गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013

barefoot gen के बारे में

barefoot Gen एक जापानी आत्मकथा है। पुस्तक के लेखक Keiji Nakazawa केवल सात साल के थे जब उनके शहर hiroshima पर atom bomb गिरा। Gen एक जापानी शब्द है जिसका अर्थ होता है `जड़ें´ या स्रोत्र। लेखक ने इसे इन शब्दों में समझाया है: मैंने पुस्तक के मुख्य पात्र को Gen का नाम इसलिए दिया जिससे कि वो नयी पीढ़ी के लिए ताकत का स्रोत्र बन सके। एक ऐसी पीढ़ी जो hiroshima की झुलसी मिट्टी पर नंगे पांव चल कर उसकी ज़मीन को महसूस कर सके और जिसमें अणु अस्त्रों को तिरस्कार करने की शक्ति हो। ऐसे ही आदर्श व्यक्ति के लिए मैं निरन्तर काम करता रहूँगा। 1972-73 में barefoot Gen सबसे पहले शाकुन शोनिन जम्प पत्रिका में श्रृंखलाबद्ध होकर छपी। जापान में सर्वाधिक खपने वाली इस साप्ताहिक पत्रिका की 20 लाख प्रतियां छपती हैं। इसमें hiroshima में bomb गिरने से पहले और बाद का एक मार्मिक और ग्राफिक वर्णन है। इसे न केवल नौजवान पाठकों ने सराहा परन्तु पालकों, शिक्षकों आदि ने भी इसकी प्रशंसा की। barefoot Gen के ऊपर अभी तक तीन फ़िल्में बन चुकी हैं। उसके साथ अंग्रेज़ी में एक ऐनिमेशन फिल्म भी बनी है।

Gen की कहानी उन तमाम आम लोगों की कहानी है जो द्वितीय महायुद्ध से पहले और atom bomb के आक्रमण के बाद अमानवीय परिस्थितियों से जूझने को मजबूर हुए। हमें उम्मीद है कि barefoot Gen युद्ध की बरबादी - विशेषकर atom bomb द्वारा मचाई तबाही का एक संजीदा दस्तावेज साबित होगी। वैसे यह जापानी comic बुक अंग्रेज़ी में छपी comics से बहुत भिन्न लगेगी, परन्तु इसकी सच्ची भावनायें और मार्मिक अनुभव दुनिया भर के बच्चों और वयस्कों को जरूर अपील करेंगी।

barefoot Gen युद्ध सम्बन्धी comic
Art Spiegelman की प्रस्तावना

Gen की कहानी मुझे अभी भी प्रताड़ित करती है। मैंने उसे 1970 के दशक के अंत में पढ़ा था। तभी मैंने अपनी पुस्तक माउफस पर काम शुरू किया था। माउफस में बीसवीं शताब्दी की दूसरी केंद्रीय दुर्घटना का सविस्तार उल्लेख है।

Gen को पढ़ते समय मुझे फ्लू और तेज बुखार था। बुखार के सपने जैसे Gen ने मेरे मस्तिष्क को झकझोर कर रख दिया। पुस्तक के बिम्ब और घटनाएँ मुझे इतनी स्पष्टता और नज़दीकी से याद हैं जैसे वो मेरे जीवन में ही घटी हों, Nakazawa की ज़िन्दगी में नहीं। लोग जिस तरह से hiroshima के मलबे में चलते हुए अपनी पिघली त्वचा को घसीटे हैं, जलते हुए घबराए हुए घोड़े का सड़कों पर घूमना और एक नौजवान लड़की के चेहरे के जख़्मों पर से भुनगों का निकलना, यह अमिट बिम्ब मुझे अभी भी याद हैं। Gen में बिना लाग-लपेट के atom bomb की तबाही को दरशाया गया है। पुस्तक में कोई सुपरमैन नहीं हैं, केवल एक वास्तविक त्रासदी का वर्णन है। मैंने हाल में इन किताबों को दुबारा पढ़ा। मुझे लगा कि barefoot Gen की जीवन्तता पुस्तक में ही निहित थी और वो मेरे बुखार के कारण नहीं थी। comics एक गज़ब का माध्यम हैं जिनके द्वारा बिम्बों और अल्प शब्दों में बहुत सघन जानकारी पेश की जा सकती है। मुझे लगता है कि हमारा मस्तिष्क भी इसी तरह सोचता होगा और बातें याद रखता होगा। लोग cartoons में सोचते हैं! action कहानियों और चुटकुलों के लिए तो comics उपयुक्त हैं ही, परन्तु उनका हस्त लेखन से भी क़रीबी का रिश्ता है। इसलिए आत्मकथा लेखन के लिए भी cartoons बहुत उपयुक्त हैं। 1960 के भूमिगत cartoons के विकास से पहले बहुत कम ही आत्मकथायें cartoons के रूप में लिखी गयीं। खासकर व्यक्तिगत इतिहास को विश्व इतिहास से जोड़ने वाली cartoon किताबें लगभग नदारद थीं। इससे पहले कि आत्मकथायें cartoons के रूप में आयें यह जरूरी था कि comics वयस्कों के पढ़ने का एक वैध माध्यम बनें। Nakazawa के जीवन से परिचित होने से पहले मेरा यही सोच था। 1972 में, केवल 33 साल की उम्र में Nakazawa ने atom bomb की विभीषिका से बचने की आत्मकथा को चित्रों में उकेर कर एक जापानी बच्चों की comic पत्रिका में श्रृंखलाबद्ध करना शुरू किया। शीर्षक एकदम सीधा और स्पष्ट था जैसा मैंने देखा (and I saw it) एक साल बाद उन्होंने Gen की श्रृंखला शुरू की। उसका रूप एक काल्पनिक कथा जैसा था पर उसकी जड़ें गहरे अनुभव में थीं। कहानी एक साहसिक लड़के की थी जिसने युद्ध के तांडव को क़रीबी से अनुभव किया था। जापान में comics पढ़ना गलत नहीं समझा जाता। वहां थोक के भाव से comics पढ़े जाते हैं (कुछ साप्ताहिक comics 30 लाख से ज़्यादा बिकते हैं। इन्हें सभी आयु और वर्ग के लोग चाव से पढ़ते हैं। वहाँ अर्थ-व्यवस्था, महजौंग और समलैंगिक सेक्स से लेकर सामुराई, रोबो आदि पर भी comics प्रचलित हैं। वैसे जापानी comics के बारे में मैं ज़्यादा नहीं जानता हूं। उनकी अपार दुनिया का मेरे कामकाज से कोई सीध सम्बन्ध भी नहीं है। कई बार तो मुझे सभी जापानी चीजों के बारे में ऐसा लगता है। इस खाई को पाटने के लिए शायद Gen से शुरू करना ही सबसे अच्छा होगा। आधुनिक comic बुक पिश्चम की देन है। इसलिए पिश्चम द्वारा पूर्व पर atom bomb के क़हर को रिपोर्ट करने का शायद comic ही सबसे उपयुक्त माध्यम है। परन्तु जापानी comics का अपना विशिष्ट स्टाइल और अन्य विशेषताएं हैं जो पिश्चम से बिलकुल भिन्न हैं और Gen पढ़ते समय उन्हें स्वीकारना चाहिए। जापानी कहानियां अक्सर बहुत लम्बी होती हैं। Gen की सम्पूर्ण कहानी 2000 पन्नों की है। इसमें शब्द कम और चित्र अधिक हैं। इसलिए 200 पृष्ठों की पुस्तक को घर से office की बस सवारी में आसानी से पढ़ा जा सकता है। जापानी comics प्रतीक चिन्हों से भरे होते हैं। Nakazawa का प्रतीक सूर्य है जो बार-बार पन्नों में से झांकता है। सूर्य जीवनदायी है, समय गुजरने का प्रतीक है, जापान का झंडा है और वो Gen की कहानी को ताल गति देता है।

जापानी cartoon किताबों में हिंसा की मात्रा अमरीकी comic बुक्स की अपेक्षा कहीं ज़्यादा होती है। Gen के पिता मौका पाते ही अपने बच्चों की जम कर पिटाई करते हैं। अमरीका में पिता की ऐसी हरकत को आपराधिक `child abuse´ करार दिया जायेगा। एक स्थान पर Gen चेयरमैन के लड़के की उंगलियों को काटकर अलग करता है। उस वीभत्स वर्णन को झेल पाना वाकई मुश्किल है। परन्तु यह व्यक्तिगत निर्दयता अमरीका द्वारा जापान के आम लोगों पर atom bomb गिराने की तुलना में एकदम फीकी है। जापानी cartoons में चेहरों का भी एक खास अंदाज होता है, आंखें और मुंह बड़े-बड़े होते हैं। इसमें Nakazawa की कोई गलती नहीं, यह एक जापानी परम्परा है। उनके चित्र भी रूप हीन, घरेलू और बहुत सूक्ष्म नहीं हैं। परन्तु फिर भी काम स्पष्ट और कुशल है और वो कथा के चित्रों को जादुई ढंग से उजागर करता है। सभी पात्रा जीवन्त हैं। चित्रों की सबसे बड़ी विशिष्टता उनकी सरलता और सच्चाई है। कथा की सच्चाई हमें hiroshima में हुई अविश्वसनीय और असम्भव चीजों में यकीन करने पर मजबूर करती है। यह एक गवाह की निष्ठुर कलाकृति है। जापानी comic books से अपरिचित पश्चिमी लोगों को शायद पुस्तक की भाषा कुछ अटपटी लगे पर इसमें पुस्तक का प्रमुख मजा है। Nakazawa एक बेहद कुशल कहानीकार हैं जो गम्भीर अप्रिय घटनाएँ सुनाते हुए भी अपने पाठकों का ध्यान बांधे रखने का गुर जानते हैं। युद्ध कालीन जापान में आम जनता की ज़िन्दगी की परेशानियों और उसमें ज़िन्दा रहने की कोशिश को उन्होंने बखूबी बयान किया है। जिस प्रकार Nakazawa मृत्यु के साये में जीते हुए भी रोजमर्रा की छोटी-छोटी खुशियों का वर्णन करते हैं उसमें एक विरोधाभास नजर आता है। परन्तु इससे हम एक नई संस्कृति से भी परिचित होते हैं। और जिस प्रकार मुख्यपात्र से हमें हमदर्दी पैदा होती है उसमें एक विशेष आनंद है। Nakazawa ने atom bomb के पीछे पश्चिमी नस्लवाद और शीतयुद्ध की राजनीति की बजाए जापानी उपनिवेशवाद को दोषी ठहराया है। ऐसा करने से उन्होंने पुस्तक को अमरीकी और ब्रिटिश पाठकों के लिए ज़्यादा आनन्ददायी बना दिया है। अंतत Gen एक अत्यन्त आशावादी कृति है। Nakazawa का विश्वास है कि Gen इनसानियत को सजग करेगा और मानवजाति अपने सच्चे हितों के लिए कार्य करेगी। Gen एक छोटा सा मस्त हीरो है जो बहादुरी, निष्ठा और मेहनत का प्रतीक है। Nakazawa का मनुष्य का अच्छाई में अटूट विश्वास है। इसके कारण कुछ लोगों को यह पुस्तक महज़ एक उत्कृष्ठ बाल-साहित्य लग सकती है परन्तु सच्चाई यह है कि Nakazawa यहां खुद अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहा है। वो न केवल ज़िन्दा रहने की घटनाओं का वर्णन कर रहा था परन्तु उनके पीछे का दर्शन भी समझा रहा था। Gen एक मानवीय कृति है जो दयालुता और सहानुभूति के मूल्यों पर ज़ोर देती है। इस पर अमल करके ही इंसान नई शताब्दी में कदम रख पायेगा।

Gen - भारत के लिए आनन्द पटवर्धन 1998 में जब भारत और पाकिस्तान ने आणविक परीक्षण किए तो हमें दुःख हुआ। ऐसा लगा जैसे दुनिया अब खुद को नष्ट करने पर तुल पड़ी है। जब हमारे देश वासियों ने मानवता को नष्ट करने के हथियारों का स्वागत किया और सड़कों पर उतर कर जश्न मनाया तो दिल वाकई में दहल गया। जब शांति-कार्यकर्ताओं ने जश्न मनाने वालों से बातचीत की तो समझ में आया कि आम लोग आणविक प्रलय के बारे में कुछ भी नहीं जानते। फिर हम लोगों ने काफी प्रयासों के बाद hiroshima और nagasaki पर bomb गिराने वाली चंद ब्लैक-और-व्हाइट डौक्यूमैंटरी इकट्ठी कीं। इन फिल्मों को हमने स्कूलों, कॉलेजों और मजदूर बस्तियों में दिखाया। फिल्मों को देखने के बाद लोगों में तुरन्त एक निश्चित बदलाव आया। atom bomb की तबाही ने लोगों को झकझोर दिया। atomic क्लब के सदस्य बनने की बजाए अब लोग दहशत के मारे उससे कतराने लगे। यह तो ठीक था पर फिर भी ऐसा लगा जैसे कुछ गायब हो। फिल्मों में मरे, जले, झुलसे लोगों की छवियां सब दूर-दराज के देशों की थीं। यह हश्र यहां भी हो सकता है - यह बात लोगों को विचार के स्तर पर तो समझ में आ रहा थी पर भावनात्मक स्तर पर नहीं। hiroshima और nagasaki के लोग महज़ `atom bomb के शिकार´ नहीं थे। वो हर मायने में बिलकुल हम जैसे ही लोग थे।

barefoot Gen का यह गुण हमें सबसे अधिक अच्छा लगता है। मुख्य रूप से बच्चों के लिखी यह पुस्तक वयस्कों को भी बहुत भाती है। कहानी शिक्षाप्रद है।

जापान में bomb गिरने से पहले छोटे शहरों में रह रहे आम लोगों को तमाम कठिनाइयों से गुजरना पड़ा था। यह सब द्वितीय महायुद्ध के कारण था। इस युद्ध में पहली बार पृथ्वी के किसी शहर पर atom bomb गिराया गया। barefoot Gen को पढ़ते समय हमें इस बात का बिलकुल भी अंदाज नहीं होता कि हम इतिहास के सबसे महत्त्वपूर्ण अध्याय के पन्ने पलट रहे हैं - एक ऐसा पाठ जिसे इनसानियत खुद को जोखिम में डाल कर ही भूल सकती है। यह पुस्तक एक comic-book है क्योंकि इसमें कहानी को चित्रों में दरशाया गया है। पुस्तक में Nakaoka परिवार युद्ध के समय कैसे ज़िन्दा रहता है उसकी कुछ मार्मिक झलकियां भी हैं। एक प्रकार से यह पुस्तक एक ग्रीक त्रासदी जैसी है जिसका अंत हरेक को पहले से ही पता होता है। कहानी किस तरह से विकसित होती है - उसके विस्तृत विवरणों में ही उसका मजा है। पुस्तक के अंत तक उसका केंद्रीय प्लाट स्पष्ट नहीं होता है। बिलकुल आख़िर के पन्नों में ही atom bomb गिरने और उसके द्वारा हुई तबाही का विवरण सामने आता है। atom bomb गिरने के बाद की कहानी पुस्तक के दूसरे खंड में है। barefoot Gen atom bomb गिरने से पहले एक सामान्य कृषक गृहस्थ - Nakaoka परिवार के संघर्ष की कहानी है। Gen एक छोटा लड़का है जो अपने भाई-बहनों के साथ एक छोटे खेत में गेहूँ उगाता है और अन्य छोटे-मोटे कामकाज करता है। भोजन की बेहद क़िल्लत है जिससे बच्चों को हमेशा भूखे रहना पड़ता है। जापानी सैनिक propaganda के बावजूद Nakaoka को जापान के युद्ध हारने का अंदाज हो जाता है और वो युद्ध की बेवकूफी पर प्रश्न उठाता है। युद्ध का विरोध करने के कारण Nakaoka को राजनैतिक दमन और सामाजिक बहिष्कार का सामना करना पड़ता है। Nakaoka के युद्ध-विरोधी विचार प्रबल होते जाते हैं और अंतत: उसे जेल की हवा खानी पड़ती है। इस बीच बच्चों को भी `देशद्रोही´ होने की प्रताड़ना सहनी पड़ती है। परिवार के सम्मान को पुनः प्रस्थापित करने के लिए Gen का बड़ा भाई सेना में भर्ती होता है। कठिनाइयां बढ़ती जाती हैं। उसका यूनिट खतरे से भरा `खुदकुशी´ वाला यूनिट है। पुस्तक के अंत में hiroshima पर atom bomb गिरता है और जिसमें केवल Gen और उसकी मां ही जीवित बचते हैं। मां एक बच्ची को जन्म देती है और ज़िन्दगी चलती रहती है। हमें hiroshima के विध्वंस और उसके बाद की कहानी Gen की ज़ुबान से सुनने को मिलती है।

पूरी कहानी में Gen और Nakaoka का रोल विश्वसनीय इसलिए लगता है क्योंकि उन्हें आदर्श पात्रों जैसे नहीं पेश किया गया है। कोरियाई लोगों के प्रति वो भी नस्ल वादी भेदभाव करते हैं। पर अंत में जब एक कोरियाई पड़ोसी उनकी सहायता करता है तो उनकी मान्यताएं बदलती हैं। पिता Nakaoka जिनकी युद्ध-विरोधी मान्यताओं का हम आदर करते हैं भी, कई मायनों में अपूर्ण हैं। वो मौका मिलते ही अपने बच्चों की जमकर पिटाई करते हैंं। यह जापानी समाज में मर्दानगी की मान्यताओं की आलोचना है। शायद लेखक ने उसे कहानी में इसलिए शामिल किया है क्योंकि वो इंसानों की क्षमताओं और कमज़ोरियों दोनों पक्षों को उजागर करना चाहता है। हमें उनकी कई बातें पसंद आती हैं और कुछ नापसंद - बिलकुल वैसे ही जैसे कि अन्य दोस्तों के साथ होता है। इसी वजह से कहानी के पात्रा सजीव बनते हैं और हम उनके साथ रिश्ता जोड़ पाते हैं। यह सच है कि पुस्तक में जापानी सैन्य सत्ता, मर्दानगी आदि की जमकर धज्जियां उड़ाई गयी हैं। पर फिर भी एक बड़ी कमी है। पुस्तक में अमरीका की छवि बिलकुल साफ-सुथरी और निर्दोष नजर आती है जबकि उसने ही जापान पर atom bomb गिराये। ऐसा लगता है जैसे इस पूरे हादसे के लिए जापानी सत्ता वर्ग ही जिम्मेदार था और अमरीका के पास युद्ध को जल्द खत्म करने के लिए atom bomb गिराने करने के अलावा और कोई विकल्प ही नहीं था। नये शोध से पता चलता है कि जापान तो पहले ही युद्ध हार चुका था और इसलिए hiroshima और nagasaki पर atom bomb गिराने का कोई औचित्य ही नहीं था। जापानी सैनिक सत्ता कुचली जा चुकी थी और जापानी सम्राट आत्मसमर्पण के लिए तैयार था। वो बस एक दिखावटी समझौता चाहता था जिससे कि युद्ध के बाद वो जापान में नाममात्र का शासक बना रह सके। अमरीका इस समझौते के लिए तैयार हुआ - पर कब? hiroshima और nagasaki पर atom bomb गिराने के बाद। फर अमरीका ने bomb क्यों गिराये? शायद अमरीका और रूस के बीच शीत-युद्ध की शुरुआत इसका सही कारण थी। अमरीका अपनी विध्वंसक आणविक शक्ति का प्रदर्शन कर अपने दुश्मन रूस को भयभीत करना चाहता था। अमरीका ने इससे यह भी सुनिश्चत किया कि रूस जापान पर आक्रमण नहीं करे और युद्ध खत्म होने के बाद भी जापान पूरी तरह से अमरीका पर निर्भर रहे। इसके वैज्ञानिक कारण भी थे। वैज्ञानिक दो अलग-अलग आणविक बम्बों की विध्वंसक क्षमता भी मापना चाहते थे। पहला bomb प्लूटोनियम और दूसरा यूरेनियम पर आधारित था। इसलिए पहले hiroshima पर और उसके तीन दिनों बाद nagasaki पर bomb गिराये गये। 1972 में जब barefoot Gen प्रकाशित हुई तब तक सामान्य लोगों को यह गुप्त जानकारियाँ उपलब्ध नहीं थीं। शायद इसी वजह से पुस्तक में उनका कोई उल्लेख भी नहीं है। पुस्तक में अगर अमरीकी रोल को अधिक आलोचनात्मक और संदेह की दृष्टि से देखा जाता तो बेहतर होता। और चाहे कुछ भी हो barefoot Gen का मानवतावादी संदेश, सामाजिक और ऐतिहासिक विस्तार उसे दुनिया के सभी बच्चों और वयस्कों को पढ़ने के लिए बाध्य करेगी। hiroshima की कहानी एक ऐसी कहानी है जिसे सारी दुनिया को पढ़ना चाहिए और पढ़ कर भूलना नहीं चाहिए। barefoot Gen ने बस यही किया है।