मंगलवार, 20 मई 2008

Indian Mango Evening

19 मई की शाम को म्युनिक के हिल्टन होटल में भारतीय कृषि प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA, Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority of India, http://www.apeda.com/) और भारतीय दूतावास के द्वारा Indian Mango Evening आयोजित की गई जिसमें भारत की आम की कुछ मुख्य व्यवसायिक नसलें पेश की गईं जैसे अल्फ़ोंसो, बैंगनपल्ली, केसर और तोतापुरी। यहां APEDA से श्री प्रवीन गुप्ता (महाप्रबंधक), श्री यू.के. वत्स (उप महाप्रबंधक), म्युनिक के भारतीय दूतावास से श्री जे. एस. मुकुल (महावाणिज्यदूत), श्री आनंत कृष्ण (वाणिज्यदूत, परिवार सहित), दूतावास के अन्य तमाम कर्मचारी, म्युनिक के कुछ भारतीय व्यपारी और म्युनिक और आसपास के कुछ प्रमुख लोग उपस्थित थे।

कार्यक्रम की शुरूआत में सबसे पहले भारतीय दूतावास के वाणिज्यदूत श्री आनंत कृष्ण ने सब अतिथियों का स्वागत किया। उन्होंने इस बात का भी खुलासा किया कि महावाणिज्यदूत श्री जे. एस. मुकुल म्युनिक दूतावास में अपना के कार्यकाल समाप्त करके जून में वापस भारत जा रहे हैं। फिर महावाणिज्यदूत श्री जे. एस. मुकुल ने अपने मनपसंद आम बैंगनपल्ली के साथ साथ अन्य भारतीय आम की नस्लों के बारे में कुछ जानकारी दी और अतिथियों को अलविदा कही। उसके बाद APEDA के महाप्रबंधक श्री प्रवीन गुप्ता ने APEDA के बारे में कुछ अतिरिक्त जानकारी दी और आम पर एक छोटी सी फ़िल्म दिखाई।

फिर शास्त्रीय संगीत कार्यक्रम हुआ जिसमें श्री सुनील बैनर्जी जी ने सितार वादन पेश किया। तबले पर उनका साथ दिया इद्रानिल मल्लिक ने। उसके बाद शीला और सुनीता कानुकडन ने शास्त्रीय नृत्य पेश किया। इसके बाद श्री जे. एस. मुकुल जी की बेटी अदिति मुकुल और म्युनिक दूतावास में कार्यरत श्री अनिल बतरा जी की बेटी अनु बतरा ने बॉलिवुड नृत्य पेश किया। इसी बीच पेयजल और पकौड़े आदि परोसे जा रहे थे। आमों को सजाने, काटकर परोसने और अतिथियों को स्वाद चखाने की ज़िम्मेदारी स्वागत रेस्तरां की थी। फिर बारी आयी लज़ीज़ खाने की। लोगों को खाना बहुत पसंद आया और आम भी। कई लोगों का कहना था कि ऐसे आम उन्होंने कभी नहीं खाये, न ही ऐसे आम सामान्य सुपरमार्किटों में मिलते हैं।

APEDA के यू.के. वत्स का कहना है कि यहां के लोग ब्राज़ील आदि से आये हुये लाल रंग के आम खाने के आदि हैं। उनकि झीली बहुत मोटी होती है और वे भारतीय स्वाद के अनुसार इतने स्वादिष्ट नहीं होते लेकिन उनकी Shelf Life भारतीय आमों से अधिक होती है। यातायात में कई दिनों तक रहने के बावजूद वे खराब नहीं होते जबकि भारतीय आमों में बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। APEDA द्वारा म्युनिक में ऐसा अभियान लगातार चौथी बार आयोजित किया गया, जिसमें भारतीय आम के बारे में जानकारी फैलाने की कोशिश की गई। उनका उद्देश्य था कि अधिक से अधिक जर्मन लोग आयें ताकि उनके बारे में जानकारी बढ़े। इस कार्यक्रम में अधिकतर लोग जर्मन थे और वे इससे संतुष्ट हैं। आयातकों की उपस्थिति कम थी क्योंकि आयातक सुबह चार बजे मंडी में जाते हैं, और शाम तक अपना माल बेचकर अपना दिन समाप्त कर देते हैं। इसलिये उन्होंने अलग से अगले दो दिन 20 और 21 मई को म्युनिक की बड़ी सब्ज़ी मंडी Großmarkthalle में भी आयातकों के लिये स्टाल लगाया जहां सबको आमों की विभिन्न प्रजातियों का स्वाद चखने की सुविधा थी।

श्री प्रवीन गुप्ता ने बसेरा को बताया कि 2006-2007 के वित्तीय वर्ष में APEDA का 24000 करोड़ रुपये का निर्यात रहा (लगभग 4700 मिलियन अमरीकी डॉलर)। उन्होंने कहा कि अमरीका की मार्केट भारतीय आमों के लिये 18 वर्ष से बंद थी। उनके लगातार यत्नों के बाद ये मार्केट खुली और उन्होंने भारत के बढ़िया आम अमरीका में बेचे। अब वे चीन और जापान के बाज़ार में भी घुस गये हैं। लेकिन उनका मुख्य निर्यात मध्य और सुदूर पूर्वी देशों में होता है। तोतापुरी आम खासकर आंध्रप्रदेश से, अल्फ़ोंसो आम महाराष्ट्र से और केसर आम गुजरात से आता है। केवल आम ही नहीं, आमों के उत्पाद भी निर्यात किये जाते हैं जैसे आचार, चटनी, पापड़, सूखे आम, रस, गूदा (pulp), लस्सी आदि। सरकार की नीतियां काफ़ी सहायक हैं, लेकिन उनमें आत्म निर्भरता का सिद्धांत चलता है। यानि निर्यात किये जाने वाली चीज़ों की पहले अपने देश मी कमी पूरी होनी चाहिये। लेकिन युरोप के आयातक अभी इतनी तादाद में माल नहीं मंगवाते कि माल को समुद्री रास्ते से भेजा जा सके। उन्हें अधिकतर माल हवाई रास्ते से भेजना पड़ता है जो बहुत महंगा पड़ता है।