मंगलवार, 15 अक्तूबर 2013

शेर की शादी

चिड़ियाघर का दरवाजा खुला देखकर एक शेर वहाँ से भाग निकला। भागकर वह जंगल में जा पहँुचा। जंगल में उस शेर को एक लकड़हारा मिला। लकड़हारा अपनी लड़की के साथ जंगल से लकड़ी काटकर शहर को जा रहा था। शेर ने लकड़हारे की लड़की को देखा। वह उस पर मोहित हो गया और लकड़हारे को रोककर बोला - ‘‘मैं जंगल का राजा हँू, यह तुमको मालूम ही है। यदि तुम अपनी लड़की को जंगल की रानी बनाना चाहते हो तो उसकी शादी मेरे साथ कर दो।’’
लकड़हारे ने शेर की बातें सुनीं। वह हक्का-बक्का रह गया। अब वह बड़ी कठिनाई मंे पड़ गया था। शेर को उत्तर भी दे तो क्या? वह सोचने लगा कि यदि मैं शेर को अपनी लड़की नहीं देता हँू तो वह मुझ पर क्रोध करेगा और जान से मार डालेगा। दूसरी ओर, उसके साथ लड़की की शादी यदि करता हँू तो उसका भी जीवित रहना कठिन है। लकड़हारा इन सब बातों को काप़$ी देर तक सोचता रहा। आखिर मंे उसने शेर से विनम्रता के साथ कहा - ‘‘महाराज, आप जंगल के राजा हैं। आपका बल सबको मालूम है। आपसे मैं अपनी लड़की का विवाह करने में अपना मान समझता हँू। महाराज, पर मेरी एक शर्त है, पहले आपको उसे पूरा करना होगा।’’
शेर लकड़हारे की बातों को सुनकर फूल उठा। उसकी प्रसन्नता का ठिकाना न रहा। वह हँसकर बोला - ‘‘मैं आपकी लड़की को पाने के लिए धरती की हर एक वस्तु ला सकता हँू। आप अपनी शर्त कहिए? मैं उसे पूरा करूँगा।’’
शेर को प्रसन्न जानकर लकड़हारे ने कहा - ‘‘महाराज, आप सुन्दर हैं और पशुओं में श्रेष्ठ हैं। जंगल में आपका पालन-पोषण होने के कारण आपके पंजे के नाखून और दाँत बड़े भयानक लगते हैं। मेरी बेटी इनसे डरती है। मगर आपके इन नाखूनों के कटने और दाँतों के उखड़ जाने पर मैं अपनी बेटी आपको ब्याह सकता हँू।’’
शेर को तो लकड़हारे की लड़की मन भा गई थी। वह किसी भी प्रकार से उससे शादी करना चाहता था। लकड़हारे की शर्त सुन वह खुश होकर बोला - ‘‘मुझे आपकी शर्त स्वीकार है। आप अपनी कुल्हाड़ी से मेरे पंजे के नाखून काटिए और मैं पत्थर पर मँुह मारकर अपने भयानक दाँत तोड़ फेंकता हँू।’’
इतना कहने के एकदम बाद शेर ने अपने सारे दाँत तोड़ डाले। उसे दाँत तोड़ने में खूब कष्ट हुआ और सेरों खून बहा, पर शादी की खुशी में उसने सब सहा।
इधर लकड़हारे ने भी अपनी कुल्हाड़ी से शेर के पंजे के नाखून काट दिए। तब वह बोला - ‘‘अब मेरी शीघ्र शादी कीजिए।’’ शेर के दाँत और पंजे न रहने के कारण अब वह भयानक नहीं था। अतः उसे देखकर लकड़हारे का भय जाता रहा और वह बोला - ‘‘हाँ महाराज, शादी करने से पहले आप अपने गले में रस्सी डलवा लें। इस रस्सी को पकड़कर मेरी लड़की आपके साथ फेरे लेगी।’’
शेर रस्सी को गले में डालने से पहले झिझका। शादी का भूत उसके सिर पर सवार था। अतः उसने खुशी-खुशी गले में रस्सी डाल ली। रस्सी गले में पड़ते ही लकड़हारे ने शेर को पेड़ से बाँध दिया और खूब मार लगाने लगा। इस पर शेर गुर्राने लगा।
उसे गुर्राता देख लकड़हारा बोला - ‘‘महाराज, गुर्राएँ नहीं। रस्म के अनुसार वर की मैं शक्ति-परीक्षा ले रहा हँू।’’ और ऐसा कहकर वह खूब जोर-शोर के साथ शेर पर डंडे बरसाने लगा। उसकी पिटाई से शेर अधमरा हो गया। इतने में ही चिड़ियाघर के नौकर शेर को खोजते-खोजते वहाँ आ पहँुचे। उन्होंने भी आकर शेर पर खूब डंडे बरसाए।
शेर सबसे पिटने के बाद बोला - ‘‘मुझे अब शादी नहीं करनी है। अतः मुझे अब मत मारो। मैं अब चिड़ियाघर में ही रहना चाहता हँू।’’ शेर को शादी की बात करते सुन नौकरों ने शेर को फिर खूब मारा। अन्त में वे शेर को चिड़ियाघर में ले गए।