शुक्रवार, 11 फ़रवरी 2011

मसालों के व्यापार पर प्रदर्शनी

America पहुंचने के कुछ सप्ताह बाद 4 नवंबर 1492 को Christoph Columbus ने एक पत्र में लिखा 'आज मैं ने अपना जलपोत दोबारा पानी में उतार दिया है. मैं भगवान का नाम ले कर दक्षिण पश्चिम दिशा में सोने, मसालों और नए देशों की खोज में अपनी यात्रा जारी कर रहा हूं.' केवल Columbus ही नहीं, सारा विश्व की उस समय में मसालों में रुचि थी. काली मिर्च, लौंग, जयफल, दाल-चीनी आदि मसाले उस समय में इतने कीमती थे कि उनका व्यापार सब से अधिक मुनाफ़े वाला धंधा था. Columbus, Ferdinand Magellan और Vasco da Gama जैसे नाविकों की कीमती और खतरनाक खोजी यात्राएं इस लिए सम्भव हो सकीं क्योंकि उस समय के राजा इन दुर्लभ मसालों तक पहुंचने के लिए लगातार नए नए समुद्री रास्ते ढूंढ रहे थे. आज हमें घर बैठे कौडियों के दाम पर ये मसाले मिलते हैं, इस लिए हम इसका अनुमान नहीं लगा सकते कि इस उपलब्धि के पीछे कितनी लम्बी कहानी, कितना नरसंहार, कितना पैसा, कितना अपराध और कितनी हिंसा अपने निशान छोड़ चुकी है.इस लम्बी यात्रा का सफ़र आप भी कर सकते हैं, असली मसालों, ख़ुशबूओं, चित्रों, video के साथ. Munich के पास Rosenheim शहर में 'Lokschuppen' नामक इमारत में मसालों के व्यापार पर आधारित एक सात महीने लम्बी, विशाल और विस्तृत प्रदर्शनी चल रही है जो अक्तूबर तक रहेगी. इस में कीमती मसालों के सन्दर्भ में अनेक देशों, संस्कृतियों और लोगों की कहानियां बताई गई हैं. इस प्रदर्शनी को आयोजित करने के लिए दो वर्ष तक शोधकार्य होता रहा. वहां काम करने वाले करीब बीस guides को छह महीने तक अध्धय्यन कर के परीक्षा पास करने पर ही guide का काम करने की अनुमति मिली है. ये guide आपको हर चीज़ के पीछे की कहानी इतने विस्तार से बताएंगे कि आप अलग अलग guides से कई बार टूर करना चाहेंगे. बस आपको German ठीक ठाक समझ आनी चाहिए.

http://www.gewuerze-ausstellung.de/