गुरुवार, 3 फ़रवरी 2011

जर्मन लोग सीख रहे हैं हिन्दी

 म्युनिक के Münchner Volkshochschule में इस समय विश्व की करीब 50 भाषायें सिखायी जाती हैं जिनमें हिन्दी भी एक है। यहां हर समेस्टर में हिन्दी के अलग अलग स्तर के छह कोर्स चलते हैं जिनमें भारतीय मूल के श्री गुन्तुरू वानामली लोगों को हिन्दी पढ़ाते हैं। करीब चौबीस घंटे के हर कोर्स में दस छात्र पढ़ते हैं। अधिकतर लोग भारतीय भाषा और संस्कृति के बारे कुछ जानने की इच्छा से हिन्दी सीखते हैं।छात्रा Sabine Bräu कहती हैं कि उनका ब्वॉयफ़्रेण्ड एक भारतीय है। इसलिये वे थोड़ी हिन्दी सीखना चाहती हैं। लेकिन उन्हें ध्वनियों में अन्तर सुनने में बहुत दिक्कत आती है जैसे क और ख में अन्तर, ट और ठ में अन्तर, त और थ में अन्तर आदि। हिन्दी पढ़ना उन्हें सुनने से अधिक आसान लगता है। उल्टे छात्रा Marcella Moschini को हिन्दी पढ़ना मुश्किल लगता है और सुनना आसान।

Münchner Volkshochschule में ऐसी भाषाओं के लिये अलग विभाग है जिन्हें सीखने की मांग रोमन भाषाओं की अपेक्षा कम है। बसेरा की इस विभाग की मुख्य अध्यक्षिका Anna Rief (Fachgebietsleiterin, Seltener gelernte Sprachen) के साथ हुयी खास बातचीत में उन्होंने खुलासा किया कि सबसे अधिक सीखे जाने वाली भाषायें रोमन भाषायें हैं जैसे अंग्रेज़ी, फ़्रैंच, स्पेनिश, इटालियन, पुर्तगाली आदि। उसके बाद करीब 38 दूसरी भाषायें 'कम सीखे जाने वाली भाषाओं' (Seltener gelernte Sprachen) की श्रेणी में आती हैं जैसे अरबी, चीनी, हिन्दी आदि। अरबी और चीनी भाषा सीखने की मांग तो दरअसल इतनी है कि इन्हें 'कम सीखे जाने वाली भाषाओं' की श्रेणी में शामिल करना उचित नहीं है। इनकी तुल्ना में हिन्दी की स्थिति कमज़ोर ज़रूर है लेकिन इतनी बुरी नहीं है। भारत में पर्यटन करने के बहुत सारे इच्छुक लोग जाने से पहले थोड़ी भाषा सीख लेना चाहते हैं। बॉलवुड फ़िल्मों ने भी जर्मन लोगों में हिन्दी में रुची जगायी है। बहुत से लोग केवल भारतीय संस्कृति में रुची की वजह से हिन्दी सीखना चाहते हैं। हालांकि भाषा और लिपि, दोनों सीखना उन्हें थोड़ा भारी पड़ता है। अन्य भारतीय भाषायें सीखने की मांग लगभग न के बराबर है। श्री गुन्तुरू वानामली ने एक बार तेलगू सिखाने का भी प्रस्ताव रखा था लेकिन केवल दो तीन लोगों ने इसे सीखने के लिये फ़ोन किया। कोई भी कोर्स तभी चलाया जाता है जब उस भाषा को सीखने वाले लोगों की गिनती आठ अथवा उससे अधिक हो। इसलिये उनके लिये तो भारत की भाषा हिन्दी ही है जिसे अधिकतर भारतीय समझ लेते हैं।

Münchner Volkshochschule म्युनिक में स्थित एक संस्था है जो विभिन्न विषयों में अल्पकालिक प्रशिक्षण और सेमिनार आयोजित करती है, जैसे सेहत, कला, भाषायें, राजनिति, बिजनेस, कंप्यूटर आदि। यहां हर समैस्टर में कुल मिलाकर लगभग 7000 कोर्स, सेमिनार एवं टूर इत्यादि आयोजित किये जाते हैं। करीब एक लाख सत्तर हज़ार लोग हर वर्ष इनमें भाग लेते हैं। Anna Rief कहती हैं कि ये संस्था इस तरह की युरोप में सबसे बड़ी संस्था है। इसका कारण ये भी है कि म्युनिक में लोगों के पास पैसा है, काम है, और वे कुछ अतिरिक्त करने या सीखने के लिये पैसा निकाल सकते हैं।

http://www.mvhs.de/

http://www.gunturu.de/