शनिवार, 5 जनवरी 2008

यूँ रही म्युनिक में 31 दिसंबर की शाम

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नये साल के उदय की प्रतीक्षा हर किसी को रहती है। खासकर बच्चों को जो पटाखे बजाने को उतावले होते हैं, क्योंकि केवल नए साल के अवसर पर ही पटाखे बिकते हैं, वो भी केवल कुछ दिनों के लिये। या फिर ये मौका होता है पुराने दोस्तों या परिवार के बिछड़े सदस्यों से काफ़ी समय बाद दोबारा मिलने का। म्युनिक भी नए साल की प्रतीक्षा में खूब सजा हुआ था। लोग भी इस विशेष अवसर पर शहर में चल रहे अनेक कार्यक्रमों का आनंद उठा रहे थे। Marienplatz, Leopoldstraße, Viktualienmarkt पूरी तरह रंगबिरंगी रौशनी और मधुर संगीत में डूबे हुए थे। Olympiapark पर हर साल की तरह तो पटाखों, आतिशबाजियों का भव्य शो हुआ जहाँ हज़ारों की संख्या में लोग इकट्ठा हुये। सभी होटलों, क्लबों, रेस्तरां ने इस अवसर के लिये खास कार्यक्रम तैयार किये। कई भारतीय रेस्तरां में भी मेहमानों ने लाईव संगीत का लुत्फ़ उठाया। ठीक बारह बजे सब लोग पटाखे बजाने या दूसरे लोगों को पटाखे बजाते हुये देखने के लिये बाहर आ गये। सारा आकाश पटाखों की गड़गड़ाहट से गूँज उठा।

म्युनिक निवासी श्याम आर्य लगभग सभी भारतीय उत्सवों और अन्य अवसरों पर भारतीयों के इकट्ठा होने का मंच प्रदान करने की अहम भूमिका निभाते आ रहे हैं। इस अवसर पर भी उन्होंने विशेष पार्टी का आयोजन किया जिसमें ढेर सारे भारतीय, अफ़्गानी और जर्मन लोग हिन्दी, अफ़्गानी गानों पर सुबह चार बजे तक थिरकते रहे। हज़ारों वाट के स्पीकरों पर जब 'बिंदिया चमकेगी' जैसे पुराने गानों के रीमेक चलते हैं तो कदम खुद ब खुद झूमने लगते हैं। (fotos: http://arya-events.de/photoDetails.php?id=59)

आइये सुनें लोग अपने बारे में क्या कहते हैं।

Marion Klein, 32
हम 13 दोस्तों ने इकट्ठे होकर पहले रेस्तराँ में खाना खाया और ब्लाईगीज़न खेला (Bleigießen)। ब्लाईगीज़न भविष्यवाणी का खेल है जिसमें सीसे (Lead) या कली (Tin) के छोटे से टुकड़े को चम्मच में रख कर मोमबत्ती के ऊपर रखकर पिघलाया जाता है और फिर पानी में फ़ेंका जाता है जिससे वो विभिन्न आकृतियों में जम जाता है। फिर उन आकृतियों का कोई मतलब निकाला जाता है जैसे लम्बे कपड़े पहने महिला, अजीबो गरीब दाँत, और भविष्यवाणी की जाती है। बहुत लोग इसे खेलकर मज़ा लेते हैं। उसके बाद रात बारह बजे हम टॉलवुड मेले के तंबू में चले गये जहाँ एक बैंड बहुत बढ़िया संगीत बजा रहा था। उन्होंने बहुत सारे प्रसिद्ध गायकों के गाने गाये जैसे मेडोन्ना, आब्बा, क्वीन। हम सुबह चार बजे तक नाचते रहे।


Sigrid Moser, 40.
31 दिसंबर 2007 की शाम मेरी सबसे यादगार शाम थी। करीब दस साल के बाद हमारा लगभग पूरा परिवार दोबारा इकट्ठा हुए। मेरी दो बहनें परिवार सहित अलग अलग शहरों में रहती हैं। उनमें से एक के घर हम सब इकट्ठा हुये। मेरी बूढ़ी माँ भी साथ थीं। मेरे भानजे अब बड़े हो गये हैं लेकिन एक अभी नौ साल का है। हमने इकट्ठे खाना खाया, विभिन्न तरह के गलासों से संगीत वाद्य बनाया जिसके ऊपर गीली उंगली फेरने से विभिन्न स्वर निकलते हैं। हमें बहुत आनंद आया।

Matthias Köhler, 35

31 दिसंबर 2007 को मैं आस्ट्रिया में स्नोबोर्डिंग (snowboarding) करने गया। इस बार बर्फ़ बहुत अच्छी पड़ी है और मैंने पिछले तीन साल से स्नोबोर्डिंग नहीं की थी। वहाँ मैं एक दोस्त के यहाँ रुका। बहुत आनंद आया।

Sylvie Bantle
मैं और मेरे पति Neuhausen में रहते हैं। रात को हम पास में स्थित Nymphenburger Kanal पर गए थे जहाँ हर वर्ष 31 दिसंबर को रात बारह बजे बहुत सारे लोग Sekt और पटाखे लेकर पुल के पास इकट्ठे हो जाते हैं। इस बार भी वहाँ खूब पटाखे छूटे। हम रात दो बजे तक वहाँ रहे।