत भाया और मैं ने तुरंत एक नई sheet ले कर चित्र बनाना शुरू कर दिया. मैं ने दो सप्ताह तक हर शाम छह बजे से ले कर रात्रि एक-दो बजे तक बिना विराम चित्र पर ही काम किया. इन दिनों में मेरी पत्नी वर्षा ने मेरे खाने-पीने का ध्यान रखा. चित्र पूरा होने पर मैं ने आयोजन के स्वयं सेवकों और भारतीय वाणिज्य दूतावास के सदस्यों को चित्र दिखाया ताकि मुझे प्रधान-मन्त्री का autograph प्राप्त करने की अनुमति मिल जाए.

#MunichWelcomesModi कार्यक्रम से एक दिन पहले मैं ने अपने तमाम सम्पर्कों को call किया और text message भेजे. चित्र देखने वाले हर व्यक्ति ने इसे सराहा और मदद करनी चाही. लेकिन फिर भी मोदी के द्वारा चित्र को देखे जाने की कोई guarantee या सम्भावना नहीं थी. सख्त protocol के चलते सुरक्षा कारणों से hotel की स्थिति (Hotel Kempinski) का खुलासा नहीं किया गया था. लेकिन फिर भी कुछ उम्मीद थी. आधी रात हो चुकी थी और मुझे hotel के आस-पास के क्षेत्र में स्वागत कार्यक्रम का हिस्सा बनने के लिए phone आया, जो सुबह 5:00 बजे से निर्धारित था. उस रात कोशिश करने पर भी नींद नहीं आई. मैं और मेरी पत्नी सुबह तैयार हो कर tram के द्वारा सुबह 4:30 बजे hotel से दो ढाई सौ meter दूर निर्धारित स्थल पर पहुंचे. मेरे आश्चर्य से बहुत से लोग उनका स्वागत करने के लिए प्रतीक्षा कर रहे थे. भीड़ को देखते हुए मुझे अभी भी यकीन नहीं हो रहा था कि क्या मैं मोदी जी को चित्र दिखा पाऊंगा. यह असम्भव लग रहा था. जैसे ही मोदी जी वहां पहुंचे भीड़ पागल हो गई. मोदी जी का वहां रुकना ज़रूरी भी नहीं था पर उन्होंने भीड़ से मिलने के लिए कार रुकवाई. मैं ने मुश्किल से चित्र को ऊंचा उठा कर उनका ध्यान खींचने की कोशिश की. उन्होंने कला को देखने के लिए अपना सिर उठाया लेकिन मैं उनके करीब नहीं जा सका. फिर वे वापस कार में बैठ कर hotel की ओर चले गए.

पूरी तरह से निराश, मैं ने आशा खो दी थी. और जब मैं सोच रहा था कि अब कोई सम्भावना नहीं है, तभी मेरे कुछ स्वयंसेवी मित्रों ने दोपहर के बाद Audi Dome में भाषण कार्यक्रम के दौरान एक मौका तलाशने का सुझाव दिया. पर इस में भी आशा बहुत कम थी क्योंकि वहां smartphone और ID Card अलावा कुछ भी अन्दर ले जाने की अनुमति नहीं थी. उस छोटी सी उम्मीद के साथ मैं समय से पहले Audi Dome के सुरक्षा द्वार के पास चित्र को अन्दर ले जाने की अनुमति के लिए इंतज़ार करने लगा. कई अन्य लोगों के साथ चर्चा करने के बाद चित्र को अन्दर लाने के अनुरोध को ठुकरा दिया गया और मुझे मेरे मुंह पर कह दिया गया कि अगर इसे अन्दर ले जाने की कोशिश की गई तो हम इसे फेंक देंगे. यह बहुत सख्त protocol था.

दोपहर दो बजे मैं ने चित्र को एक दोस्त की कार के अन्दर रखने का फ़ैसला किया और पूरी निराशा के साथ Dome में प्रवेश किया. जब मैं ने निराश चेहरे के साथ सभागार में प्रवेश किया तो कुछ स्वयं सेवकों ने मुझसे कला-कृति के बारे में पूछा. जब मैं ने उन्हें बताया कि चित्र को अन्दर नहीं आने दिया गया तो वे किसी अन्तिम सम्भावना के लिए SPG / सुरक्षा कर्मियों से बात करने चले गए. वे एक अच्छा समाचार ले कर वापस आए कि मुझे बिना frame के चित्र को अन्दर लाने की अनुमति मिल सकती है. तब मुझे पता चला कि अनुमति ना मिलने का कारण चित्र लकड़ी के frame और शीशा था जिस का दुरुपयोग किया जा सकता था. केवल कागज़ को अन्दर लाया जा सकता था. दोपहर के सवा दो बज रहे थे और केवल पन्द्रह minute में मोदी जी के आने से पहले gate बन्द कर दिए जाने थे. चित्र एक कार में था जो पौना kilometre दूर खड़ी थी. मैं बेतहाशा कार की ओर भागा और चित्र से frame को हटा कर gate बन्द होने से ठीक पहले Audi Dome में प्रवेश कर गया.

अगली चुनौती उस क्षेत्र में बैठ पाने की थी जहां से मोदी जी ने प्रवेश करना था. मेरे सम्पर्कों ने मुझे वहां पहुंचने और बैठ पाने में मदद की. वहां कुछ सुन्दर सांस्कृतिक कार्यक्रम चल रहे थे लेकिन मेरे लिए यह प्रतीक्षा की घड़ी थी. राजनयिकों ने सभागार में प्रवेश करना शुरू किया और फिर मोदी जी आ गए. Munich Kannadigaru के मित्रों ने जितना हो सके मुझे railing के पास खड़ा हो कर चित्र को ऊंचा उठा कर खड़े रहने में मदद की. जब मोदी जी ने Dome में प्रवेश किया तो सभी दोस्त मेरे साथ पागलपन से चिल्लाने लगे ताकि मोदी जी का ध्यान खींच पाएं. लेकिन, मोदी जी सभागार के चारों ओर हाथ हिलाते हुए सीधे मंच पर चले गए. उनके शानदार और जोशीले भाषण के बाद, यह उनका Munich के सभी लोगों को अलविदा कहने और सभागार छोड़ने का समय था. मोदी जी ने लोगों की ओर हाथ लहराते हुए एक चक्कर लगाया और निकास की ओर बढ़ने लगे (प्रवेश और निकास एक ही था). मैं railing के पास अपनी स्थिति में वापस आ गया. हम फिर से मोदी जी का नाम इतनी जोर से पुकारने लगे कि वह अन्त में मुस्कुराते हुए चेहरे के साथ मेरी ओर आए, चित्र लिया, अभिवादन किया अपने दोनों हाथों से और चारों ओर चित्र को लहराया. वह क्षण मेरे जीवन का सब से बड़ा और सब से यादगार क्षण था, जब मुझे उस चित्र को बनाने और उसे अन्तत: मोदी जी तक पहुंचाने में किए गए सभी प्रयासों के लिए बहुत सन्तुष्टि महसूस हुई. मैं हर उस व्यक्ति को धन्यवाद देना चाहता हूं जिस ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से इस उद्देश्य करने में मदद की है. जय हिन्द.

नितिन रमेश

Instagram: @sketchernitz

म्युनिक में सबसे अधिक सक्रिय कन्नड़ा लोग

आज की तेज़ी से बढ़ती वैश्वीकृत दुनिया में अधिक से अधिक लोग विदेशों में रहना पसन्द कर रहे हैं. यह सुनने में जितना रोमांचक लगता है उतना ही अकेलेपन का आभास भी देता है. इस लिए हम समान विचारधारा वाले लोगों को ढूंढते हैं. Munich एक ऐसा समुदाय "Munich Kannadigaru" है जो अपनी समावेशिता, खुले दिमाग और उदारता के लिए जाना जाता है. मई 2022 में Food Fest में 2500 से अधिक लोगों को खाना खिलाने से ले कर जून में "Munich Welcomes Modi" कार्यक्रम में स्वेच्छा से इसे सफ़ल बनाने के लिए उन्होंने अथक काम किया है.

भयानक Covid समय के बाद जब हर कोई अन्य लोगों से मिलने के लिए तरस रहा था, Munich Kannadigaru ने एक "Food Fest" का आयोजन किया, जिस में लोगों को तरह तरह की भारतीय मिठाइयां, नमकीन और शीत पेय का आनन्द लेने से ले कर सैंकड़ों अन्य भारतीयों से मिलने का मौका मिला. महीनों की सावधानी-पूर्वक योजना के बाद यह आयोजन 30 से अधिक खाद्य stalls के साथ एक बड़ी सफ़लता था. साथ ही इसने अनेक भारतीयों को छोटे पैमाने के खाद्य व्यवसाय स्थापित करने में मदद की. Swagat रेस्त्रां ने वित्तीय मदद कर के इस आयोजन को सफ़ल बनाने में मदद की.

इस सफ़लता के बाद Munich Kannadigaru समाज अगली चुनौती के लिए तैयार था जिस में उसने 26 जून को Munich के Audi Dome में भारतीय प्रधान मन्त्री नरेन्द्र मोदी जी के स्वागत कार्यक्रम में “Deli Tadka” रेस्त्रां की मदद से पांच हज़ार आंगतुकों को भोजन उपलब्ध करवाने का बीड़ा उठाया. संक्षेप में कहें तो Munich Kannadigaru सभी को घर से दूर घर जैसा अहसास दिलाता है. आयोजनों के अलावा अन्य हर तरह की मदद के लिए वे तैयार रहते हैं. गंगोत्री संग्राम अशोक, Munich

विविधता और असूलों से भरा म्युज़िक बैंड

Walldorf का Induskrit नामक भारतीय music band अब तक Germany में चालीस से अधिक shows कर चुका है. 2017 में बना पांच सदस्यों वाला यह band हर तरह का संगीत पेश करने में समर्थ है। filmy गानों से ले कर गज़लें, लोक संगीत (भांगड़ा, गरबा, भटियाली), भक्ति संगीत, शास्त्रीय संगीत, सूफ़ी संगीत, आधुनिक संगीत और खुद के लिखे और स्वरबद्ध किए गानों तक वे ज़रूरत के हिसाब से हर genre प्रदर्शित करते हैं। 2019 में CGI Munich द्वारा आयोजित गांधी जी की 150वीं जयंती और गुरू नानक जी की 550वीं जयंती पर संगीत प्रस्तुत किया। 2020 में Heidelberg शहर के सांस्कृतिक विभाग ने corona के कारण पीड़ित हो रही क्षेत्र की सांस्कृतिक विविधता और जीवंतता को बनाए रखने के लिए 'Coronline' के शीर्षक से तीन शो shoot किए थे जो RNF TV channel पर दिखाए गए। 21 जून 2020 वाले शो में Induskrit ने भी प्रदर्शन किया था। 2021 में Induskrit ने CGI Frankfurt द्वारा प्रदान की गई एक देशभक्ति की कविता 'चलो दीवारें तोड़ दें' को स्वरबद्ध और record करने की प्रतियोगिता जीती। band के संस्थापक रिजु मुखोपाध्याय college के दिनों से ही संगीत में बहुत सक्रिय थे. जर्मनी में SAP join करने के बाद 2017 में उन्होंने आरती वडे, पवन चेरुकुमिल्ली और सहाना श्रीधर के साथ मिल कर Induskrit band बनाया और विभिन्न भारतीय कार्यक्रमों में प्रदर्शन करने लगे. बाद में मेघना श्रीधर भी Induskrit में शामिल हो गई। किसी नए सदस्य को band में शामिल करने की मुख्य शर्त यह होती है कि उसे गाने के साथ साथ कोई ना कोई music instrument भी बजाना आना चाहिए. वे इस बात में विश्वास नहीं रखते कि गायक केवल गाने के लिए मंच पर आए और बाकी शो में खाली बैठा रहे. रिजु मुख्य गायक हैं और साथ ही keyboard, तबला और ढोलक बजाते हैं. पवन सहायक गायक हैं और साथ ही percussion और electronic drums बजाते हैं. आरती भी मुख्य गायिका हैं bass guitar बजाती हैं. मेघना electric guitar बजाती हैं और सहाना बांसुरी बजाती हैं.

www.instagram.com/induskrit

एक कमरे से शुरू की यूरोप की सबसे बड़ी ऑनलाइन किराने की दुकान

SAP जैसी बड़ी company में software engineer की अच्छी भली नौकरी करने वाले रमन गुप्ता ने किराने के मामले में भारतीयों की ज़रूरतों को देखते हुए 2010 में केवल दो सौ Euro और केवल पचास उत्पादों के साथ एक online Indian shop खोली जिस के पास आज ढाई हज़ार उत्पाद हैं और पूरे Europe में अस्सी हज़ार ग्राहक हैं. बल्कि January 2022 में मुम्बई से अदनान सामी का भी एक order आया.

रमन 2002 में International University Bruchsal / Karlsruhe में Masters in Information Technology करने आए. उस समय Germany के छोटे शहरों में भारतीय किराने का सामान या तो कम या बहुत महंगा मिलता था या फिर बहुत दूर से ले कर आना पड़ता था.. रमन का इस दिशा में कुछ करने का मन हुआ. पर इसे होने में अभी कुछ साल लगने थे. 2004 में रमन ने उसी विश्व-विद्यालय में assistant professor के तौर पर पढ़ाना शुरू कर दिया. 2005 में SAP company में, जहां उन्होंने internship की थी, उनके पूर्व boss ने एक नौकरी की पेशकश की. SAP में उस समय करीब ढाई तीन सौ भारतीय काम करते थे. रमन हमेशा से ऊर्जावान व्यक्ति थे. company में वे नौकरी के साथ साथ हमेशा कुछ ना कुछ करते रहते थे. वे एक बार SAP की कर्मचारी परिषद के सदस्य बने और वहां उन्होंने भारतीय समुदाय का प्रतिनिधित्व किया. वे परिषद के अन्य सदस्यों के साथ मिल कर  सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित करने लगे. विभिन्न आयोजनों में भारतीय stalls, भारतीय dancer और संगीतज्ञों की सारी ज़िम्मेदारी उन की ही होती थी. 

इसी दौरान उन्हें एक partner के साथ मिल कर global transactions के लिए एक platform बनाने का विचार आया जिस से बहुत बड़ा मुनाफ़ा हो सकता था. पर इसे बनाने के लिए लगभग दस लाख Euro की ज़रूरत थी. किस्मत से उन्हें एक investor मिला जिस ने इस में छिपे मुनाफ़े को देखते हुए उन्हें दस की बजाए तीस लाख Euro देने की पेशकश की और तुरंत काम आरम्भ करने की सलाह दी. पर फिर 2008 की भयंकर मन्दी में उस investor का दिवालिया निकल गया और यह परियोजना ठण्डे बस्ते में चली गई. 

रमन हताश हो गए और फिर किराने के सामान के अपने पुराने सपने के बारे में सोचने लगे. 2009 में उन्होंने Get Grocery का पञ्जीकरण किया। पर 2009 में उनके सारे जमा हुए पैसे Germany में अपना घर और भारत में माता-पिता के लिए घर ख़रीदने में लग गए. व्यवसाय में लगाने के लिए उनके पास पर्याप्त पैसे नहीं बचे थे। पर अब वे रुकना नहीं चाहते थे। इसलिए केवल दो सौ यूरो और पचास उत्पादों के साथ अपने कमरे में से ही काम करना शुरू कर दिया. उन्होंने अपनी company SAP को अपने धंधे के बारे में सूचित किया और वहां एक notice लगा दिया कि अगर किसी को किराने का सामान चाहिए तो उनके website से order कर सकता है. उनके भारतीय सह-कर्मी उन्हें छिटपुट order देने लगे. रमन सुबह अपनी गाड़ी में रख कर सामान ले आते थे और उनके सह-कर्मी parking में उनसे सामान ले लेते थे. साथ ही अन्य शहरों से आए orders को रमन courier द्वारा पहुंचाने लगे. वे Karlsruhe, Heidelberg, Mannheim और Frankfurt में विभिन्न थोक विक्रेताओं से सामान ख़रीदते थे. लेकिन उनके order इतने छोटे होते थे कि थोक विक्रेता उन्हें भाव नहीं देते थे. वे कहते थे कि तुम कैसे व्यापारी हो? तुम से चार गुना अधिक सामान तो आम लोग ही ले जाते हैं. जहां अन्य खुदरा व्यापारी एक साथ दस-दस हज़ार Euro का सामान ले जाते थे, रमन की दौड़ केवल दो तीन सौ Euro तक रहती थी. लेकिन रमन हमेशा सकारात्मक ऊर्जा से भरे रहते थे और इन बातों को गम्भीरता से नहीं लेते थे.

क्योंकि यह व्यवसाय उन्होंने बहुत कम निवेश और बहुत कम उत्पादों के साथ शुरू किया था, तो उन्हें अक्सर order पूरा करने के लिए बहुत दौड़ भाग करनी पड़ती थी. अक्सर order पूरा करने के लिए रमन Bruchsal में पड़ोस की श्रीलंकन की दुकान से महंगा सामान ले कर कम कीमत पर भेजते थे. या फिर अचानक घंटों गाड़ी चला कर सामान ले कर आना पड़ता था. पर उनका ध्यान पूरी तरह ग्राहकों की सन्तुष्टि पर था. वे किसी भी तरह order पूरा करने की कोशिश करते. अगर किसी को गलती से expired सामान चला गया तो पैसे वापस करते थे.

साथ ही telephone पर ग्राहकों की तकलीफें और शिकायतें सुनने और सुलझाने को भी वे बहुत महत्वपूर्ण समझते थे. इस लिए वे कोशिश करते थे कि phone पर हमेशा कोई ना कोई उपलब्ध ज़रूर हो. पहले तो वे यह काम भी खुद ही करते थे, पर बाद में उन्हें एक बहुत अच्छी पढ़ी लिखी और शिष्ट लड़की मिल गई जिस ने ग्राहकों की सन्तुष्टि का पूरा ध्यान रखा. सन्तुष्ट ग्राहकों के mouth propaganda के कारण उनका व्यवसाय बढ़ता गया. उन्हें कभी marketing पर अधिक पैसा खर्च करने की ज़रूरत नहीं पड़ी. 2017 में उन्होंने परिवार के साथ अधिक समय बिताने और अपने व्यवसाय पर पूरा ध्यान लगाने के लिए SAP छोड़ दी. 2019 में रमन के बड़े भाई निशांत गुप्ता, जो खुद एक software engineer हैं, भी रमन के व्यवसाय में शामिल हो गए।

Get Grocery के 75% ग्राहक भारतीय मूल के हैं और 80% बिक्री Germany में होती है. पिछले कुछ सालों में Get Grocery की लीक पर ही चलते हुए कई लोगों ने online Indian shops खोल ली हैं. पर यह काम बहुत पेचीदा है, इस लिए अधिकतर companies थोड़ा समय बाद बन्द हो जाती हैं. Get Grocery आज भी सब से पुरानी और सब से अधिक उत्पाद रखने वाली online Indian shop है.

https://www.get-grocery.com/

बरसों बाद पूरा हुआ फिल्में बनाने का सपना

पञ्जाब के लखविन्दर शाबला का बचपन से झुकाव संगीत और अभिनय की ओर था. पर माता-पिता से उन्हें कभी समर्थन नहीं मिला. वे अक्सर यह कह कर दुत्कार दिए जाते थे कि यह मरासियों वाला काम है. ज़िन्दगी के थपेडों ने 1978 में सत्रह साल की उम्र में उन्हें Germany ला दिया जहां वे वर्षों तक gastronomy में काम कर के अपने परिवार की मदद करते रहे और साथ ही साथ मनोरञ्जन क्षेत्र में पांव डालने की कोशिश करते रहे. गाने की प्रकृतिक प्रतिभा तो उन्हें भगवान ने दी है. यदा कदा भारत और England जा कर वे नए नए गाने लिखवाते और record करवाते रहे. पर इन चीज़ों से उन्हें कभी कोई वित्तीय फ़ायदा नहीं हुआ. फिर उन्होंने films बनाने की सोची. Germany के Munich शहर में अपनी 'Dubliner Irish Pub' की देख रेख करने के साथ साथ उन्होंने कुछ लघु films बनाईं. कुछ minutes की film बनाने में तीस पैंतीस हज़ार Euro खर्च हो जाता था, पर वे संघर्ष करते रहे. फिर उन्होंने full length feature film बनाने की सोची. Indo-german cooperation के साथ 2007 में 'वापसी' शीर्षक से film बनाई. पर जब उन्होंने उसे भारत में release करने की कोशिश की तो उन्हें Bollywood की चमक-दमक के पीछे की सच्चाई का अहसास हुआ. अनेक distributors और नामी-गिरामी film निर्माताओं ने उन्हें बाहर का आदमी और नौसीखिया समझ कर लूटने की कोशिश की. भारत में shooting करते समय भी कई लोगों ने उन्हें धोखा दिया. यह film तो नहीं चल पाई पर उन्होंने हिम्मत नहीं हारी. फिर 2017 में उन्होंने अगली film 'Raja Abroadiya' बनाई जिस के लिए और उन्होंने hero heroine, camera man, light man, make-up artist सहित छत्तीस लोगों की crew को भारत से बुला कर  तीन महीने के लिए Germany में hotel में रखा और film की shooting समाप्त की. अब तक भारत के घाघों से निपटने का तरीका वह सीख चुके थे. अन्तत: यह film भारत के लगभग चार सौ cinema घरों में release हुई और चली भी. अब यह film YouTube पर उपलब्ध है जिस पर आप साथ में दिए barcode द्वारा पहुंच सकते हैं. 2019 में उन्होंने एक German film '25 Years Later' भी बनाई जो corona महामारी के कारण release नहीं हो सकी.

म्युनिक में गुरु-शिष्य परम्परा

2016 से Munich में रह रहीं पेशे से Consultant अनीशा सुब्रमण्यम अपने सामान्य काम-काज के साथ कथक की अच्छी कलाकार और शिक्षिका भी हैं। वे International Dance Council (IDC) की सदस्य हैं और भारत और यूरोप में अनेक shows कर चुकी हैं। वे Munich के अपने studio में बच्चों और बड़ों को गुरु-शिष्य परम्परा के अनुसार हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत और नाट्य प्रशिक्षण भी देती हैं. उनकी संस्था में छात्रों को ताल, लय, गति, जाति और संकेतन की भटकण्डे प्रणाली के साथ वाद्य और मुखर हिन्दुस्तानी संगीत का मूलभूत प्रशिक्षण दिया जाता है. साथ ही कथक से सम्बन्धित साहित्य जैसे गणेष, लक्ष्मी के लिए स्तोत्र, कबीर के दोहे, कविताएं भी सिखाई जाती हैं. छात्रों को नृत्य के साथ हर छन्द का अर्थ और महत्व समझाया जाता है ताकि वे नृत्य करते समय खुद को व्यक्त कर सकें. एक कल्याणकारी नृत्य के रूप में काम-काजी महिलाओं में अपने स्त्रीत्व को स्वीकार करने और समुदाय की भावना जगाने पर जोर दिया जाता है. मां-बेटियों के लिए अलग पाठ्यक्रम तैयार किया गया है ताकि यह परम्परा चलती रहे. पाठ्यक्रम सफ़लतापूर्वक पूर्ण करने के बाद छात्रों को घुंघरू पूजा परम्परा के अनुसार दिल्ली में रह रहीं लखनऊ घराने की उनकी गुरु श्रीमति रानी खानम जी द्वारा गुरु पूर्णिमा या दशहरा या किसी अन्य शुभ दिन को पूजा करने के बाद घुंघरू समर्पित किए जाते हैं. बचपन से ही अनीशा जी के माता-पिता ने उन्हें पढ़ाई लिखाई के अलावा संगीत, साहित्य और नृत्य में रुचि रखने के लिए प्रोत्साहित किया.

http://www.kathakraagagermany.com

आठ साल की आयु में बना राष्ट्रीय स्तर का तैराक

Nürnberg निवासी शितल रामचंद्रे का तेरह वर्षीय बेटा अमरीका, भारत और जर्मनी में कई swimming championships जीत चुका है और राष्ट्रीय स्तर तक पहुंच चुका है। वह भविष्य में Olympic swimmer बनना चाहता है।

मूलतः महाराष्ट्र, भारत से शितल रामचंद्रे सत्रह वर्ष से Siemens company में काम कर रहे हैं. Siemens की ओर से वे 2012 से 2017 तक America, फिर भारत में और फिर 2019 से Germany में रह रहे हैं. वे एक अच्छे तैराक हैं और अमरीका, सिंगापुर और जर्मनी में swim refree की हैसियत से काम कर चुके हैं। 2015 में America के Cincinnati शहर में रहते हुए एक दिन वे परिवार सहित community swimming pool में खेल रहे थे. अचानक उन्होंने देखा कि उनके छह वर्षीय बेटे 'सम्यक् रामचंद्रे' ने पानी में छलांग लगा दी है. पर वह पानी में खुद को सम्भाल पा रहा है. तब उन्हें अहसास हुआ कि उन्हें सम्यक् को तैरना सिखाना चाहिए. उन्होंने सम्यक् को वहां के Five Seasons Swim Club में भर्ती करवा दिया और खुद भी उसे तैरना सिखाने लगे. लगभग छह महीने बाद गरमियों की tri-county league championship में सम्यक् ने अपने club की ओर से छह वर्ष और उससे कम उम्र की श्रेणी में 25 yard freestyle में सब से कम समय का record बनाया और स्वर्ण पदक जीता. तब से सम्यक् में तैराकी के प्रति तीव्र लगाव पैदा हो गया. 2016 में शितल जी ने अपने बेटे को America के प्रख्यात Cincinnati Marlins Club में भर्ती करवा दिया. वहां उसने तैराकी की अन्य विधाएं, जैसे backstroke, butterfly stroke, breaststroke को आज़माना शुरू किया और उन में निपुणता हासिल की. वह हर प्रतियोगिता में हिस्सा लेता था. 2016 में दस टीमों की एक 25 yard freestyle relay swimming championship में उसने ज़बरदस्त रणनीति बरतते हुए बिना सांस लिए तैरते हुए कुछ seconds बचाए और अपने क्लब को जिताया। 2017 की गर्मियों में Harpers Swim Club की ओर से पांच से आठ वर्ष की श्रेणी में 25 yard Free / Back / Breast stroke और 100 Yard Individual Medley में सर्वप्रथम स्थान पाया। उसी वर्ष 2017 की एक 50 Yard Backstroke प्रतियोगिता में सब से कम समय हासिल करने के कारण उस का चयन उस समय की Ohio State Team में हो गया (दस वर्ष से कम की श्रेणी में). वह उस साल का सब से युवा तैराक था जिस ने state का राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिनिधित्व किया.

उसी वर्ष शितल परिवार सहित भारत वापस आ गए. सम्यक् ने पुणे में भी तैराकी के अपने शौक को जारी रखा. 2018 में उसने 49th Singapore National Age Group Swimming Championship में हिस्सा लिया और पहले दस तैराकों में स्थान पाया। 2019 में उसने महाराष्ट्र की प्रदेशीय प्रतियोगिता में 50m freestyle swimming में पहला स्थान हासिल किया. फिर गुजरात में national championship में उसे कांस्य पदक मिला. यह दूसरा मौका था जब वह किसी देश में राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा था.

2019 में शितल का परिवार Germany के Nürnberg शहर में आ गया तो उन्होंने सम्यक् को वहां के एक अच्छे club में भर्ती करवा दिया. अब वह दस साल का हो चुका था. यहां उसे शुरू में थोड़ी तकलीफ हुई क्योंकि वह स्कूल में पांचवी कक्षा में भर्ती हुआ था और उसे German भाषा सीखनी थी, और साथ ही तैरना भी जारी रखना था. उसी साल Corona महामारी आ गई. पर वह फिर भी हर रोज दो-तीन घंटे तैरने का अभ्यास करता था. उसने 2020 और 2022 में team national Wuppertal में, और 2022 में Berlin में individual national में भाग लिया.